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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 08 November, 2022 UPSC CNA in Hindi

08 नवंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. ‘काला सागर अनाज पहल’:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

  1. सहयोग करें या विनाश के लिए तैयार रहें: यूएन महासचिव की COP-27 सम्मेलन में चेतावनी

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. भारत-पाकिस्तान संबंधों में मिनिमलिज्म (Minimalism) अर्थात न्यूनतमवाद का दौर:

सामाजिक न्याय:

  1. जीवन प्रथम 1,000 दिनों में फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की भूमिका:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. गुरु नानक:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. POCSO अधिनियम नीलगिरी के आदिवासियों को इस कानून का विरोध करने पर मजबूर कर रहा है:सक्रियतावादी
  2. ब्रिटेन की अदालत ने भंडारी के प्रत्यर्पण के अनुरोध को मंजूरी दी:
  3. सर्वोच्च न्यायालय ने बहुमत के फैसले में EWS कोटा बरकरार रखा:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

सहयोग करें या विनाश के लिए तैयार रहें: यूएन महासचिव की COP-27 सम्मेलन में चेतावनी

पर्यावरण:

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।

प्रारंभिक परीक्षा: COP27 और UNFCCC से सम्बंधित तथ्य।

मुख्य परीक्षा: COP27 शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें।

संदर्भ:

  • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन (United Nations Framework Convention on Climate Change (UNFCCC) ) का 27वां सम्मेलन (COP27) मिस्र के शर्म अल-शेख में हो रहा है।

पृष्ठभूमि:

  • इस विषय से सम्बंधित विस्तृत पृष्ठभूमि के लिए 30 अक्टूबर 2022 का यूपीएससी परीक्षा व्यापक समाचार विश्लेषण का आलेख देखें।

COP27 शिखर सम्मेलन की महत्वपूर्ण झलकियाँ:

  • COP27 शिखर सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस तथ्य को दोहराया है कि वर्तमान में दुनिया को उत्सर्जन कम करने या आने वाली पीढ़ियों की निंदा से बचने के लिए एक कठिन विकल्प को अपनाकर उस पर एकजुट होकर काम करना होगा।
  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव के अनुसार “मानवता के पास विकल्प है: सहयोग या नाश”। ये विकल्प है – या तो जलवायु एकजुटता समझौता – या फिर सामूहिक आत्महत्या समझौता”।
  • उन्होंने यह भी कहा कि अत्यधिक ऊष्मा/गर्मी से पृथ्वी ग्रह को बचाने के लिए अब तक की गई प्रगति अपर्याप्त रही है, क्योंकि दशकों की जलवायु वार्ता के बावजूद देश बहुत धीमी रफ़्तार से इस राह पर आगे बढ़ रहे हैं या कार्य करने में संकोच कर रहे हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने जीवाश्म ईंधन से दूर जाने या इसका उपयोग बंद करने के प्रयासों में तेजी लाने के लिए विकसित और सबसे गरीब देशों के बीच एक समझौते का आग्रह किया है।
  • उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि “इस समझौते को एक वास्तविकता बनाने के प्रयासों में शामिल होने के लिये, दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्ताओं वाले देशों – संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन – के कन्धों पर इसकी विशेष ज़िम्मेदारी है और जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये यही एक मात्र आशा है”।
  • हालांकि शिखर सम्मेलन के दौरान संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (Organization of the Petroleum Exporting Countries : OPEC) का सदस्य होने के नाते जब तक आवश्यकता होगी तब तक जीवाश्म ईंधन का उत्पादन जारी रखेगा।
  • संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति की इन टिप्पणियों को प्रमुखता इसलिए मिली है, क्योंकि संयुक्त अरब अमीरात वर्ष 2023 में पक्षकार देशों के सम्मेलन (CoP 28) के 28 वें सत्र की मेजबानी करेगा।

सारांश:

  • ऐसे समय में जब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बड़े पैमाने पर उपभोक्ता मुद्रास्फीति और ऊर्जा की कमी वैश्विक भू-राजनीति का केंद्र बन रही है, तब दुनिया तेजी से ऐसे महत्वपूर्ण बिंदुओं की ओर बढ़ रही है जो जलवायु अराजकता को अपरिवर्तनीय बना देंगे। नतीजतन इस समस्या से पार पाने के लिए विश्व को सहयोग करने और जलवायु परिवर्तन के दूरगामी प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने के लिए तेजी से कार्य करने की तत्काल आवश्यकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

