29 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: भारतीय समाज:
B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: सामाजिक न्याय:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
आधार-वोटर आईडी को लिंक करना:
राजव्यवस्था:
विषय: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of People’s Act)
मुख्य परीक्षा: भारत में निर्वाचन संबंधी सुधार।
संदर्भ:
- हाल ही में चुनाव आयोग द्वारा वोटर आईडी और आधार कार्ड को आपस में जोड़ने को बढ़ावा देने के लिए एक अभियान शुरू किया हैं।
परिचय:
- हाल ही में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और चुनाव आयोग (Election commission’s (EC)) के अभियान में किये गए संशोधनों के बाद, विभिन्न प्रकार की ऑनलाइन रिपोर्टें सामने आई हैं, जिनमे ब्लॉक स्तर के अधिकारियों ने सभी व्यक्तियों से उनके आधार कार्ड को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने के लिए कहा है, और यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनके मतदाता पहचान पत्र को रद्द कर दिया जाएगा।
- इस अभियान के शुरूआती दिनों में लगभग 2.5 करोड़ आधार कार्ड धारकों ने स्वेच्छा से अपना विवरण चुनाव आयोग को सौंप दिया था।
क्या आधार कार्ड को वोटर आईडी से लिंक करना अनिवार्य है?
- चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक,2021 (Election Laws (Amendment) Bill, 2021) संसद में पारित किया गया था,जिसमें मतदाता सूची डेटा (electoral roll data) को आधार से जोड़ने का प्रावधान था।
- इस विधेयक द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के कुछ प्रावधानों में संशोधन किया गया।
- इस संशोधन के तहत लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (Representation of the People Act, 1950) में धारा 23(4) को शामिल किया गया था। जिसके तहत निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी को नामांकित नागरिकों से उनके आधार नंबर मांगने के लिए अधिकृत किया गया है।
- यह संशोधन विभिन्न स्थानों पर एक ही व्यक्ति के एक से अधिक नामांकन की समस्या ख़त्म करने के लिए किया गया है।
- इस संशोधन के तहत जून 2022 में, सरकार ने निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 में परिवर्तनों को अधिसूचित किया था।
- किये गए संशोधनों में सरकार और चुनाव आयोग दोनों ने आश्वासन दिया है कि आधार को वोटर आईडी से लिंक करना वैकल्पिक है।
- नए नियम 26बी के तहत जारी किये गए फॉर्म 6बी में निहित अस्पष्टताओं ने किसी व्यक्ति कि पसंद (वैकल्पिक) के उस तत्व को नकार दिया है जिसे इन संशोधनों में शामिल किया गया था।
इसकेपक्ष में तर्क:
- मतदाताओं का एक से अधिक स्थानों पर मतदाता सूची में नाम का दोहराव समाप्त होगा, जैसे प्रवासी श्रमिक जो विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में एक से अधिक बार पंजीकृत होते हैं या एक ही निर्वाचन क्षेत्र में उनका कई बार पंजीकरण हो जाता हैं आदि को रोकने के लिए यह अभियान चलाया गया हैं।
- दोनों कार्ड जुड़ जाने से फर्जी वोटर आईडी को हटाने में मदद मिलेगी।
- इससे चुनाव और मतदान में पारदर्शिता आएगी। साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि देश में असली वोटर कितने हैं।
- आधार कार्ड में बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का उपयोग किया जाता है।
- आधार आधारित प्रमाणीकरण और सत्यापन को अन्य आईडी की तुलना में अधिक विश्वसनीय, तेज और लागत प्रभावी माना जाता है। वर्ष 2021 के अंत में, 99.7% वयस्क भारतीय आबादी के पास आधार कार्ड था।
- इससे भारत के हर नागरिक को केवल एक मतदाता पहचान पत्र ही जारी किया जा सकेगा।
आधार को वोटर आईडी से अनिवार्य रूप से लिंक करना मुद्दा क्यों है?
