23 जनवरी 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: अर्थव्यवस्था:
पर्यावरण:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: सामाजिक मुद्दे:
भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था:
शिक्षा:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
गिग और प्लेटफॉर्म कर्मियों के अधिकार:
अर्थव्यवस्था:
विषय: रोजगार संबंधी मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: भारत के गिग सेक्टर से जुड़ी संभावनाएं एवं चुनौतियां।
प्रसंग:
- इस लेख में गिग कर्मचारियों की दुर्दशा और सरकारी विनियमन की आवश्यकता के बारे में चर्चा की गई है।
विवरण:
- गिग अर्थव्यवस्था एक मुक्त बाजार प्रणाली है जिसमें कर्मियों की सेवा अवधि सामान्यतया अस्थायी प्रकृति की होती है और इस व्यवस्था में संगठन अल्पकालिक अनुबंधों के लिए स्वतंत्र श्रमिकों के साथ अनुबंध करते हैं।
- गिग कर्मी एक ऐसा व्यक्ति है जो काम करता है या काम की व्यवस्था में भाग लेता है तथा यह पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर ऐसी गतिविधियों से आय अर्जित करता है।
- रिपोर्टों के अनुसार भारत के गिग कार्यबल में सॉफ्टवेयर, साझा सेवाओं और पेशेवर सेवाओं जैसे उद्योगों में कार्यरत 15 मिलियन कर्मचारी शामिल हैं।
- गिग और प्लेटफॉर्म कर्मियों से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Gig and Platform Workers
कोविड 19 महामारी के दौरान गिग अर्थव्यवस्था:
- कोरोनोवायरस महामारी की शुरुआत के बाद से ही गिग अर्थव्यवस्था (gig economy) में भागीदारी में तेजी से विस्तार हुआ है, मुख्य रूप से गिग कर्मियों पर सम्बंधित संगठनों की बढ़ती निर्भरता के कारण जिसने उन्हें ‘अदृश्य कार्यकर्ता’ से ‘फ्रंटलाइन वर्कर्स’ बनने के लिए प्रेरित किया।
- इसके अलावा महामारी ने पारंपरिक सुबह 9 से 5 बजे की कामकाजी दुनिया को बदल दिया है और कई ब्लू और व्हाईट-कॉलर कर्मचारियों को अतिरिक्त या प्राथमिक आय के लिए गिग काम करने के लिए प्रेरित किया है।
गिग और प्लेटफॉर्म कर्मियों के अधिकारों पर चीन की केस स्टडी:
- चीनी मीडिया ने गिग वर्कर्स को ‘अदृश्य वर्कर्स’ से ‘फ्रंटलाइन वर्कर्स’ में बदलने में मदद की।
- उदाहरण के लिए-चीन के सबसे बड़े राज्य-संबद्ध दैनिक अखबार पीपुल्स डेली ने शीर्ष 10 व्यवसायों में वितरण कार्य को स्थान दिया।
- वर्ष 2020 में एक मासिक चीनी पत्रिका ने दो खाद्य वितरण प्लेटफार्मों पर डिलीवरी श्रमिकों की दुर्दशा पर एक लेख प्रकाशित किया था, जिसे चीनी इंटरनेट पर 200 मिलियन से अधिक बार साझा किया गया था, यह तथ्य इस बात को दर्शाता है कि चीनी सोशल मीडिया उपयोगकर्ता इस मुद्दे से कितनी गहराई से जुड़े हैं।
- हालाँकि चीन में इस शक्तिशाली प्लेटफार्मों का विरोध कोविड-19 से बहुत पहले ही शुरू हो गया था। चीन के विभिन्न हिस्सों में वर्षों से चली आ रही हड़तालों ने इस बढ़ते हुए प्रतिघात को प्रतिबिंबित किया है।
- वर्ष 2021 की शुरुआत में दो महीने से अधिक समय तक चली लगातार हड़तालों में, डिलीवरी कर्मचारियों ने खराब कामकाजी परिस्थितियों का विरोध किया था।
- एक अधिनायकवादी वातावरण, एक कमजोर नागरिक समाज, और स्वतंत्र श्रमिक संघों की कमी के कारण, चीन में गिग श्रमिकों को अपने कार्य दशा में प्रभावी परिवर्तन के लिए अनेक जोखिमों के बावजूद मज़बूरी में हड़ताल पर जाना पड़ा।
- जब सरकार ने महसूस किया कि न केवल डिलीवरी कर्मियों में बल्कि आम जनता में भी उनकी दुर्दशा को लेकर असंतोष बढ़ रहा है, तो सरकार ने स्वयं के हित में जाकर हस्तक्षेप करना जरूरी समझा और किया।
- चीनी प्रशासन ने महामारी के दौरान संकेत दिया कि इन प्लेटफार्मों को कार्यबल पर महामारी के विनाशकारी प्रभावों को कम करने में मदद करनी चाहिए। साथ ही चीन ने अपने नए एकाधिकार-विरोधी दिशानिर्देशों को जारी कर प्रमुख तकनीकी कंपनियों पर अपने “बढ़े हुए नियंत्रण” को थोप दिया।
- जुलाई 2022 में सात सरकारी एजेंसियों ने संयुक्त रूप से दिशा-निर्देश पारित किए, जिसमें ऑनलाइन खाद्य वितरण प्लेटफार्मों को वितरण श्रमिकों के अधिकारों का सम्मान करने, उन्हें सामाजिक बीमा के साथ न्यूनतम वेतन का भुगतान करने और अनुकूलन एल्गोरिदम पर आधार मूल्यांकन मानदंड नहीं करने का निर्देश दिया गया।
भारतीय संदर्भः भावी कदम
