16 जून 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
सामाजिक न्याय:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
परमाणु निरस्त्रीकरण की नाजुक स्थिति:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों एवं प्रवासी भारतीयों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: SIPRI ईयर बुक (वार्षिक पुस्तक) मैं सैन्य खर्च की वैश्विक प्रवृत्तियां और प्रमुख विकास/चिंताओं को उजागर किया गया हैं।
संदर्भ:
- हाल ही में,स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ( SIPRI) ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के सम्बन्ध में पिछले साल की कुछ चिंताजनक प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालते हुए अपनी वार्षिक पुस्तक जारी की हैं।
सैन्य खर्च की प्रवृत्तियां:
- वर्ष 2012-2021 के दौरान, सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सैन्य खर्च काफी हद तक स्थिर रहा है।
- परमाणु सूची की पूर्ण संख्या में रूस के पास सबसे अधिक संख्या में हथियार हैं, हालांकि यू.एस. के पास तैनात हथियारों की सबसे बड़ी संख्या है।
- ब्रिटेन के पास 225 परमाणु हथियार हैं, जबकि फ्रांस के पास 290, चीन के पास 350, भारत के पास 160 और पाकिस्तान के पास 165 हैं। इजरायल के पास 90 और उत्तर कोरिया के पास 20 होने का अनुमान है।
- यह इस बात से संबंधित है कि किस प्रकार चीन के सैन्य आधुनिकीकरण और परमाणु हथियारों को विकसित करने से यह वैश्विक चर्चा का विषय बन गया हैं ओर इसके कारण भय की भावना पैदा हो गई है।
- वहीँ दूसरी ओर यू.एस. द्वारा रखे गए हजारों परमाणु हथियार चीन की तरह वैश्विक ध्यान आकर्षित नहीं करते हैं।
वैश्विक हथियारों का आयात ?
- सैन्य आधुनिकीकरण को एक वैश्विक प्रवृत्ति के रूप में देखा जाता है।
- सभी परमाणु हथियार रखने वाले देशों ने अपने सशस्त्र बलों के कई पहलुओं को आधुनिक बनाया है।
- वर्ष 2017-2021 की अवधि के दौरान भारत को एक शीर्ष हथियार आयातक के रूप में उभरा है।
- शीर्ष पांच हथियार आयातकों की सूची में शामिल होने वाले अन्य देशों में सऊदी अरब, मिस्र, चीन और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
- SIPRI के अनुसार, यह पांच देश कुल वैश्विक हथियारों का 38% हिस्सा आयात करते है।
ईयर बुक (वार्षिक पुस्तक) में प्रकाशित प्रमुख घटनाक्रम/चिंताएं:
- इस इयरबुक में भारत और पाकिस्तान के बीच निम्न-स्तरीय सीमा संघर्ष, अफगानिस्तान में गृह युद्ध और म्यांमार में सशस्त्र संघर्ष का उल्लेख अस्थिर प्रणाली के कुछ चिंताजनक संकेतकों के रूप में किया गया है।
- इसने चिंता के तीन कारणों पर भी प्रकाश डाला:
- चीनी-अमेरिकी प्रतिद्वंद्विता और इसमें अन्य देशों की भागीदारी
- कई संघर्षों में गैर-राज्य अभिनेता
- जलवायु और मौसम संबंधी खतरों की चुनौती।
- यहां यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे का जिक्र केवल नाममात्र ही किया गया है।
- परमाणु शस्त्रागार में आई सीमांत कमी (marginal downsizing) ज्यादातर अमेरिका और रूस के सेवानिवृत्त हो चुके हथियारों को नष्ट करने के बाद ही देखीं गई हैं।
- यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने कुछ देशों को नाराज कर दिया हैं तथा क्रेमलिन की ओर से उनके खिलाफ लगातार बयानबाजी के कारण,वे अब परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से नहीं कतराएंगे।
- हाल ही में 300 नई परमाणु मिसाइल के निर्माण के कारण चीन की हालिया गतिविधियां भी संदिग्ध हैं।
- एशिया उपमहाद्वीप में भारत और पाकिस्तान अपने परमाणु शस्त्रागार को लगातार बढ़ा रहे हैं, साथ ही वितरण प्रणालियों के नए और अधिक कुशल रूपों का विकास और खरीददारी दोनों कर रहे हैं।
क्या ईरान ने अपना सैन्य खर्च बढ़ाया है?