‘काला सागर अनाज पहल’:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: विकसित और विकासशील देशों की नीतियां तथा राजनीति का प्रभाव।

प्रारंभिक परीक्षा: काला सागर अनाज सौदे से सम्बंधित तथ्य।

मुख्य परीक्षा: काला सागर अनाज पहल का महत्व।

संदर्भ:

  • रूस काला सागर अनाज सौदे में फिर से शामिल हो गया क्योंकि रूसी संघ का मानना है कि उसे इस समझौते के तहत जो गारंटी मिली है वह समझौते के कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त है।
  • हाल ही में रूस ने घोषणा की थी कि वह क्रीमिया के शहर सेवस्तोपोल पर ड्रोन हमलों के बाद यूक्रेन के साथ अनाज निर्यात सौदे में अपनी भागीदारी को रोक ( suspend its participation in the grain export ) रहा है।
  • काला सागर अनाज सौदे के बारे में अधिक जानकारी के लिए 23 जुलाई 2022 का यूपीएससी परीक्षा व्यापक समाचार विश्लेषण देखें।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

भारत-पाकिस्तान संबंधों में मिनिमलिज्म (Minimalism) अर्थात न्यूनतमवाद का दौर:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत का अपने पड़ोसी देशों से संबंध।

मुख्य परीक्षा: भारत-पाकिस्तान संबंध।

विवरण:

  • भारत और पाकिस्तान के संबंध मिनिमलिज्म (Minimalism) अर्थात न्यूनतमवाद के दौर में प्रवेश कर चुके हैं। नियंत्रण रेखा पर, कश्मीर के अंदर और यहां तक कि आपसी बातचीत में भी एक खास तरह की ‘cold peace’ महसूस की जाती है।
  • यह दोनों देशों के बीच पारंपरिक संबंधों के विपरीत है जिसमें संघर्ष, आतंकवादी हमले, प्रतिक्रियाएं, वार्ताओं का टूटना और वार्ताओं का फिर से शुरू किया जाना जैसे तत्व शामिल होते थे।
  • ऐसा लगता है कि दोनों पक्षों में किसी के पास भी संबंधों में गर्मजोशी लाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी।
  • वर्तमान में भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री (श्री नवाज शरीफ) को भारतीय प्रधानमंत्री (2014) के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित करके संबंधों को सुधारने की दृष्टि से एक सकारात्मक शुरुआत की गई थी, जिसके बाद भारतीय प्रधानमंत्री की पाकिस्तान की अचानक यात्रा हुई ( 2015 में लाहौर) और दो देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) के बीच बैठकें हुई।
  • हालांकि, पठानकोट एयरबेस पर हमला (जनवरी 2016), उरी हमला (सितंबर 2016) और इसके जवाब में भारत द्वारा किया गया ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ तथा पुलवामा आतंकी हमले (फरवरी 2019) जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद संबंध सुधारने के ये प्रयास बिल्कुल शिथिल पड़ गए।
  • भारत-पाकिस्तान संबंध वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और पाकिस्तान के सेना प्रतिष्ठान के बीच केवल बैकचैनल बातचीत तक सिमटकर रह गए हैं।

संबंधों में वर्तमान मिनिमलिज्म (Minimalism) अर्थात न्यूनतमवाद के दौर के पीछे का तर्क:

  • वर्तमान संबंध अतीत के अवसरों को न भुनाने, संघर्ष को सुलझाने के असफल प्रयासों, दोनों ओर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और पाकिस्तान में सत्ता के दोहरे केंद्र के कारण संघर्षों को हल करने में असमर्थता का परिणाम है।
  • दोनों देशों का मानना है कि ऑनलाइन माध्यमों से नफरत फ़ैलाने की प्रवृति के कारण संघर्षों को द्विपक्षीय रूप से हल करना बहुत मुश्किल होगा।
  • भारत अच्छी तरह से जानता है कि अन्य बड़ी चुनौतियों से निपटने से पहले संघर्षों को हल करने के उसके पारंपरिक तर्क का कोई औचित्य नहीं हो सकता है। उदाहरण के लिए सिंधु जल संधि जैसे प्रमुख मामले जो 1960 से लेकर आजतक अनसुलझा है।
  • भारत में पाकिस्तान से उलझे बिना, कश्मीर की रक्षा करने और उसके भीतर शांति सुनिश्चित करने की इसकी क्षमता के बारे में विश्वास बढ़ रहा है।
  • इसके अलावा, भारत और पाकिस्तान अन्य भू-राजनीतिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान से और भारत अपनी सीमाओं पर आक्रामक चीन से उलझा हुआ है।

