“ओईसीडी- एफएओ एग्रिकल्चरल आउटलुक”, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन – OECD (ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकनॉमिक को- ऑपरेशन एंड डिवेलपमेंट) तथा खाद्य और कृषि संगठन – FAO (फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन) द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया गया एक वार्षिक रिपोर्ट है, जो राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तरों पर 40 मुख्य कृषि और मत्स्य उत्पादों के लिए आगामी एक दशक की संभावनाओं के आंकलन के रूप में कार्य करता है। साथ ही अध्ययन वर्ष में प्रत्येक क्षेत्र में कितना अनुमानित लक्ष्य हासिल किया गया इसका भी ब्यौरा यह रिपोर्ट देता है । इस लेख में हम इस रिपोर्ट की अहम बिन्दुओं पर चर्चा करेंगे ।
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नोट : किसी भी राज्य की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे संबंधित परीक्षा के पाठ्यक्रम का अच्छी तरह से अध्ययन कर लें, और इसके बाद ही अपनी तैयारी की योजना बनाएं ।
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अध्ययन के मुख्य बिंदु
- इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में कृषि उत्पादन की वृद्धि दर अगले 10 वर्षों में घट कर करीब 1.5% वार्षिक पर आ जाएगी । इससे फसलों के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है । 2003 से 2012 के बीच यह वृद्धि दर 2.1% रही ।
- 2013 -2022 के दौरान कीमतें फसलों और मवेशियों से जुड़े उत्पाद के लिए मध्यम अवधि में, औसत से ऊपर रहने का अनुमान है ।
- बढती जनसँख्या के कारण कृषि योग्य जमीन में होती कमी , उत्पाद शुल्क बढ़ने, संसाधनों को लेकर मुश्किलों और पर्यावरण से जुड़े दबाव में बढ़ोतरी से वैश्विक ग्लोबल कृषि उत्पादन की वृद्धि दर धीमी रहेगी ।
- 2026 तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश होगा और विश्व स्तर पर गेहूं के उत्पादन में दुनिया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखेगा ।
- भारत और अफ्रीका की कुल आबादी वैश्विक जनसंख्या में वृद्धि का 56% हिस्सा होगा । भारत की विशाल जनसंख्या वृद्धि के कारण, भारत और अफ्रीका वैश्विक मांग का बड़ा हिस्सा आकर्षित करेंगे ।
- 2021 -30 के दौरान कृषि क्षेत्र से कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 4% की वृद्धि होगी, जिसमे 80% वृद्धि पशुधन के कारण होंगी ।
- प्रति व्यक्ति औसत वैश्विक खाद्य उपलब्धता अगले 10 वर्षों में केवल 4% की दर से बढ़ने की उम्मीद है । अर्थात यदि इसके लिए प्रयास नहीं किया गया तो हम 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के ‘जीरो हंगर’ के लक्ष्य से चूक जाएंगे ।
- 2030 तक वैश्विक दालों की आपूर्ति में 22 मिलियन टन (mt) की वृद्धि होगी, जिसमें से आधी आपूर्ति एशिया, विशेष रूप से भारत से आने की उम्मीद है ।
- विश्व दालों का व्यापार पिछले दस वर्षों में बढ़कर 17 मिलियन टन (13 मिलियन टन से) हो गया है और भारत के दालों में आत्मनिर्भर बनने के प्रयासों के कारण 2030 तक 19 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है ।