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पुट्टस्वामी फैसले में इस बात की जांच पड़ताल कि की आधार को बैंक खातों से जोड़ना अनिवार्य हैं या नहीं।
- आधार को बैंक खातों से अनिवार्य रूप से जोड़ने के मामले में न्यायालय ने अपने पर्यवेक्षण के दौरान यह पाया कि एक व्यक्ति द्वारा आधार को वोटर आईडी से अनिवार्य रूप से लिंक नहीं किये जाने पर संपत्ति के अधिकार से वंचित करना आनुपातिकता की कसौटी (test of proportionality) पर खरा नहीं उतरता हैं।
- इसमें भले ही सत्यापन और प्रमाणीकरण के अन्य साधनों की अनुमति हो, लेकिन आधार के व्यापक कवरेज को देखते हुए यदि मतदाता सत्यापन के मामले में किसी व्यक्ति के पास आधार कार्ड नहीं है, तो वर्तमान संशोधन एवं अभियान के नियम,प्रभावी रूप से आधार कार्ड को वोटर आईडी से लिंक करने के कार्य को अनिवार्य बना देते हैं।
- इस संदर्भ में, इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या आधार कार्ड धारक को प्रमाणीकरण या सत्यापन के लिए अनिवार्य रूप से आधार प्रस्तुत करने की आवश्यकता को उनकी सूचनात्मक स्वायत्तता (निजता के अधिकार) का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।जो उन्हें यह तय करने की अनुमति देती हैं कि वे सत्यापन और प्रमाणीकरण के लिए किस आधिकारिक दस्तावेज का उपयोग करना चाहते हैं।
- लाल बाबू हुसैन मामले, 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि वोट के अधिकार को केवल पहचान के चार प्रमाणों पर जोर देकर अस्वीकार नहीं किया जा सकता है – मतदाता पहचान के किसी अन्य प्रमाण पर भरोसा कर सकते हैं और वोट का अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।
इस अभियान के परिचालन संबंधी कठिनाइयाँ क्या हैं?
- आधार के खिलाफ मतदाता पहचान सत्यापित करने से केवल मतदाताओं के दोहराव/फर्जी वोटर आईडी को हटाने में मदद मिलेगी,लेकिन इससे उन मतदाताओं को नहीं हटाया जाएगा जो मतदाता सूची में भारत के नागरिक नहीं हैं क्योंकि आधार केवल निवास का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं।
- बायोमेट्रिक-आधारित प्रमाणीकरण में त्रुटि का अनुमान व्यापक रूप से भिन्न है।
- यूआईडीएआई (UIDAI) के अनुसार, आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण में त्रुटि दर 12% है।
- वर्ष 2015 में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इसी तरह का अभ्यास शरू किया गया था, जिसके कारण बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के कारण लगभग 30 लाख मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर दिया गया। तब सुप्रीम कोर्ट ने आधार एवं वोटर आईडी को लिंक की प्रक्रिया को रोक दिया था।
- इससे आधार की “जनसांख्यिकीय” जानकारी को मतदाता पहचान पत्र की जानकारी के साथ जोड़ा जा सकता है, और निगरानी उपायों के माध्यम से राज्य द्वारा निजता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।
भावी कदम:
- इस अभियान को निजता के अधिकार का उल्लंघन बता कर सम्बंधित संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई है।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह रिट दिल्ली हाई कोर्ट को ट्रांसफर कर दी है।
- सरकार को फॉर्म 6बी में सुधार कर यह स्पष्ट करना चाहिए कि लिंक करना अनिवार्य नहीं है।
- प्रमाणीकरण डेटा का उपयोग कैसे किया जाएगा, इसे विनियमित करने के लिए लागू करने योग्य डेटा सुरक्षा कानून (Enforceable data protection legislation) बनाया जाना चाहिए।
- आधार-वोटर आईडी लिंक के सम्बन्ध में पक्ष और विपक्ष में दिए गए तर्कों के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Arguments for and against Aadhar-Voter ID linking
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजनीतिक दलों द्वारा दिए जाने वाले मुफ्त उपहार (Freebies):
राजव्यवस्था:
विषय: न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य प्रणाली।
मुख्य परीक्षा: भारत की चुनावी राजनीति में मुफ्त उपहार के मुद्दे।
संदर्भ:
- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव पूर्व किए गए वादों के मुद्दे पर दायर कई याचिकाओं को तीन-न्यायाधीशों की बेंच को भेजा हैं।
