विषयसूची:
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11 July 2024 Hindi PIB
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1. डीआरडीओ ने प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना के तहत निजी क्षेत्र के लिए सात नई परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की:
सामान्य अध्ययन: 3
रक्षा एवं सुरक्षा,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय:रक्षा एवं सुरक्षा, विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना,DRDO।
मुख्य परीक्षा: हाल ही में डीआरडीओ द्वारा प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना के तहत निजी क्षेत्र हेतु स्वीकृत सात नई परियोजनाओं पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने सशस्त्र बलों और एयरोस्पेस एवं रक्षा क्षेत्रों की विभिन्न जरूरतों के लिए प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना के तहत उद्योगों को सात नई परियोजनाएं प्रदान की हैं।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में उद्योगों, विशेष रूप से एमएसएमई और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना है।
विवरण:
- ये स्वीकृति परियोजनाएं रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में उद्योगों, विशेष रूप से एमएसएमई और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने में डीआरडीओ के निरंतर प्रयासों का प्रमाण हैं।
- इन प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास से सैन्य औद्योगिक इकोसिस्टम मजबूत होगा।
इन स्वीकृत परियोजनाओं का विवरण नीचे दिया गया है:
1. स्वदेशी परिदृश्य और सेंसर सिमुलेशन टूलकिट:
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- इस परियोजना में वास्तविक परिदृश्यों में पायलटों के सिम्युलेटर प्रशिक्षण के लिए एक स्वदेशी टूलकिट का विकास शामिल है।
- इससे पूर्ण मिशन योजना और भारी बल भागीदारी में मदद मिलेगी।
2. अंडर वाटर प्रक्षेपित मानवरहित हवाई वाहन:
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- यह परियोजना बहुमुखी समुद्री युद्ध क्षेत्र सहायक उपकरण से संबंधित है जिसे युद्ध की कई भूमिकाओं में तैनात किया जा सकता है।
- इसका उद्देश्य खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) तथा समुद्री डोमेन जागरूकता (एमडीए) है।
3. डिटेक्शन और न्यूट्रेलाइजेशन के लिए लम्बी दूरी का रिपोर्ट चालित वाहन:
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- ये वाहन दोहरे उपयोग वाली प्रणालियों, जो प्रमुख परिसंपत्तियों को संदिग्ध परिचालन क्षेत्र से दूर रखते हुए पानी के नीचे की वस्तुओं का पता लगाने, उन्हें वर्गीकृत करने, उनका स्थान निर्धारित करने और उन्हें निष्क्रिय करने में सक्षम होंगे।
4. विमान के लिए आईस डिटेक्शन सेंसर का विकास:
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- इस परियोजना का उद्देश्य उड़ान के दौरान बर्फ जमने की स्थिति का पता लगाना है, जो सुपर कूल्ड पानी की बूंदों के कारण होती है और विमान की बाहरी सतहों से टकराने के बाद जम जाती है।
- इन्हें विमान द्वारा विमान में एंटी-आइसिंग मैकेनिज्म को चालू करने के लिए उपयोग किया जाता है।
5. एक्टिव एंटीना ऐरे सिम्युलेटर के साथ रडार सिग्नल प्रोसेसर का विकास:
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- यह परियोजना छोटी दूरी की हवाई हथियार प्रणालियों के परीक्षण और मूल्यांकन के लिए विविध लक्ष्य प्रणाली की तैनाती को सक्षम बनाएगी।
- यह बड़ी रडार प्रणालियों के लिए बुनियादी निर्माण ब्लॉक के रूप में कार्य करेगी।
6. भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट प्रणाली आधारित समय अधिग्रहण और प्रसार प्रणाली का विकास:
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- इस परियोजना की एकॉर्ड सॉफ्टवेयर एंड सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु को मंजूरी दी गई है।