COVID -19 महामारी के प्रकोप के बाद मांग में सुधार और परिणामी आपूर्ति और व्यापार व्यवधानों के कारण अधिकांश कृषि वस्तुओं के लिए वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय कीमतें उच्च हैं, जो कि यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध द्वारा तेज हो गई हैं । युद्ध का पहले से ही कृषि और इनपुट बाजारों पर काफी प्रभाव पड़ रहा है, विशेष रूप से अनाज और तिलहन के लिए, जिसके लिए रूस और यूक्रेन प्रमुख निर्यातक हैं । विपणन वर्ष 2022/23 में यूक्रेन में उत्पादन की संभावनाओं में कमी और यूक्रेन और रूस दोनों से निर्यात की उपलब्धता में कमी के लिए आउटलुक अनुमानों का हिसाब है ।
खाद्य पदार्थों के वैश्विक कारोबार में मात्रा और मूल्य, दोनों के ही मामले में बढ़ोतरी देखी जा रही है। रिपोर्ट में ऐसी संभावना जताई गई है कि यह शीघ्र ही अपनी सर्वोच्च उंचाई पर होगा । वैश्विक खाद्य व्यापार में कोविड- 19 महामारी के दौर में उत्पन्न बाधाओं के प्रति लचीलापन देखा गया है । लेकिन खाद्य पदार्थों और ईंधन -ऊर्जा की निरंतर बढ़ती कीमतों ने गरीब देशों तथा उपभोक्ताओं के लिए नई चुनौतियां भी पेश की हैं । एफ.ए.ओ का अनुमान है कि 2021 में वैश्विक खाद्य आयात बिल रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच सकता है । यह 1.75 बिलियन यू.एस डॉलर के आंकड़े से भी आगे निकल सकता है । पिछले वर्ष की तुलना में इसमें 14% की वृद्धि अनुमानित है ।
विश्व के कुल खाद्य आयात में विकासशील देशों की हिस्सेदारी वर्तमान में 40% है। इसमें वर्ष 2020 की तुलना में के मुकाबले 20% की वृद्धि हो सकती है । इस रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक कृषि उत्पादन में अपेक्षित गति से वृद्धि नहीं हो रही है । जबकि बढती जनसँख्या के व कम होती कृषि योग्य भूमि के कारण खाद्य की मांग बढ़ तीव्र गति से बढ़ रही है । वैश्विक कृषि उत्पादकता सूचकांक में 2050 तक खाद्य और जैव ऊर्जा के लिए उपभोक्ताओं की जरूरत पूरी करने हेतु टोटल फैक्टर उत्पादकता (T.F.P) के लिए वृद्धि का लक्ष्य 1.73% रखा गया था । लेकिन इसकी वार्षिक वृद्धि दर केवल 1.36% है ।
इस रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पादकता वृद्धि 1961 से वैश्विक रूप से 21% कम हो चुकी है । अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पादकता 34% तक कम हुई है ।
भारत विश्व के प्रमुख तिलहन उत्पादक देशों में से एक है । भारत में तिलहन उत्पादन में 2016-17 के बाद से लगातार वृद्धि हुई है । भारत में तिलहन उत्पादन 2015-16 से 2020-21 तक लगभग 43 प्रति शत बढ़ा है । हालांकि फिर भी यह मांग से कम है जिसके कारण खाद्य तेलों का आयात आवश्यक हो गया है । भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य तेल उपभोक्ता एवं वनस्पति तेल का सबसे बड़ा आयातक है । इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में वनस्पति तेल की खपत उच्च जनसंख्या वृद्धि एवं परिणामी शहरीकरण के कारण उच्च रहने की उम्मीद है । भारत को प्रति व्यक्ति वनस्पति तेल की खपत में 2.6 प्रति शत प्रति वर्ष की वृद्धि का अनुमान है, जो 2030 तक 14 किलो ग्राम प्रति व्यक्ति तक पहुंच जाएगा, जिससे प्रतिवर्ष 3.4 प्रति शत की उच्च आयात वृद्धि की आवश्यकता की सम्भावना है ।
