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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 26 July, 2022 UPSC CNA in Hindi

26 जुलाई 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

  1. भारत की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू :
  2. गिरफ्तारी और जमानत आदेशों पर नवीनतम दिशानिर्देश

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. भारत के अंतरिक्ष उद्योग में निजी क्षेत्र को बढ़ावा:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

राजव्यवस्था:

  1. जमानत के कानून में सुधार,लेकिन पहले निदान:

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण :

  1. जलवायु कार्रवाई से पीछे हटना:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. राजा रवि वर्मा:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. केवल 4 राज्यों ने मॉडल किरायेदारी कानून अपनाया:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारत की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू :

राजव्यवस्था:

विषय: भारतीय संविधान- कार्यपालिका की संरचना, संगठन और कार्यप्रणाली।

मुख्य परीक्षा: भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य।

संदर्भ:

  • सुश्री द्रौपदी मुर्मू ने भारत के 15 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
    • वे देश की सर्वोच्च संवैधानिक पद पर कब्जा करने वाली पहली आदिवासी और दूसरी महिला बनीं हैं।
  • सुश्री मुर्मू 64 साल की सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति बन गई हैं।
  • उन्होंने अपने भाषण में, स्वतंत्रता सेनानियों और स्वतंत्र भारत के नागरिकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सबका प्रयास (सभी का प्रयास) और सबका कर्तव्य (सभी का कर्तव्य) का आह्वान किया हैं।

सारांश:

  • सुश्री मुर्मू को हमारे लोकतंत्र की वास्तविक सफलता के लिए केवल “आदिवासी राष्ट्रपति” के रूप में नहीं, बल्कि भारत के 1.3 बिलियन लोगों के राष्ट्रपति के रूप में देखा जाना चाहिए। इनके इस चुनाव के पीछे के प्रतीकवाद को तभी महसूस किया जा सकता है जब इसे प्रशासन द्वारा नीतियों और कार्यों के साथ आदिवासियों की व्यापक अक्षमता, सभी के लिए न्याय और निष्पक्षता का समर्थन किया जाए।
  • भारत के राष्ट्रपति की शक्तियों और कार्यों के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: President of India

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

भारत के अंतरिक्ष उद्योग में निजी क्षेत्र को बढ़ावा

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण और नई तकनीक विकसित करना।

मुख्य परीक्षा: भारत के अंतरिक्ष उद्योग में निजी क्षेत्र की भूमिका।

संदर्भ:

  • हाल ही में, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नई अंतरिक्ष नीति बनाने का संकेत दिया हैं।

भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास का महत्व:

  • यह अधिक सुरक्षित और प्रभावी साधनों के माध्यम से कनेक्टिविटी को मजबूत करने और जलवायु संबंधी घटनाओं/आपदाओं से लड़ने में सहायता कर सकता है।
  • ज्ञातव्य हैं कि उपग्रह मौसम के पूर्वानुमान की अधिक सटीक और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करते हैं और किसी क्षेत्र की जलवायु और रहने की क्षमता के दीर्घकालिक रुझानों का मूल्यांकन करते हैं।
  • सरकारें इन उपग्रहों द्वारा उपलब्ध कराए गए दीर्घकालिक आंकड़ों के आधार पर किसानों और आश्रित उद्योगों की सहायता के लिए नीतियां और कार्य योजनाएं तैयार कर सकती हैं।
  • वे भूकंप, सुनामी, बाढ़, जंगल की आग, खनन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की सही निगरानी और पूर्व चेतावनी देने जैसे काम करते हैं।
  • सैटेलाइट इमेजरी भूमि उपयोग, भूमि कवर, बस्तियों, सड़क और रेल नेटवर्क के पैटर्न की पहचान करने में मदद करती है।
  • एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली जिसे NavIC- भारतीय नक्षत्र के साथ नौपरिवहन कहा जाता है, को भारतीय क्षेत्र में और भारतीय मुख्य भूमि के आसपास 1500 किमी की स्थिति की जानकारी प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • वास्तविक समय की निगरानी (Real-time tracking) और उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग क्षमता भी रक्षा क्षेत्र के कई उद्देश्यों की पूर्ति कर सकती है।
  • उदाहरण के लिए-कार्टोसैट -2 (Cartosat-2) उपग्रह ने वर्ष 2016 में नियंत्रण रेखा के पार (LoC) की गई ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और वर्ष 2015 में मणिपुर-म्यांमार सीमा पर सैन्य अभियानों को क्रियान्वित करने में मदद की थी।
  • उपग्रह संचार दूरदराज के उन क्षेत्रों को जोड़ सकता है जहां अन्य पारंपरिक साधनों के लिए भारी पूरक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती हैं।
  • विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, उपग्रह संचार दुनिया की 49% असंबद्ध आबादी को जोड़ने में मदद कर सकता है।