- इसका उद्देश्य समय अधिग्रहण और प्रसार प्रणाली के स्वदेशीकरण को सक्षम करना, समय प्राप्त करने के लिए भारतीय नक्षत्र का उपयोग करना तथा रेंज आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित एवं लचीली समय प्रणाली का विकास करना है।
7. बहु-कार्यात्मक वियरेबल अनुप्रयोगों के लिए ग्राफीन आधारित स्मार्ट और ई-टेक्सटाइल का विकास:
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- कोयंबटूर के स्टार्ट-अप एलोहाटेक प्राइवेट लिमिटेड को इस परियोजना के लिए मंजूरी दी गई है।
- यह ग्रेफीन नैनोमटेरियल और कंडक्टिव स्याही का उपयोग करके कंडक्टिव यार्न और फैब्रिक बनाने की प्रक्रिया विकसित करेगी।
- इसका परिणाम उन्नत नैनोकंपोजिट सामग्री-आधारित ई-टेक्सटाइल होगा जिसमें व्यावहारिक कपड़ों के अनुप्रयोगों के लिए बुनियादी लाभों का उपयोग किया जाएगा।
पृष्ठ्भूमि:
प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना:
- ‘मेक इन इंडिया’ पहल के एक भाग के रूप में रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी विकास निधि (TDF) की स्थापना की गई है।
- यह रक्षा मंत्रालय के अधीन है और सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए DRDO द्वारा क्रियान्वित किया जाता है।
- इस योजना का उद्देश्य उद्योग को रक्षा प्रौद्योगिकियों पर नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित करके रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान करना है, ताकि भारत को आत्मनिर्भरता के मार्ग पर रखा जा सके।
- इस योजना के लिए पात्रता: सार्वजनिक सीमित कंपनी, एक निजी सीमित कंपनी, एक साझेदारी फर्म, एक सीमित देयता भागीदारी, एक-व्यक्ति कंपनी, भारत में पंजीकृत लागू भारतीय कानूनों के अनुसार पंजीकृत एकमात्र स्वामित्व, विशेष रूप से एमएसएमई और भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप।
- वित्त पोषण सहायता: 50,00,00,000/- रुपये तक की परियोजना लागत को वित्त पोषण के लिए माना जाएगा।
2. ऑस्ट्रेलिया के डार्विन में भारतीय वायु सेना का अभ्यास पिच ब्लैक 2024:
सामान्य अध्ययन: 2,3
अंतर्राष्ट्रीय संबंध; रक्षा और सुरक्षा:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार,रक्षा और सुरक्षा।
प्रारंभिक परीक्षा: एक्स पिच ब्लैक
मुख्य परीक्षा: भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध
प्रसंग:
- भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की एक टुकड़ी ऑस्ट्रेलिया में अभ्यास पिच ब्लैक 2024 में भाग लेने के लिए रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स (आरएएएफ) के बेस डार्विन पहुंच चुकी है।
उद्देश्य:
- यह अभ्यास भारतीय वायुसेना को अभ्यास में शामिल होने वाले देशों के साथ बल एकीकरण और सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के पारस्परिक आदान-प्रदान का अवसर उपलब्ध कराएगा।
विवरण:
- यह अभ्यास 12 जुलाई, 2024 से 02 अगस्त, 2024 तक आयोजित किया जा रहा है। यह रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयर फोर्स द्वारा आयोजित एक बहुराष्ट्रीय व द्विवार्षिक वायु अभ्यास है।
- इस अभ्यास का नाम ‘पिच ब्लैक’ बड़े गैर-आबादी वाले क्षेत्रों में रात के समय उड़ान भरने पर जोर देने के लिए रखा गया था।
- इस बार वायु अभ्यास पिच ब्लैक का आयोजन, इसके 43 वर्ष लम्बे इतिहास में सबसे भव्य होगा, जिसमें 20 भागीदार देश सम्मिलित हो रहे हैं।
- इस दौरान, विभिन्न देशों की वायु सेनाओं के 140 से अधिक विमान और 4400 वायु सेना कर्मी भाग लेंगे।
- यह अभ्यास बड़े पैमाने पर सैन्य तैनाती वाली युद्धक गतिविधियों पर केंद्रित होगा, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को और बढ़ावा देना है।