- SIPRI इयर बुक का दावा है कि 2015 की संयुक्त व्यापक कार्य योजना में कुछ प्रगति हुई थी। ईरान ने वर्ष 2021 में यूरेनियम -235 के अपने संवर्धन को 60% तक बढ़ा दिया था।
- हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि SIPRI ने पिछले कुछ वर्षों में ईरान के सैन्य खर्च को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है।
- हालाँकि यह ईरानी विनिमय दर आधारित नहीं है,जिसके परिणामस्वरूप SIPRI के विश्लेषकों द्वारा व्यय का अत्यधिक अनुमान लगाया गया।
- यह दावा भी किया जा रहा है कि SIPRI इस ‘आरोप’ से अवगत है और ‘विनिमय दर के मुद्दे’ की जांच करेगा।
निष्कर्ष:
- विभिन्न राष्ट्रों की सैन्य नीतियों के साथ-साथ निरंतर बयानबाजी देशों की सार्वजनिक भावना को भड़का देता है, जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है।
- सत्तारूढ़ व्यवस्था को नियंत्रण में रखने में मदद के लिए एक मजबूत राजनीतिक विपक्ष की आवश्यकता होती हैं।
- इसके अलावा, दो सबसे बड़े परमाणु हथियार रखने वाले देशों को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जरूरत है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
उत्तरी आयरलैंड प्रोटोकॉल पर विवाद:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों पर एवं प्रवासी भारतीयों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: उत्तरी आयरलैंड प्रोटोकॉल।
मुख्य परीक्षा: उत्तरी आयरलैंड प्रोटोकॉल का महत्वपूर्ण विश्लेषण।
संदर्भ:
- बोरिस जॉनसन का प्रशासन उत्तरी आयरलैंड प्रोटोकॉल विधेयक के रूप में एक नया कानून लेकर आया है, जो ब्रिटेन को ब्रेक्सिट सौदे के प्रावधानों को रद्द करने में सक्षम बनाएगा।
उत्तरी आयरलैंड प्रोटोकॉल:
- उत्तरी आयरलैंड यूके का एकमात्र हिस्सा है जो यूरोपीय संघ के साथ एक भूमि सीमा साझा करता है, क्योंकि आयरलैंड गणराज्य (या आयरलैंड) यूरोपीय संघ का सदस्य-देश है।
- जब तक यूके ईयू का हिस्सा था, तब तक चीजें ठीक थीं। लेकिन ब्रेक्सिट के साथ, यूके यूरोपीय संघ के सीमा शुल्क संघ से बाहर हो गया।
- इसने एक ऐसी समस्या पैदा कर दी जिसके समाधान के लिए दो परस्पर विरोधी परिणामों की आवश्यकता थी:
- यूरोपीय संघ के एकल बाजार के साथ-साथ यूके के घरेलू बाजार की पवित्रता को बनाए रखना।
- NIP’s का समाधान सीमा पर वास्तविक सीमा शुल्क जांच से बचना था,क्योंकि इसने 1998 के गुड फ्राइडे समझौते का उल्लंघन किया था और अस्थिर अतीत वाले क्षेत्र में अस्थिरता का जोखिम बढ़ गया था।
- इस मुद्दे को निम्नलिखित लेखों में शामिल किया गया है:
U.K. wants new trade deal for N. Ireland
Five years later, Brexit continues to divide
संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
श्रीलंकाई संकट: आर्थिक सहयोग का एक बड़ा अवसर:
विषय:भारत और उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध।
मुख्य परीक्षा: भारत-श्रीलंका संबंधों में चुनौतियां और भावी नीति का विश्लेषण।
संदर्भ:
- श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच, श्रीलंका के प्रधान मंत्री ने भारत-श्रीलंका संबंधों के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की।
पृष्टभूमि:
- श्रीलंका के प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि “वह बिना किसी समस्या के चेन्नई या केरल में आसानी से फिट हो सकते और इसी तरह दक्षिण भारत के लोग श्रीलंका में भी फिट हो सकते हैं”।