परिचय:
- सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की बेंच को याचिकाओं की एक श्रृंखला भेजी हैं,जिसमे न्यायिक निर्देश की मांग की गई है कि जो राजनीतिक दल मुफ्त उपहारों वाले “वेबकूफी भरे” वादे करते हैं, उन्हें अपने चुनावी घोषणापत्र में भी यह भी दिखाना चाहिए कि उन्हें इन का भुगतान करने के लिए पैसा कहां से मिलेगा।
- यह संदर्भ वर्ष 2013 के एस. सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु के फैसले में अदालत के अपने रुख में किया गया एक बदलाव है।
एस सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु, 2013:
- वर्ष 2011 में, तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के दौरान, प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में तर्कहीन तरीके से मुफ्त उपहार देने का वादा किया था।
- तमिलनाडु के निवासी श्री बालाजी ने इन योजनाओं को चुनौती दी क्योंकि राज्य द्वारा राजकोष से किया जाने वाला खर्च “अनधिकृत, अनुमेय और संवैधानिक आदेशों का उल्लंघन हैं, क्योंकि पैसा केवल राज्य के संचित कोष से “सार्वजनिक उद्देश्यों” के लिए निकाला जा सकता है।
- साथ ही, केवल एक निश्चित वर्ग के लोगों के बीच इस प्रकार के माल का वितरण संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
- तमिलनाडु ने तर्क दिया है कि राजनीतिक दल राज्य नहीं हैं और ‘मुफ्त उपहार’ की कोई कानूनी स्थिति नहीं है।
- इन सबके बावजूद राज्य अपने चुनावी वादों में लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए इन्हे राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के तहत एक दायित्व के रूप में लागू कर रहे हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा हैं कि केवल एक व्यक्तिगत उम्मीदवार(उसकी सम्पूर्ण पार्टी नहीं) मुफ्त उपहार का वादा करके जन प्रतिनिधित्व (आरपी) अधिनियम की धारा 123 के तहत ‘भ्रष्ट आचरण’ करता है।
- किसी राजनीतिक दल का घोषणापत्र उसकी नीति का दस्तावेज होता है।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 ‘भ्रष्ट प्रथाओं’ से संबंधित है- जिसके तहत यह प्रावधान है कि यदि किसी उम्मीदवार या उसके एजेंट द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं को कोई उपहार, प्रस्ताव या संतुष्टि का वादा किया जाता है तो इसे रिश्वत’ और ‘भ्रष्ट आचरण’ माना जायगा।
- हालांकि, अदालत ने माना कि मुफ्त उपहार के कारण “असमानता बढ़ती हैं,अतः अदालत ने चुनाव आयोग को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के परामर्श से इसके लिए दिशानिर्देश तैयार करने और इसे आदर्श आचार संहिता का हिस्सा बनाने का निर्देश दिया हैं।
कोर्ट का बालाजी के फैसले की समीक्षा के कदम का महत्व:
- न्यायालय इस बात से चिंतित है कि चुनाव जीतने के लिए मुफ्त उपहार के वादे राज्य की वित्त व्यवस्था को खराब कर सकते है और इससे ऐसी स्थिति पैदा होगी कि सरकार धन की कमी के कारण बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं कर पायेगी और यह राज्य को दिवालिएपन की ओर धकेल देगा।
- सुप्रीम कोर्ट इस बात की जांच कर रहा है कि क्या पूरी तरह से मुफ्त देने का वादा करने वाले राजनीतिक कृत्य न्यायिक मानकों के आधार पर निर्धारित किये जा सकते है।
सारांश:
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- भारत की चुनावी राजनीति में मुफ्त उपहारों के मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Issue of Freebies in India’s Electoral politics
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
फ्रंटियर नागालैंड:
भारतीय समाज:
विषय: संघवाद और क्षेत्रवाद
मुख्य परीक्षा:अल्प विकास एवं अलग राज्य की मांग
संदर्भ:
- पूर्वी नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (Eastern Nagaland People’s Organisation (ENPO)) ने 2023 के विधानसभा चुनावों का तब तक बहिष्कार करने की धमकी दी है, जब तक कि नागालैंड से अलग राज्य बनाने की उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती हैं।
पूर्वी नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन “फ्रंटियर नागालैंड” की मांग क्यों कर रहा है?