- इस सन्दर्भ में भारत में स्थिति बहुत अलग है क्योंकि इस क्षेत्र में किसी भी सुधार का नेतृत्व पूरी तरह से डिलीवरी कर्मचारियों द्वारा किया जाता है न कि जनता द्वारा।
- 2020 में, स्विगी के करीब 3,000 डिलीवरी कर्मचारी पारिश्रमिक को ₹35 प्रति ऑर्डर से कम करके ₹15 करने के विरोध में हैदराबाद में हड़ताल पर चले गए।
- 20 सितंबर, 2021 को गिग वर्कर्स की ओर से इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-आधारित ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की, जिसमें ‘गिग वर्कर्स’ और ‘प्लेटफॉर्म वर्कर्स’ को ‘असंगठित श्रमिक’ घोषित करने की मांग की गई थी ताकि वे असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 के दायरे में आ सकें।
- चीन की तरह, जहां जनमत के उभार ने आंशिक रूप से सरकार के नियमन और कंपनी नीति में बदलाव का नेतृत्व किया है, भारत में जनता भी गिग वर्कर्स के पीछे एकजुटता दिखाने की पहल कर सकती है।
- भारतीय जनता डिलीवरी कर्मचारियों की तलाश करके और उनके काम की परिस्थितियों और अन्य असुविधाओं के बारे में पूछकर प्लेटफॉर्म के काम करने के तरीके के बारे में बेहतर जानकारी देने की कोशिश कर सकती है।
- इसके साथ ही गिग प्लेटफॉर्म्स को भी गिग भागीदारों को व्यावसायिक जोखिमों से बचाने के लिए नीतियों का एक ढांचा बनाने और अपने गिग भागीदारों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय उपाय करने की आवश्यकता है।
- एक मुख्य उपाय के रूप में कौशल सेट में अंतराल की पहचान करने और गिग कार्यबल के कौशल को उन्नत करने और पुनः कौशल सिखने की रणनीति विकसित करने की भी आवश्यकता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
स्वच्छ ऊर्जा के लिए संक्रमण/परिवर्तन:
पर्यावरण:
विषय: राष्ट्रीय पर्यावरण एजेंसियां, विधान एवं नीतियां।
मुख्य परीक्षा: स्वच्छ ऊर्जा के लिए भारत के संक्रमण से संबंधित विषय।
संदर्भ:
- इस लेख में भारत की अर्थव्यवस्था पर स्वच्छ ऊर्जा के परिवर्तन के प्रभाव पर चर्चा की गई है।
विवरण:
- ग्लोबल एनवायरनमेंटल चेंज जर्नल में प्रकाशित हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत का वित्तीय क्षेत्र बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन पर निर्भर अर्थव्यवस्था से स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमित होती अर्थव्यवस्था के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
- इस अध्ययन में विश्लेषण किया गया है कि संक्रमण जोखिमों के लिए भारत के वित्तीय क्षेत्र का जोखिम कितना व्यापक है और भारत के वित्त पेशेवर और वित्तीय संस्थान उन संक्रमण जोखिमों को प्रबंधित करने के लिए पर्याप्त कार्रवाई कैसे कर रहे हैं।
मुख्य निष्कर्ष:
- इस अध्ययन से पता चला है कि भारत का वित्तीय क्षेत्र मानक उधार वर्गीकरणों की तुलना में कम कार्बन संक्रमण जोखिमों से कहीं अधिक जोखिम में है।
- उदाहरण के लिए, अलग-अलग ऋणों और बांडों के आकलन से पता चलता है कि ‘खनन’ क्षेत्र को उधार देने का 3/5वाँ हिस्सा तेल और गैस निष्कर्षण के लिए है, जबकि ‘विनिर्माण’ ऋण का 5वाँ हिस्सा पेट्रोलियम शोधन और संबंधित उद्योगों के लिए है।
- बिजली उत्पादन (उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत) का बकाया ऋण का 5.2% है, लेकिन बिजली क्षेत्र के उधार का केवल 17.5% विशुद्ध नवीकरणीय ऊर्जा के लिए प्रदान किया जाता है।
- अध्ययन से भारत के वित्तीय संस्थानों में विशेषज्ञों की कमी का भी पता चलता है जिनके पास इस तरह के संक्रमण पर संस्थानों को उचित सलाह देने की विशेषज्ञता थी।
- किए गए सर्वेक्षण में 154 वित्त पेशेवरों में से आधे से भी कम पर्यावरणीय मुद्दों से परिचित थे, जिनमें जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन या संक्रमण जोखिम शामिल हैं।
- सर्वेक्षण किए गए 10 प्रमुख वित्तीय संस्थानों में से केवल चार ने पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) जोखिमों पर जानकारी एकत्र की, और ये फर्म उस डेटा को वित्तीय योजना में व्यवस्थित रूप से शामिल नहीं करती है।
ट्रिलियन डॉलर की जरूरत:
- भारत को वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने और वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से अपनी आधी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए कम से कम एक ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता है।