- अपने विगत कार्यकाल में भी, विक्रमसिंघे ने दक्षिण भारत-श्रीलंका उप-क्षेत्र को एकल बाजार के रूप में विकसित करने का आग्रह किया था जो दोनों देशों की आर्थिक बेहतरी में मदद कर सकता है।
- 2016 में सिंगापुर में दक्षिण एशियाई प्रवासी सम्मेलन को संबोधित करते हुए, उन्होंने बताया था कि 25 करोड़ की कुल आबादी वाले पांच दक्षिण भारतीय राज्यों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद लगभग 450 बिलियन डॉलर है जो श्रीलंका के सकल घरेलू उत्पाद से 80 बिलियन डॉलर अधिक है। जबकि यह उप-क्षेत्र लगभग 27 करोड़ की आबादी के साथ 500 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था है।
- उन्होंने सिंगापुर को शामिल कर एक त्रि-राष्ट्र आर्थिक सहयोग का प्रस्ताव रखा था।
- श्रीलंका में मौजूदा संकट ने उसे भारत के करीब ला दिया है।
श्रीलंका का आर्थिक संकट (Sri Lanka’s Economic crisis) के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़े:
श्रीलंका को भारत की सहायता:
- भारत ने श्रीलंका के लोगों को करीब 3.5 अरब डॉलर की सहायता प्रदान की है।
- भारत ने श्रीलंका के भोजन, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु भोजन, दवाएं, ईंधन और मिट्टी के तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की है।
- भारत के निर्यात-आयात (EXIM) बैंक और श्रीलंका सरकार ने यूरिया की खरीद के उद्देश्य से $55 मिलियन की शॉर्ट टर्म लाइन ऑफ क्रेडिट के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- इसके अलावा, भारतीय वित्त मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से श्रीलंका को तत्काल सहायता देने का आग्रह किया।
- तमिलनाडु ने लगभग ₹ 123 करोड़ की सहायता देने का फैसला किया जिसमें 40,000 टन चावल, विभिन्न जीवन रक्षक दवाएं और 500 टन दूध शामिल हैं।
भारत-श्रीलंका संबंधों की अपार संभावनाएं:
- बुनियादी ढांचे के विकास के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग का एक बड़ा अवसर है।
- श्रीलंका में आर्थिक संकट ने श्रीलंका के बिजली ग्रिड को भारत से जोड़ने के प्रस्तावों को पुनर्जीवित कर दिया है।
- यदि परियोजना पूरी हो जाती है, तो भारत में इंटरकनेक्टिविटी का पहला बिंदु तमिलनाडु में होने की संभावना है।
- भारत का ऊर्जा व्यापार सीमा पार बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार जैसे देशों के साथ समान है।
- भारत ने श्रीलंका के पूर्वी तट को विकसित करने की भी योजना बनाई है, विशेष रूप से त्रिंकोमाली-बट्टिकलोआ लाइन, जिससे पर्यटन, वाणिज्य, व्यापार और उद्योग के क्षेत्रों को लाभ मिलेगा।
पाइपलाइन में परियोजनाएं:
- हाल ही में, श्रीलंकाई मंत्रिमंडल ने दो कनेक्टिविटी प्रस्तावों को मंजूरी देने की सूचना दी थी जिनमें शामिल हैं:
- तमिलनाडु में जाफना से त्रिची के लिए उड़ानें।
- पुडुचेरी में कांकेसंथुराई से कराईकल के लिए फेरी सेवा।
- रामेश्वरम और तलाईमन्नार को जोड़ने वाले एक समुद्री पुल और सुरंग के निर्माण की प्रस्तावित परियोजना है, जिसके बारे में भारत के परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि एशियाई विकास बैंक परियोजना को वित्तपोषित करने के लिए तैयार है।
भारत-श्रीलंका संबंधों में बाधाएं:
- श्रीलंका में सिंहली के कुछ वर्ग अभी भी मानते हैं कि भारत श्रीलंका के लिए खतरा होगा।
- यह धारणा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में विगत गड़बड़ी के कारण है जिसमें भारतीय शासकों द्वारा श्रीलंका पर आक्रमण और 1983 के तमिल विरोधी नरसंहार के दौरान तमिल विद्रोहियों को भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई सहायता शामिल है।