रिपोर्ट के अनुसार भारत 2030 तक विश्व कपास उत्पादन में शीर्ष स्थान बनाए रखेगा । 2021-2030 के दशक तक, भारत -25%, चीन- 22% , यू.एस.ए – 15% और ब्राजील – 10% वैश्विक कपास उत्पादक होंगे । हालांकि, भूमि की कमी, पानी की कमी, जलवायु परिवर्तन, कीट और रोग के हमले के साथ- साथ स्थिर रूपी चुनौतियां भी इसमें देश के सामने बताई गई हैं । इस दशक के अंत तक विश्व कपास निर्यात लगभग 25% तक बढ़कर 11 मिलियन टन से अधिक होने की उम्मीद है ।
इस रिपोर्ट के अनुसार ग्रीन हाऊस गैसों का वैश्विक उत्सर्जन बढने की संभावना है । इसके परिणाम स्वरुप वैश्विक तापमान में 2050 तक औद्योगिकरण -पूर्व स्तर से 1.7 से 2.4 डिग्री सेल्सियस के दायरे में बढोतरी हो सकती है जिससे गर्म हवाओं, सूखे, तूफान एवं बाढ आदि प्राकृतिक आपदाओं में भी वृद्धि होगी और प्रमुख बुनियादी ढांचे तथा फसलों को भारी नुकसान होगा ।
रिपोर्ट के अनुसार भारत विश्व भर में बीफ निर्यात करने में तीसरे स्थान पर है । भारत से आगे ब्राजील दूसरे तथा आस्ट्रेलिया पहले स्थान पर है । भारत ने 2016 में 15 लाख 60 हजार टन बीफ का निर्यात किया । रिपोर्ट में आंकलन किया गया है कि 2026 तक भारत 19 लाख 30 हजार टन बीफ निर्यात करने में सक्षम होगा । भारत ने पिछले वर्ष 1.56 करोड़ टन बीफ़ का निर्यात किया था । अनुमानतः 2026 में 1.93 टन बीफ निर्यात करते हुए वैश्विक निर्यात के 16 प्रति शत के हिसाब से भारत तीसरा सबसे बड़ा बीफ़ निर्यातक के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखेगा ।
दक्षिण एशिया के सम्बन्ध में मुख्य बातें –
- दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया ही वह क्षेत्र है जिसे इस अध्ययन में सबसे ज्यादा कवरेज दिया गया है । कृषि एवं मत्स्य उत्पादों के लिए यह क्षेत्र दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा योगदान- कर्ता है । फसल उत्पादन के मामले में यह क्षेत्र तो शीर्ष पर है ही साथ ही पशुधन के मामले में भी यह क्षेत्र तेजी से उभर रहा है । पशुधन के मामले में भारत और पाकिस्तान की ही सबसे अधिक हिस्सेदारी है ।
- आगामी दशक में पिछले दशक की अपेक्षा फसल उत्पादन में 22% की बढ़ोतरी का अनुमान इस अध्ययन ने लगाया है और दशक के अंत तक दुनिया भर के कुल उत्पादन में यह हिस्सा लगभग 62 प्रति शत रहने का अनुमान है ।
- मोटे अनाज विशेष तौर पर भारत, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, इत्यादि देशों की पहचान हैं। अनुमानतः दशक के अंत तक भारत का अनाजों के कुल उत्पादन में इस क्षेत्र में लगभग 8% हिस्सेदारी की संभावना है ।
- खाद्य तेलों के मामले में मलेशिया, इंडोनेशिया के शीर्ष पर बने रहने की उम्मीद है ।
भारत का प्रदर्शन | ||||||
2019-21 | 2026 | 2031 | 2012-21 | 2022-31 | ||
गेहूँ | जोत का आकार | 30 967 हजार हेक्टेयर | 31 907 हजार हेक्टेयर | 32 269 हजार हेक्टेयर | 0.39 हजार हेक्टेयर | 0.21 हजार हेक्टेयर |
उत्पादन | 107 017 कि.ट. | 116 799 कि.ट. | 124 602 कि.ट. | 1.95 कि.ट. | 1.30 कि.ट. | |
खपत | 101 080 कि.ट. | 110 125 कि.ट. | 118 425 कि.ट. | 1.90 कि.ट. | 1.51 कि.ट. | |