- उपरोक्त उधार और निवेश पैटर्न के खिलाफ भारत की नीतिगत प्रतिबद्धताओं का मानचित्रण करने से पता चलता है कि भारत का वित्तीय क्षेत्र संभावित संक्रमण जोखिमों से बहुत अधिक प्रभावित है।
- वित्तीय संस्थानों को अपनी क्षमताओं को अपेक्षाकृत तेज़ी से बढ़ाने की आवश्यकता होगी, जैसा कि आरबीआई की अगुवाई वाले कदम वित्त को स्थायी संपत्ति और गतिविधियों की ओर ले जाने के लिए आगे बढ़े हैं।
- उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई ₹40 बिलियन मूल्य का अपना पहला 5 और 10 वर्षीय सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड लॉन्च करेगा।
नवीनीकरणीय ऊर्जा के लिए कुछ संसाधन:
- उच्च-कार्बन उद्योगों जैसे कि बिजली उत्पादन, रसायन, लोहा और इस्पात, और विमानन – जैसे क्षेत्रों पर भारतीय वित्तीय संस्थानों के बकाया ऋण का 10% हिस्सा है।
- हालाँकि ये उद्योग भी भारी मात्रा में ऋणी हैं, और इसलिए झटकों और तनावों से निपटने के लिए इनकी वित्तीय क्षमता कम है।
- वर्तमान में कोयला भारत के प्राथमिक ऊर्जा स्रोतों का 44% और इसके बिजली उत्पादन का 70% हिस्सा उत्पादित करता है।
- ड्राफ्ट नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान, 2022 के अनुसार, बिजली उत्पादन मिश्रण में कोयले की हिस्सेदारी 70% के वर्तमान योगदान की तुलना में वर्ष 2030 तक घटकर 50% रह जाएगी।
- भारतीय बैंकों और संस्थागत निवेशकों के वित्तीय निर्णयों – जैसे कि प्योर-प्ले रिन्यूएबल को कम ऋण देना – के परिणामस्वरूप प्रदूषण अधिक बढ़ेगा और ऊर्जा आपूर्ति अधिक महंगी हो जाएगी।
- नतीजतन, सस्ते सौर, पवन और लघु पनबिजली की अपनी विशाल क्षमता के बावजूद, भारत विश्व औसत की तुलना में कार्बन स्रोतों से बहुत अधिक बिजली उत्पादित करता है।
- भारत को जलवायु नियंत्रण के लिए अपने घरेलू संस्थानों को बनाने और मजबूत करने की आवश्यकता है।
- इसके लिए विकास की जरूरतों और कम कार्बन अवसरों के बीच संबंधों की पहचान करने की आवश्यकता होगी।
- भारत की नेट ज़ीरो योजना से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:India’s Net Zero Plan
- नवीकरणीय ऊर्जा से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Renewable Energy
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारत में जेल सुधार और आपराधिक न्याय प्रणाली:
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां एवं विकास के लिए हस्तक्षेप।
मुख्य परीक्षा: भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता।
प्रसंग:
- हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जेलों में सुधार का आह्वान किया और अप्रचलित आपराधिक कानूनों को निरस्त करने की सिफारिश की।
विवरण:
- इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) द्वारा आयोजित पुलिस महानिदेशकों और पुलिस महानिरीक्षकों के 57वें अखिल भारतीय सम्मेलन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जेल प्रबंधन में सुधार के लिए जेल सुधारों का सुझाव दिया और अप्रचलित आपराधिक कानूनों को निरस्त करने की सिफारिश की।
- उन्होंने पुलिस बलों को अधिक संवेदनशील बनाने और एजेंसियों में डेटा विनिमय को सुगम बनाने के लिए राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण देने का भी सुझाव दिया हैं।
- उन्होंने क्षमताओं का लाभ उठाने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए राज्य पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया हैं।
- आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधारों से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Criminal Justice System Reforms
- जेल सुधारों से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Prison Reforms
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
ग्रेट निकोबार परियोजना:
पर्यावरण:
विषय: पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण; पर्यावरणीय प्रभाव आकलन ( Environmental Impact Assessment (EIA))।
मुख्य परीक्षा : ग्रेट निकोबार द्वीप में वन भूमि का विचलन, प्रतिपूरक उपाय और इससे जुड़ी चिंताएँ।
प्रसंग:
- पूर्व नौकरशाहों ने ग्रेट निकोबार परियोजना पर भारत के राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है।
मुख्य विवरण:
- संवैधानिक आचरण समूह (Constitutional Conduct Group) जिसमें लगभग 100 पूर्व सिविल सेवक शामिल हैं, ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ग्रेट निकोबार द्वीप पर एक मेगा-बुनियादी ढांचा परियोजना के लिए सरकार के दबाव का विरोध व्यक्त करते हुए एक पत्र लिखा है।
- नवंबर 2022 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने ₹ 72,000 करोड़ रुपये की एक परियोजना के लिए ग्रेट निकोबार द्वीप में 130.75 वर्ग किमी के जंगल डायवर्जन के लिए सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की थी, जिसमें एक ट्रांस-शिपमेंट बंदरगाह, एक हवाई अड्डा, एक बिजली संयंत्र और एक ग्रीनफील्ड टाउनशिप का निर्माण करना शामिल है।
- ग्रेट निकोबार परियोजना से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Great Nicobar Project
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
भारत की शहरीकरण नीतियों की खामियों का एक अनुस्मारक (Reminder):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक मुद्दे:
विषय: शहरीकरण, उनकी समस्याएं और उपचार।
मुख्य परीक्षा: शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।
प्रारंभिक परीक्षा: शहरीकरण।
प्रसंग:
- भारत की शहरी आवश्यकताओं के वित्तपोषण के लिए विश्व बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट।
विवरण:
- विश्व बैंक (World Bank) की रिपोर्ट (नवंबर 2023) के अनुसार, निजी निवेश के माध्यम से भारत की शहरी संरचना के वित्तपोषण से शहरी समस्या में सुधार होता है।
- शहरी वित्त प्रमुख रूप से सरकारी स्रोतों द्वारा वित्त पोषित है। धन केंद्रीय (48%), राज्य (24%), और शहरी (15%) सरकारों से प्राप्त होता है। दूसरी ओर, सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजनाओं का योगदान 3% और वाणिज्यिक ऋण का योगदान 2% है।
- कई रिपोर्टों में शहरी अवसंरचना की भारी मांग का अनुमान लगाया गया है। उदाहरण के लिए,
- ईशर जज अहलूवालिया की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक लगभग ₹39.2 लाख करोड़ की आवश्यकता होगी।
- 11वीं योजना में चार बुनियादी सेवाओं के लिए लगभग 1,29,337 करोड़ रुपये, शहरी परिवहन के लिए 1,32,590 करोड़ रुपये और आवास के लिए 1,32,590 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया है।
- इसी तरह, शहरीकरण पर एक मैकिन्ज़ी रिपोर्ट का अनुमान $1.2 ट्रिलियन (या ₹90 लाख करोड़) है।
यह भी पढ़ें: What are the main causes of Urbanisation? Answer at BYJU’S IAS
विश्व बैंक की रिपोर्ट का विवरण:
- विश्व बैंक के अनुसार आबादी की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए शहरी भारत में लगभग $840 बिलियन (₹70 लाख करोड़) के निवेश की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, हर साल $ 55 बिलियन की आवश्यकता होगी।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रम जैसे स्मार्ट सिटी मिशन, कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (AMRUT), प्रधान मंत्री आवास योजना (PMAY), आदि कुल मिलाकर 2 लाख करोड़ रुपये से भी कम हैं (5 साल की अवधि के लिए)।
- रिपोर्ट का मुख्य विचार भारतीय शहरों के राजकोषीय आधार और साख में सुधार करना है। उदाहरण के लिए, उपयोगकर्ता शुल्क, सेवा शुल्क और संपत्ति कर बढ़ाना।
- हालाँकि, इस बात पर प्रकाश डालने के बावजूद कि 85% सरकारी राजस्व शहरों से प्राप्त होता है (इसका अर्थ है कि शहरी नागरिक राजस्व में अधिक योगदान दे रहे हैं), रिपोर्ट सेवाओं पर अधिक कर लगाने पर जोर देती है।
- इस रिपोर्ट (और इसी तरह की अन्य रिपोर्ट) के साथ मूल समस्या यह है कि वे अधो-निस्यन्दन (ऊपर से नीचे को ओर) के दृष्टिकोण का पालन करती हैं और तकनीकी आधारित समाधानों पर अधिक ध्यान केंद्रित करती हैं जिसमें उच्च पूंजी-गहन प्रौद्योगिकियां शामिल होती हैं।
यह भी पढ़ें: Housing For All Scheme | Pradhan Mantri Awas Yojana – Urban (PMAY) Eligibility, Application
वैकल्पिक दृष्टिकोण:
- नागरिकों को शामिल करके और उनकी जरूरतों की पहचान करके शहरी योजनाएं नीचे से बनाई जानी चाहिए।
- के.सी. शिवरामकृष्णन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने निम्नलिखित उपाय सुझाए:
- लोगों को सशक्त करें
- शहरी सरकारों को विषयों का स्थानांतरण,
- शहरों से वसूले गए आयकर का 10 प्रतिशत वापस किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इस समग्र निधि (कॉर्पस फंड) का उपयोग केवल अधोसंरचना विकास के लिए ही किया जाए।
