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शहतूत बांध (लालंदर बांध)

शहतूत बांध (Shahtoot Dam), भारत -अफगानिस्तान मैत्री के संयुक्त प्रयास का एक उदाहारण है। इसके लिए वर्ष 2021 में दोनों देशों के बीच एक ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गये थे। इस ज्ञापन के तहत अफगानिस्तान की काबुल नदी की सहायक मैदान नदी पर एक बांध का निर्माण प्रस्तावित हुआ है। इसे लालंदर बांध (Lalandar dam or Lalander dam) के नाम से भी जाना जाता है। भारत – अफगानिस्तान मैत्री बांध या सलमा बांध, जिसका उद्घाटन 2016 में किया गया था, के बाद यह (शहतूत बांध) भारत द्वारा अफगानिस्तान में बनाया जा रहा दूसरा बड़ा बांध है। इस बांध के निर्माण का मुख्य उद्देश्य अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में पेय जल की सुविधा उपलब्ध कराना है। इस बांध के निर्माण से काबुल में लगभग 20 लाख लोगों को स्वच्छ पेय जल की प्राप्ति हो सकेगी और साथ ही इसके जल का प्रयोग सींचाई की सुविधा के लिए भी किया जा सकेगा। इस बांध की ऊंचाई 113 मी. (अर्थात लगभग 370 फीट) एवं चौड़ाई 60 मी. (अर्थात लगभग 200 फीट) होगी। 

(सलमा बांध 100 मी. से भी अधिक ऊँचा एवं लगभग 540 मी. चौड़ा बांध है जिसका निर्माण अफगानिस्तान की हारी नदी पर भारत के सहयोग से किया गया है। चूँकि यह भारत – अफगानिस्तान मैत्री का द्योतक है अतः इसे भारत – अफगानिस्तान मैत्री बांध या “India- Afghanistan Friendship Dam” भी कहा जाता है)

यह लेख आई.ए.एस मुख्य परीक्षा में GS पेपर- 2 की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय संबंधों (international relations) से प्रश्न पूछे जाते हैं।

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शहतूत बांध की विशेषताएं एवं महत्त्व

शहतूत बांध अथवा लालंदर बांध अफगानिस्तान के लिए भारत के निरंतर समर्थन की पुष्टि करता है। तालिबान के साथ अफगानिस्तान की जटिल शांति प्रक्रिया और पिछले कुछ समय में देश में होने वाली व्यापक हिंसा को देखते हुए समझौते पर हस्ताक्षर करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यह अफगानिस्तान के सामाजिक- आर्थिक विकास के लिए भारत की मजबूत और दीर्घकालिक प्रतिबद्धता तथा दोनों देशों के बीच के सौहार्द को भी प्रदर्शित करता  है। 

भारत और अफगानिस्तान महत्वपूर्ण भागीदार और करीबी पड़ोसी हैं। दोनों सरकारों ने आतंकवाद और उग्रवाद से लड़ते हुए, विकास के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया है। इसी दिशा में कार्य को आगे बढ़ाते हुए अफगानिस्तान में काबुल नदी की एक सहायक नदी पर शहतूत बांध बनाया जाएगा। परियोजना का बजट लगभग 300 मिलियन डॉलर है। अफगानिस्तान के ऊर्जा और जल मंत्रालय ने शाहतूत बांध के प्रारूप (डिजाइन) को अंतिम रूप देने के लिए ईरान की ‘पोयाब कंपनी’ के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद यह बांध 20 लाख से अधिक काबुल वासियों को पीने योग्य पानी और चार- आसियाब शहर व आसपास के जिलों में 4,000 हेक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई की सुविधा प्रदान करेगा। यह बांध देह- सब्ज़ जिले को भी सुरक्षित पेयजल प्रदान करेगा। लालंदर बांध काबुल नदी की सहायक नदी मैदान नदी पर बनाया जाएगा। यह एक गुरुत्व बांध (gravity dam) है जिसकी कुल जल धारण क्षमता 2,02,678 एकड़ फीट होगी। इस बांध की ऊंचाई 113 मी. (अर्थात लगभग 370 फीट) एवं चौड़ाई 60 मी. (अर्थात लगभग 200 फीट) होगी । इस बांध से काफी हद तक भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों को सुव्यवस्थित करने की उम्मीद है ।