एक बाजार के रूप में अंतरिक्ष क्षेत्र:

  • अंतरिक्ष क्षेत्र एयरोस्पेस, आईटी हार्डवेयर और दूरसंचार क्षेत्रों का एकीकरण है।
  • इस प्रकार यह तर्क दिया जाता है कि इस क्षेत्र में निवेश अन्य क्षेत्रों को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा ।
  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उपग्रह संचार निवेश की प्रमुख श्रेणियों में से एक क्षेत्र हैं,चूंकि इनका उपयोग दूरसंचार सेवाओं के सुविधा विस्तार के लिए किया जाता है, इसमें विशाल क्षमता वाले निवेश के कुछ अन्य क्षेत्र जैसे अंतरिक्ष यान और उपकरणों का निर्माण शामिल हैं।

वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत कहां खड़ा है?

  • वर्ष 2021 में, भारत अंतरिक्ष उद्योग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छठे स्थान पर है, जिसमें दुनिया की अंतरिक्ष-तकनीक कंपनियों का 3.6% हिस्सा है।

स्पेस-तकनीकी इकोसिस्टम कंपनियों वाले शीर्ष 05 देश:

  • यू.एस. (56.4%), यूके (6.5%), कनाडा (5.3%), चीन (4.7%) और जर्मनी (4.1%)।
  • भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के वर्ष 2019 में $7 बिलियन से वर्ष 2024 तक $50 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है ।
  • अंतरिक्ष उद्योग में भारत की प्रमुख विशेषता इसकी कम लागत है।
  • भारत पहला देश है जो अपने पहले प्रयास में मंगल की कक्षा में पहुंचा है,जिसकी लागत पश्चिमी मानकों की तुलना में 7.5 करोड़ डॉलर कम है।

 Image Source: Wall street journal

Image Source: Wall street journal

  • वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र की अधिकांश कंपनियां अंतरिक्ष यान उपकरण और उपग्रह संचार के निर्माण में शामिल हैं।
  • केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ कुल 60 स्टार्ट-अप पंजीकृत हैं और उनमें से अधिकांश अंतरिक्ष मलबा प्रबंधन से संबंधित परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।

भारत में निजी क्षेत्र की भागीदारी को कैसे नियंत्रित किया जाता है?

  • वर्ष 2021 में यू.एस. और कनाडा अंतरिक्ष से संबंधित निवेश के उच्चतम प्राप्तकर्ता थे।
  • केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र में कई तरह की सेवाएं प्रदान करने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में अधिक निजी खिलाड़ियों को सहयोग प्रदान करने की घोषणा की है।
  • केंद्र सरकार ने जून 2020 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र ( Indian National Space Promotion and Authorisation Centre (IN-SPACe)) की स्थापना की हैं।
  • न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NewSpace India Limited (NSIL)) को मार्च 2019 में भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और कंपनी अधिनियम 2013 के तहत ISRO की वाणिज्यिक शाखा के रूप में स्थापित गया था।
  • NSIL का मुख्य उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में निजी उद्योग की भागीदारी को बढ़ाना है।
  • एनएसआईएल (NSIL) अंतरिक्ष निर्माण के लिए स्थानीय उद्योग के क्षमता निर्माण पर काम करता है।
  • यह इसरो की मौजूदा वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन से अलग है जो विदेशी ग्राहकों के साथ उपग्रहों और प्रक्षेपण वाहनों के इसरो के वाणिज्यिक सौदे करती है।

निष्कर्ष:

  • अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं और उपग्रह प्रक्षेपणों में निजी कंपनियों को “समान प्लेटफॉर्म” (level playing field) उपलब्ध करवाने के लिए नियामक वातावरण के साथ समय पर सुधार और पूरक नीतियों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

सारांश:

  • माना जाता है कि लंबी अवधि में निजी क्षेत्र की भागीदारी से अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश और विशेषज्ञता बढ़ाने में मदद मिलती है,जो पूंजी प्रधान क्षेत्र है और जिसमे उच्च प्रौद्योगिकी की मांग है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

गिरफ्तारी और जमानत आदेशों पर नवीनतम दिशानिर्देश

राजव्यवस्था:

विषय: भारतीय संविधान-भारतीय संवैधानिक योजना की अन्य देशों के साथ तुलना।

मुख्य परीक्षा : आपराधिक प्रक्रिया कानूनों में सुधार।

संदर्भ:

  • हाल ही में सतेंदर कुमार अंतिल बनाम सीबीआई मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी पर नए दिशा-निर्देश निर्धारित किए ताकि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 41 और 41ए के प्रावधानों के अतिरिक्त अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य, 2014 के मामले में पूर्व में निर्धारित दिशा-निर्देशों का भी सख्ती से पालन किया जा सके।
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी केंद्र सरकार को यूनाइटेड किंगडम के जमानत अधिनियम का हवाला देते हुए देश में जमानत की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक नया कानून बनाने का आग्रह किया हैं।

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 और 41ए क्या हैं?

  • सीआरपीसी (CrPC) की धारा 41 में उन शर्तों का प्रावधान किया गया है जिनमें पुलिस बिना वारंट के किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी कर सकती है।
  • इस धारा के तहत प्रत्येक गैर-गिरफ्तारी और गिरफ्तारी के कारणों को लिखित रूप में दर्ज करना होगा।
  • धारा 41ए के तहत सीआरपीसी (CrPC) द्वारा निर्धारित कुछ शर्तों के तहत गिरफ्तारी से पहले जांच एजेंसियों द्वारा नोटिस भेजा जाना अनिवार्य है।
  • जमानत सुधारों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Guidelines issued by the Supreme court

सारांश:

  • भारत में आपराधिक कानूनों के क्षेत्र में व्यापक सुधार किए जाने चाहिए ताकि सभी को सस्ता और त्वरित न्याय मिल सके और एक जन केंद्रित कानूनी ढांचा तैयार किया जा सके।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

जमानत के कानून में सुधार, लेकिन पहले निदान:

विषय: भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली/सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले।

मुख्य परीक्षा: भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली की चुनौतियां/चिंताएं और सिफारिशें।

पृष्टभूमि:

  • हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम CBI मामले में भारत की जमानत प्रणाली की कमियों को उजागर किया। सुप्रीम कोर्ट ने खेद व्यक्त किया कि जमानत देने के संबंध में व्यापक दिशा-निर्देशों, जैसे कि जमानत आवेदनों के निपटान हेतु समय सीमा निर्धारित करने के बावजूद, इन दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। अदालत ने तर्क दिया कि यह ‘बेगुनाही की धारणा’ और ‘जमानत नहीं जेल’ के सिद्धांत के खिलाफ है।
  • भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली गंभीर चुनौतियों से त्रस्त है। भारत की जेलों की 75% से अधिक कैदी विचाराधीन है, जबकि भारतीय जेलों में भीड़भाड़ 118% है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने जमानत को लेकर नया कानून बनाने का निर्देश दिया है.

चुनौतियां:

  • जमानत के लिए अलग कानून बनाने का कोई भी प्रयास करने से पहले इस समस्या की प्रकृति को समझने की जरूरत है।

मनमानी गिरफ्तारी के खिलाफ सुरक्षा उपायों का अभाव:

  • विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों के लोग जैसे प्रवासी, गरीब, जिनके परिवार नहीं है या जिनके पास कोई संपत्ति नहीं है की गिरफ्तारी के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी है। मनमानी गिरफ्तारी के खिलाफ सुरक्षा उपायों के प्रभावी प्रवर्तन का भी अभाव है।
  • अगर पुलिस के पास ‘गिरफ्तारी का कारण’ हैं तो व्यक्ति की गिरफ्तारी ‘आवश्यक’ के रूप में उचित मानी जाती हैं। साथ ही यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि अदालत में उनकी उपस्थिति वंचित वर्गों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के कारण गिरफ्तारी के उच्च जोखिम में तो नहीं डाल रही है।