- पूर्वी नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन नागालैंड के 16 में से छह जिलों में रहने वाले सात आदिवासी संगठनों का शीर्ष निकाय है।
- इन छह जिलों में नागालैंड की 60 विधानसभा सीटों में से कुल 20 सीटें हैं।
- इस तरह की मांग का कारण पूर्वी नागालैंड में लोगों का विकास और कल्याण है, जो लगातार सरकारों की लापरवाही के कारण रुका हुआ है।
- नागालैंड में 16 जनजातियां हैं। इनमें से चार प्रमुख जनजातियाँ हैं: आओका 70 प्रतिशत सरकारी नौकरियों और सेवाओं पर कब्जा है,और धनी लोथा, सीमा और अंगामी जनजातियाँ भी हैं।
- पूर्वी नागालैंड में ईएनपीओ के तहत छह जनजातियां हैं, जो भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित हैं, संचार से रहित हैं, नागालैंड की उन उन्नत जनजातियों की तुलना में ये आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी हुई हैं।
- पूर्वी नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन “नागा राजनीतिक मुद्दे” (“Naga political issue”) पर एक समझौते करने में देरी के मद्देनजर फ्रंटियर नागालैंड की मंजूरी और घोषणा की मांग कर रहा है।
अलग राज्य के रूप में ENPO द्वारा मांगा गया क्षेत्र:
Image Source: Northeast now
भावी कदम:
- उनकी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और क्षेत्रीय सीमा को ध्यान में रखते हुए, राज्य और केंद्र सरकार दोनों को सामाजिक और राजनीतिक सद्भाव, आर्थिक समृद्धि, और सभी जनजातियों और राज्यों के नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा की व्यवस्था के लिए जनजातियों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
- विकास और शासन के अभाव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित किया जाना चाहिए।
- शासन को सुविधाजनक बनाने और बड़ी विकास परियोजनाओं को शुरू करने के लिए जनजातीय प्रमुखों के बीच शक्तियों का विकेंद्रीकरण किया जाना चाहिए।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
लैंगिक समानता के लिए जापान का निरंतर संघर्ष:
सामाजिक न्याय:
विषय: विषय: महिलाओं से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: लैंगिक समानता।
प्रारम्भिक परीक्षा: ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट।
विवरण:
- हाल के आंकड़ों के अनुसार, जापान ने 2021 में केवल आठ लाख के आसपास सबसे कम कुल जन्म दर दर्ज की गई।
- विश्व आर्थिक मंच के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2022 में जापान ने 146 में से 116 रैंक के साथ सबसे कम स्कोर किया।
निम्नतम रैंक के कारण:
- नेतृत्व की भूमिका में महिलाएं:
- जेंडर गैप इंडेक्स में जापान के खराब प्रदर्शन का प्रमुख कारण राजनीति और नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं की अपर्याप्त हिस्सेदरी है।
- जापान वरिष्ठ अधिकारियों , प्रबंधकों और संसद में महिलाओं की भागीदारी के लिहाज से 130 से भी निचले स्थान पर है।
- जापान में महिलाओं के पास संसदीय सीटों का केवल 10% (अप्रैल 2022 तक) ही है, जबकि अन्य G7 देशों में लगभग 30% या उससे अधिक है।
- इसके अलावा, देश में पिछले पांच दशकों में राज्य की कोई महिला मुखिया नहीं रही है।
- साथ ही, संसद सहित विभिन्न संस्थानों/संगठनों में लिंगवाद को लेकर विवाद बहुत आम है। उदाहरण के लिए:
- 2021 में एक पूर्व प्रधान मंत्री को संसद में महिलाओं की भागीदारी पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी के लिए वैश्विक विरोध का सामना करना पड़ा।
- इसके अलावा, विभिन्न राजनीतिक भाषणों में महिलाओं को जन्म देने वाली मशीन (और अक्सर कम से कम तीन बच्चे पैदा करने के लिए कहा जाता है) कहा जाता है। हालांकि इन बयानों का बाद में सार्वजनिक रूप से विरोध हुआ लेकिन ये सामान्य रूप से महिलाओं के प्रति प्रतिगामी मानसिकता को दर्शाते हैं।
- मेडिकल स्कूलों में महिला छात्रों के अंकों में हेराफेरी और लिंग के आधार पर उन्हें दंडित करने के भी उदाहरण सामने आए हैँ। वे यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि नामांकित छात्रों में से 70% छात्र ऐसे पुरुष हैं जो अक्सर इस चिंता का हवाला देते हुए देखे जाते हैं कि महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण बाद में चिकित्सा पेशा छोड़ देती हैं।
- सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंड:
- जापानी समाज बहुत मजबूत लिंग मानदंडों पर निर्भर करता है। पत्नियों को अभी भी आमतौर पर ‘कनाई’ कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ घर के अंदर रहने वाला होता है और और एक कार्यालय कर्मचारी को वेतनभोगी कहा जाता है, जो एक लिंग शब्द का अर्थ है।
- ये मानदंड विवाहित महिलाओं के मजबूत करियर विकास को मुश्किल बनाते हैं क्योंकि वे प्राथमिक देखभालकर्ता हैं।
- सिर्फ 8%महिलाएं कंपनी प्रमुख के रूप में कार्यरत हैँ क्योंकि महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए अनुपयुक्त माना जाता है । जापानी महिलाएं पुरुषों की तुलना में केवल 57% कमाती हैं, इस प्रकार OECD देशों में मजदूरी असमानताएं बहुत अधिक है।
लैंगिक असमानता के परिणाम:
- विवाह की दर में तीव्र गिरावट आई है, जो 1970 के बाद से 50 प्रतिशत तक गिर गई है।
- 2021 में प्रजनन दर घटकर प्रति महिला 1.3 बच्चे रह गई है।
- मातृत्व और देखभाल की उच्च लागत के परिणामस्वरूप जापानी महिलाएं शादी और बच्चे पैदा करने को एक बोझ के रूप में मान रही हैं।इस कारण जापान की लंबे समय से स्थिर अर्थव्यवस्था अस्थिर हो गई है क्योंकि कम विवाह दर के कारण खपत और निवेश में गिरावट आई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सिंगल लोग संयुक्त घरों की तुलना में कम खपत और निवेश करते हैं।
- इसके अलावा, एक घटती जन्म दर का अर्थ है किसी देश के भविष्य के कर्मचारियों की संख्या में गिरावट और सरकारी खजाने पर बढ़ती उम्र की आबादी की पेंशन का बोझ।
- लैंगिक वेतन अंतर घरेलू मांग को भी प्रभावित कर देता है जिससे लगभग आधी आबादी अल्प मजदूरी और अस्थायी नौकरियों पर निर्भर हो जाती है।
भावी कदम:
- जापान के पूर्व प्रधान मंत्री ने बिगड़ती अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए ‘महिला विज्ञान’ पर जोर दिया।
- यह एक प्रमुख नीतिगत उपाय था, जिसका उद्देश्य महिला श्रम भागीदारी दर को बढ़ावा देना और नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी को 2030 तक 30% तक बढ़ाना है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:
मोबाइल बैंकिंग के लिए साइबर खतरा:
विज्ञान और प्रौद्योगिकी:
विषय :विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास, अनुप्रयोग और दैनिक जीवन में उनका प्रभाव।
मुख्य परीक्षा:साइबर सुरक्षा।
संदर्भ:
- मोबाइल बैंकिंग पर साइबर हमले के बढ़ते मामले।
विवरण:
- 25 राज्यों पर किए गए स्टेटिस्टा सर्वेक्षण 2020 के अनुसार, पांच हजार घरों में से दो-तिहाई ने स्मार्टफोन के मालिक होने की सूचना दी। इनमें से आधे ने कहा कि उन्होंने डिजिटल रूप से लेन-देन किया। लगभग 31 प्रतिशत के पास मोबाइल बैंकिंग ऐप था। लगभग 14% ने कहा कि उन्होंने अपने मोबाइल फोन का उपयोग बैंकिंग उद्देश्यों के लिए किया है।
- कोविड-19 महामारी के कारण यह संख्या और बढ़ गई।
- भुगतान में सुविधा और गति के लाभों ने भी इस प्रवृत्ति को तेज करने में भूमिका निभाई। हालाँकि इससे मोबाइल उपकरणों की भेद्यता का खतरा भी बढ़ गया है।
2020 में डिजिटल भुगतान का उपयोग करने वाले भारतीय परिवारों का हिस्सा
स्रोत: Statista
संबंधित खतरे:
- वैश्विक साइबर सुरक्षा फर्म कैसपर्स की ने एशिया प्रशांत (APAC) में स्मार्टफोन पर बढ़ते साइबर हमले के बारे में चेतावनी दी है क्योंकि इस क्षेत्र में अधिक लोग मोबाइल बैंकिंग को अपना रहे हैं। APAC क्षेत्र में लगभग आधा मिलियन हमले हुए।
- कैसपर्स की के वरिष्ठ मैलवेयर शोधकर्ता के अनुसार, मोबाइल बैंकिंग ट्रोजन खतरनाक मैलवेयर हैं जिसके माध्यम से दुर्भावनापूर्ण एप्लिकेशन को वैध रूप में छिपाया और अनजान मोबाइल उपयोगकर्ताओं को इसे स्थापित करने के लिए उकसा कर उसके खाते से पैसे चुराए जा सकते हैं।
- एक ट्रोजन दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर या कोड है जो वैध लगता है लेकिन यह मेजबान उपकरण को नियंत्रित कर सकता है।
- ट्रोजन के कुछ उदाहरण हैं:
- Anubis 2017 से Android ऑपरेटरों को लक्षित कर रहा है। यह Google Play पर उच्च-रैंकिंग और वैध दिखने वाले दोषपूर्ण ऐप्स के माध्यम से मोबाइल को संक्रमित करता है।
- रोमिंग मेंटिस मोबाइल बैंकिंग उपयोगकर्ताओं को लक्षित करता है और स्मिशिंग कारनामों के माध्यम से डोमेन नेम सिस्टम (DNS) को हाईजैक करके दोषपूर्ण कोड फैलाता है। स्मिशिंग का अर्थ है SMS के माध्यम से भेजे गए फ़िशिंग संदेश।
- विभिन्न प्लेटफार्मों की अंतःक्रियाशीलता समस्याओं को और बढ़ा देती है।
- अपर्याप्त साइबर सुरक्षा और बैंकों में मानव प्रतिभा की कमी के कारण स्मार्टफोन पर साइबर हमले की संख्या बढ़ सकती है।
- बैंकों में इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और डेटा सुरक्षा विशेषज्ञों की कमी समस्या को और बढ़ा देती है।
भावी कदम:
- व्यावसायिक लेन-देन के लिए मोबाइल फोन का उपयोग करते समय बेहद सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है।
- उपयोगकर्ताओं को रीबूटिंग और नियमित फोन अपडेट जैसी सामान्य डिजिटल स्वच्छता का भी नियमित रूप से पालन करना चाहिए।
- उपभोक्ताओं को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वे मोबाइल बैंकिंग का उपयोग तभी करें जब डिवाइस एक सुरक्षित VPN से जुड़ा हो।
- IOS 16 उपयोगकर्ता डिवाइस की कार्यक्षमता को प्रतिबंधित करने और इसे किसी भी संभावित मैलवेयर हमलों से सुरक्षित करने के लिए ‘लॉकडाउन मोड’ पर स्विच कर सकते हैं।
- विशेषज्ञों और बैंक पेशेवरों को नियोजित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल रखने के लिए कार्यबल का उपयुक्त कौशल,अप-स्किलिंग होनी चाहिए।
- साइबर सुरक्षा के बारे में अधिक जानकारी के लिए, https://byjus.com/free-ias-prep/cyber-security/https://byjus.com/free-ias-prep/cyber-security/https://byjus.com/free-ias-prep/cyber-security.
