03 नवंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: जैव विविधता एवं पर्यावरण:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सरसों का नया संकर संस्करण:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जागरूकता।
प्रारंभिक परीक्षा: आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) सरसों और अन्य जीएम फसलों से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: सरसों की संकर किस्मों का महत्व और इससे जुड़ी चिंताएं।
संदर्भ:
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के तत्वावधान में काम कर रही आनुवंशिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee (GEAC)) जो देश में आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों से सम्बंधित मामलों का शीर्ष नियामक है, ने सरसों के आनुवंशिक रूप से संशोधित (genetically modified (GM)) प्रकार के पर्यावरणीय रिलीज को मंजूरी दे दी है।
धारा सरसों हाइब्रिड-11 (DMH-11):
- धारा मस्टर्ड हाइब्रिड-11 (DMH-11) सरसों का आनुवंशिक रूप से तैयार किया गया एक प्रकार है।
- इसे हाइब्रिड सरसों के रूप में भी माना जाता है और इसे दिल्ली विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किया गया है।
- DMH -11 में संख्या “11” का तात्पर्य फसल की पीढ़ियों की उस संख्या से है, जिनके बाद उसमे वांछित लक्षण प्रकट होते हैं।
- भारत में संकर सरसों को विकसित करने के प्रयास दशकों से किए जा रहे हैं और इस संदर्भ में DMH-1 को एक सफलता माना जा रहा है।
- DMH-1 का हाइब्रिड वैरिएंट ट्रांसजेनिक तकनीक के उपयोग के बिना विकसित किया गया था और इसे वर्ष 2005-2006 में उत्तर पश्चिम भारत में वाणिज्यिक रिलीज के लिए अनुमोदित किया गया था।
- हालांकि शोधकर्ताओं ने कहा है कि इस तकनीक से यह व्यवहार्य तौर पर संभव नहीं है कि इससे लगातार संकर (हाइब्रिड) सरसों का उत्पादन किया जा सके।
- सरसों एक स्व-परागण करने वाला पौधा है और इसलिए पौधे-प्रजनकों के लिए इसके वांछनीय लक्षणों को प्राप्त करने हेतु सरसों की विभिन्न किस्मों का संकरण एक चुनौती रही है।
- आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों का उत्पादन इसके प्राकृतिक स्व-परागण की विशेषता को बंद करके किया जाता है,ताकि इसके पारगमन (क्रॉसिंग) को सक्षम कर इसमें बीज उत्पादन की विशेषता को बहाल करने के लिए सक्षम बनाया जा सकें।
- DMH-11 को सरसों की दो किस्मों वरुणा और अर्ली हीरा-2 के बीच संकरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न किया गया है।
- इस प्रकार की संकरण की सुविधा के लिए बरनेज़ (Barnase) और बारस्टार (Barstar) नामक दो मिट्टी के जीवाणुओं से जीन लिए गए थे।
- वरुणा में बरनेज़ (Barnase) एक अस्थायी बाँझपन लाता है जो इसके प्राकृतिक स्व-परागण लक्षणों और प्रवृत्तियों को प्रतिबंधित करता है।
- वहीँ दूसरी ओर बारस्टार (Barstar) अर्ली हीरा पर बरनेज के प्रभाव को सीमित करता है जिससे बीजों का उत्पादन होता है।
- इसलिए, DMH-11 को एक ट्रांसजेनिक फसल कहा जाता है, क्योंकि इसके उत्पादन में विभिन्न प्रजातियों के बाह्य जीन (foreign gene) का उपयोग किया जाता है।
सरसों की संकर किस्मों का महत्व:
- DMH-11 के बहुत सारे लाभ हैं क्योंकि यह न केवल बेहतर उपज देता है बल्कि उपजाऊ (प्रजननक्षम) भी है।
- गौरतलब हैं कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( Indian Council of Agricultural Research (ICAR)) द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार DMH-11 ने अपने मूल वरुणा की तुलना में 28% अधिक पैदावार और विभिन्न स्थानीय किस्मों की तुलना में 37% बेहतर उपज का उत्पादन किया, जिन्हें विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
- DMH-11 बरनेज़-बारस्टार प्रणाली की क्षमता पर भी प्रकाश डालता है और नए संकर किस्म विकसित करने के लिए इस प्रणाली को एक आधारभूत प्रौद्योगिकी के रूप में उपयोग करने की नई संभावनाओं के द्वार खोलता है।
- विशेषज्ञों के अनुसार बेहतर संकर फसलें भारत के बढ़ते खाद्य-तेल आयात बिल को पूरा करने में मददगार साबित होंगी।