- इसमें एफ-35, एफ-22, एफ-18, एफ-15, ग्रिपेन और टाइफून लड़ाकू विमानों की सहभागिता में भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई के संचालन के साथ अनुभव वृद्धि करने की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- भारतीय वायुसेना के दल में पायलट, इंजीनियर, तकनीशियन, नियंत्रक और अन्य विषय विशेषज्ञों सहित 150 से अधिक उच्च कुशल वायु कर्मी शामिल हैं, जो शक्तिशाली सुखोई-30 एमकेआई बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों के साथ-साथ विशालकाय सी-17 ग्लोबमास्टर और आईएल -78 हवा से हवा में ईंधन भरने वाले विमानों का संचालन करेंगे।
- यह अभ्यास इसमें भाग लेने वाले देशों को लंबी दूरी पर विमानों की तैनाती करने, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एकीकृत संचालन का सहयोग करने और अत्यधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सशक्त विमानन संपर्क संगठन बनाने की क्षमता को विस्तार प्रदान करने का एक उत्कृष्ट अवसर सुलभ कराता है।
- भारतीय वायुसेना ने इससे पहले अभ्यास पिच ब्लैक के 2018 और 2022 संस्करण में अपनी भागीदारी की है।
- भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: India – Australia relations
3. विश्व जनसंख्या दिवस 2024:
सामान्य अध्ययन: 1
सामाजिक मुद्दे:
विषय: जनसंख्या और उससे जुड़े मुद्दे, गरीबी और विकास संबंधी मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: विश्व जनसंख्या दिवस 2024, मिशन परिवार विकास। सुगम मॉडल।
मुख्य परीक्षा: इस क्षेत्र में सरकारी योजनाएँ, मिशन परिवार विकास।
प्रसंग:
- विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ वर्चुअली बैठक का आयोजन किया।
उद्देश्य:
- इस कार्यक्रम का विषय था: “मां और बच्चे की भलाई के लिए गर्भधारण का स्वस्थ समय और अंतराल”।
विवरण:
- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में विश्व जनसंख्या का 1/5 हिस्सा रहता है। विकसित भारत का लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब भारत के परिवारों का स्वास्थ्य अच्छा रहे, जिसे केवल छोटे परिवारों द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।
- केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि महिलाएं परिवार नियोजन के विकल्प चुनने के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें, उन पर अनचाहे गर्भधारण का बोझ न पड़े और यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि विशेष रूप से अधिक जरूरत वाले राज्यों, जिलों और ब्लॉकों में गर्भनिरोधकों की कमी को पूरा किया जा सके।
- परिवार नियोजन कार्यक्रम का उद्देश्य अपनी पसंद और सूचित विकल्प के साथ जन्म होना चाहिए।
- विश्व जनसंख्या दिवस से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: World Population Day
- राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफल योजनाओं में से एक “मिशन परिवार विकास” (एमपीवी) – योजना शुरुआत में सात उच्च-केन्द्रित राज्यों के 146 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों (एचपीडी) में शुरू की गई थी।बाद में इन राज्यों के सभी जिलों और छह पूर्वोत्तर राज्यों में इसका विस्तार किया गया।
- इस योजना के उल्लेखनीय प्रभाव- इन राज्यों में गर्भनिरोधकों तक पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि और मातृ, शिशु तथा पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई हैं।
- जिलों को इस योजना का प्राथमिक केंद्र बनाने से पूरे राज्य में टीएफआर को नीचे लाने में मदद मिली।
- मिशन परिवार विकास ने न केवल राज्यों के टीएफआर (Total Fertility Rate (TFR)) को कम करने में योगदान दिया है, बल्कि राष्ट्रीय टीएफआर में भी मदद की है।
- मिशन परिवार विकास सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Mission Parivar Vikas
- भारत की 65 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रजनन आयु वर्ग में आती है।