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. आर्टेमिस 1:
विषय: अंतरिक्ष कार्यक्रमों में जागरूकता।
प्रारंभिक परीक्षा: चंद्र अन्वेषण।
संदर्भ:
- हाल ही में,नासा (NASA) ने संयुक्त राज्य अमेरिका के फ्लोरिडा में कैनेडी स्पेस सेंटर में परीक्षण के लिए अपने आर्टेमिस I चंद्रमा मिशन को लॉन्चपैड पर उतारा है।
आर्टेमिस I:
- आर्टेमिस I जटिल मिशनों की श्रृंखला में पहला मिशन है जो चंद्रमा और मंगल पर मानव अन्वेषण को सक्षम बनाएगा।
- आर्टेमिस I का प्राथमिक लक्ष्य एक अंतरिक्ष यान के वातावरण में ओरियन अंतरिक्ष यान (Orion spacecraft) प्रणालियों का प्रदर्शन करना और आर्टेमिस II के चालक दल की पहली उड़ान से पहले एक सुरक्षित पुन: प्रवेश, स्पलैशडाउन (पैराशूट की सहायता से समुद्र में लौटने वाले अंतरिक्ष यान का उतरना) और पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करना हैं।
- आर्टेमिस मिशन के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Artemis Mission
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. स्वाइन फ्लू:
- मध्य प्रदेश के रीवा में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से पिछले 15 दिनों में 2,000 से ज्यादा सूअरों की मौत हो चुकी है।
- प्रशासन ने संक्रमण और संक्रामक पशु रोग अधिनियम 2009 की रोकथाम एवं नियंत्रण तथा आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत सूअर और उनके मांस के परिवहन, खरीद और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं।
- स्वाइन फ्लू पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Swine Flu
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सा एक भारत द्वारा अमेरिका के साथ आयोजित संयुक्त सैन्य अभ्यास नहीं है? (स्तर-मध्यम)
(a) वज्र प्रहार
(b) हैंड इन हैंड
(c) युद्ध अभ्यास
(d) कोप इंडिया
उत्तर: b
व्याख्या:
- यह भारत और चीन का संयुक्त सैन्य अभ्यास है।
- यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच होता है।
- इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं के बीच अंतर-संचालन को बढ़ाना है।
- भारतीय सेना के संयुक्त सैन्य अभ्यास की सूची के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:List of Joint Military Exercise of the Indian Army
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सा जानवर काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में प्राकृतिक रूप से नहीं पाया जाता है? (स्तर-कठिन)
(a) पश्चिमी हूलॉक गिब्बन (Western Hoolock gibbon)
(b) भारतीय काकड़ (Indian Muntjac)
(c) गोल्डन लंगूर (Golden Langur)
(d) शेर के मुँह जैसा बन्दर-मकाक (Lion-tailed Macaque)
उत्तर: d
व्याख्या:
- शेर के मुंह जैसा बन्दर-मकाक ( Lion Tailed Macaque-मकाका सिलेनस) पुरानी दुनिया का बन्दर (Old World monkey) है,जो दक्षिण भारत के पश्चिमी घाटों में पाया जाता है।
- यह पर्वतों पर कुशलता से चढ़ने वाला जानवर हैं, जो अपना अधिकांश समय उष्णकटिबंधीय वर्षावन के ऊपरी समतल भाग में बिताता है। इसके आवासों में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के वर्षावन क्षेत्र शामिल हैं।
प्रश्न 3. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के कामकाज के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है? (स्तर-मध्यम)