- सरसों की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में रबी की फसल के रूप में की जाती है, लेकिन भारत अभी भी अपनी घरेलू खाद्य-तेल आवश्यकता का लगभग 55-60% आयात करता है।
- राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (National Academy of Agricultural Sciences) के अनुसार लगभग 13.3 मिलियन टन खाद्य तेल का आयात किया गया, जिसकी लागत वित्त वर्ष 2020-21 में लगभग 1,17,000 करोड़ रुपये थी, जो की कम उत्पादकता के कारण दो दशकों से अधिक समय से स्थिर है।
- इसके अलावा, भारत कनाडा, चीन और यूरोप से सरसों और रेपसीड जैसे तिलहन की संकर किस्मों का भी आयात कर रहा है।
चिंता के प्रमुख कारण:
- विभिन्न प्रजातियों के बाह्य जीनों (foreign gene) के उपयोग के कारण सरसों की ट्रांसजेनिक किस्मों का विकास अक्सर विवादास्पद रहा है।
- संकर सरसों के किस्म को तैयार करने के मॉडल को लेकर भी चिंता जताई गई है,जो एक अन्य जीन का उपयोग करता है जिसे “बार जीन” (bar gene) के रूप में जाना जाता है यह फसल को ग्लूफ़ोसिनेट-अमोनियम नामक शाकनाशी के प्रति सहनशील बनाता है।
- पर्यावरण कार्यकर्ताओं का मानना है कि GM सरसों का मूल्यांकन शाकनाशी-सहिष्णु फसल के रूप में नहीं किया जाता है, जिससे संभावित जोखिम पैदा होते हैं।
- इसके अलावा, GM सरसों के पौधों की क्षमता के बारे में भी चिंताएं हैं जो मधुमक्खियों को पौधे को परागित करने से रोकते हैं जो पर्यावरणीय तबाही का कारण बन सकते हैं।
भावी कदम:
- GEAC ने इससे पहले भी वर्ष 2017 में GM सरसों के पर्यावरणीय रिलीज को मंजूरी दी थी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय में इसके खिलाफ मामला दर्ज होने के कारण इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
- इसके अतिरिक्त केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के नेतृत्व वाली सरकार ने अभी भी GEAC से मंजूरी के बावजूद आधिकारिक तौर पर GM सरसों का समर्थन नहीं किया है।
- यह पहली ट्रांसजेनिक खाद्य फसल बीटी बैंगन के मामले में भी देखा गया था, जिसे वर्ष 2009 में GEAC द्वारा मंजूरी प्रदान की गई थी, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इस पर यह कह कर रोक लगा दी कि अभी इसे और अधिक परीक्षणों की आवश्यकता है।
- वर्तमान में बीटी-कॉटन भारत में खेती की जाने वाली एकमात्र ट्रांसजेनिक फसल है।
- DMH -11 की खेती करने के लिए GEAC द्वारा दिया गया यह अनुमोदन केवल ICAR की देखरेख में है और ICAR ने माना है कि GM सरसों उचित मूल्यांकन के बाद “तीन सीज़न” के बाद ही व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होगी।
- आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Genetically Modified (GM) Crops
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
क्या दोषी विधायकों को विधानसभा से अयोग्य ठहराया जा सकता है?
राजव्यवस्था:
विषय: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं।
प्रारंभिक परीक्षा: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act (RPA)), 1951 से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: भारत में दोषी ठहराए गए विधायकों की अयोग्यता और भारतीय राजनीति के अपराधीकरण के प्रावधानों का विश्लेषण।
संदर्भ:
- हाल ही में उत्तर प्रदेश के दो विधायकों को आपराधिक आरोपों में दोषी ठहराया गया है,जिसमें से एक को अयोग्य घोषित कर दिया गया है और उसकी सीट को राज्य के विधानसभा सचिवालय द्वारा खाली घोषित कर दिया गया है।
पृष्ठ्भूमि:
- दोनों में से एक विधायक को वर्ष 2019 में भड़काऊ भाषण देने के लिए तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
- आपराधिक आरोप में दोषसिद्धि के बाद के परिणामस्वरूप दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा आरोपी विधायक की तत्काल अयोग्यता पर ध्यान आकर्षित करती है, इसी के चलते विधानसभा सचिवालय ने उनकी सीट खाली घोषित कर दी हैं।
- हालांकि अन्य दूसरे मामले में वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों में विधायक की भूमिका के लिए दो साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी,जिसके कारण उस विधायक को अयोग्य घोषित नहीं किया गया था।
क्या दोषी विधायकों को विधानसभा से अयोग्य ठहराया जा सकता है?