- केंद्र सरकार द्वारा किए गए परिवार नियोजन कार्यक्रम पहले यह दो चरणों वाला कार्यक्रम हुआ करता था, अब इसका तीन चरणों- प्रारंभिक चरण, सामुदायिक भागीदारी और सेवा वितरण में विस्तार किया गया है।
- सात दशकों के परिवार नियोजन कार्यक्रम की गतिविधियों ने यह दर्शाया हैं कि अब 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 31 राज्य टीएफआर के प्रतिस्थापन स्तर पर पहुंच गए हैं।
- मपीवी योजना को प्रारंभ में 146 जिलों में शुरू किया गया था, जिसका अब 340 से अधिक जिलों में विस्तार किया गया है।
- देश में आधुनिक गर्भनिरोधकों की स्वीकार्यता बढ़कर 56 प्रतिशत से अधिक हो गई है।
- आधुनिक गर्भनिरोधकों का उपयोग 47.8 प्रतिशत (एनएफएचएस 4) से बढ़कर 56.5 प्रतिशत (एनएफएचएस-5) हो गया है।
- एनएफएचएस 5 डेटा अंतराल विधियों को अपनाने की ओर एक समग्र सकारात्मक बदलाव दर्शाता है जो मातृ एवं शिशु मृत्यु दर और रुग्णता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने में सहायक होगा।
- परिवार नियोजन की अधूरी रह जाने वाली जरूरतें 12.9 (एनएफएचएस IV) से घटकर 9.4 हो गई है जो एक उत्साहजनक उपलब्धि है।
- इस अवसर पर एक नवाचार परिवार नियोजन प्रदर्शन मॉडल “सुगम” और हिंदी, अंग्रेजी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में परिवार नियोजन पोस्टर का अनावरण किया गया, जिसमें विश्व जनसंख्या दिवस 2024 के लिए वर्तमान वर्ष के विषय को शामिल किया गया है।
- “सुगम” परिवार नियोजन के लिए एक विशिष्ट और नवाचार बहुउद्देशीय प्रदर्शन मॉडल है, जिसे परिवार नियोजन सेवा प्रदाताओं, आरएमएनसीएचए (प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल, किशोर स्वास्थ्य और पोषण) परामर्शदाताओं, जमीनी स्तर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और लाभार्थियों के उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इसे स्वास्थ्य सुविधाओं में विभिन्न स्थानों पर रणनीतिक रूप से भी प्रदर्शित किया जा सकता है।
- “सुगम” का उद्देश्य सौहार्दपूर्ण वातावरण को बढ़ावा देना और परिवार नियोजन के बारे में आवश्यक जागरूकता पैदा करना है।
- इसमें परिवार नियोजन में पुरुषों और महिलाओं की समान भागीदारी के बारे में आवश्यक चर्चा पैदा करना, नियोजित पितृत्व को प्रोत्साहित करना, स्वस्थ टाइमिंग और दो जन्मों के बीच अंतराल पर जोर देने के साथ-साथ उपलब्ध गर्भनिरोधक विकल्पों की श्रृंखला को प्रदर्शित करना शामिल है।
- इस कार्यक्रम में झारखंड और उत्तर प्रदेश ने “सास बहू सम्मेलन” के अपने संस्करणों पर प्रकाश डाला, जिसमें वे समुदाय में जागरूकता पैदा करने के लिए परिवार के पुरुष सदस्यों को भी शामिल करते हैं।
- तेलंगाना ने “अंतरा दिवस” की अपनी विशिष्ट प्रथा के बारे में जानकारी दी, जहां वे पुरूषों और महिलाओं को गर्भनिरोधक इंजेक्शन देते हैं।
4. चारधाम तीर्थयात्रियों के लिए अब ई-स्वास्थ्य धाम पोर्टल पर आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (एबीएचए) बनाने की सुविधा उपलब्ध:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: ई-स्वास्थ्य धाम पोर्टल, चार धाम योजना, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM)।
प्रसंग:
- ई-स्वास्थ्य धाम पोर्टल अब आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के साथ एकीकृत हो गया है।
उद्देश्य:
- ई-स्वास्थ्य धाम पोर्टल तीर्थयात्रियों को कई तरह के लाभ प्रदान करता है और उनमें से एक है एबीएचए (आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता) बनाना।
विवरण:
- ई-स्वास्थ्य धाम पोर्टल अब आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के साथ जुड़ गया है।
- सितम्बर 2021 में शुरू की गई “केन्द्रीय क्षेत्र की योजना” एबीडीएम का उद्देश्य देश में एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा तैयार करना है।
- उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने ई-स्वास्थ्य धाम नाम के एक पोर्टल की शुरूआत की है।