- एक अन्य महत्वपूर्ण कदम शहरी प्रशासन में सुधार करना है। शहरों में नियमित चुनाव होने चाहिए और वित्त (Finances), कार्यों (Functions) और पदाधिकारियों (Functionaries) (3 Fs) का हस्तांतरण होना चाहिए।
- विश्व बैंक की रिपोर्ट ने निम्नलिखित सुझाव दिए:
- नगरीय जल एवं सीवरेज कार्यों का राज्य स्तरीय प्रबंधन समयबद्ध तरीके से हस्तान्तरित किया जाये।
- एक स्थिर राजकोषीय हस्तांतरण व्यवस्था के लिए एक बेहतर ढांचा तैयार किया जाना चाहिए।
- शहरी स्थानीय निकायों (ULB) को उचित नियमों और विनियमों के साथ वित्तीय शक्तियाँ प्रदान करना।
शिमला का उदहारण:
- 2016-17 में शिमला वाटर वर्क्स को एकल उपयोगिता बनाया गया था और इसे शिमला नगर निगम के तहत ग्रेटर शिमला वाटर सप्लाई एंड सीवेज सर्कल (GSWSSC) कहा जाता था।
- शिमला नगर निगम के तहत पानी की पर्याप्त आपूर्ति और उचित वितरण सुनिश्चित करने के लिए बैंक द्वारा एक आसान ऋण प्रदान किया गया था।
- हालाँकि, 2017-18 में, GSWSSC के चरित्र को शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड के नाम से जानी जाने वाली कंपनी में परिवर्तित कर दिया गया था। इसका संचालन अब नगरपालिका के दायरे से बाहर निदेशक मंडल द्वारा चलाया जाता है।
- यह तर्क दिया जाता है कि इस तरह के कदम भारत में शहरीकरण के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
संबंधित लिंक:
Urban Planning and Development in India
सारांश:
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बदलती राजनीति, असंगत राज्यपाल:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था:
विषय: संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियां।
मुख्य परीक्षा: राज्यपाल की शक्तियाँ और कार्य।
प्रारंभिक परीक्षा: राज्यपाल।
प्रसंग:
- राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच तमिलनाडु में हाल के घटनाक्रम।
विवरण:
- दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे कई राज्यों में राज्यपालों और राज्य सरकारों के बीच टकराव बार-बार दिखाई देता है।
- उनसे जुड़े कुछ सामान्य तथ्य हैं:
- जिन राज्यों में ऐसी स्थितियां दिखाई देती हैं, वहां अक्सर एक ऐसी पार्टी का शासन होता है, जो केंद्र में शासन करने वाली पार्टी से अलग होती है।
- सरकार के हस्तक्षेप अक्सर संघ की शक्तियों या संवैधानिक शुद्धता के नाम पर होते हैं।
- असहमति अक्सर मीडिया के सामने खुलकर सामने आ जाती है, जो राजनीतिक विभाजन को प्रदर्शित करती है।
- हालाँकि, कुछ राज्यपाल ऐसे हैं जिन्होंने अपनी-अपनी सरकारों के साथ ऐसे मुद्दों को सुलझाने में दूरदर्शिता दिखाई है।
राज्यों में परिवर्तन:
- 1980 के दशक के उत्तरार्ध से संविधान में औपचारिक रूप से बदलाव किए बिना राज्यों की सापेक्ष स्वायत्तता में भारी बदलाव आया। यह परिवर्तन नए राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के उदय, अर्थव्यवस्था के उदारीकरण और राज्यों को आर्थिक जिम्मेदारी के अधिक हस्तांतरण द्वारा प्रदर्शित किया गया था।
- सत्ता और उत्तरदायित्व का परिवर्तन 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियमों, (73rd and 74th Constitutional Amendment Acts) आर्थिक सुधारों और बोम्मई मामले जैसे विभिन्न न्यायिक फैसलों में भी परिलक्षित हुआ था, जिसमें राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू होने के दौरान व्यापक राजनीतिक सहमति को अनिवार्य किया गया था।
- राज्यों की बढ़ी हुई भूमिकाएं और जिम्मेदारियां नई चुनौतियों और अवसरों में संघ की शक्तियों को पूरक बनाती हैं।
- 1999-2000 में गठबंधन के निर्माण ने राज्यों को अधिक संवेदनशीलता प्रदान की। इसने मजबूत क्षेत्रीय नेतृत्व और विशेष रूप से क्षेत्रीय दलों को स्वीकार किया।
- भारतीय संघवाद को फिर से व्यक्त किया गया जिसने राज्यों की स्वायत्तता की सराहना की।
- वर्तमान समय की भारतीय राजनीति में अधिक से अधिक पहलें करने और जिम्मेदारी संभालने के लिए राज्य नेतृत्व (केंद्र या क्षेत्रीय दलों में से कोई भी) को अनिवार्य रूप से आमंत्रित किया जाता है।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि राज्यों की पहल का पड़ोसी राज्यों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, यदि क्षेत्रीय दल अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो केंद्र बेहतर करने के लिए बाध्य होता है।