- यद्यपि भारत ने श्रीलंका के गृहयुद्ध के बाद विकास में खुद को शामिल करने के अपने इरादे व्यक्त किए लेकिन इसकी भागीदारी कम ही रही है।
- हाल के वर्षों में श्रीलंका में विगत प्रशासन ने कोलंबो के पूर्वी कंटेनर टर्मिनल के विकास के लिए भारत और जापान के साथ 2019 में हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय समझौते को खत्म कर दिया था।
- बाद में, भारत को वेस्ट कंटेनर टर्मिनल, त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म और अन्य नवीकरणीय जैसी परियोजनाएं शुरू की गईं। हालाँकि, भारत के कई अन्य परियोजनाएं शुरू होने से पहले दम तोड़ गई।
- एक परियोजना जिसमें NTPC और सीलोन बिजली बोर्ड के बीच सहयोग की परिकल्पना की गई थी, उस समय रद्द कर दी गई थी जब पूर्वी प्रांत के समपुर में कोयले से चलने वाली 500 मेगावाट की परियोजना के लिए बोलियां आमंत्रित की गई।
- अन्य परियोजनाओं जैसे कि कांकेसंथुराई बंदरगाह का विकास और जाफना में पलाली हवाई अड्डे के विस्तार का भी यही हश्र हुआ।
भावी नीति:
- भारत के बारे में सिंहली लोगों के मन के संशय को मिटाने हेतु भारत में महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों की भिक्षुओं और श्रीलंकाई समाज के अन्य वर्गों द्वारा तीर्थयात्रा सहित लोगों से लोगों के बीच संपर्क को बढ़ाकर कम किया जा सकता है।
- साथ ही, थूथुकुडी-कोलंबो और रामेश्वरम-तलाईमन्नार के पारंपरिक समुद्री मार्गों से लोगों और सामानों की आवाजाही को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए।
- श्रीलंका में मौजूदा संकट द्वारा प्रदान किए गए अवसर का उपयोग भारतीय और श्रीलंकाई समाजों को करीब लाने के लिए प्रभावी ढंग से किया जाना चाहिए जो श्रीलंका और भारत के दक्षिणी राज्यों के बीच एक आर्थिक संघ को स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण होगी।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
स्पष्टीकरण की तलाश में गरीबी की प्रवृत्ति:
विषय: गरीबी से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: भारत में गरीबी पर सर्वेक्षण की आवश्यकता।
सन्दर्भ:
- इस लेख में भारत में गरीबी की प्रवृत्तियों के बारे में चर्चा की गई है।
विवरण:
- हाल के वर्षों में भारत में गरीबी और इसके अनुमानों के बारे में जानकारी का स्पष्ट अभाव है।
- गरीबी का अंतिम आधिकारिक अनुमान वर्ष 2011-12 के लिए योजना आयोग द्वारा लगाया गया था।
- बाद के वर्षों के लिए कोई घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण नहीं किया गया है।
घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Household Consumption Expenditure Survey) के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़े:
भारत में उपभोग व्यय प्रवृत्तियां:
- 2017-18 के लिए राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा एक उपभोग व्यय सर्वेक्षण किया गया था, लेकिन इसे सरकार ने दोषपूर्ण बताकर खारिज कर दिया था।
- हालांकि, जब विशेषज्ञों का मानना था कि आय (GDP) बढ़ने पर खपत में कमी संभव नहीं है तब सर्वेक्षण से पता चला कि वास्तविक खपत व्यय 2011-12 से लगातार कम हो रही थी।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक की दो हालिया रिपोर्ट या अध्ययन, हालांकि घरेलू व्यय सर्वेक्षणों से सीधे संबंधित नहीं हैं, पर खपत खर्च के अनुमानों तथा गरीबी को उजागर करती हैं।
