29 मार्च 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था एवं शासन:
शासन; स्वास्थ्य:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
उत्तराधिकार पर मुस्लिम व्यक्तिगत कानून (पर्सनल लॉ) क्या कहता है ?
राजव्यवस्था:
विषय: भारत का संविधान – सुविधाएँ, संशोधन और महत्वपूर्ण प्रावधान।
प्रारम्भिक परीक्षा: विशेष विवाह अधिनियम और मुस्लिम व्यक्तिगत कानून (पर्सनल लॉ)।
मुख्य परीक्षा: मुस्लिम पर्सनल लॉ में उत्तराधिकार के प्रावधान।
प्रसंग:
- केरल के एक मुस्लिम दंपति ने इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार अपनी शादी संपन्न होने के लगभग 30 साल बाद हाल ही में विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी का पंजीकरण करवाया है।
- दंपति का दावा है कि उन्होंने अपनी शादी को विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत करवाया है, ताकि उनकी बेटियों को भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 के तहत उनकी संपत्ति विरासत में मिल सके।
विशेष विवाह अधिनियम, 1954:
- भारत में विवाहों को विभिन्न कानूनों जैसे हिंदू विवाह अधिनियम 1955, मुस्लिम विवाह अधिनियम 1954, या विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत पंजीकृत किया जा सकता है।
- इस तरह के और कुछ अन्य विवाहों और तलाक के पंजीकरण के लिए कुछ मामलों में विवाह का एक विशेष रूप प्रदान करने के लिए विशेष विवाह अधिनियम सन 1954 में अधिनियमित किया गया था।
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954 में भारत के नागरिकों और विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए नागरिक विवाह के प्रावधान हैं, भले ही दोनों पक्षों द्वारा किसी भी धर्म या आस्था का पालन किया जाता हो।
- विशेष विवाह अधिनियम के जरिए अलग-अलग धार्मिक पृष्ठभूमि के लोग एक साथ शादी के बंधन में बंध सकते हैं, अधिनियम विवाह के अनुष्ठापन और पंजीकरण दोनों के लिए प्रक्रिया प्रदान करता है, जहां पति या पत्नी या दोनों हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख नहीं हैं।
- इस अधिनियम के अनुसार, विवाहित जोड़े को विवाह की तारीख से 30 दिन पहले संबंधित दस्तावेजों के साथ विवाह अधिकारी को नोटिस देना होता है।
- कोई भी व्यक्ति 30 दिनों की समाप्ति से पहले इस आधार पर इस विवाह पर आपत्ति उठा सकता है, कि इस विवाह से अधिनियम में निर्धारित एक या अधिक शर्तों का उल्लंघन होगा।
अधिनियम में निर्धारित शर्तें:
- शादी करने के इच्छुक दोनों व्यक्तियों का कोई जीवित जीवनसाथी नहीं होना चाहिए।
- दोनों व्यक्तियों को मानसिक रूप से अस्वस्थ नहीं होना चाहिए या इस हद तक मानसिक विकारों से पीड़ित नहीं होने चाहिए कि वे शादी निभाने और बच्चों को जन्म देने के लिए अयोग्य हों।
- विवाह के लिए पुरुष की आयु 21 वर्ष और महिला की आयु 18 वर्ष पूर्ण होनी चाहिए।
- दोनों व्यक्ति निषिद्ध संबंध के परिमाण के भीतर न हों, बशर्ते कि कम से कम एक पक्ष को नियंत्रित करने वाला रिवाज दोनों के बीच विवाह की अनुमति देता हो।
उत्तराधिकार पर मुस्लिम पर्सनल लॉ?