जैसा कि ऊपर वर्णित है, शहतूत बांध काबुल प्रांत के चार- आसियाब जिले में प्रस्तावित किया गया है। यह बांध बीस लाख से अधिक परिवारों को पीने के पानी, 4000 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा और काबुल शहर के लिए पर्यावरणीय जल प्रदान करने के साथ -साथ शहर के लिए विद्युत् का उत्पादन भी करेगा। इसके अलावा, यह बांध देश के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देगा और अफगानिस्तान के लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएगा। इस बांध के माध्यम से भू -जल का पुनर्भरण भी संभव हो सकेगा जो अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस परियोजना पर लगभग 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च होने का अनुमान है। इसके लिए 2012 में एक अध्ययन किया गया। इस अध्ययन के अनुसार, इस परियोजना से प्रति वर्ष लगभग 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रिटर्न मिलने की उम्मीद है। इसके निर्माण कार्य का नेतृत्व भारतीय इंजीनियर करेंगे।

यह बांध अफगानिस्तान के लिए इसलिय महत्त्व रखता है क्योंकि अफगानिस्तान में पानी की कमी वर्षों से एक बड़ी समस्या रही है। पानी की कमी के कारण देश को खाद्य -असुरक्षा का भी सामना करना पड़ा है और वस्तुओं की कीमतों में अनियंत्रित वृद्धि देश के भीतर संघर्ष को जन्म दे रही है। इसने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी को एक ऐसी परियोजना के लिए प्रेरित किया, जो देश की पानी की आवश्यकता को पूरा करेगी। शहतूत बांध उसी विचार प्रक्रिया का परिणाम है।

भारत-अफगानिस्तान समझौता ज्ञापन (MoU)

शहतूत बांध के निर्माण के लिए फरवरी 2021 में, भारत और अफगानिस्तान के बीच एक समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू) पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसे लालंदर बांध समझौता के रूप में भी जाना जाता है। इस समझौते में यह निर्णय लिया गया कि एक बांध काबुल नदी की सहायक “मैदान नदी” पर बनाया जाएगा। यह समझौता भारत-अफगानिस्तान की नई विकास साझेदारी को मजबूत करने के लिए किया गया था। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की उपस्थिति में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और उनके अफगान समकक्ष मोहम्मद हनीफ के बीच एक आभासी शिखर सम्मेलन (VTC) के माध्यम से इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

2016 में भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध के निर्माण और उद्घाटन के बाद, जिसे सलमा बांध के नाम से जाना जाता है, दोनों देशों द्वारा इसी तरह की दूसरी पहल की गई थी। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इस बांध को दोनों देशों की मित्रता को समर्पित किया था और कहा था कि यह बांध असाधारण उदारता का कार्य है। उन्होंने इस मदद के लिए भारत को धन्यवाद दिया। उन्होंने उल्लेख किया कि यह बांध काबुल की सुंदरता को पुनर्स्थापित करेगा जो मुगल सम्राट बाबर के शासन के दौरान था ।

उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष तालिबान के अधिग्रहण के बाद से बढ़ते तनाव के कारण अफगानिस्तान संकट के दौर से जूझ रहा है। और भारत ने एक ज़िम्मेदार देश होने के नाते इस संकट की घड़ी में अफगानिस्तान का साथ भी दिया है। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल  पर तालिबान के कब्जे के बाद काबुल से भारतीय नागरिकों और अफगान सहयोगियों को सुरक्षित निकालने के लिए भारतीय वायु सेना ने एक जटिल मिशन को भी अंजाम दिया था जिसे ऑपरेशन देवी शक्ति (Operation Devi Shakti) का नाम दिया गया था। यह अभियान 16 अगस्त 2021 को शुरू हुआ था जब अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तलिबान के कब्जे के बाद वहां से भारतियों को सुरक्षित दिल्ली लाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी।

आपसी मैत्री की इसी कड़ी का एक हिस्सा शहतूत बांध का निर्माण भी है। अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में भारत द्वारा 400 से अधिक परियोजनाओं को पूरा करने के साथ, इसने इस युद्धग्रस्त देश में अब तक 3 बिलियन के दान के साथ खुद को सबसे बड़ा दाता बना लिया है।

