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बुनियादी विनिमय एवं सहयोग समझौता (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट)

2020 में भारत और अमेरिका के बीच एक मंत्रीस्तरीय संवाद (Ministerial Dialogue) के दौरान दोनों देशों ने बुनियादी विनिमय एवं सहयोग समझौता (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट -BECA) पर हस्ताक्षर किये ।  इससे दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध और मजबूत होने की उम्मीद है । BECA समझौते के तहत भारत और अमेरिका एक दूसरे से संवदेनशील सूचनाओं को साझा करेंगे । अमेरिका के साथ इस समझौते के लागू होने के बाद भारत द्वारा क्वाड (QUAD) के अन्य देशों (ऑस्ट्रेलिया और जापान) के साथ भी ऐसा समझौता लागू किया जा सकेगा। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकारों ने 27 अक्टूबर, 2020 को बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) पर हस्ताक्षर किए । यह दोनों देशों के बीच समझौतों की श्रृंखला का तीसरा हिस्सा है जो एक गहरे सैन्य सहयोग की शुरुआत का प्रतीक है । पिछले दो समझौते ‘लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ (LEMOA) और ‘कम्युनिकेशंस कम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट’ (COMCASA) थे ।

यह लेख BECA समझौते और सिविल सेवा परीक्षा के संदर्भ में इसके महत्व के बारे में है ।

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बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट क्या है?

BECA समझौता भारत व अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण एवं गोपनीय जानकारी के आदान प्रदान पर केंद्रित है । इसके तहत  संदेहास्पद मानव गतिविधि पर आधारित भू- स्थानिक जानकारी आती है जो उपग्रह छवियों और अन्य संबद्ध सूचनाओं की बारीकी से जांच कर एकत्रित की जाती है । ऐसे में सटीक नक्शों और उपग्रह चित्रों के जरिए भारत अपने स्थलाकृतिक और वैमानिकी डेटा को बढ़ा सकता है जो अपनी सीमाओं की अधिक प्रभावी ढंग से रक्षा करने में मदद करेगा । दोनों देशों ने सैन्य सूचनाओं के आदान-प्रदान और सुरक्षित संचार व्यवस्था को बनाने के लिए पहले ही जनरल सिक्योरिटी ऑफ मिलिट्री इंफॉर्मेशन एग्रीमेंट (2002), लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (2016), कम्युनिकेशंस कम्पेटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (2018) पर हस्ताक्षर किए हैं ।

BECA भारतीय सेना को उच्च गुणवत्ता वाला GPS प्रदान करेगा जो इसकी स्वचालित प्रणालियों और मिसाइलों और सशस्त्र ड्रोन जैसे अन्य निर्देशित हथियारों की सटीकता में सुधार करेगा । रक्षा लाभ के अलावा BECA अन्य  आवश्यक जानकारी भी देगा जो प्राकृतिक आपदाओं के प्रति प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए महत्वपूर्ण होगी । BECA के तहत दोनों देश मानचित्र, समुद्री और वैमानिकी चार्ट, वाणिज्यिक और अन्य अवर्गीकृत इमेजरी, भूभौतिकीय, भू-चुंबकीय और गुरुत्वाकर्षण डेटा का आदान-प्रदान कर सकते हैं । यह समझौता अमेरिका को उपग्रह और सेंसर से लिया गया संवेदनशील डेटा साझा करने की अनुमति देगा, जो भारत को बेहद सटीकता के साथ सैन्य लक्ष्यों को देख पाने में मदद करेगा । इसके अलावा भारत हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों के आवागमन या अन्य हरकतों पर कड़ी नजर रख सकेगा । भारत सरकार ने कहा है कि इस समझौते पर हस्ताक्षर से दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच संबंध और भी घनिष्ठ हो जाएंगे ।

BECA समझौते का प्रभाव

BECA पर हस्ताक्षर करने से:

  • भारत और अमेरिका के बीच इंडो- पैसिफिक रणनीतियों का बेहतर समन्वय होगा ।
  • QUAD देशों अर्थात संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच एक अनौपचारिक सुरक्षा संवाद को और मजबूत किया जाएगा ।
  • तनावपूर्ण भारत -चीन संबंधों के मद्देनजर, भारत हिंद महासागर में चीनी नौसैनिकों की उपस्थिति पर कड़ी नजर रख सकता है । यह भारत की भूमि सीमाओं पर चीनियों द्वारा भविष्य में होने वाली घुसपैठ का मुकाबला करने में भी मदद करेगा ।
  • हथियारों के उत्पादन में ‘इंटेलिजेंस -शेयरिंग’ और संयुक्त अनुसंधान सम्भव होगा ।
  • एक बहु -ध्रुवीय विश्व व्यवस्था की नींव ठोस और संस्थागत सहयोग के लिए आकार ले सकेगी जो भारत और अमेरिका के बढ़ते वैश्विक सुरक्षा बोझ को कम करने में मदद करेगा ।

BECA समझौते के संबंध में चुनौतियाँ

हालांकि BECA और अन्य संबद्ध समझौते भारत के लिए एक रणनीतिक लाभ हैं, लेकिन गुटनिरपेक्षता के दिनों से चली आ रही रणनीतिक सोच भारत की विदेश नीति पर हावी रही है । यह सोच इस बात पर जोर देती है कि भारत को  गठबंधन से बचना चाहिए । इसके अलावा भारत शीत युद्ध के दिनों से ही रक्षा उपकरणों में हमेशा रूस का सबसे बड़ा ग्राहक रहा है । संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस के साथ भारत की निकटता के बारे में चिंता व्यक्त की है क्योंकि उसे डर है कि उसकी तकनीक रूस के हाथों में चली जाएगी ।

जैसा की पहले बताया गया है, BECA भारत और अमेरिका के बीच समझौतों की श्रृंखला का तीसरा हिस्सा है । यह उन तीन बेसिक समझौतों में से आखिरी समझौता भी है जिन्हें अमेरिका अपने करीबी साझेदार देशों के साथ सेनाओं की पारस्परिकता और संवेदनशील व क्लासीफाइड सूचनाओं के आदान-प्रदान को सक्षम बनाने के लिए करता है । इससे पहले जो दो समझौते हुए वे ‘कम्युनिकेशंस कंपैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट’ (COMCASA) और ‘लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मैमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ (LEMOA) हैं । ये समझौते मुख्यतः मिलिट्री लॉजिस्टिक्स की साझेदारी और संपर्क (कम्युनिकेशंस) से जुड़े हैं । जबकि BECA का मकसद मिलिट्री और सरकार के लिए अन्य कई प्रकार के सूचनाओं की साझेदारी जिसकी विस्तृत चर्चा उपर की गई है ।

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