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act (RP Act), 1951), 1951 की धारा 8 में विभिन्न प्रावधानों का उल्लेख है, जिसका उद्देश्य चुनावी राजनीति को अपराध से मुक्त करना है।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 के अनुसार, किसी भी उल्लिखित श्रेणी के अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को 6 साल की अवधि के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
- इसके अलावा अगर सजा के तौर पर जुर्माना लगाया गया है, तो छह साल की अवधि दोषसिद्धि की तारीख से शुरू होगी।
- हालांकि, अगर सजा जेल की सजा है, तो अयोग्यता सजा की तारीख से शुरू होगी और जेल से रिहा होने की तारीख के छह साल पूरे होने तक जारी रहेगी।
विभिन्न श्रेणी के अपराधों में निम्न नियम शामिल हैं:
- धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना (IPC की धारा 153A)
- चुनावों को प्रभावित करना (IPC की धारा 171F)
- रिश्वत (IPC की धारा 171E)
- एक महिला के प्रति बलात्कार या क्रूरता से संबंधित अपराध (IPC की धारा 376A या 376B या 376C या 376D)
नीचे उल्लिखित विशेष कानूनों के गंभीर प्रावधानों के तहत दोषसिद्धि भी योग्यता की ओर ध्यान आकर्षित करती है, चाहे सजा की मात्रा कुछ भी हो:
- नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम (अस्पृश्यता की प्रथा)
- सीमा शुल्क अधिनियम,
- गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम
- विदेशी मुद्रा (विनियमन) अधिनियम
- स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम
- अन्य सभी आपराधिक प्रावधान एक अलग श्रेणी अंतर्गत आते हैं जिसके तहत केवल दोषसिद्धि के लिए अयोग्यता नहीं होगी, लेकिन ऐसी अयोग्यता के लिए कम से कम दो साल के कारावास की सजा की आवश्यकता होती है।
अयोग्यता के खिलाफ विधायकों के लिए कानूनी संरक्षण:
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) के प्रावधानों के तहत, विधायक 2013 तक तत्काल अयोग्यता से बच सकते थे।
- धारा 8(4) के प्रावधान के अनुसार सजायाफ्ता संसद सदस्य या राज्य के विधायक अपने पदों पर बने रह सकते हैं, बशर्ते उन्होंने निचली अदालत के फैसले की तारीख से तीन महीने के भीतर उच्च न्यायालयों में अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील की गई हो।
- यानी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर करने से ही अयोग्यता के खिलाफ रोक लग जाएगी।
- हालांकि, लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले ( Lily Thomas v/s Union of India case) में सर्वोच्च न्यायालय ने क्लॉज (4) को असंवैधानिक और अधिकारातीत के रूप में खारिज कर दिया था,जिससे सांसदों को दी गई सुरक्षा को हटा दिया गया।
- इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय के पास सजा पर रोक लगाने और किसी व्यक्ति की दोषसिद्धि पर भी रोक लगाने का भी अधिकार है।
- कुछ दुर्लभ मामलों में अपीलकर्ता को चुनाव लड़ने में सक्षम बनाने के लिए दोषसिद्धि पर रोक लगा दी गई है।
- हालांकि इसके साथ ही SC ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस तरह के प्रावधानों का इस्तेमाल बहुत ही दुर्लभ और विशेष कारणों से किया जाना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त जनप्रतिनिधित्व अधिनियम ही चुनाव आयोग के माध्यम से एक समाधान प्रदान करता है।
- आरपी अधिनियम की धारा 11 के अनुसार, चुनाव आयोग कारणों को दर्ज कर सकता है और किसी व्यक्ति की अयोग्यता की अवधि को समाप्त /हटा या घटा सकता है।
- उदाहरण के लिए चुनाव आयोग ने इस शक्ति का प्रयोग पहले सिक्किम के मुख्यमंत्री के लिए किया था, जिन्होंने भ्रष्टाचार के लिए एक साल की सजा काट ली थी और उपचुनाव लड़ने और पद पर बने रहने के लिए उनकी अपात्रता को कम कर दिया था।
- राजनीति के अपराधीकरण से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Criminalisation of politics
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
जैव विविधता एवं पर्यावरण:
अंतर्राष्ट्रीय जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र दिवस:
विषय: जैव विविधता संरक्षण।
मुख्य परीक्षा: जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र का महत्व।
संदर्भ:
- पहला ‘अंतर्राष्ट्रीय जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र दिवस’ (The International Day for Biosphere Reserves) 3 नवंबर, 2022 को मनाया जाएगा।
भूमिका:
- 3 नवंबर, 2022 को ”अंतर्राष्ट्रीय जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इसकी घोषणा वर्ष 2021 में यूनेस्को के आम सम्मेलन के 41वें सत्र में की गई थी।
- इसका आयोजन संरक्षित जैवमंडलों के विश्व नेटवर्क के सभी क्षेत्रों के सहयोग से पेरिस स्थित यूनेस्को (UNESCO) मुख्यालय में किया जाएगा।
- यह मानव और जीवमंडल (MAB) कार्यक्रम की 50वीं वर्षगांठ के दो साल के उत्सव के अंत का भी अवसर होगा।
- अंतर्राष्ट्रीय जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र दिवस का उद्देश्य आधुनिक जीवन के लिए सतत विकास के दृष्टिकोण और इस संबंध में संरक्षित जैवमंडलों के विश्व नेटवर्क (WNBR) द्वारा निभाई जा सकने वाली अग्रणी और अनुकरणीय भूमिका पर एक वार्षिक चेतावनी प्रदान करना है।
मानव और जीवमंडल (MAB) कार्यक्रम:
- मानव और जीवमंडल कार्यक्रम 1971 में यूनेस्को द्वारा शुरू किया गया एक अंतर-सरकारी वैज्ञानिक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य लोगों और उनके वातावरण के बीच संबंधों को बढ़ाने के लिए एक वैज्ञानिक आधार स्थापित करना है।
- यह कार्यक्रम मानव आजीविका में सुधार लाने और प्राकृतिक तथा प्रबंधित पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के लिए प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञान को एक-दूसरे के साथ जोड़ता है। इस प्रकार यह सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ आर्थिक विकास के लिए नवीन दृष्टिकोणों को बढ़ावा देता है।
- मानव और जीवमंडल कार्यक्रम के संरक्षित जैवमंडलों के विश्व नेटवर्क (WNBR) में उत्कृष्टता के स्थलों का एक गतिशील और संवादात्मक नेटवर्क शामिल है जो भागीदारी वार्ता, ज्ञान साझाकरण, गरीबी उन्मूलन और मानव कल्याण में सुधार, सांस्कृतिक मूल्यों के सम्मान और परिवर्तन से निपटने के लिए समाज की क्षमता के माध्यम से सतत विकास के लिए लोगों और प्रकृति के सामंजस्यपूर्ण एकीकरण को बढ़ावा देता है। इस प्रकार यह सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals (SDGs)) का योगदान देता है।
- वर्तमान में संरक्षित जैवमंडलों के विश्व नेटवर्क में दुनिया भर के 134 देशों के 738 स्थल शामिल है, जिसमें 22 सीमापारीय स्थल (transboundary site) हैं।
- दुनिया भर में 260 मिलियन से अधिक लोग जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों में रहते हैं।
- भारत में 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों (18 biosphere reserves in India ) में से 12 संरक्षित जैवमंडलों के विश्व नेटवर्क का हिस्सा हैं।
- श्रीलंका में 4 और मालदीव में 3 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र हैं।
- बांग्लादेश, भूटान और नेपाल में अभी तक कोई अधिसूचित जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र नहीं है।
जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों का महत्व:
- संरक्षित जैवमंडलों का विश्व नेटवर्क उत्तर-दक्षिण और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देता है और ज्ञान साझा करने, अनुभवों का आदान-प्रदान करने, क्षमता निर्माण और सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक अद्वितीय साधन के रूप में कार्य करता है।
- यह विशेष महत्व रखता है क्योंकि पृथ्वी ग्रह अपनी पारिस्थितिक वहन क्षमता को पार कर चुकी है।
- पारिस्थितिकी तंत्र और विषय-विशिष्ट नेटवर्क सतत विकास मॉडल और जलवायु परिवर्तन शमन तथा अनुकूलन संभावनाओं के बारे में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
- 700 से अधिक यूनेस्को जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों में, मनुष्यों और उनके पर्यावरण के बीच एक अलग संबंध (स्वदेशी और स्थानीय ज्ञान पर जोर देने के साथ नैतिकता और सम्मान पर स्थापित एक संबंध) निर्मित किया जा रहा है और इसे दैनिक आधार पर व्यवहार में लाया जा रहा है।
दक्षिण एशिया में अवसर:
- दक्षिण एशिया में अब तक 30 से अधिक जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र स्थापित किए जा चुके हैं।