- कुरान के अनुसार, विरासत के सिद्धांत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर उत्तराधिकारियों के लिए विस्तारित हैं।
- इसके अलावा कुरान की आयत 7 में कहा गया है कि “पुरुषों के लिए, उनके माता-पिता और करीबी रिश्तेदार जो कुछ छोड़ते हैं उसमें एक हिस्सा उस पुरुष का होता है”,और महिलाओं के लिए,उनके माता-पिता और करीबी रिश्तेदार जो कुछ छोड़ते हैं उसमें से एक हिस्सा महिला का होता है-चाहे वह कम हो या ज्यादा। और ये हिस्सा देना अनिवार्य है।
- संपत्ति के बंटवारे पर सहमत नियमों के अनुसार, एक बेटी को आमतौर पर बेटे को मिलने वाले हिस्से का 50% मिलता है।
- यानी अगर बेटे को पिता से 100 मीटर का प्लॉट मिलता है तो बेटी को 50 मीटर का प्लॉट विरासत में मिलता है।
- इस्लाम के अनुसार, एक पुरुष परिवार के खर्चों को वहन करने के लिए जिम्मेदार होता है जिसमें बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ आश्रय, भोजन, कपड़ा और दवा तथा माता-पिता की देखभाल करना शामिल है।
- यदि पति की पत्नी से पहले मृत्यु हो जाती है, तो पत्नी को पति की संपत्ति का 1/8वां हिस्सा (12.5%) मिलेगा, अगर दंपति के बच्चे हैं।
- यदि दंपति की कोई संतान नहीं है, तो पत्नी को एक चौथाई (25%) मिलता है।
- चाचा-चाची आदि को भी हिस्सा मिलता है,यदि वे भी रक्त संबंधी हैं।
- इसके अलावा, प्रत्येक माता-पिता को 1/6वां (16.66%) हिस्सा विरासत में मिलता है यदि बेटा उनसे पहले मर जाता है, और अपने पीछे बच्चों को छोड़ जाता है।
- केरल के दंपति के मामले में समस्या यह है कि चूंकि दंपति की केवल बेटियां ही हैं, इसलिए बेटियों को पिता की संपत्ति का केवल दो-तिहाई (66%) हिस्सा ही मिल सकता है।
- उनके पवित्र ग्रंथ के अनुसार, “यदि आप अपने पीछे केवल दो या दो से अधिक महिलाओं छोड़ जाते हैं, तो उनका हिस्सा संपत्ति का दो-तिहाई होता है।” बाकी हिस्सा मां और अन्य पैतृक रक्त संबंधियों के लिए होता है।
कई अन्य विकल्प उपलब्ध हैं:
- वसीयत: वसीयत का उपयोग करके एक व्यक्ति यह घोषणा कर सकता है कि उसकी मृत्यु पर, एक विशेष वारिस को संपत्ति का कुछ प्रतिशत विरासत में मिलेगा।
- इस विकल्प का उपयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब बच्चों में से एक आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होता है, या उसे विशेष सहायता की आवश्यकता होती है, या उसने अन्य बच्चों की तुलना में माता-पिता की अधिक सेवा की है।
- विरासत: विरासत के तहत, हिबा का विकल्प है, जो दाता के जीवनकाल के दौरान किसी व्यक्ति को धन/संपत्ति के अप्रतिबंधित हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है।
- यह एक “दानपत्र” के समान है और रिश्तेदारों के लिए संपत्ति की विरासत के उलट है जो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद ही सामने आती है जबकि एक दानपत्र किसी व्यक्ति के जीवित रहते ही बनाया जाता है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
‘टेकेड’ (techade) में क्षेत्र-विशिष्ट सुरक्षा उपायों की आवश्यकता:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था एवं शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप।
मुख्य परीक्षा: मसौदा डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) विधेयक, 2022 में क्षेत्र विशिष्ट प्रावधान।