मौजूदा मुद्दे और भावी कदम:
- बदले हुए संदर्भ में, राज्यपालों का यह मानना कि वे निर्वाचित राज्य नेतृत्व से बेहतर जानते हैं, वास्तविकता के विरुद्ध है, और न ही वे केंद्र में सत्तारूढ़ दल के हितों के अनुसार कार्य कर सकते हैं।
- विशेष रूप से राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों के संबंध में असंख्य चिंताएं हैं। इस संदर्भ में, राज्यपाल को राज्य सरकार और राज्य विधानमंडल के साथ निकटता से जुड़ना चाहिए। सार्वजनिक आवाजों को भी सुना जाना चाहिए और तर्क के साथ उनका पालन किया जाना चाहिए।
- राज्यपाल को भी अपने संस्थानों और सार्वजनिक संस्कृति में अंतर्निहित सार्वजनिक कल्याण के अंतर्निहित विचार से अभ्यस्त होना चाहिए।
संबंधित लिंक:
State Government Vs Governor: Sansad TV Perspective Discussion of 27 Oct 2022
सारांश:
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यह भारत के विश्वविद्यालयों के लिए दुनिया से जुड़ने का समय है:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शिक्षा:
विषय: शिक्षा के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली को खोलने के लिए G20 अध्यक्षता का उपयोग करना।
विवरण:
- भारतीय विश्व स्तर पर शीर्ष वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, विश्वविद्यालयों के प्रमुखों और उच्च तकनीकी संस्थाओं के प्रमुखों आदि के रूप में विख्यात हैं।
- भारत की शैक्षणिक प्रणाली दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी प्रणाली है।
- भारत भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के माध्यम से अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार और उन्नयन कर रहा है।
- G20 में भारत की अध्यक्षता भारतीय शैक्षणिक प्रणाली को सारी दुनिया के लिए खोलने और विदेशों की सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करने का एक सुनहरा अवसर है।
- G20 अध्यक्षता के दौरान शिक्षा क्षेत्र में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक ‘अनुसंधान को मजबूत करना और समृद्ध सहयोग के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देना’ है।
- वर्तमान में, भारत अपनी विस्तारित भारतीय अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक क्षेत्र में बेहतर भूमिका के कारण एक लाभप्रद स्थिति में है।
- भारत उच्च शिक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में छात्रों का एक प्रमुख निर्यातक भी है।
- अप्रयुक्त प्रतिभा और चीन से अलगाव के कारण विभिन्न देश (विशेष रूप से पश्चिमी देशों) भारतीय विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के साथ जुड़ने में रुचि रखते हैं।
भारत के शिक्षा क्षेत्र में चुनौतियां:
- भारत का उच्च शिक्षा क्षेत्र अत्यधिक खंडित, कठोर विषय सीमाओं के साथ अनम्य और असमान गुणवत्ता वाला है।
- हालाँकि, समेकन, लचीलेपन, बहु-विषयक शिक्षा और गुणवत्ता पर NEP के फोकस के माध्यम से इसका ध्यान रखा गया है।
- IIT और IIM भी विस्तार और सुधार कर रहे हैं। यह आगे बेहतर वित्त पोषण और पर्याप्त स्वायत्तता के साथ अच्छे परिणाम प्राप्त करेगा।
- यद्यपि भारत ने कई मोर्चों जैसे वैज्ञानिक प्रकाशनों में वैश्विक रैंकिंग (2010 में 7वें स्थान से सुधर कर 2020 में 3 में हो गई), विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रदान की गई पीएचडी की संख्या, और वैश्विक नवाचार सूचकांक (हालाँकि, इसका प्रदर्शन अमेरिका और चीन से पीछे है) पर बेहतर प्रदर्शन किया है।
- भारतीय विश्वविद्यालयों ने कई वैश्विक रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। उदाहरण के लिए,
- 2023 टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला भारतीय संस्थान भारतीय विज्ञान संस्थान (251-300 की रेंज में) है।
- IIT, विश्व स्तर पर सबसे प्रसिद्ध संस्थान, की रैंकिंग अच्छी नहीं है क्योंकि वे छोटे और विशिष्ट हैं और विस्तृत विश्वविद्यालय नहीं हैं।
- हालाँकि, हाल ही में यह घोषणा कि IIT-खड़गपुर मलेशिया में एक शाखा परिसर स्थापित करेगा, एक अच्छा कदम है।
- भारत को रैंकिंग में और वास्तविकता में बराबरी करने के लिए लंबे समय तक (चीन की तर्ज पर) काफी निवेश की आवश्यकता होगी।