मिनिमलिज्म (Minimalism) अर्थात न्यूनतमवाद दौर की विशेषताएं:

  • दोनों देशों के वार्ताकारों ने उन मुद्दों पर चर्चा करके और उनसे निपटने के लिए अधिक तार्किक दृष्टिकोण अपनाया है जिन पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है।
  • संघर्ष समाधान के बजाय संघर्ष को नियंत्रित करने पर अधिक ध्यान दिया जाता है। उदाहरण के लिए, कश्मीर मुद्दे पर राजनीतिक संघर्ष के ऐतिहासिक पहलुओं पर चर्चा के बजाय, संघर्ष विराम समझौते को बनाए रखने के लिए चर्चा की जाती है।
  • न्यूनतम दृष्टिकोण ने अपेक्षाओं को प्रबंधित करने, लाल रेखाओं (संबंधों को नुकसान पहुँचाने वाले मुद्दे) को स्पष्ट करने और सीमित लेकिन स्पष्ट परिणाम प्राप्त करने के लिए एक उपयोगी मंच के रूप में कार्य किया है। कुछ उदाहरण हैं: संघर्ष विराम समझौता (फरवरी 2021) और कश्मीर में हिंसा में उल्लेखनीय कमी।
  • हालांकि, इस बात को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि यह न्यूनतम दृष्टिकोण बड़े और अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने के लिए उपयुक्त नहीं है।

पाकिस्तान की सेना की भूमिका:

  • पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व से निपटने के लिए भारत के पारंपरिक दृष्टिकोण में कुछ संरचनात्मक समस्याएँ हैं।
  • यह नवीन न्यूनतम दृष्टिकोण पाकिस्तानी सेना से संबंधों की सुदृढ़ता पर अधिक केंद्रित है। इसने भारत-पाकिस्तान संबंधों में विभिन्न संरचनात्मक समस्याओं को हल किया है। यह भी देखा गया है कि इस प्रत्यक्ष दृष्टिकोण को पाकिस्तानी सेना ने अधिक गंभीरता लिया है।

संबंधित लिंक:

India – Pakistan Relations – BYJU’S

सारांश:

  • भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध उदारवादी दौर में प्रवेश कर चुके हैं। यद्यपि यह दृष्टिकोण छोटे और तत्काल चिंता से संबंधित मामलों से निपटने में उपयुक्त साबित हो रहा है, लेकिन यह दोनों पड़ोसियों के बीच बड़े राजनीतिक प्रश्नों से निपटने के लिए अपर्याप्त प्रतीत होता है।

जीवन प्रथम 1,000 दिनों में फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की भूमिका:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

विषय: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक सेवाओं के विकास और प्रबंधन से जुड़े मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: पोषण अभियान।

मुख्य परीक्षा: कुपोषण और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की भूमिका।

विवरण:

  • मानव विकास की मजबूत नींव हेतु कुपोषण को दूर करना अति महत्वपूर्ण है।
  • मातृ और बाल पोषण सुनिश्चित करने से शिशु रोग और शिशु मृत्यु को कम करने, कुपोषण को रोकने, संज्ञानात्मक क्षमता के निर्धारण और अंततः जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद मिलती है।
  • मानव जीवन के प्रथम 1000 दिन (अर्थात गर्भाधान से प्रथम दो वर्षों तक) पूरे जीवन के लिए बेहतर स्वास्थ्य और पोषण के साथ-साथ उत्तरजीविता, इष्टतम विकास और विकास सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
  • भारत सरकार ने कुपोषण के मुद्दे को हल करने के लिए कई उपाय किए हैं।इन उपायों में गर्भधारण का पंजीकरण करवाना, प्रसव पूर्व जांच, विशेष स्तनपान के बारे में जागरूकता बढ़ाना, और एक प्रमुख कार्यक्रम- प्रधानमंत्री की समग्र पोषण योजना ( Prime Minister’s Overarching Scheme for Holistic Nourishment (POSHAN) Abhiyaan) अभियान सहित हस्तक्षेप कवरेज के दस्तावेज़ीकरण में वृद्धि शामिल है।
  • कुपोषण क्या है – प्रकार, प्रभाव, कारण से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिए:What is Malnutrition – Types, Impacts, Causes

साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेपों का महत्व:

  • पोषण संबंधी परिणामों में बदलाव लाने के लिए साक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे इस बात के सूचक हैं कि हस्तक्षेप उच्च कवरेज, गहनता, निरंतरता, निष्पक्षता और गुणवत्ता के साथ होना चाहिए।
  • बच्चे के स्वास्थ्य में कुछ महत्वपूर्ण निर्धारक:
    • हीमोग्लोबिन का स्तर और वजन सहित महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति।
    • गर्भाधान के समय आयु।
    • पेरी-गर्भाधान अवधि के दौरान विभिन्न सूक्ष्म पोषक तत्वों का स्तर।
    • गर्भाधान पूर्व देखभाल।
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने यूनिसेफ ( UNICEF) और महाराष्ट्र सरकार के साथ मिलकर गर्भधारण से पहले की अवधि के दौरान महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए 2018 में पहला प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम शुरू किया था।
  • यह देखा गया कि किशोर लड़कियों और महिलाओं के स्वास्थ्य के पोषण से न केवल नवजात शिशु के स्वास्थ्य में सुधार हुआ, बल्कि समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन और नवजात मृत्यु जैसी समस्याओं को भी रोका गया।
  • लाभार्थियों को सभी नीतिगत हस्तक्षेप फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के एक नेटवर्क द्वारा वितरित किए जाते हैं जिनमें मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (Accredited Social Health Activists (ASHAs)), सहायक नर्स-दाई (Auxiliary Nurse-Midwives : ANMs), और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (Anganwadi Workers: AWW) शामिल होते हैं।
  • वे स्वास्थ्य योजना और इनके कार्यों के बारे में समुदाय को सशक्त बनाने, सहयोग करने और जागरूकता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • वे कई क्षेत्रों में स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं के लिए एकमात्र पहुंच बिंदु हैं।

उत्तर प्रदेश के केस स्टडीज:

  • कहानी 1: मार्च 2022 में पोषण पखवाड़ा शुरू होने से ठीक पहले यूपी के एक सुदूर गांव में पंचायत प्रधान द्वारा समर्थित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और महिला पर्यवेक्षक ने समुदाय स्तर की बैठक आयोजित की।
    • इसमें सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा, स्कूली शिक्षकों, पुरुषों, महिलाओं और समुदाय के बुजुर्गों को वजन माप के लाभों और कुपोषित बच्चों का जल्द पता लगाने के बारे में बताया गया।
    • सदियों पुराने डर और गलत धारणा को पर्यवेक्षक और अन्य सदस्यों द्वारा चतुराई से निपटाया गया। यह सुनिश्चित किया गया था कि सभी पात्र बच्चों का वजन मापा जाना चाहिए।
  • कहानी 2: यूपी के उन्नाव जिले के एक ब्लॉक में, महिला पर्यवेक्षकों ने यह सुनिश्चित किया कि सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पास विकास निगरानी उपकरण होना चाहिए साथ ही वे शरीर के वजन को मापने और रिकॉर्ड रखने के लिए पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित भी हों।
    • सभी पात्र बच्चों को शामिल करने के लिए सामुदायिक लामबंदी बैठकें भी आयोजित की गईं।

उपरोक्त कहानियों के परिणाम:

  • पर्यवेक्षकों के संयुक्त प्रयासों के कारण आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ता द्वारा बच्चों का नियमित रूप से (मासिक आधार पर) वजन मापा जाता है ताकि बालक के विकास के शुरुआती वर्षों में उनके शरीर में निहित कमियों का पता लगाया जा सके।
  • माताओं और अन्य रिश्तेदारों (जैसे पिता और दादी) को नियमित वजन माप के लाभों के बारे में बताया गया।
  • यह देखा गया कि पुरुष, विशेष रूप से पिता भी मातृ और नवजात स्वास्थ्य (maternal and newborn health (MNH)) सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • क्योंकि वे अपने घरों और समुदायों के भीतर एमएनएच से जुड़े व्यवहार और अच्छी आदतों को प्रभावित करने की क्षमता रखते है।
  • कई अध्ययनों से पता चला है कि यदि गर्भावस्था के दौरान की जाने वाली देखभाल में पिता शामिल होते हैं तो माताओं को पहली तिमाही में प्रसव पूर्व देखभाल मिलने की संभावना 1.5 गुना अधिक होती है।