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भारत के कुछ प्रमुख बांध

राज्य  बांध   
1.अरुणाचल प्रदेश  रांगानदी बांध (रांगा नदी पर); सुबनसिरी बांध (सुबनसिरी नदी पर); दिबांग बांध (दिबांग नदी पर) ।
2.आंध्र प्रदेश श्रीशैलम बांध (कृष्णा नदी पर); नागर्जुन सागर (कृष्णा नदी पर); सोमासिला बांध (पेन्नार नदी पर); पोलावरम बांध (गोदावरी नदी पर) ।
3.बिहार  कोसी बांध (कोसी नदी पर) ।
4.छत्तीसगढ़  दुधवा बांध (महानदी पर); हसदेव परियोजना (हसदेव नदी पर) ।
5.गुजरात  उकाई बांध ( ताप्ती नदी पर); धरोई बांध (साबरमती नदी पर) ; कडाणा बांध ( माही नदी पर); दंतीबड़ा बांध ( बनास नदी पर) ।
6.हिमाचल प्रदेश  भाखड़ा नंगल बांध  (सतलज नदी पर);नाथ-पा (सतलज नदी पर);चमेरा बांध (रावी नदी पर);पोंग बांध (व्यास नदी पर) ।
7.जम्मू कश्मीर उरी बांध (झेलम नदी पर);दुलहस्ति  बांध (चिनाब नदी पर); बगलिहार बांध (चिनाब नदी पर) ।
8.झारखण्ड  मैथन डैम (बराकर नदी पर); चांडिल (स्वर्ण रेखा पर); पंचैत (दामोदर नदी पर) ।
9.कर्नाटक कृष्णा राजा सागर बांध (कावेरी नदी पर); शिव समुद्रम बांध परियोजना ( कावेरी नदी पर); अलमाटी बांध (कृष्णा नदी पर); तुंग-भद्रा बांध (तुंग-भद्रा नदी पर) ।
10.केरल  इडुक्की बांध (पेरियार नदी पर); मुल्ला-पेरियार बांध (पेरियार नदी पर) ;बनसुरा सागर बांध (काबिनी नदी पर);मल्लमपूजा बांध (मल्लमपूजा नदी पर) ।
11.महाराष्ट्र  कोयना बांध (कोयना नदी पर); उज्जनी बांध (भीमा नदी पर); जायकवाडी बांध (गोदावरी नदी पर); येदारी बांध (पूर्णा नदी पर);गंगा पुर बांध (गोदावरी पर) ।
12.मध्य प्रदेश  गांधी सागर बांध (चंबल नदी पर); इंदिरा सागर बांध (नर्मदा नदी पर); ओंकारेश्वर बांध परियोजना (नर्मदा नदी पर);बर्ना बांध (बर्ना नदी पर) ।
13.उड़ीसा  इंद्रावती बांध (इंद्रावती नदी पर);हीरा कुंड बांध (महानदी पर) ।
14.पंजाब  रणजीत सागर बांध (रावी नदी पर)-पंजाब एवं जम्मू कश्मीर ;दमसाल डैम (दमसाल नदी पर);माधो पुर (रावी नदी पर) ।
15.राजस्थान  बीसलपुर बांध (बनास नदी पर); माही बजाज सागर (माही नदी पर);. राणा प्रताप सागर बांध (चंबल नदी पर); जवाहर सागर बांध (चंबल नदी पर) ।
16.तेलन्गाना  पोचमपाद बांध (श्रीराम सागर प्रोजेक्ट) (गोदावरी नदी पर) ।
17.तमिलनाडु  मेट्टूर बांध (कावेरी नदी पर); कल्लनाई बांध (कावेरी नदी पर); वैगई बांध (वैगई नदी पर) ।
18.उत्तराखंड  टिहरी बांध (भागीरथी नदी पर); धौलीगंगा बांध (धौली गंगा नदी पर) ।
19.उत्तर प्रदेश  रिहंद बांध (रिहंद नदी पर); रानी लक्ष्मीबाई बांध (राजघाट बांध) (बेतवा नदी पर); माता टीला बांध (बेतवा नदी पर) ।

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