वर्तमान में (फरवरी 2023 तक) भारत के लोक सभा उपाध्यक्ष का पद रिक्त है । लोक सभा के 15वें उपाध्यक्ष एम.थम्बिदुरै के 2014-19 के कार्यकाल के बाद से अर्थात 23 जून 2019 से इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गई है ।
लोक सभा उपाध्यक्ष का पद : कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
1921 में सच्चिदानंद सिन्हा को केंद्रीय विधान परिषद का प्रथम उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया । उस समय अध्यक्ष व उपाध्यक्ष क्रमश: “प्रेसीडेंट” व “डेप्युटी प्रेसीडेंट” कहलाते थे । भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत प्रेसीडेंट व डिप्टी प्रेसीडेंट को क्रमशः अध्यक्ष व उपाध्यक्ष कहा गया । आज़ादी के बाद एम.ए.आयंगर लोक सभा के प्रथम उपाध्यक्ष बने । प्रथम लोक सभा से अब तक के उपाध्यक्षों की जानकारी के लिए नीचे दी गई तालिका देखें ।
प्रथम लोक सभा से अब तक के उपाध्यक्ष की सूचि | ||
उपाध्यक्ष | कार्यकाल | राजनैतिक दल |
1.एम.ए.अयंगर | 1952- 56 | कॉंग्रेस पार्टी |
2.हुकुम सिंह | 1956- 62 | कॉंग्रेस पार्टी |
3.एस.वी.के.राव | 1962- 67 | कॉंग्रेस पार्टी |
4.रघुनाथ केसव खाडिलकर | 1967- 69 | कॉंग्रेस पार्टी |
5.जी.जी.स्वेल्ल | 1971- 77 | गठबंधन |
6.जी.मुर्हरी | 1977- 79 | कॉंग्रेस पार्टी |
7.जी.लाक्स्मंनन | 1980- 84 | डी.एम.के. |
8.एम.थम्बिदुरै | 1985- 89 | ए,आई.डी.एम.के. |
9.शिवराज पाटिल | 1990- 91 | कॉंग्रेस पार्टी |
10.एस.मल्लिकार्जुनइयाह | 1991- 96 | भा.ज.पा |
11.सूरज भान | 1996- 97 | भा.ज.पा |
12.पी.एम.सईद | 1999- 2004 | कॉंग्रेस पार्टी |
13.चरण जीत सिंह अटवाल | 2004- 2009 | सिरोमणि अकाली दल |
14.करिया मुंडा | 2009- 2014 | भा.ज.पा |
15.एम.थम्बिदुरै | 2014- 2019 | ए,आई.डी.एम.के |
नोट: वर्तमान में यह पद रिक्त है |
लोक सभा उपाध्यक्ष : कार्य एवं शक्तियां :-
- लोक सभा के अध्यक्ष का पद रिक्त होने पर उपाध्यक्ष के उपर ही उसके कार्यों की जिम्मेदारी होती है । सदन की बैठक में अध्यक्ष की अनुपस्थिति की स्थिति में उपाध्यक्ष, अध्यक्ष के तौर पर काम करता है । दोनों ही स्थितियों में वह अध्यक्ष की शक्ति का निर्वहन करता है । संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में भी अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष पीठासीन अधिकारी के तौर पर कार्य करता है ।
- उपाध्यक्ष, अध्यक्ष के अधीन नहीं होता है । वह प्रत्यक्ष रूप से केवल संसद के प्रति उत्तरदायी होता है ।
- जब भी उपाध्यक्ष को किसी संसदीय समिति का सदस्य बनाया जाता है तो वह उस समिति का पदेन सभापति होता है । यह भारतीय संविधान द्वारा लोक सभा उपाध्यक्ष को दिया गया एक विशेषाधिकार है ।
- अध्यक्ष की ही तरह, उपाध्यक्ष भी जब पीठासीन होता है, तब वह सदन में मतदान नहीं कर सकता । केवल 2 पक्षों के बीच मत (वोट) बराबर होने की स्थिति में ही उसे मतदान के प्रयोग का अधिकार है ।
- जब उपाध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव सदन के विचाराधीन हो तब वह पीठासीन नहीं हो सकता ( हालांकि उसे सदन की बैठक में उपस्थित रहने का अधिकार है ) ।
- जब अध्यक्ष सदन में पीठासीन होता है तो उपाध्यक्ष सदन के अन्य दूसरे सदस्यों की तरह होता है । उसे सदन में बोलने, कार्यवाही में भाग लेने और किसी प्रश्न पर मत देने का अधिकार है ।
- उपाध्यक्ष संसद द्वारा निर्धारित किए गए वेतन व भत्ते का हकदार है जो भारत की संचित निधि (Consolidated fund) द्वारा देय होता है ।
- परम्परानुसार यह प्रथा थी की लोक सभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष सत्ताधारी दल के ही होंगे । किंतु वर्तमान में अध्यक्ष सत्ताधारी दल से जबकि उपाध्यक्ष आमतौर पर मुख्य विपक्षी दल से चुना जाता है ।
- लोक सभा का उपाध्यक्ष पद धारण करते समय कोई शपथ या प्रतिज्ञा नहीं लेता है।
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