सीख:

  • समय-समय पर कौशल, सहायक पर्यवेक्षण, और प्रासंगिक, केंद्रित और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करके पोषण प्रणाली को मजबूत किया जाना चाहिए।
  • डेटा-संचालित समीक्षा को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए और कार्यप्रणाली में सुधार हेतु इसे जारी रखा जाना चाहिए।
  • आईसीडीएस – एकीकृत बाल विकास सेवाओं से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:ICDS – Integrated Child Development Services. UPSC Polity & Govt Scheme Notes

सारांश:

  • इस विषय पर गहरी समझ के साथ-साथ फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं द्वारा जमीनी स्तर का योगदान सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।अतः यह सत्य सैदव याद रखना चाहिए कि जब कुपोषण की बात आती है तो फ्रंटलाइन कार्यकर्ता ही अंतिम छोर पर बदलाव के वाहक होते हैं।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. गुरु नानक:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारतीय इतिहास:

विषय: महत्वपूर्ण व्यक्तित्व,विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: गुरु नानक से सम्बंधित तथ्य।

संदर्भ:

  • 8 नवंबर 2022 को गुरु नानक की 553वीं जयंती है।

गुरु नानक:

  • गुरु नानक का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को तलवंडी में हुआ था जो कि पश्चिमी पंजाब का एक गाँव है।
  • हालाँकि गुरु नानक की जयंती की तारीख हर साल बदल जाती है, क्योंकि उनके अनुयायी चंद्र कैलेंडर के अनुसार दिन को चिह्नित करते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दिवाली के पंद्रह दिन बाद गुरुपर्व या गुरु नानक जयंती मनाई जाती है।
  • गुरु नानक को सिख धर्म का संस्थापक भी माना जाता है। वे इस धर्म के पहले सिख गुरु थे।
  • सिख परंपरा के अनुसार गुरु नानक एक धन्य या प्रबुद्ध आत्मा थे, लेकिन उन्हें अवतार या पैगंबर नहीं माना जाता है।
  • ऐसा कहा जाता है कि गुरु नानक ने अपने संदेश को संगीतमय भजनों के रूप में लोगों तक पहुँचाने के लिए लंबी यात्राएँ कीं और अपने संदेश को व्यक्त करने के लिए स्थानीय भाषा का इस्तेमाल किया।
  • गुरु नानक के भजन और शिक्षाओं के संग्रह को गुरु ग्रंथ साहिब नामक पुस्तक में संकलित किया गया हैं,जिसे “सिख धर्म की पवित्र पुस्तक” (“holy book of Sikhism”) के रूप में जाना जाता है।
  • गुरु नानक जी के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Guru Nanak

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. POCSO अधिनियम नीलगिरी के आदिवासियों को इस कानून का विरोध करने पर मजबूर कर रहा है:सक्रियतावादी

  • POCSO अधिनियम का प्रवर्तन नीलगिरि क्षेत्र में रहने वाले कई आदिवासियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है,क्योंकि इस समुदाय के 18 वर्ष से कम आयु के कई व्यक्ति वैवाहिक सम्बन्ध (पत्नी के साथ) या बिना विवाह के संबंधों में अपने साथी के साथ रह रहे हैं,लेकिन वे इस कानून का उल्लंघन करने से अनजान हैं,जिसके कारण उन्हें यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण ( Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) Act) अधिनियम के कड़े प्रावधानों के तहत जेल में बंद कर दिया गया हैं।
  • गुडालुर और पंडालूर तालुकों के आदिवासी समुदायों के कई व्यक्तियों के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act) और अपहरण की विभिन्न धाराओं के तहत अदालतों में मामले लंबित हैं।
  • आदिवासी मुनेत्र संगम और ASHWINI-गुदलूर आदिवासी अस्पताल के सचिव ने कहा है कि नीलगिरी में रहने वाले कुछ आदिवासी समूहों में बाल विवाह प्रचलित है और अधिकांश आरोपी और पीड़ित इन कानूनों से अनजान थे।
  • टोडा समुदाय की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता टोडा समुदाय की “प्रथागत प्रथाओं” के कारण आरोपी के पक्ष में एक आदेश प्राप्त करने में सफल रहे हैं।