प्रारंभिक परीक्षा: मसौदा डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) विधेयक, 2022
विवरण:
- भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2026 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी।
- सुविधा प्रदान करने के बावजूद, डिजिटलीकरण भारी मात्रा में व्यक्तिगत डेटा उत्पन्न करता है।
- नागरिकों के डेटा को दुरुपयोग और अनधिकृत पहुंच से बचाने के लिए, सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) विधेयक, 2022 प्रस्तावित किया है।
- विधेयक नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा पर अधिकार प्रदान करता है और डेटा संग्रहकर्ताओं की जिम्मेदारियों को रेखांकित करता है।
- यह तर्क दिया जाता है कि इसमें क्षेत्रीय डेटा संरक्षण नियमों जैसे कुछ भागों/खंडों में विशिष्टता का अभाव है।
यह भी पढ़ें: Digital Data Protection Bill, 2022 – Features, Significance [USPC Notes]
विधेयक से जुड़े मुद्दे:
- मसौदा विधेयक की धारा 29 के अनुसार, नए प्रावधान मौजूदा प्रावधानों के पूरक होंगे, न कि इसमें छूट देंगे। हालांकि, क्षेत्रीय संघर्ष के मामले में, विधेयक को प्राथमिकता दी जाएगी।
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा को उस संदर्भ पर अत्यधिक निर्भर किया जाता है जिसमें एकत्र किए गए डेटा का प्रकार, संग्रह का तरीका, डेटा का इच्छित उपयोग और संबंधित जोखिम शामिल हैं। इस प्रकार यह प्रभावी विनियमन के लिए क्षेत्रीय विशेषज्ञता को महत्वपूर्ण बनाता है।
- क्षेत्रीय विशेषज्ञता एक विशिष्ट क्षेत्र की गहन समझ प्रदान करती है। इसमें बाजार की गतिशीलता, व्यापार मॉडल, प्रौद्योगिकी और संबंधित जोखिम शामिल हैं।
- यह सुनिश्चित करता है कि नियामक सभी हितधारकों के साथ एक अच्छी तरह से सूचित और उत्पादक तरीके से जुड़ें।
- यह तर्क दिया जाता है कि भारतीय डेटा संरक्षण प्राधिकरण वाला विधेयक का पुराना संस्करण नए प्रस्तावित डेटा संरक्षण बोर्ड की तुलना में बेहतर था जिसे एक शिकायत एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया है, न कि एक नियामक के रूप में।
वैश्विक क्षेत्रीय दृष्टिकोण:
- विश्व स्तर पर गोपनीयता और डेटा सुरक्षा को विनियमित करने के लिए दो प्रमुख दृष्टिकोण हैं:
- व्यापक कानून
- क्षेत्रक-विशिष्ट नियम
- यूरोपीय संघ का सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (GDPR):
- यह दुनिया में सबसे व्यापक, सबसे मजबूत और सबसे कठोर नियम है।
- इसमें स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों के लिए विशिष्ट प्रावधान हैं (अनुच्छेद 9)।
- GDPR सदस्य राज्यों को दिए गए प्रावधानों से परे जाने वाले उपायों को लागू करने की भी अनुमति देता है। उदाहरण के लिए, जर्मनी में Bundesdatenschutzgesetz (BDSG) है, जिसके कुछ प्रावधान GDPR प्रावधानों से सख्त हैं।
- GDPR की व्याख्या और क्रियान्वयन के लिए एक यूरोपीय डेटा संरक्षण बोर्ड (EDPB) भी स्थापित किया गया है। इसमें प्रत्येक EU सदस्य राज्य के डेटा संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में क्षेत्रीय दृष्टिकोण:
- यह विशिष्ट उद्योगों के अनुरूप विभिन्न नियमों की एक पैबन्दकारी है। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य देखभाल में स्वास्थ्य बीमा सुवाह्यता और जवाबदेही अधिनियम (HIPAA), और वित्तीय संस्थानों के लिए ग्राम-लीच-ब्लिले अधिनियम (GLBA)।