- ई-स्वास्थ्य धाम पोर्टल एक ऐसा पोर्टल है जो चार धाम यात्रा तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य पैरामीटरों की निगरानी में मदद करता है।
- नतीजतन, यह यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों की यात्रा सुगम होना सुनिश्चित करता है- जिसे एक साथ चार धाम यात्रा कहा जाता है।
- तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, यह प्लेटफ़ॉर्म सुनिश्चित करता है कि सुरक्षित और सुगम यात्रा के लिए उनके स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए, खासकर वरिष्ठ नागरिकों के लिए।
- चार धाम तीर्थस्थल अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं, इसलिए ठंड के मौसम और कम ऑक्सीजन के स्तर के कारण हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और श्वसन रोग, मधुमेह आदि जैसे उच्च ऊंचाई से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है।
- एबीडीएम के एक हिस्से के रूप में एबीएचए का निर्माण भक्तों के लिए एक मजबूत और भरोसेमंद पहचान स्थापित करेगा जो उनके स्वास्थ्य रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से प्रबंधित करने में मदद करेगा।
- यह आपातकाल के समय नागरिकों के लिए तत्काल उपलब्धता भी सुनिश्चित करेगा।
- अब तक 65 करोड़ से ज़्यादा एबीएचए बनाए जा चुके हैं। एबीएचए नागरिकों के लिए कई तरह के फ़ायदे लेकर आता है, जिसमें उनके स्वास्थ्य रिकॉर्ड को सुरक्षित तरीके से स्टोर करना और प्रबंधित करना शामिल है।
- यह उन्हें डॉक्टर की सहमति से कहीं भी, कभी भी अपने स्वास्थ्य रिकॉर्ड को सुरक्षित तरीके से साझा करने की सुविधा भी देता है।
- एबीएचए के ज़रिए नागरिक कई तरह के डिजिटल स्वास्थ्य लाभ उठा सकते हैं, जैसे कि पंजीकरण के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं पर लंबी कतारों से बचना और डॉक्टर से मिलने का समय लेना।
5. 7वीं भारत-जापान चिकित्सा उत्पाद विनियामक संगोष्ठी आयोजित:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
मुख्य परीक्षा: भारत-जापान संबंध।
प्रसंग:
- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organization) द्वारा आयोजित 7वीं भारत-जापान चिकित्सा उत्पाद विनियामक संगोष्ठी 10 जुलाई 2024 को सफलतापूर्वक आयोजित की गई।
उद्देश्य:
- यह कार्यक्रम भारत और जापान ( India and Japan) के बीच सहयोग ज्ञापन (एमओसी) के अनुरूप आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य चिकित्सा उत्पाद विनियमन में सहयोग को बढ़ावा देना था।
विवरण:
- दिसंबर 2015 में सीडीएससीओ तथा स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय (एमएचएलडब्ल्यू) और जापान की फार्मास्युटिकल और मेडिकल डिवाइसेज एजेंसी (पीएमडीए) के बीच मूल रूप से हस्ताक्षरित एमओसी, दिसंबर 2025 तक चिकित्सा उत्पादों के नियमन में आपसी सहयोग को रेखांकित करता है।
- ये नियामक संगोष्ठियां भारत और जापान में बारी-बारी से आयोजित की जाती हैं, जो अंतर्दृष्टि के आदान-प्रदान और नियामक व्यवहारों को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करती हैं।
- संगोष्ठी में भारतीय और जापानी दवा नियामक प्राधिकरणों द्वारा व्यावहारिक प्रस्तुतियां दी गईं, जिसके बाद फार्मा, मेडिकल डिवाइसेज और रीजनरेटिव मेडिसिन में उभरते विषयों पर गहन चर्चा हुई।
- ये विचार-विमर्श दोनों देशों में नवीनतम नियामक पहलों पर उद्योग के हितधारकों को अपडेट करने में महत्वपूर्ण थे।
पृष्ठ्भूमि:
- इस संगोष्ठी में भारत और जापान के स्वास्थ्य मंत्रालयों के लगभग 200 प्रतिनिधि, सीडीएससीओ और पीएमडीए के विनियामक प्राधिकरणों के साथ-साथ फार्मास्युटिकल, मेडिकल डिवाइस और बायोलॉजिकल-बायोसिमिलर सेक्टर के उद्योग प्रतिनिधि शामिल हुए।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे सम्बंधित कुछ नहीं हैं।
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