- केंद्र शासित प्रदेशों के दायरे से बाहर सीबीआई की जांच का दायरा बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की सहमति आवश्यक है।
- सहमति दो प्रकार की होती है- सामान्य सहमति और विशिष्ट सहमति।
- जब सामान्य सहमति वापस ले ली जाती है, तो सीबीआई को संबंधित राज्य सरकार से जांच के लिए केस के अनुसार सहमति लेने की आवश्यकता होती है।
विकल्प:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: 1946 के विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम के अनुसार सीबीआई (CBI) को सम्बंधित राज्य में किसी भी अपराध की जांच के लिए उस राज्य सरकार की सहमति लेना जरुरी है।
- कथन 2 सही है: राज्य सरकार की सहमति या तो सामान्य (general consent) या केस-विशिष्ट में ली जा सकती है। राज्य अपने क्षेत्र में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की एक त्रुटिहीन सीबीआई जांच के लिए अपनी आम सहमति प्रदान करता है।
- कथन 3 सही है: सामान्य सहमति वापस लेने के बाद सीबीआई राज्य की अनुमति के बिना किसी भी केंद्र सरकार के कर्मचारी या निजी व्यक्ति के खिलाफ कोई भी नया मामला दर्ज नहीं कर सकती हैं। सीबीआई को प्रत्येक कार्रवाई, यहां तक कि छोटी से छोटी कार्रवाई करने से पहले राज्य सरकार से केस-विशिष्ट सहमति मांगनी चाहिए।
प्रश्न 4. स्टीफ़न क्विंटेट(Stephan’s Quintet) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (स्तर-कठिन)
- यह अब तक खोजा गया पहला कॉम्पैक्ट आकाशगंगा समूह है।
- यह पेगासस तारा मंडल में दिखाई देता है।
- इसे हाल ही में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप द्वारा खोजा गया था।
विकल्प:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: a
व्याख्या:
- स्टीफ़न क्विंटेट(Stephan’s Quintet) पाँच आकाशगंगाओं का एक दृश्य समूह है, जिनमें से चार अब तक खोजे गए पहले कॉम्पैक्ट आकाशगंगा समूह का निर्माण करते हैं।
- यह समूह पेगासस तारा मंडल में दिखाई देता है।
- इसकी खोज एडौर्ड स्टीफ़न ने 1877 में मार्सिले वेधशाला में की थी।
- इस समूह का सभी कॉम्पैक्ट आकाशगंगा समूहों में सबसे अधिक अध्ययन किया गया है।
प्रश्न 5. धारणीय तकनीक के संदर्भ में, निम्न में से कार्य धारणीय उपकरणों द्वारा पूर्ण किया जाता है? (सीएसई प्रीलिम्स-2019) (स्तर-मध्यम)
- किसी व्यक्ति की स्थान पहचान करना।
- किसी व्यक्ति की नींद की निगरानी करना।
- बेहरे व्यक्ति की सहायता करना।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- धारणीय तकनीक में हमारे फिटनेस स्तर की निगरानी के लिए फिटनेस ट्रैकर, स्मार्टवॉच, हृदय गति मॉनिटर, किसी व्यक्ति की नींद की निगरानी और किसी व्यक्ति के स्थान की पहचान करने के लिए जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस जैसे उपकरण शामिल हैं। धारणीय तकनीक बेहरे व्यक्तियों की भी सहायता करती है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. आधार को वोटर आईडी से अनिवार्य रूप से जोड़ना समस्याजनक है। क्या आप इससे सहमत हैं? न्यायोचित ठहराइये। (15 अंक, 250 शब्द) (जीएस -2, राजव्यवस्था)
प्रश्न 2. प्रासंगिक उदाहरणों के साथ स्मार्टफोन मैलवेयर के बढ़ने के संभावित कारणों की व्याख्या करते हुए मोबाइल सुरक्षा समाधानों पर चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस-3, सुरक्षा)