2. ब्रिटेन की अदालत ने भंडारी के प्रत्यर्पण के अनुरोध को मंजूरी दी:

  • यूनाइटेड किंगडम की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने भारत में संजय भंडारी के प्रत्यर्पण ( extradition) के अनुरोध को मंजूरी दे दी हैं, जिस पर मनी लॉन्ड्रिंग ( धनशोधन) और कर चोरी के आरोप हैं और अंतिम निर्णय राज्य सचिव द्वारा लंबित है।
  • भंडारी के खिलाफ पहली याचिका अप्रैल 2020 में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate (ED)) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग ( धनशोधन) अपराधों की कि जा रही जांच के संबंध में भेजी गई थी और दूसरी जून 2021 को काले धन (Black Money) (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) के तहत कर चोरी और कर अधिनियम और आयकर अधिनियम का अधिरोपण के आरोपों के आधार पर भेजी गई थी।
  • जांच एजेंसियों ने कहा है कि ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स और पनामा में स्थित ऑफशोर कंपनियों (अपतटीय संस्थाओं-offshore entities) के माध्यम से बनाई गई/आयोजित संपत्तियों में धन छिपा हुआ था।
  • धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act (PMLA)) के संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Prevention of Money Laundering Act (PMLA)

3. सर्वोच्च न्यायालय ने बहुमत के फैसले में EWS कोटा बरकरार रखा:

चित्र स्रोत: The Hindu

  • सर्वोच्च न्यायालय की एक संविधान पीठ ने 3:2 बहुमत के फैसले में 103वें संवैधानिक संशोधन की वैधता को बरकरार रखा है, जो सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (Economically Weaker Sections (EWS)) के लिए 10% आरक्षण का प्रावधान करता है।
  • इस सवाल पर कि क्या आर्थिक मानदंड के आधार पर इस तरह के आरक्षण ने संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन किया है, बहुमत में तीन न्यायाधीशों ने कहा कि अकेले आर्थिक मानदंड पर आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है।
  • एससी, एसटी, ओबीसी और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (Socially and Educationally Backward Classes (SEBC)) के बीच “गरीब से गरीब/सबसे गरीब” को ईडब्ल्यूएस (EWS) के दायरे से बाहर करना विवादास्पद है, जिस पर एक न्यायाधीश ने जवाब दिया कि 103 वें संशोधन ने एसटी, एससी, ओबीसी और एसईबीसी को प्रदान किए गए आरक्षण के विशेष अधिकार को प्रभावित किए बिना ईडब्ल्यूएस का एक अलग वर्ग बनाया है।
  • एक न्यायाधीश जिनके फैसले का विचार अल्पमत में था उन्होंने यह कहते हुए इस तर्क का जवाब दिया कि 50% की सीमा के उल्लंघन की अनुमति देने से आगे भी इस सीमा का अतिक्रमण होगा जिसका परिणाम विभाजनकारी होगा।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन से कथन सही हैं? (स्तर: मध्यम)

  1. आयुष्मान भारत योजना के तहत कैंसर का निदान और उपचार शामिल (covered) है।
  2. तीन सामान्य कैंसर यथा ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल की जाँच आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (AB-HWCs) के अंतर्गत मुहैया कराए जाने वाले सेवा का एक अभिन्न अंग है।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: आयुष्मान भारत न केवल नागरिकों को मुफ्त इलाज प्रदान करने में मदद करता है, बल्कि कैंसर का जल्द पता लगाने में भी मदद करता है।
  • कथन 2 सही है: आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (AB-HWCs) कुछ गंभीर बीमारियों जैसे कि ओरल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के लिए स्क्रीनिंग (जांच) सेवाएं भी प्रदान कर रहा हैं।

प्रश्न 2. कौन सा संवैधानिक प्रावधान यह सुनिश्चित करना संघ का कर्तव्य निर्धारित करता है कि प्रत्येक राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करे? (स्तर: मध्यम)