प्रति व्यक्ति खपत | 60.6 कि.ग्रा. | 61.7 कि.ग्रा. | 62.5 कि.ग्रा. | 0.36 कि.ग्रा. | 0.26 कि.ग्रा. | |
निर्यात | 3 606 कि.ट. | 6 215 कि.ट. | 5 500 कि.ट. | -9.73 कि.ट. | -2.53 कि.ट. | |
आयात | 3.0 कि.ट. | 5.0 कि.ट. | 5.0 कि.ट. | -24.63 कि.ट. | 0.27 कि.ट. | |
मक्का | जोत का आकार | 9 699 हजार हेक्टेयर | 9 835 हजार हेक्टेयर | 9 875 हजार हेक्टेयर | 0.97 हजार हेक्टेयर | 0.07 हजार हेक्टेयर |
उत्पादन | 30 947 कि.ट. | 34 214 कि.ट. | 37 020 कि.ट. | 4.23 कि.ट. | 1.42 कि.ट. | |
खपत | 28 656 कि.ट. | 31 792 कि.ट. | 35 011 कि.ट. | 5.60 कि.ट. | 1.86 कि.ट. | |
प्रति व्यक्ति खपत | 6.1 कि.ग्रा. | 5.8 कि.ग्रा. | 5.7 कि.ग्रा. | -0.21 कि.ग्रा. | -0.53 कि.ग्रा. | |
निर्यात | 2077 कि.ट. | 2318 कि.ट. | 1897 कि.ट. | -6.38 कि.ट. | -4.52 कि.ट. | |
आयात | 171 कि.ट. | 43.0 कि.ट. | 40.0 कि.ट. | 24.92 कि.ट. | -2.10 कि.ट. | |
मोटे अनाज | जोत का आकार | 14 009 हजार हेक्टेयर | 15417 हजार हेक्टेयर | 15 292 हजार हेक्टेयर | -2.29 हजार हेक्टेयर | 0.11 हजार हेक्टेयर |
उत्पादन | 18 326 कि.ट. | 21 883 कि.ट. | 23 399 कि.ट. | -0.24 कि.ट. | 1.48 कि.ट. | |
खपत | 18 259 कि.ट. | 21 558 कि.ट. | 23 168 कि.ट. | 0.16 कि.ट. | 1.62 कि.ट. | |
प्रति व्यक्ति खपत | 11.4 कि.ग्रा. | 12.1 कि.ग्रा. | 12.2 कि.ग्रा. | -1.66 कि.ग्रा. | 0.41 कि.ग्रा. | |
निर्यात | 188.0 कि.ट. | 367.0 कि.ट. | 324.0 कि.ट. | -15.34 कि.ट. | -3.33 कि.ट. | |
आयात | 121.0 कि.ट. | 83.0 कि.ट. | 91.0 कि.ट. | 47.0 कि.ट. | 2.53 कि.ट. | |
चावल | जोत का आकार | 44 942 हजार हेक्टेयर | 45 980 हजार हेक्टेयर | 46 049 हजार हेक्टेयर | 0.49 हजार हेक्टेयर | 0.04 हजार हेक्टेयर |
उत्पादन | 123 160 कि.ट. | 138 866 कि.ट. | 149 731 कि.ट. | 2.25 कि.ट. | 1.79 कि.ट. | |
खपत | 102 423 कि.ट. | 116 612 कि.ट. | 123 487 कि.ट. | 1.00 कि.ट. | 1.49 कि.ट. | |
प्रति व्यक्ति खपत | 69.1 कि.ग्रा. | 74.8 कि.ग्रा. | 76.1 कि.ग्रा. | 0.08 कि.ग्रा. | 0.66 कि.ग्रा. | |
निर्यात | 17 207 कि.ट. | 21 387 कि.ट. | 25 763 कि.ट. | 6.07 कि.ट. | 3.85 कि.ट. | |
आयात | 4.0 कि.ट. | 2.0 कि.ट. | 2.0 कि.ट. | 16.25 कि.ट. | 0.93 कि.ट. | |
गन्ना | जोत का आकार | 5 086 हजार हेक्टेयर | 5 079 हजार हेक्टेयर | 5 091 हजार हेक्टेयर | 0.0 हजार हेक्टेयर / N A | 0.0 हजार हेक्टेयर/ N A |
उत्पादन | 417 700 कि.ट. | 442 926 कि.ट. | 450 661 कि.ट. | 2.2 कि.ट. | 0.31 कि.ट. | |
अंडे | उत्पादन | 5 966 कि.ट. | 8 043 कि.ट. | 9 199 कि.ट. | 6.33 कि.ट. | 3.14 कि.ट. |
प्रति व्यक्ति खपत | 3.7 कि.ग्रा. | 4.9 कि.ग्रा. | 5.5 कि.ग्रा. | 5.3 कि.ग्रा. | 2.7 कि.ग्रा. | |
मछली एवं समुद्री -खाद्य उत्पाद | उत्पादन | 13 999 कि.ट. | 16 018 कि.ट. | 17 589 कि.ट. | 5.91 कि.ट. | 1.87 कि.ट. |
कुल खपत | 11 331 कि.ट. | 13 661 कि.ट. | 15 434 कि.ट. | 5.63 कि.ट. | 2.90 कि.ट. | |
प्रति व्यक्ति खपत | 8.2 कि.ग्रा. | 9.4 कि.ग्रा. | 10.2 कि.ग्रा. | 4.51 कि.ग्रा. | 2.06 कि.ग्रा. | |
निर्यात | 1 398 कि.ट. | 1 311 कि.ट. | 1 165 कि.ट. | 5.6 कि.ट. | -3.3 कि.ट. | |
