हमारे देश के कुछ राज्यों में विधान मंडल के 2 सदनों का प्रावधान है । उच्च सदन को विधान परिषद (legislative council) जबकि निम्न सदन को विधान सभा (legislative assembly) कहते हैं । विधान परिषद के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था है । विधान परिषद की अधिकतम सदस्य संख्या उस राज्य की विधान सभा की सदस्य संख्या का 1/3 और न्यूनतम 40 निश्चित है । इसका अर्थ यह है कि संबंधित राज्य में परिषद सदस्य की संख्या, विधानसभा के आकार पर निर्भर करती है । हालाँकि, इसकी वास्तविक संख्या का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता है ।
विधान परिषद के कुल सदस्यों में से-
- एक -तिहाई सदस्य स्थानीय निकायों, जैसे- नगरपालिका, जिला बोर्ड आदि के द्वारा चुने जाते हैं ।
- 1/12 सदस्यों को राज्य में 3 वर्ष से रह रहे स्नातक निर्वाचित करते हैं ।
- 1/12 सदस्यों का निर्वाचन 3 वर्ष से अध्यापन कर रहे लोग चुनते हैं लेकिन ये अध्यापक कम से कम माध्यमिक स्कूलों से होने चाहिये ।
- 1/3 सदस्यों का चुनाव विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है, और
- बाकी बचे हुए सदस्यों का नामांकन राज्यपाल द्वारा उन लोगों के बीच से किया जाता है, जिन्हें साहित्य, ज्ञान, कला, सहकारिता आंदोलन और समाज सेवा का विशेष ज्ञान व व्यावहारिक अनुभव हो । इस तरह विधान परिषद के कुल सदस्यों में से 5/6 सदस्यों का अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव होता है और 1/6 को राज्यपाल नामित करता है । सदस्य, एकल संक्रमणीय मत के द्वारा समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के माध्यम से चुने जाते हैं ।
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