भारतीय शैक्षणिक पर्यावरण की विशिष्ट विशेषताएं:
- कई शीर्ष-गुणवत्ता वाले गैर-लाभकारी निजी विश्वविद्यालयों को परोपकारी सोच वाले भारतीयों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है जो भारतीय उच्च शिक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय ‘ब्रांड’ बनाने पर केंद्रित हैं।
- भारत में अंग्रेजी का प्रयोग विज्ञान और उच्च शिक्षा की मुख्य भाषा के रूप में किया जाता है। यह दुनिया के साथ आसान जुड़ाव की सुविधा प्रदान करता है।
- विभिन्न क्षेत्रों में 100 से अधिक अनुसंधान प्रयोगशालाएँ हैं जो वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और अन्य केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा प्रायोजित हैं।
भावी कदम:
- सॉफ्ट पावर रणनीति के लिए भारत के विश्वविद्यालय और उनकी वैज्ञानिक क्षमता महत्वपूर्ण है।
- NEP में अनुशंसित अंतर्राष्ट्रीयकरण की पहल शुरू होनी चाहिए और भारत का G20 नेतृत्व भी इस दिशा में एक उत्कृष्ट अवसर है।
- दो महत्वपूर्ण सुझाव हैं:
- भारत को G20 देशों में उन्हें भारत के शैक्षणिक अवसरों से उन्हें परिचित कराने के उद्देश्य से विश्वविद्यालयों के अग्रणियों के सम्मेलन की मेजबानी करनी चाहिए।
- विदेशों से शीर्ष शिक्षाविदों को भारत लाने के लिए वित्त पोषण के साथ-साथ विदेशों के अग्रणी विश्वविद्यालयों में शीर्ष भारतीय छात्रों और शिक्षकों को अवसर प्रदान करने के लिए एक प्रतिष्ठित छात्रवृत्ति कार्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए।
- इसके अलावा, भारतीय शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को संयुक्त परियोजनाओं, अंतर्राष्ट्रीय बैठकों आदि के माध्यम से वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के साथ खुद को और अधिक संलग्न करना चाहिए।
- वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए सावधानीपूर्वक नियोजन, धारणीय संसाधन, संघ और राज्य सरकारों से सहायता, और भारतीय शैक्षणिक समुदाय में एक बढ़ी हुई अंतर्राष्ट्रीय चेतना की भी आवश्यकता है।
यह भी पढ़ें: Higher & Technical Education in India – BYJU’S
संबंधित लिंक:
Higher Education Quality Mandate: RSTV – Big Picture Discussion for UPSC exam
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1.संशोधित आयत-निर्यात आंकड़े/डेटा:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
प्रारंभिक परीक्षा: व्यापार घाटा; चालू खाता घाटा।
संदर्भ:
- संशोधित विदेशी व्यापार आंकड़े/डेटा।
मुख्य विवरण:
- केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी प्रारंभिक अनुमानों की तुलना में वर्ष 2022-23 के पहले आठ महीनों के लिए भारत के विदेश व्यापार के आंकड़ों में उल्लेखनीय रूप से संशोधन किया गया है, जिनमें से प्रत्येक महीने में आयात बिल में कम से कम दो बिलियन डॉलर की वृद्धि या कमी की गई है।
- अप्रैल और नवंबर के बीच कुल व्यापारिक निर्यात में संशोधन कर इसे $298.3 बिलियन किया गया है, जो मूल मासिक डेटा से लगभग $12 बिलियन अधिक है।
- निर्यात की संख्या में सबसे बड़ा संशोधन क्रमशः अगस्त और नवंबर के लिए $3.1 बिलियन और $2.8 बिलियन किया गया है।
- संशोधित किये गए इन आठ महीनों में आयात बिल अब 493.5 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है, जो शुरुआती संख्या से लगभग 1.7 बिलियन डॉलर अधिक है।
- सितंबर 2022 के आयात के आंकड़ों में सबसे तेज (अधिक) संशोधन देखा गया है, जो पहले के $61.1 बिलियन के अनुमान से बढ़कर वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुँच कर $64.7 बिलियन हो गया है।
- वर्ष के पहले आठ महीनों में व्यापार घाटा मासिक प्रारंभिक अनुमानों को जोड़कर संकेतित की तुलना में $10 बिलियन कम है।
चित्र स्रोत: The Hindu
- अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आंकड़ों में इस तरह की व्यापक विविधताएं असामान्य हैं जो की नीति निर्माण को मुश्किल बनाती हैं, खासकर तब जब चालू खाता घाटे का प्रबंधन किया जाता हैं, जो कि बढ़ते आयात और वैश्विक मंदी के बीच निर्यात में मंदी की आशंका से बढ़ रहा है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिएः(स्तर-कठिन)
युद्धक टैंक देश
- चैलेंजर 2 टैंक ब्रिटेन
- लेक्लर्क टैंक रूस
- लेपर्ड 2 टैंक जर्मनी
- M1 एब्राम्स टैंक यूएसए
उपर्युक्त युग्मों में से कितने सुमेलित हैं?