आयात | 80 कि.ट. | 132 कि.ट. | 197 कि.ट. | 17.4 कि.ट. | 9.9 कि.ट. | |
कपास | उत्पादन | 6 627 कि.ट. | 6 987 कि.ट. | 7 552 कि.ट. | 0.0 / N A | 1.34 कि.ट. |
जोत का आकार | 12 942 हजार हेक्टेयर | 12 645 हजार हेक्टेयर | 12 718 हजार हेक्टेयर | 0.9 हजार हेक्टेयर | 0.08 हजार हेक्टेयर | |
कुल खपत | 5 644 कि.ट. | 6 019 कि.ट. | 6 390 कि.ट. | N A | 1.21 कि.ट. | |
निर्यात | 1 014 कि.ट. | 1 098 कि.ट. | 1 271 कि.ट. | -6.32 कि.ट. | 2.2 कि.ट. | |
आयात | 255.0 कि.ट. | 126.0 कि.ट. | 109.0 कि.ट. | N A | -2.17 कि.ट. | |
दाल (मुख्य) | उत्पादन | 26 987 कि.ट. | 31 356 कि.ट. | 34 276 कि.ट. | 6.28 कि.ट. | 1.77 कि.ट. |
प्रति व्यक्ति खपत | 17.3 कि.ग्रा. | 19.0 कि.ग्रा. | 20.1 कि.ग्रा. | 2.99 कि.ग्रा. | 1.01 कि.ग्रा. | |
चीनी | उत्पादन | 30 318 कि.ट. | 31 857 कि.ट. | 31 992 कि.ट. | 3.1 कि.ट. | 0.05 कि.ट. |
कुल खपत | 25 841 कि.ट. | 28 055 कि.ट. | 29 544 कि.ट. | 1.2 कि.ट. | 1.1 कि.ट. | |
प्रति व्यक्ति खपत | 18.7 कि.ग्रा. | 19.3 कि.ग्रा. | 19.5 कि.ग्रा. | 0.14 कि.ग्रा. | 0.34 कि.ग्रा. | |
निर्यात | 6 801 कि.ट. | 3 981 कि.ट. | 2 764 कि.ट. | 19.05 कि.ट. | -7.7 कि.ट. | |
आयात | 820.0 कि.ट. | 237.0 कि.ट. | 341.0 कि.ट. | -15.3 कि.ट. | 8.4 कि.ट. | |
सोयाबीन | जोत का आकार | 12 701 हजार हेक्टेयर | 13 524 हजार हेक्टेयर | 13 859 हजार हेक्टेयर | 1.6 हजार हेक्टेयर | 0.5 हजार हेक्टेयर |
उत्पादन | 12 469 कि.ट. | 14 514 कि.ट. | 15 615 कि.ट. | 0.74 कि.ट. | 1.57 कि.ट. | |
कुल खपत | 12 760 कि.ट. | 14 515 कि.ट. | 15 573 कि.ट. | 0.9 कि.ट. | 1.4 कि.ट. | |
निर्यात | 64.0 कि.ट. | 73.0 कि.ट. | 80.0 कि.ट. | -10.7 कि.ट. | 4.05 कि.ट. | |
आयात | 356 कि.ट. | 77.0 कि.ट. | 49.0 कि.ट. | 88.8 कि.ट. | -17.8 कि.ट. | |
मिल्क पाउडर | उत्पादन | 4.0 कि.ट. | 5.0 कि.ट. | 6.0 कि.ट. | 35.26 कि.ट. | 3.33 कि.ट. |
कुल खपत | 2.0 कि.ट. | 3.0 कि.ट. | 3.0 कि.ट. | 19.81 कि.ट. | 0.8 कि.ट. | |
निर्यात | 2.0 कि.ट. | 2.0 कि.ट. | 3.0 कि.ट. | 18.7 कि.ट. | 7.06 कि.ट. | |
आयात | N A | N A | N A | N A | N A | |
प्रोटीन खाद्य | उत्पादन | 21 944 कि.ट. | 24 388 कि.ट. | 26 145 कि.ट. | 1.9 कि.ट. | 1.3 कि.ट. |
कुल खपत | 19 644 कि.ट. | 22 910 कि.ट. | 26 220 कि.ट. | 3.01 कि.ट. | 2.8 कि.ट. | |
निर्यात | 2735 कि.ट. | 2108 कि.ट. | 1101 कि.ट. | -1.1 कि.ट. | -11.04 कि.ट. | |
आयात | 460.0 कि.ट. | 628.0 कि.ट. | 1202 कि.ट. | 12.7 कि.ट. | 12.41 कि.ट. | |
अन्य दलहन | जोत का आकार | 13 918 हजार हेक्टेयर | 15 205 हजार हेक्टेयर | 15 423 हजार हेक्टेयर | 1.56 हजार हेक्टेयर | 0.33 हजार हेक्टेयर |
उत्पादन | 14 951 कि.ट. | 16 871 कि.ट. | 17 892 कि.ट. | 3.8 कि.ट. | 1.2 कि.ट. | |
कुल खपत | 14 322 कि.ट. | 16 125 कि.ट. | 17 114 | 3.4 कि.ट. | 1.3 कि.ट. | |
निर्यात | 701 कि.ट. | 890 कि.ट. | 919 | 10.4 कि.ट. | 0.7 कि.ट. | |
आयात | 142.0 कि.ट. | 162.0 कि.ट. | 160.0 | -4.39 कि.ट. | 0.55 कि.ट. |
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