- अध्ययनों के आधार पर 2011-12 के बाद पांच बिंदुओं के आधार पर गरीबी दर का अनुमान लगाया जाता रहा हैं।
- विश्व बैंक की “अत्यधिक गरीबी” की परिभाषा के अनुसार प्रति व्यक्ति $ 1.90 प्रति दिन से कम की खपत अत्यधिक गरीबी है।
- इन दो अध्ययनों द्वारा अनुमानित गरीबी का स्तर काफी भिन्न है, जिसमें विश्व बैंक द्वारा अनुमानित गरीबी को IMF के अनुमानित स्तर से दोगुना दिखाया गया है।
- दोनों अध्ययनों में एक समान विशेषता यह है कि दोनों में 2011-12 के बाद से गरीबी में तीव्र गिरावट दर्ज हुई।
- हालांकि 2017-18 के बाद से अर्थव्यवस्था में विकास धीमा हो गया है, गरीबी में तीव्र गिरावट के साथ समग्र आर्थिक विकास धीमा है।
- इससे पहले, जब विकास साठ के दशक के मध्य से धीमा होना शुरू हो गई थी तब 1960 के दशक के अंत में भारत में गरीबी में उल्लेखनीय कमी आई थी।
- चूंकि अर्थव्यवस्था-व्यापी विकास दर धीमी हो गई थी, भारत के कृषि क्षेत्र में विकास हरित क्रांति के बाद तीव्र हुआ और तब से कृषि में उच्च औसत वार्षिक वृद्धि हो रही है।
- चूंकि कृषि में कार्यबल की सघनता अधिक थी, यह उम्मीद है कि ग्रामीण श्रमिकों की मजदूरी और खपत में वृद्धि से ग्रामीण गरीबी में गिरावट आई है।
- जबकि शहरी गरीबी में गिरावट में भारत में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
विमुद्रीकरण के प्रभाव:
- 2016-17 के बाद से अर्थव्यवस्था के किसी एक क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है जो 1960 के दशक के अंत में कृषि की वृद्धि दर के बराबर है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि 2016 के विमुद्रीकरण ने अधिकांश श्रमिकों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey) के आंकड़े बताते हैं कि विमुद्रीकरण के बाद बेरोजगारी दर में काफी वृद्धि हुई है।
- हालांकि, इस अवधि के दौरान गरीबी में तेजी से गिरावट 2014 से मुद्रास्फीति में हुई कमी के कारण हुई, जिसके परिणामस्वरूप वास्तविक मजदूरी एवं खपत में तीव्र वृद्धि हुई, इस प्रकार गरीबी में तेजी से गिरावट आई।
हाल के वर्षों में वास्तविक वेतन वृद्धि के रुझान:
- इस लेख में 2015-16 से वास्तविक वेतन वृद्धि की गणना की गई तथा यह वार्षिक अखिल भारतीय वास्तविक वेतन वृद्धि की गणना ग्रामीण पुरुषों के दो समूहों, अर्थात् गैर-कृषि मजदूरों और निर्माण श्रमिकों के लिए की गई है।
- यह गणना अर्थव्यवस्था-व्यापी मुद्रास्फीति दर के आधार पर की गई तथा सभी आंकड़े RBI की वेबसाइट से लिए गए।
- अध्ययन से पता चला है कि गैर-कृषि मजदूरों के लिए 2015-16 से 2019-20 की अवधि के दौरान पांच वर्षों में से चार में वार्षिक वास्तविक मजदूरी दर वृद्धि या तो नगण्य या नकारात्मक थी।
- निर्माण श्रमिकों के मामले में, वार्षिक वास्तविक वेतन वृद्धि तीन वर्षों में नकारात्मक थी और एक वर्ष में थोड़ी सकारात्मक थी और केवल एक वर्ष में 1% से थोड़ी अधिक थी।
- इससे पता चलता है कि 2015-2016 के बाद से वास्तविक मजदूरी में मामूली वृद्धि हुई है और गरीबी में तेजी से गिरावट आई।
भावी नीति:
- गरीबी के उन विभिन्न कारकों को समझने की आवश्यकता है जो उपचारात्मक कार्रवाई में सहायक हों।
- साथ ही, बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के स्वतंत्र सार्वजनिक एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराए गए विश्वसनीय आंकड़ों की आवश्यकता है।