- केवल एक युग्म
- केवल दो युग्म
- केवल तीन युग्म
- सभी चारों युग्म
उत्तर: c
व्याख्या:
- युग्म 1 सही सुमेलित है: चैलेंजर 2 यूनाइटेड किंगडम और ओमान की सेनाओं के साथ सेवा में तीसरी पीढ़ी का ब्रिटिश मुख्य युद्धक टैंक है। इसे ब्रिटिश कंपनी विकर्स डिफेंस सिस्टम्स द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था, जिसे अब BAE सिस्टम्स लैंड एंड आर्मामेंट्स के रूप में जाना जाता है।
- युग्म 2 सुमेलित नहीं है: लेक्लेर एक तीसरी पीढ़ी का फ्रांसीसी मुख्य युद्धक टैंक है जिसे नेक्सटर सिस्टम्स द्वारा विकसित और निर्मित किया गया है।
- Leclerc फ्रांसीसी सेना, जॉर्डन सेना और संयुक्त अरब अमीरात सेना के साथ सेवा में है।
- युग्म 3 सही सुमेलित है: लेपर्ड 2 एक जर्मन निर्मित मुख्य युद्धक टैंक है जिसकी रेंज लगभग 500 किमी (311 मील) है। यह पहली बार 1979 में सेवा में आया था। यह मुख्य आयुध के रूप में 120 मिमी स्मूथ बोर गन से लैस है, यह दो समाक्षीय लाइट मशीनगनों से भी लैस है।
- जर्मन सेना द्वारा उपयोग किए जाने के साथ-साथ, लेपर्ड 2 यूरोप में व्यापक रूप से सेवा में रहा है, जिसमें एक दर्जन से अधिक देश टैंक का उपयोग कर रहे हैं, साथ ही कनाडा सहित कई अन्य देश भी इस टैंक का उपयोग कर रहे हैं।
- यह टैंक कोसोवो, बोस्निया, अफगानिस्तान और सीरिया (तुर्की द्वारा) में तैनात किए गए हैं।
- युग्म 4 सही सुमेलित है: M1 एब्राम्स तीसरी पीढ़ी का अमेरिकी मुख्य युद्धक टैंक है।
- M1 एब्राम्स को 1980 में सेवा में शामिल किया गया और वर्तमान में संयुक्त राज्य सेना के मुख्य युद्धक टैंक के रूप में कार्यरत है और पूर्व में मरीन कॉर्प्स में अपनी सेवाएँ दे चुका है। निर्यात संस्करण का उपयोग मिस्र, कुवैत, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया और इराक की सेनाओं द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सी फसलें रबी की हैं? (स्तर-मध्यम)
- बाजरा
- मक्का
- चना
- राई
- गेहूं
विकल्प:
- केवल 1, 3 और 5
- केवल 2, 3 और 4
- केवल 3, 4 और 5
- केवल 2, 3, 4 और 5
उत्तर: c
व्याख्या:
- रबी की फसल को शीतकालीन फसल भी कहा जाता है। वे सर्दियों के मौसम में उगाई जाती हैं जिसकी शुरुआत अक्टूबर में होती है। रबी फसलों के प्रकार में गेहूं, जौ, दालें, चना, सरसों, जीरा, सूरजमुखी, राई आदि शामिल हैं।
- बाजरा और मक्का खरीफ की फसलें हैं।
भारत में प्रमुख फसल मौसमों के बारे में और पढ़ें:Major Cropping Seasons in India
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन-सा निम्नलिखित राजवंशों का सही कालानुक्रमिक क्रम है? (स्तर-कठिन)
- मौर्य, शुंग, नंद, कुषाण
- नंद, मौर्य, शुंग, कुषाण
- मौर्य, नंद, कुषाण, शुंग
- नंद, मौर्य, कुषाण, शुंग
उत्तर: b
व्याख्या:
- नंद वंश (345-322 ईसा पूर्व)
- मौर्य साम्राज्य (Mauryan Empire) (321-185 ईसा पूर्व)
- शुंग साम्राज्य (Shunga Empire) (185 से 73 ईसा पूर्व)
- कुषाण साम्राज्य (Kushana Empire ) (प्रथम-तीसरी शताब्दी ई.)
प्रश्न 4. सर्वोच्च न्यायालय ने किस मामले में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66A को रद्द कर दिया हैं ? (स्तर-मध्यम)
- बुद्धदेव कर्मस्कर बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
- न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टास्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ
- एस.जी. वोमबाटकेरे बनाम भारत संघ
- श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ
उत्तर: d
व्याख्या:
- श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ, 2015 मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले ने ऑनलाइन भाषण पर प्रतिबंध के संबंध में, भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) (Article 19(1)(a) ) के तहत गारंटीकृत भाषण की स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के आधार पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66A को ( Section 66A of the Information Technology Act, 2000) असंवैधानिक करार दिया।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन-सी अधातु विद्युत की कुचालक नहीं है? (PYQ-CSE-2007) (स्तर-कठिन)
- गंधक
- सेलेनियम
- ब्रोमिन
- फॉस्फोरस
उत्तर: b
व्याख्या:
- सेलेनियम जिसका प्रतिक Se और परमाणु संख्या 34 है, एक रासायनिक तत्व है। यह ऐसे गुणों के साथ एक अधातु है (इसे शायद ही कभी मेटलॉइड माना जाता है) जो आवर्त सारणी में सल्फर और टेल्यूरियम के ऊपर और नीचे के तत्वों के बीच मध्यवर्ती हैं, और आर्सेनिक के समान भी है।
- सेलेनियम विद्युत का कुचालक नहीं है। यह एक अर्धचालक है और इसका उपयोग फोटोसेल में किया जाता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. उन विभिन्न सामाजिक समस्याओं की चर्चा कीजिए जो भारत में शहरीकरण की तीव्र प्रक्रिया से उत्पन्न हुई हैं। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस I – समाज )
प्रश्न 2.भारत में महिला सशक्तिकरण की प्रक्रिया में ‘गिग अर्थव्यवस्था’ की भूमिका का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III-अर्थशास्त्र)