(a) अनुच्छेद 355

(b) अनुच्छेद 356

(c) अनुच्छेद 365

(d) अनुच्छेद 371

उत्तर: a

व्याख्या:

  • संविधान का अनुच्छेद 355 केन्द्र सरकार को यह अधिकृत करता है ताकि वो किसी बाहरी आक्रमण या आन्तरिक अशान्ति की दशा में राज्य की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके और प्रत्येक राज्य का शासन संविधान के प्रावधानों के अनुसार चलता रहे।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन से कथन सही हैं? (स्तर: मध्यम)

  1. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन UNFCCC ढांचे के तहत आयोजित होने वाला वार्षिक सम्मेलन है।
  2. यह जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में प्रगति का आकलन करने के लिए UNFCCC के पक्षकारों (पार्टियों के सम्मेलन) (COP) की औपचारिक बैठक के रूप में कार्य करता है।
  3. सभी राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों के प्रमुखों के लिए COP में शामिल होना अनिवार्य है।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 1 और 2

(c) केवल 2 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के ढांचे के तहत आयोजित होने वाला एक वार्षिक सम्मेलन हैं।
  • कथन 2 सही है: वे जलवायु परिवर्तन से निपटने में प्रगति का आकलन करने के लिए UNFCCC के पक्षकारों (पार्टियों का सम्मेलन, सीओपी) की औपचारिक बैठक के रूप में कार्य करता हैं।
  • कथन 3 सही नहीं है: सभी राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों के प्रमुखों के लिए COP में शामिल होना अनिवार्य नहीं है।

प्रश्न 4. भारत का विधि आयोग है -(स्तर: मध्यम)

(a) संसद द्वारा गठित एक संवैधानिक निकाय

(b) सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित एक वैधानिक निकाय

(c) भारत सरकार की अधिसूचना के माध्यम से गठित एक गैर-सांविधिक निकाय

(d) उपरोक्त में से कोई भी नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • भारत का विधि आयोग एक गैर-सांविधिक निकाय है और इसका गठन भारत सरकार (कार्यकारी निकाय) की एक अधिसूचना द्वारा किया गया है।
  • भारत का विधि आयोग केंद्रीय कानून मंत्रालय के सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करता है।

प्रश्न 5. भारतीय हाथियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (स्तर: कठिन)

1. हाथी के झुंड की अगुआ एक मादा हाथी होती है।

2. इसकी गर्भधारण की अधिकतम अवधि 22 महीने हो सकती है।

3. एक मादा हाथी सामान्य रूप से केवल 40 वर्ष की आयु तक ही बच्चे को जन्म दे सकती है।

4. भारत के राज्यों में हाथियों की सबसे अधिक संख्या केरल में है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 4

(c) केवल 3

(d) केवल 1, 3 और 4

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: हाथी के झुंड में मुख्य रूप से मादा और बच्चे हाथी होते हैं। सबसे बुजुर्ग मादा हाथी इस झुंड की अगुआ होती है।
  • कथन 2 सही है: अफ्रीकी हाथियों की गर्भधारण अवधि 22 महीने तक की होती है, जबकि एशियाई हाथियों की गर्भधारण अवधि 18-22 महीने की होती है।
  • यह सभी स्तनधारियों में सबसे लंबी गर्भधारण अवधि वाला पशु है।
  • कथन 3 सही नहीं है:हाथियों की संतति पैदा करने की क्षमता 16 से 40 साल की उम्र के बीच होती है और फिर थोड़ी कम हो जाती है।
  • हालांकि, 60 वर्ष से अधिक उम्र की मादा हाथी भी जन्म दे सकती हैं।
  • कथन 4 सही नहीं है: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक में हाथियों की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद असम और केरल का स्थान आता हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. मिनिमलिज़्म (Minimalism) अर्थात न्यूनतमवाद भारत-पाकिस्तान संबंधों की विशेषता बन गया है। व्याख्या कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

प्रश्न 2. मानव विकास हेतु एक मजबूत नींव रखने के लिए कुपोषण को संबोधित करना महत्वपूर्ण है। इस वक्तव्य के आलोक में कुपोषण के लगातार उच्च बोझ को दूर करने के लिए किए गए नीतिगत हस्तक्षेपों पर चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस II – सामाजिक न्याय)