- हाल के वर्षों में भारत में गरीबी का विश्लेषण करने में मदद करने हेतु सरकार को बिना किसी देरी के घरेलू उपभोग व्यय का सर्वेक्षण करने की आवश्यकता है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. अग्निपथ भर्तियों के लिए 3 वर्षीय डिग्री कार्यक्रम:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था एवं शासन:
विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप और उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: अग्निपथ योजना।
संदर्भ:
- हाल ही में कैबिनेट ने सशस्त्र बलों में अस्थायी भर्ती के लिए ‘अग्निपथ’ योजना को मंजूरी दी थी।
- अग्निपथ रक्षा नीति के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Agnipath Defense Policy Reform
हाल के घटनाक्रम तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम:
- केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह तीन साल का डिग्री प्रोग्राम शुरू करेगा तथा इस योजना का लाभ उठाने वाले सेवारत रक्षा कर्मियों को इस पाठ्यक्रम के जरिए हासिल की गई शिक्षा को मान्यता दी जाएगी।
उद्देश्य:
- ‘अग्निवीरों’ के कैरियर की संभावनाओं को बढ़ाना ।
- नागरिक क्षेत्र में विभिन्न नौकरियों के लिए उन्हें सुसज्जित करना।
- उनके कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा प्राप्त कौशल प्रशिक्षण को मान्यता देना।
- इग्नू द्वारा डिजाइन और निष्पादित किए जाने वाले कार्यक्रम के तहत,स्नातक डिग्री के लिए आवश्यक 50% ‘अग्निपथ’ योजना के तहत प्राप्त कौशल प्रशिक्षण से प्राप्त होंगे।
- शेष 50% पाठ्यक्रमों से जो विभिन्न प्रकार के विषयों जैसे भाषा, अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान, लोक प्रशासन आदि से प्राप्त होंगे।
पाठ्यक्रम की मान्यता:
- पाठ्यक्रम के लिए सेना, नौसेना और वायु सेना, इस योजना के कार्यान्वयन के लिए इग्नू के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेंगे।
- इसके पाठ्यक्रम को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) और यूजीसी द्वारा मान्यता दी दी जायगी ।
- भारत और विदेशों में इसको मान्यता मिलेगी ।
- यह कार्यक्रम यूजीसी के मानदंडों के साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचे के तहत निर्धारित मानदंडों के अनुरूप होगा।
सीएपीएफ भर्ती में अग्निशामकों को मिलेगी प्राथमिकता:
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि अल्पकालिक ‘अग्निपथ’ योजना के तहत युवाओं को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और असम राइफल्स में भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी।
- मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके विवरण पर काम किया जा रहा है, लेकिन ‘अग्निवीरों’ को तब प्राथमिकता दी जाएगी जब वे चार साल की सैन्य सेवा पूरी करेंगे।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. कैबिनेट ने मेगा 5जी नीलामी को मंजूरी दी:
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अल्ट्रा हाई-स्पीड इंटरनेट सहित पांचवीं पीढ़ी, या 5G, दूरसंचार सेवाओं वाली एयरवेव (वायु तरंगों) की नीलामी को मंजूरी दे दी है।
- इसने बड़ी टेक फर्मों द्वारा कैप्टिव 5G नेटवर्क स्थापित करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी।
- ऐसा कहा जाता है कि कैबिनेट ने क्षेत्रीय विनियामक (sector regulator), भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा अनुशंसित आरक्षित कीमतों पर 5G नीलामी को मंजूरी दी है।
2. विध्वंसक अभियान कानून के शासन को चुनौती दी जा सकती है:
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल ही में पैगम्बर मुहम्मद पर की गई टिप्पणी को लेकर हुए विवाद के बाद हुए विध्वंसक अभियान कानून के कुछ बुनियादी सिद्धांतों को चुनौती दी जा सकती हैं, जिसमें किसी व्यक्ति को पहले सुने जाने का अधिकार भी शामिल है।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 300 ए के तहत अनिवार्य रूप से एक वैध कानून के के तहत राज्य उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित कर सकता है।
- भारतीय हस्तशिल्प एम्पोरियम मामले सहित अनुच्छेद 300A पर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों ने माना है कि संपत्ति का अधिकार भी एक “संवैधानिक अधिकार” था।
- आपातकाल के तुरंत बाद अनुच्छेद 300ए को संविधान (44वां संशोधन) अधिनियम 1978 के माध्यम से जोड़ा गया था।
3. 11 लाख बीजों को एक साथ गिराएगा ड्रोन :
- वातावरण को हरा-भरा बनाने के लिए तिरुपति की पहाड़ियों पर 11 लाख बीज बोए जायँगे ।
- इस पहाड़ी को हरा-भरा बनाने की पहल एकवीरा सेवा फाउंडेशन के प्रताप स्वामी ने की है।
- मिट्टी में मिश्रित ग्यारह लाख बीजों को पहाड़ियों पर हवा से गिराने के लिए गोले के आकार में ढाला जाता है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (कठिनाई स्तर: मध्यम)
- 1978 में 42वें संविधान संशोधन के साथ ही संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं रह गया।
- प्रतिकूल कब्जे का सिद्धांत, निजी संपत्ति लेने और इसे सार्वजनिक उपयोग में बदलने के लिए सरकार की शक्ति को संदर्भित करता है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न हीं 2
उत्तर: d
व्याख्या:
- 1978 के 44वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया है और इसे बाद में संविधान के भाग-12 में अनुच्छेद 300-ए द्वारा कानूनी अधिकार के रूप में स्थापित किया गया।
- प्रतिकूल कब्ज़ा एक कानूनी सिद्धांत है जो इस बात का दावा करता है कि यदि एक किराएदार ने किसी की अचल संपत्ति में 12 साल तक निवास किया है और इस संपत्ति का मालिक इस अवधि में उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो किरायेदार को उस संपत्ति का स्वामित्व अधिकार प्राप्त हो जाता हैं।
- अतः दोनों कथन गलत हैं।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (कठिनाई स्तर: मध्यम)
- जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन से सम्बंधित विषय राज्य सूची के अंतर्गत आते है।
- दशकीय जनगणना के संचालन की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय के तहत महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय के पास है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, वर्तमान प्रजनन दर प्रति महिला 2.1 बच्चों की प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर से थोड़ी कम है।
विकल्प:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: b
व्याख्या:
- जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन भारतीय संविधान की समवर्ती सूची के विषय है। अतः कथन 1 गलत है।
- भारत सरकार के गृह मंत्रालय के तहत भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त का कार्यालय, दशवार्षिक जनगणना के संचालन का प्रभारी है। अतः कथन 2 सही है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 के अनुसार, भारत ने हाल के दिनों में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) के साथ जनसंख्या नियंत्रण उपायों में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