- श्रीलंका में स्थापित हुरुलु जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र पहला जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र था, जिसके तहत 25,500 हेक्टेयर उष्णकटिबंधीय शुष्क सदाबहार वन आता है।
- नीलगिरि जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र वर्ष 1986 में स्थापित भारत का पहला जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र था। यह पश्चिमी घाट में स्थित है और इसमें भारत के 10 जैव-भौगोलिक प्रांतों में से 2 शामिल हैं।
- जैव विविधता हानि, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जनसंख्या गतिशीलता जैसे मानव अस्तित्व के लिए दीर्घकालिक खतरों को देखते हुए दक्षिण एशिया जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के संबंध में कई विकल्प प्रदान करता है।
- दक्षिण एशिया का पारिस्थितिक तंत्र बहुत ही विविध है। यहाँ भूटान, भारत और नेपाल में हजारों हिमनद हैं, जो झीलों और अल्पाइन पारिस्थितिकी प्रणालियों से घिरे हैं।
- उत्तर-पूर्वी राज्यों पर ध्यान देने के साथ, भारत जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के संबंध में असीमित अवसर भी प्रदान करता है।
भावी कदम:
- जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र स्थापित करने के लिए दक्षिण एशियाई देशों के पास मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति का होना जरूरी है।
- जानकारी और वित्तीय संसाधनों की कमी के मुद्दों का समाधान करने के लिए, अमीर देशों और निजी क्षेत्र से अधिक वित्तीय सहायता की आवश्यकता होगी।
- पर्वतीय जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों का नया विश्व नेटवर्क भूटान और नेपाल जैसे देशों के लिए अपना पहला जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र स्थापित करने और विश्व नेटवर्क में शामिल होने का अवसर प्रदान करता है।
- वर्ष 2025 तक बांग्लादेश, भूटान और नेपाल में प्रति देश कम से कम एक जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (भारत के उत्तर-पूर्व और तटों के पास अतिरिक्त जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के साथ) की स्थापना से लाखों लोगों के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित होगा जहां हम वास्तव में प्रकृति के साथ सद्भाव में रह सकेंगे।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
रूस-यूक्रेन संघर्ष और सर्पिल मॉडल:
विषय: क्षेत्रीय और वैश्विक समूह।
मुख्य परीक्षा: वर्तमान रूस-यूक्रेन युद्ध के व्यापक प्रभाव।
संदर्भ:
- हाल ही में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संकेत दिया है कि रूस को यूक्रेन के खिलाफ सामरिक परमाणु हथियार का उपयोग करने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
भूमिका:
- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वर्तमान यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) में कई बार कहा है कि वह रूस की रक्षा के लिए “सभी उपलब्ध साधनों” का उपयोग करेंगे।
- वर्ष 2014 में, क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद, रूस ने नाटो से उत्पन्न खतरे के जवाब में अपने सैन्य सिद्धांत को बदलते हुए परमाणु हमला करने का विकल्प खोल दिया था।
- रूस ने भी हाल ही में अमेरिका को सूचित किया था कि वह अपने परमाणु भंडार और बलों का वार्षिक अभ्यास करने की योजना बना रहा है। अमेरिका का अनुमान है कि रूस सामरिक परमाणु बलों के अपने वार्षिक ‘ग्रोम’ अभ्यास के दौरान परमाणु हथियारों का परीक्षण करेगा।
- रूस ने यूक्रेन पर रूस के कब्जे वाले शहर खेरसॉन में रेडियोधर्मी सामग्री से भरे बम का इस्तेमाल करने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया है।
- रूसी सामरिक परमाणु खतरे पर प्रतिक्रिया देते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा है कि रुस की तरफ से किया गया कोई भी परमाणु हमला एक “गंभीर गलती” होगी।
- विशेषज्ञों ने इसे अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए संभावित खतरा बताया है क्योंकि पुतिन ने परमाणु हथियारों के उपयोग का विकल्प खुला रखने की घोषणा की है।
- भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु से कहा कि किसी भी पक्ष द्वारा परमाणु विकल्प का सहारा नहीं लिया जाना चाहिए और संकट को बातचीत तथा कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।
क्यूबा मिसाइल संकट और यूक्रेन युद्ध के बीच समानताएं:
- दोनों संकटों की उत्पत्ति से ही समानताएं देखने को मिलती हैं।
- क्यूबा मिसाइल संकट ( Cuban missile crisis ) की शुरुआत तब हुई थी जब सोवियत संघ ने सोवियत हथियारों से क्यूबा की रक्षा करने का वचन दिया और सोवियत की उन्नत तथा मध्यम दूरी की मिसाइल प्रणालियों को क्यूबा में तैनात करने के लिए भेजा। अमेरिका ने फ्लोरिडा के तट से 145 किमी. दूर एक द्वीप में परमाणु मिसाइलों की उपस्थिति को सुरक्षा खतरे और पश्चिमी गोलार्ध में अपने आधिपत्य के लिए एक चुनौती माना।
- यूक्रेन संकट की उत्पत्ति नाटो के पूर्व की ओर विस्तार की योजना से हुई है। वर्ष 2019 में यूक्रेनी संविधान में संशोधन किया गया था, जिसमें नाटो की सदस्यता हासिल करने को यूक्रेन का प्राथमिक भू-राजनीतिक लक्ष्य बनाया गया। परिणामस्वरूप एक बार फिर, रूस को पश्चिमी हथियारों और उसकी सीमाओं पर नाटो सैनिकों की तैनाती के वास्तविक खतरे का सामना करना पड़ा।
- नाटो ने अपने विस्तार के पीछे यह तर्क दिया कि पूर्व सोवियत सहयोगी और गणराज्य अब स्वतंत्र देश हैं जो सैन्य गठबंधन पर संप्रभु निर्णय ले सकती हैं।
- लेकिन, अमेरिका की तरह, जिसने क्यूबा मिसाइल संकट के दौरान सोवियत के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया था कि क्यूबा में मिसाइलों की तैनाती रक्षात्मक उद्देश्यों के लिए थीं, रूस ने नाटो के तर्कों को अमान्य कर दिया।
- क्यूबा मिसाइल संकट को वास्तव में युद्ध में तब्दील होने से पहले ही सुलझा लिया गया था, लेकिन रूस-यूक्रेन संघर्ष के मामले में परिणाम अलग है।
सर्पिल मॉडल (Spiral Model):
- यूक्रेन युद्ध का वर्तमान चरण सर्पिल मॉडल का एक उदाहरण है, जहां सभी पक्ष एक-दूसरे के साथ शत्रुता पूर्ण व्यवहार करते हैं और मौजूदा संघर्ष को बढ़ावा देते हैं।
- रूस द्वारा अपने रणनीतिक परमाणु बलों को अलर्ट पर रखने और यूक्रेन पर आक्रमण जारी रहने के साथ, यूक्रेन में पश्चिमी हथियार की बाढ़ आ गई है और रूस पर लगाए गए प्रतिबंध उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में कोई भी गलत कदम एक विनाशकारी परमाणु खतरे को जन्म दे सकती है।
- एक गंभीर जोखिम यह भी है कि यूक्रेन में जारी संघर्ष उसकी सीमाओं के परे विस्तारित हो सकता है।
भावी कदम:
- यूक्रेन के बुनियादी ढांचे पर रूस के हालिया हमलों और क्रीमिया के सेवस्तोपोल में यूक्रेनी ड्रोन हमले को देखते हुए संघर्ष को जटिल होने से बचाने के लिए सर्पिल को तोड़ा जाना चाहिए।
- सर्पिल को तोड़ने के लिए, पक्षों को संघर्ष को अपने व्यक्तिगत दृष्टिकोण से परे देखना चाहिए और उन संरचनात्मक स्थितियों को समझना चाहिए जिनसे उनके प्रतिद्वंद्वी चिंतित हैं।
- यह नेताओं को अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ सहानुभूति प्रदर्शित करने और शांति स्थापित करने के लिए कठिन निर्णय लेने में सहायक होगा।
- दोनों देशों की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए सार्थक बातचीत की जानी चाहिए।
- विकासशील दुनिया के अग्रणी के रूप में भारत भी बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष को हल करने के लिए रूस और यूक्रेन के साथ वार्ता कर सकता है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. कीमतों में उछाल के कारण केंद्र ने उर्वरक सब्सिडी को दोगुना किया:
- वैश्विक बाजार में उर्वरकों की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण केंद्र सरकार ने मौजूदा रबी सीजन के लिए उर्वरक सब्सिडी को “दोगुना” कर दिया है।
- यूक्रेन-रूस युद्ध और COVID महामारी के कारण उत्पन्न रसद मुद्दों के कारण उर्वरकों की वाणिज्यिक कीमतों में दो गुना वृद्धि हुई है।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21,000 करोड़ रुपये के पोषक तत्व-आधारित सब्सिडी के बजट अनुमान से नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (NPK) तथा फॉस्फेटिक और पोटेशियम उर्वरकों के लिए सल्फर के लिए 51,875 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी हैं।