जमानत के फैसले के साथ मुद्दा:

  • जमानत देने की शक्ति काफी हद तक अदालत के विवेक पर आधारित है।
  • जमानत आवेदनों पर निर्णय लेने में न्यायालयों द्वारा विवेक के प्रयोग पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट दिशा-निर्देशों के बावजूद, निचली अदालतों द्वारा इन दिशानिर्देशों की अनदेखी जारी है।
  • दिशानिर्देशों में आवेदकों को जमानत पर रिहा करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। हालांकि, अदालतें जमानत देने के लिए शायद ही कभी अपने विवेक का प्रयोग करती हैं तथा आम तौर पर जमानत पर रिहाई के खिलाफ सख्त रुख अपनाती हैं। इसके अलावा, जमानत आवेदनों पर निर्णय लेने में अपराध-आधारित और व्यक्ति-आधारित विचार स्पष्ट नहीं हैं।
  • नतीजतन, कुछ को या तो जमानत से वंचित कर दिया जाता है या उन्हें कठिन शर्तों के साथ जमानत दे दी जाती है। नकद बांड, जमानतदार बांड, संपत्ति के स्वामित्व और ऋण अदायगी क्षमता के प्रमाण की प्रकृति पर आधारित जमानत की शर्तें समाज के वंचित वर्गों पर अधिक बोझ डालती हैं।

जमानत के अनुपालन में चुनौतियां:

  • जमानत की शर्तों का पालन करने में चुनौतियों के कारण जमानत मिलने के बावजूद बड़ी संख्या में विचाराधीन कैदी जेल में हैं।
  • धन/संपत्ति और जमानत की व्यवस्था करने के लिए साधनों की कमी, निवास और पहचान प्रमाण की कमी, जमानत की शर्तों का पालन करने के लिए एक विचाराधीन कैदी की क्षमता को गंभीर रूप से कमजोर करती है।

सारांश:

  • जमानत प्रक्रिया में सुधार और सर्वोच्च न्यायालय की निर्देश के अनुरूप एक नया कानून बनाने की आवश्यकता है। हालांकि किसी भी जमानत कानून के लिए प्रभावी ढंग से राहत प्रदान करने के लिए मौजूदा चुनौतियों का सावधानीपूर्वक पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:

जलवायु कार्रवाई से पीछे हटना:

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन।

मुख्य परीक्षा: विकसित देशों की जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और चिंताओं को दूर करने में विफलता।

पृष्टभूमि:

विफल जलवायु कार्रवाई प्रतिबद्धताएं:

  • ऐसा लगता है कि पश्चिमी देश पेरिस समझौते के तहत किये गए अपने वादे के मुताबिक जलवायु कार्रवाई से मुकर रहे हैं।
    • ऐसा लगता है कि यूरोप के देश कोयले जैसे कार्बन गहन जीवाश्म ईंधन की ओर वापस जा रहे हैं। क्योकि कृषि और उद्योग जैसे क्षेत्रों में उत्सर्जन में कटौती से नागरिकों में नाराजगी बढ़ रही है। उन्हें लगता है कि यह आर्थिक विकास और सम्रद्धि को कमजोर कर सकता है। महामारी के कारण हुए आर्थिक नुकसान के कारण यूरोप में मंदी जैसी स्थिति पैदा हो गई है तथा जलवायु कार्रवाई की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मुश्किल हो रही है।
    • अमेरिका में भी जीवाश्म ईंधन के उपयोग की पुनर्वापसी हो रही हैं। अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाने तथा जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कडे संघर्ष के बीच संतुलन स्थापित करने की जगह, जलवायु सुधार कार्रवाई में कमी कर दी गई है।
  • ऐसा लगता है कि पेरिस समझौते के तहत की गई 2030 तक की प्रतिबद्धताओं को पूरा न करने के उद्देश्य से पेरिस समझौते की पुनर्व्याख्या करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • विकासशील देश वैश्विक निवल शून्य का आह्वान करके साझा लेकिन विभेदित उत्तरदायित्व (CBDR) की अवधारणा से ध्यान हटा रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि विकसित देशों द्वारा शुद्ध शून्य की अवधारणा की गलत व्याख्या करने का एक स्पष्ट प्रयास किया जा रहा है।
  • साथ ही कार्बन उत्सर्जन को जल्द से जल्द बढ़ाने की मांग, पेरिस जलवायु समझौते में निर्धारित प्रावधानों की अनदेखी करती है। इसके परिणामस्वरूप विकासशील देशों पर जल्दी चरम पर पहुंचने का अनुचित दबाव होगा।
  • पेरिस समझौते के अनुच्छेद 4 के अनुसार ‘ग्लोबल पीकिंग’ को परिभाषित निम्न है: “अनुच्छेद 2 में निर्धारित दीर्घकालिक तापमान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, पार्टियों का लक्ष्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के वैश्विक शिखर पर जल्द से जल्द प्राप्त करना है, लेकिन इस पर सहमति होनी चाहिए कि शिखर लक्ष्य प्राप्त करने के लिए विकासशील देशों को अधिक समय लगेगा। ”
  • विकसित देशों ने विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई के लिए 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर जुटाने के अपने वादे को पूरा नहीं किया है। वे विकासशील देशों में कम कार्बन गहन अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के पर्याप्त हस्तांतरण को सुनिश्चित करने में भी विफल रहे हैं।

चिंता:

  • कार्बन गहन विकसित देशों द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा न करने से ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित करने के लक्ष्य को प्राप्त करना लगभग असंभव हो जाएगा।
  • इसके अलावा यदि विकसित देश जलवायु कार्रवाई की अपनी प्रतिबद्धताओं में कमी करते हैं, तो दक्षिणी विश्व को इसकी भरपाई करने के लिए मजबूर किया जा सकता है, जो कि ऐसे देशों के आर्थिक और सामाजिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

सुझाव:

  • विकसित देशों को, उनके ऐतिहासिक उत्सर्जन को देखते हुए, विकासशील देशों की तुलना में शिखर लक्ष्य को पहले प्राप्त करना चाहिए।
  • साथ ही विकासशील देशों को विकसित देशों की तुलना में नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन हासिल करने के लिए अधिक समय दिया जाना चाहिए। वास्तव में विकसित देशों को अपने ऐतिहासिक उत्सर्जन की भरपाई के लिए शुद्ध नकारात्मक कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। सदी के मध्य तक समग्र वैश्विक शुद्ध-शून्य लक्ष्य प्राप्त करने के लिए विकसित देशों को 2050 से पहले शुद्ध शून्य तक पहुंचना चाहिए।

सारांश:

  • पेरिस समझौते के तहत “वैश्विक स्टॉकटेक” का गठन दुनिया की सामूहिक जलवायु कार्रवाई का आकलन करने के लिए 2023 में किया जाएगा। भारत जैसे विकासशील देशों को विकसित दुनिया के देशों को पेरिस जलवायु समझौते के तहत की गई जलवायु कार्रवाई प्रतिबद्धताओं को पूरा न करने के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. राजा रवि वर्मा:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारतीय संस्कृति:

विषय: प्राचीन से आधुनिक काल तक कला रूपों, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू।

प्रसंग:

  • राजा रवि वर्मा के परिजन उनके लिए भारत रत्न चाहते हैं।

राजा रवि वर्मा:

  • राजा रवि वर्मा 19वीं सदी के उत्तरार्ध में एक भारतीय चित्रकार और कलाकार थे।
  • उनकी रचनाएँ विशुद्ध रूप से भारतीय संवेदनशीलता और प्रतीकात्मकता के साथ यूरोपीय अकादमिक कला के मिश्रण के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक हैं।
  • राजा रवि वर्मा का त्रावणकोर शाही परिवार से गहरा नाता था।
  • राजा रवि वर्मा की हिंदू देवताओं के धार्मिक चित्रण एवं पुराणों और भारतीय महाकाव्यों पर बनाये गए चित्रों के कार्यों के लिए प्रशंशा की गई है।
  • उनकी महिला-केंद्रित पेंटिंग उनके भावों और वेशभूषा की विशाल विविधता को चित्रित करती हैं।
  • उनकी कुछ लोकप्रिय रचनाओं में ‘नायर लेडी एडॉर्निंग हर हेयर’, ‘लेडी इन द मूनलाइट’, ‘लेडी विद स्वारबत’, ‘महाराष्ट्रियन लेडी विद फ्रूट्स’ और ‘मालाबार लेडी विद वायलिन’ शामिल हैं।
  • उन्होंने पेंटिंग की मूल शिक्षा मदुरै ली हैं । वर्मा को त्रावणकोर के महाराजा अय्यिलम थिरुनल ने संरक्षण प्रदान किया था।
  • राम स्वामी नायडू ने उन्हें वैट पेंटिंग और ऑइल पेंटिंग डेनिश चित्रकार थियोडोर जेनसन ने सिखाई थी।
  • वर्ष 1894 में, उन्होंने घाटकोपर, मुंबई में एक लिथोग्राफिक प्रिंटिंग प्रेस शुरू की।
  • उनके प्रेस ने मुख्य रूप से महाकाव्यों और पुराणों के दृश्यों में हिंदू देवी-देवताओं के ओलेग्राफ का चित्रण किया है।

सम्मान:

  • वर्ष 1904 में वायसराय लॉर्ड कर्जन ने वर्मा को कैसर-ए-हिंद स्वर्ण पदक प्रदान किया था।
  • वर्ष 2013 में, बुध ग्रह पर क्रेटर वर्मा का नाम उनके सम्मान में रखा गया था।
  • राजा रवि वर्मा पुरस्कार केरल सरकार द्वारा कला और संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्टता दिखाने वाले व्यक्तियों को प्रतिवर्ष दिया जाता है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. केवल 4 राज्यों ने मॉडल किरायेदारी कानून अपनाया:

  • केवल 04 राज्यों ने केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा 2021 में पारित मॉडल किरायेदारी अधिनियम (Model Tenancy Act(MTA)) के अनुरूप अपने किरायेदारी कानूनों को संशोधित किया हैं।
  • एमटीए (MTA) का मुख्य उद्देश्य भूमि/मकान मालिकों और किरायेदारों के अधिकारों को संतुलित करना है।
  • MTA पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: MTA

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. लिथियम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)

  1. इसे पृथ्वी की सबसे हल्की या सबसे कम सघन धातु माना जाता है।
  2. यह अत्यधिक प्रतिक्रियाशील और ज्वलनशील है तथा इसे निर्वात, निष्क्रिय वातावरण या अक्रिय तरल जैसे शुद्ध मिट्टी के तेल या खनिज तेल में संग्रहित किया जाना चाहिए।
  3. लीथियम साल्ट बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी मानसिक बीमारी के इलाज में मूड स्टेबलाइजर और एंटीडिप्रेसेंट के रूप में उपयोगी होती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: सामान्य परिस्थितियों में, लिथियम सबसे कम सघन धातु और सबसे कम घना ठोस तत्व है।
  • कथन 2 सही है: सभी क्षार धातुओं की तरह, लिथियम अत्यधिक ज्वलनशील और प्रतिक्रियाशील है इसलिए इसे निर्वात, निष्क्रिय वातावरण या निष्क्रिय तरल में संग्रहित किया जाना चाहिए। नम हवा धातु को जल्दी से नष्ट कर देती है।
  • कथन 03 सही है: लिथियम जैविक प्रणालियों में चिह्नित मात्रा ( trace quantities) में मौजूद होता है।
  • कुछ लिथियम साल्ट का उपयोग मनोरोग दवाओं के रूप में किया जाता है, मुख्य रूप से बाइपोलर डिसऑर्डर और अन्य प्रमुख अवसादग्रस्तता समस्याओं के लिए जिनमे सामान्य अवसादरोधी दवाओं के उपयोग के बाद सुधार नहीं दिखाई देता हैं। लिथियम को मौखिक रूप से लिया जाता है।

प्रश्न 2. बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर- मध्यम)

