विषयसूची:
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1. वित्त वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष करों के सकल संग्रह में 12.73% की वृद्धि:
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों को जुटाने, संवृद्धि और विकास से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर।
प्रसंग:
- वित्त वर्ष 2023-24 में 17.06.2023 तक के प्रत्यक्ष कर संग्रह के आंकड़ों से पता चला है कि शुद्ध संग्रह 3,79,760 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष यानी वित्त वर्ष 2022-23 की इसी अवधि में यह 3,41,568 करोड़ रुपये था, जो कि 11.18% की वृद्धि दर्शाता है।
उदेश्य:
- वित्त वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष करों का शुद्ध संग्रह 11.18% से भी अधिक बढ़ा।
- वित्त वर्ष 2023-24 में 17.06.2023 तक अग्रिम कर संग्रह 1,16,776 करोड़ रुपये का हुआ, जो 13.70% की वृद्धि दर्शाता है।
- चालू वित्त वर्ष में कुल 39,578 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए।
विवरण:
- वित्त वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष करों का सकल संग्रह (रिफंड के समायोजन से पहले) पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 3,71,982 करोड़ रुपये की तुलना में 4,19,338 करोड़ रुपये का हुआ, जो कि वित्त वर्ष 2022-23 में हुए संग्रह की तुलना में 12.73% की वृद्धि दर्शाता है।
- 3,79,760 करोड़ रुपये के शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह (17.06.2023 तक) में 1,56,949 करोड़ रुपये का कॉरपोरेशन टैक्स (CIT) (रिफंड के समायोजन के बाद) और प्रतिभूति लेन-देन कर (STT) सहित 2,22,196 करोड़ रुपये का व्यक्तिगत आयकर (PIT) (रिफंड के समायोजन के बाद) शामिल है।
- 4,19,338 करोड़ रुपये के सकल संग्रह में 1,87,311 करोड़ रुपये का कॉरपोरेशन टैक्स (CIT) और प्रतिभूति लेन-देन कर (STT) सहित 2,31,391 करोड़ रुपये का व्यक्तिगत आयकर (PIT) शामिल है।
- लघु मद वार संग्रह में 1,16,776 करोड़ रुपये का अग्रिम कर; 2,71,849 करोड़ रुपये का TDS (स्रोत पर कर कटौती); 18,128 करोड़ रुपये का स्व-आकलन कर; 9,977 करोड़ रुपये का नियमित आकलन कर शामिल है; और अन्य छोटे मदों के तहत 2,607 करोड़ रुपये का कर संग्रह शामिल है।
- वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में 17.06.2023 तक अग्रिम कर संग्रह 1,16,776 करोड़ रुपये का हुआ, जबकि इससे ठीक पहले वाले वित्त वर्ष यानी 2022-23 की इसी अवधि में अग्रिम कर संग्रह 1,02,707 करोड़ रुपये का हुआ था, जो कि 13.70% की वृद्धि दर्शाता है।
- 17.06.2023 तक हुए 1,16,776 करोड़ रुपये के अग्रिम कर संग्रह में 92,784 करोड़ रुपये का कॉरपोरेशन टैक्स (CIT) और 23,991 करोड़ रुपये का व्यक्तिगत आयकर (PIT) शामिल हैं।
- वित्त वर्ष 2023-24 में 17.06.2023 तक 39,578 करोड़ रुपये के रिफंड भी जारी किए गए हैं जो कि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 की इसी अवधि के दौरान जारी किए गए 30,414 करोड़ रुपये के रिफंड की तुलना में 30.13% अधिक है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.गीता प्रेस, गोरखपुर को वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया जाएगा:
- वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को प्रदान किया जा रहा है।
- गांधी शांति पुरस्कार भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है।
- वर्ष 1995 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर उनके आदर्शों के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी।
- यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग के भेदभाव के बगैर सभी व्यक्तियों के लिए खुला है।
- पुरस्कार में एक करोड़ रुपए की राशि, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा विशिष्ट कृति प्रदान की जाती है।
- पूर्व पुरस्कार विजेताओं में इसरो, रामकृष्ण मिशन, बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक, विवेकानंद केंद्र (कन्याकुमारी), अक्षय पात्र (बेंगलुरु), एकल अभियान ट्रस्ट (भारत) और सुलभ इंटरनेशनल (नई दिल्ली) जैसे संगठन शामिल हैं।
- यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले विशिष्ट व्यक्तियों में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. नेल्सन मंडेला, तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जूलियस न्येरेरे, श्रीलंका के सर्वोदय श्रमदान आंदोलन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. ए.टी. अरियारत्ने, जर्मनी संघीय गणराज्य के डॉ. गेरहार्ड फिशर, बाबा आमटे, आयरलैंड के डॉ. जॉन ह्यूम, चेकोस्लोवाकिया के पूर्व राष्ट्रपति श्री वाक्लेव हवेल, दक्षिण अफ्रीका के आर्कबिशप डेसमंड टूटू, श्री चंडी प्रसाद भट्ट और जापान के श्री योही ससाकावा शामिल हैं।
- हाल के वर्षों में 2019 में ओमान के सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद और 2020 में बांग्लादेश के बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में निर्णायक मंडल ने 18 जून, 2023 को विचार-विमर्श के पश्चात सर्वसम्मति से वर्ष 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस, गोरखपुर का चयन किया है।
- यह पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को अहिंसक और अन्य गांधीवादी आदर्शों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में परिवर्तन लाने में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जा रहा है।
- वर्ष 1923 में स्थापित गीता प्रेस विश्व में सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है।
- इसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन किया है, जिनमें 16.21 करोड़ श्रीमद भगवद गीता पुस्तकें शामिल हैं।
- इस संस्था ने राजस्व सृजन के लिए कभी भी अपने प्रकाशनों के लिए विज्ञापन नहीं लिए।
- गीता प्रेस अपने संबद्ध संगठनों के साथ जीवन के उत्तरोत्तर विकास और सर्वजन-कल्याण के लिए प्रयासरत है।
- प्रधानमंत्री ने शांति और सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने में गीता प्रेस के योगदान का स्मरण किया।
- उन्होंने कहा कि गीता प्रेस को अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना संस्थान द्वारा सामुदायिक सेवा में किए गए कार्यों की सराहना करना है।
- गांधी शांति पुरस्कार 2021, मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने के लिए गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है, जो सच्चे अर्थों में गांधीवादी जीवन शैली का प्रतीक है।
18 June PIB :- Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 17 June 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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