- यूरिया के लिए 80,000 करोड़ रुपये सहित रबी सीजन के लिए कुल उर्वरक सब्सिडी अब 1,38,875 करोड़ रुपये होगी और रबी तथा खरीफ दोनों के लिए सब्सिडी एक साथ 2.25 लाख करोड़ रुपये होगी।
- इसके अलावा, सरकार भारत में यूरिया के उत्पादन को बढ़ाने के उपाय भी कर रही है और उर्वरकों तथा कच्चे माल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में अस्थिरता को अवशोषित करने के प्रयास कर रही है।
2. भारत-यू.के. FTA जेनेरिक दवाओं पर शिकंजा कसेगा: MSF
- मेडेकिन्स सैन्स फ्रंटियरेस (Doctors Without Borders or MSF) के अनुसार, भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (India-U.K. Free Trade Agreement (FTA)) के मसौदे में बौद्धिक संपदा (IP) अधिकारों पर प्रस्तावित नियम जेनेरिक दवाओं की वैश्विक आपूर्ति को प्रभावित करेंगे।
- MSF ने कहा है कि भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते में “हानिकारक IP प्रावधान” शामिल हैं, जिसमें यूके द्वारा “भारत से सस्ती जेनेरिक दवाओं के उत्पादन, आपूर्ति और निर्यात पर शिकंजा कसने” के लिए प्रस्तावित विवादास्पद प्रावधान शामिल हैं।
- MSF ने यह भी तर्क दिया है कि यूके के कानूनों के साथ भारतीय पेटेंट कानून के “सामंजस्य” की मांग भारतीय पेटेंट प्रणाली (Indian patent system ) में प्रमुख प्रावधानों को कमजोर कर देगी जो जेनेरिक दवाओं के निर्माण के लिए जरूरी हैं।
- लीक हुए IP चैप्टर के अनुच्छेद E.10 के अनुसार, पेटेंट देने से पहले दोनों पक्ष पेटेंट विरोधी कार्यवाही उपलब्ध नहीं कराएंगे।
- हालांकि व्यावहारिक रूप से यह प्रावधान केवल भारत पर लागू होगा क्योंकि यूके में पूर्व-अनुदान विपक्ष प्रणाली नहीं है और यह सीधे वर्तमान भारतीय पेटेंट कानून के खिलाफ है, जो पेटेंट देने से पहले और बाद में पेटेंट विरोधी कार्यवाही की अनुमति देता है।
3. हम भारत के पसंदीदा रक्षा भागीदार बनना चाहते हैं: अमेरिकी अधिकारी
- अमेरिका के एक रक्षा अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका भारत का पसंदीदा भागीदार बनना चाहता है और उच्च तकनीक तथा अगली पीढ़ी के उपकरणों को साझा करने के संबंध में अमेरिका भारत के लिए सबसे अच्छा भागीदार रहा है क्योंकि भारत अपने सैन्य शस्त्रागार में विविधता लाने और रूस पर अपनी भारी निर्भरता को समाप्त करना चाहता है।
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- INS अरिहंत द्वारा हाल ही में पनडुब्बी से दागी गई बैलिस्टिक मिसाइल (submarine-launched ballistic missile (SLBM)) परीक्षण के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि भारत ने अपनी वैध और संप्रभु क्षमताओं के भीतर जिम्मेदार तरीके से परीक्षण किए हैं।
- उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका भारत के साथ मिलकर काम करेगा और पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध तथा LAC पर स्थिति पर अपने विचारों का आदान-प्रदान करेगा।
- इसके अलावा, अधिकारी ने यह भी बताया कि रक्षा प्रौद्योगिकी व्यापार पहल (Defence Technology Trade Initiative (DTTI)) के भविष्य के कदमों पर चर्चा के लिए बैठकें आयोजित की गई हैं।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. राष्ट्रीय हरित अधिकरण के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- इसके पास पर्यावरणीय मुद्दों का स्वत: संज्ञान लेने की शक्ति है।
- अधिकरण नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत निर्धारित प्रक्रिया से बाध्य है।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण के पास वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 से संबंधित किसी भी मामले की सुनवाई करने का अधिकार नहीं है।
विकल्प:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: राष्ट्रीय हरित अधिकरण के पास पर्यावरणीय मुद्दों पर स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार है।
- कथन 2 सही नहीं है: NGT सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 या भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के तहत प्रक्रिया द्वारा बाध्य नहीं है और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है।