  1. 14 साल से कम उम्र के बच्चों को 18 व्यवसायों और 65 प्रक्रियाओं को छोड़कर बाकी व्यवसायों में काम करने की अनुमति होगी।
  2. 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को पारिवारिक व्यवसाय/उद्यमों में काम करने की अनुमति केवल तभी दी जाएगी यदि वहां जोखिम न हो ।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 , न हीं 2

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: वर्ष 2016 का संशोधन 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सभी व्यवसायों और प्रक्रियाओं में काम/रोजगार पर रोक लगाता है।
  • कथन 2 सही है: स्वास्थ्य की रक्षा और बच्चों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए बच्चे अपने पारिवारिक व्यवसाय में तभी काम कर सकते हैं जब यह उनके लिए सुरक्षित हो। पहले इन्हें खतरनाक और गैर-खतरनाक काम की अनुमति दी गई थी।
  • बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Child Labour (Prohibition and Regulation) Amendment Act, 2016

प्रश्न 3. निम्नलिखित में से किसे आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों को भारत में व्यावसायिक खेती के लिए अनुमोदित किया गया है? (स्तर- सरल)

  1. बैंगन
  2. कपास
  3. सुनहरा चावल (गोल्डन राइस)
  4. सोयाबीन

विकल्प:

(a) केवल 1 और 3

(b) केवल 2

(c) केवल 1, 2 और 3

(d) केवल 3 और 4

उत्तर: b

व्याख्या:

  • भारत सरकार ने व्यावसायिक खेती के लिए किसी भी आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) खाद्य फसल को मंजूरी नहीं दी है। इसलिए, विकल्प 1,2 और 3 गलत हैं।
  • हालांकि, कम से कम 20 जीएम फसलों के लिए सीमित क्षेत्र परीक्षण की अनुमति दी गई है।
  • विकल्प 2 सही है: बीटी कपास (Bt cotton) भारत में व्यावसायिक खेती के लिए स्वीकृत एकमात्र जीएम फसल है।
  • सरकारी प्रतिबंध के बावजूद बीटी बैंगन (Bt Brinjal) और एचटीबीटी कपास (HtBt Cotton) पहले से ही बिना किसी प्राधिकरण के व्यावसायिक रूप से उगाए जा रहे हैं।

प्रश्न 4. निम्नलिखित द्वीपों को उत्तर से दक्षिण की ओर व्यवस्थित कीजिए: (स्तर-कठिन)

  1. स्मिथ द्वीप (Smith Island)
  2. लोंग द्वीप (Long Island)
  3. हैवलॉक द्वीप (Havelock Island)
  4. रटलैंड द्वीप (Rutland Island)

विकल्प:

(a) 1-2-3-4

(b) 2-3-4-1

(c) 3-4-1-2

(d) 4-1-2-3

उत्तर: a

व्याख्या:

Image source: Go2andaman.com

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प्रश्न 5. क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) के प्रस्तावों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (स्तर- मध्यम)

  1. संविधान सभा में प्रांतीय विधानसभाओं के साथ-साथ रियासतों द्वारा नामित सदस्य होंगे।
  2. नए संविधान को स्वीकार करने के लिए जो भी प्रांत तैयार नहीं होगा, उसे यह अधिकार होगा कि अपनी भावी स्थिति के संबंध में ब्रिटेन के साथ एक अलग संधि पर हस्ताक्षर करे।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: देश के लिए एक नया संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा (Constituent Assembly) का गठन किया जाएगा। इस विधानसभा में प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा चुने गए सदस्य और राजकुमारों द्वारा मनोनीत सदस्य भी होंगे।
  • कथन 2 सही है: कोई भी प्रांत जो भारतीय प्रभुत्व में शामिल होने के लिए तैयार नहीं है, एक अलग संघ और अलग संविधान बना सकता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. भारत के राष्ट्रपति की कार्यकारी एवं विधायी शक्तियों और उनके कार्यों का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) जीएस II (राजव्यवस्था)

प्रश्न 2. एक मजबूत अंतरिक्ष क्षेत्र समग्र विकास में किस प्रकार योगदान देता है? निजी कंपनियों को भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश करने के लिए क्यों प्रोत्साहित किया जा रहा है? विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)