- 2.1 के टीएफआर को प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन दर माना जाता है जिस पर जनसंख्या स्थिरता हासिल की जाती है। अतः कथन 3 सही है।
प्रश्न 3. भारतीय प्रेस परिषद (PCI) के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (कठिनाई स्तर: मध्यम)
- इसके पास केवल प्रिंट मीडिया पर मानकों को लागू करने की शक्ति है ना कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर।
- PCI अपने पास आने वाली शिकायतों की सुनवाई करने तथा दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए किसी को भी दंडित करने हेतु जिम्मेदार है।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न हीं 2
उत्तर: a
व्याख्या:
- भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) 1978 के प्रेस परिषद अधिनियम द्वारा बनाई गई एक वैधानिक संस्था है। यह भारत में प्रिंट मीडिया के नियमन करने का शीर्ष निकाय है। अतः कथन 1 सही है।
- पीसीआई शिकायतों के बारे में पूछताछ करने के लिए जिम्मेदार है। यह गवाहों को बुला सकता है, सार्वजनिक रिकॉर्ड की प्रतियां मांग सकता है।
- पीसीआई चेतावनी जारी कर सकता है, दोषियों की आलोचना कर सकता है, यह पत्रकार, समाचार पत्र, समाचार एजेंसी या संपादक हो सकता है। अतः कथन 2 गलत है।
प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन सी मिसाइल एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के तहत विकसित की गई है? (कठिनाई स्तर: सरल)
- अग्नि
- आकाश
- त्रिशूल
- पृथ्वी
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: d
व्याख्या:
- एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) 1983 में शुरू किया गया था।
- यह कार्यक्रम देश में पांच मिसाइल प्रणालियों – त्रिशूल, आकाश, नाग, पृथ्वी और अग्नि को विकसित करने के लिए शुरू किया गया था।
- अत: D सही विकल्प है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन “ग्रीनवाशिंग” शब्द का सबसे अच्छा वर्णन करता है? PYQ (2022) (कठिनाई स्तर: मध्यम)
(a) गलत सुचना देना कि कंपनी के उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल और पर्यावरणीय रूप से उपयुक्त हैं।
(b) किसी देश के वार्षिक वित्तीय विवरणों में पारिस्थितिक/पर्यावरणीय लागतों को शामिल न करना।
(c) अवसंरचनात्मक विकास के दौरान विनाशकारी पारिस्थितिक परिणामों की उपेक्षा करना।
(d) किसी सरकारी परियोजना/कार्यक्रम में पर्यावरणीय लागतों के लिए अनिवार्य उपबंध करना।
उत्तर: a
व्याख्या:
- ग्रीनवॉशिंग एक झूठी छवि बनाने या कंपनी के उत्पाद पर्यावरण के लिए बेहतर कैसे हैं, इस बारे में भ्रामक जानकारी प्रस्तुत करने की तकनीक है।
- ग्रीनवॉशिंग को ग्राहकों को यह विश्वास दिलाने के लिए एक निराधार दावा करने के रूप में परिभाषित किया गया है कि कंपनी के उत्पाद पारिस्थितिक रूप से फायदेमंद हैं।
- अत: A सही विकल्प है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. |
हमारे पड़ोस में उपजा हर संकट भारत के लिए एक क्षेत्रीय नेता की भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करता है। उदाहरण सहित चर्चा कीजिए। |
जीएस-2 |
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध |
---|---|---|---|
प्रश्न 2. |
5G कैसे पहले की दूरसंचार तकनीकों से अलग होगा? 5G तकनीक के संभावित अनुप्रयोग क्या हैं? |
जीएस-3 |
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी |
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