- कथन 3 सही है: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के पास वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, भारतीय वन अधिनियम, 1927 और राज्यों द्वारा अधिनियमित वन, वृक्ष संरक्षण आदि से संबंधित विभिन्न कानूनों के किसी भी मामले की सुनवाई करने की शक्तियां नहीं हैं।
प्रश्न 2. किसी व्यक्ति की राज्यपाल के रूप में नियुक्ति के लिए निम्नलिखित में से कौन सी अर्हताएं संविधान द्वारा निर्धारित की गई हैं? (स्तर- सरल)
- वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
- वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
- वह उस राज्य से संबंधित नहीं होना चाहिए जहां उसे नियुक्त किया गया है ताकि वह क्षेत्रीय राजनीति से स्वतंत्र रह सके।
विकल्प:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: एक व्यक्ति को भारत के किसी राज्य का राज्यपाल नियुक्ति होने के लिए भारत का नागरिक होना चाहिए।
- कथन 2 सही है: व्यक्ति की आयु 35 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
- कथन 3 सही नहीं है: किसी दूसरे राज्य के व्यक्ति को किसी अन्य राज्य के राज्यपाल के रूप में नियुक्त करने की प्रथा एक संसदीय परंपरा है और संविधान में इसका उल्लेख नहीं है।
प्रश्न 3. पोषक तत्व आधारित सब्सिडी योजना के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- इस योजना के तहत, वार्षिक आधार पर तय की गई सब्सिडी की एक निश्चित राशि सब्सिडी वाले फॉस्फेटिक और पोटासिक (P&K) उर्वरकों, यूरिया को छोड़कर, प्रत्येक ग्रेड पर उनमें मौजूद पोषक तत्व के आधार पर प्रदान की जाती है।
- यह योजना कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत उर्वरक विभाग द्वारा प्रशासित है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) दोनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: इस योजना के तहत, वार्षिक आधार पर तय की गई सब्सिडी की एक निश्चित राशि सब्सिडी वाले फॉस्फेटिक और पोटासिक (P&K) उर्वरकों, यूरिया को छोड़कर, प्रत्येक ग्रेड पर उनमें मौजूद पोषक तत्व के आधार पर प्रदान की जाती है।
- कथन 2 सही नहीं है: यह योजना रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत उर्वरक विभाग द्वारा प्रशासित है।
प्रश्न 4. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग एक संवैधानिक निकाय है। यह किस संवैधानिक संशोधन द्वारा स्थापित किया गया था? (स्तर – मध्यम)
(a) 87वां संशोधन अधिनियम
(b) 88वां संशोधन अधिनियम
(c) 89वां संशोधन अधिनियम
(d) 90वां संशोधन अधिनियम
उत्तर: c
व्याख्या:
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग एक संवैधानिक निकाय है जिसे 89वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा स्थापित किया गया था।
- यह आयोग भारत में अनुसूचित जनजातियों के आर्थिक विकास के लिए काम करने वाला एक प्राधिकरण है।
प्रश्न 5. भारत में कार्य कर रही विदेशी स्वामित्व की ई-वाणिज्य फर्मों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (PYQ -2022) (स्तर – कठिन)
- अपने प्लेटफॉर्म को बाजार-स्थान के रूप में प्रस्तुत करने के अतिरिक्त वे स्वयं अपने माल का विक्रय भी कर सकते हैं।
- वे अपने प्लेटफॉर्मों पर किस अंश तक बड़े विक्रेताओं को स्वीकार कर सकते हैं, यह सीमित है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: ई-कॉमर्स कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके “संबंधित पक्षों और संबद्ध उद्यमों” में से कोई भी उनकी शॉपिंग वेबसाइटों पर विक्रेताओं के रूप में सूचीबद्ध नहीं हो और उनसे सम्बंधित कोई भी संस्था उसी प्लेटफॉर्म पर संचालित ऑनलाइन विक्रेता को सामान नहीं बेचे।
- कथन 2 सही है: वे अपने प्लेटफॉर्मों पर किस अंश तक बड़े विक्रेताओं को स्वीकार कर सकते हैं, यह सीमित है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत में उर्वरकों की दक्षता में सुधार और इसके स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई कुछ पहलों का विस्तार से वर्णन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – कृषि)
प्रश्न 2. भारत में राजनीति के बढ़ते अपराधीकरण के संभावित कारण क्या हैं? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – शासन)