- असंगत संरक्षण, प्रवर्तन मुद्दों, अतिव्यापी और विरोधाभासी प्रावधानों और संघीय विनियमन की कमी के कारण इसे त्रुटिपूर्ण कानून कहा जाता है।
- यह व्यवसायों के लिए भ्रम पैदा करता है और कुछ क्षेत्रों को असुरक्षित छोड़ देता है।
- इसके अलावा, डेटा संरक्षण कानूनों को लागू करने के लिए कोई केंद्रीकृत प्राधिकरण नहीं है। इसके परिणामस्वरूप आगे मानकीकरण की कमी की समस्या उत्पन्न होती है।
भावी कदम:
- मसौदा विधेयक को क्षेत्रीय नियमों के बारे में अधिक स्पष्टता और विशिष्टता प्रदान करने की आवश्यकता है। इसे पिछले अनुभवों के आधार पर सही संतुलन बनाना चाहिए।
- भुगतान डेटा के भंडारण पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देश और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की स्वास्थ्य डेटा प्रबंधन नीति जैसे मौजूदा क्षेत्रीय नियमों को नए ढांचे और विनियमों द्वारा उपेक्षित नहीं किया जाना चाहिए।
- विधेयक को सुरक्षा की न्यूनतम परत के रूप में काम करना चाहिए जिसे क्षेत्रीय नियामकों द्वारा आगे निर्मित किया जा सकता है।
संबंधित लिंक:
सारांश:
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आवारा कुत्तों और मानवों के बीच संघर्ष:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शासन; स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य से संबंधित विषय; सरकारी नीतियों और हस्तक्षेप और इससे उत्पन्न होने वाले विषय।
मुख्य परीक्षा: कुत्तों और मानवों के बीच संघर्ष।
प्रसंग:
- भारत में कुत्तों के काटने के बढ़ते मामले और उससे जुड़ी चिंताएँ।
विवरण:
- मनुष्य लगभग 25000 वर्षों से कुत्तों के साथ सह-अस्तित्व में है। कुत्ते पालतू थे तथा वफादार, मिलनसार और बुद्धिमान माने जाते थे।
- हालांकि, बिल्लियों, गायों, कुत्तों सहित पक्षियों जैसे विभिन्न प्राणियों के प्रति असहिष्णुता बढ़ रही है।
कुत्तों और मानवों के बीच संघर्ष एवं संबद्ध चिंताएँ:
- लेखक द्वारा यह तर्क दिया गया है कि निवासी कल्याण संघ रहवासी सोसाइटी के पास रहने वाले कुत्तों के खिलाफ हिंसा को भड़काते हैं। उदाहरण के लिए,
- खुद रहवासी ने बताया कि हैदराबाद में जिस बच्चे को काटकर मार डाला गया था वह लगातार जानवरों को पीटता और छेड़ता था। स्थानीय लोगों द्वारा बच्चे के पिता को सूचना दी गई थी।
मामले की अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: UPSC Exam Comprehensive News Analysis. Mar 8th, 2023 CNA. Download PDF
- आवारा कुत्तों को खाना खिलाने वाले लोगों को भी निशाना बनाया जा रहा है।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि कुत्ते तभी आक्रामक होते हैं जब उन्हें कोई खतरा महसूस होता है। यदि वे भूखे हैं, अस्वस्थ हैं, जबरन स्थानांतरित किए गए हैं, या उपेक्षा और दुर्व्यवहार के साक्षी हैं, तो वे खुद को और अपने बच्चों को हमले से बचाने की कोशिश करते हैं।
- कुत्तों की आबादी कम करने के लिए उन्हें नियमित रूप से मार दिया जाता था। हालाँकि आज के परिदृश्य में इस तरह के किसी भी प्रयास का भी वही हश्र होगा।
- इसके अलावा, यदि कोई खाली स्थान होता है, तो उस खाली स्थान पर अन्य प्रजातियों जैसे चूहों, तिलचट्टों, नेवले आदि द्वारा कब्जा कर लिया जाएगा। उदाहरण के लिए,
- लंदन प्लेग (1665 में) 250000 कुत्तों और बिल्लियों की हत्या का परिणाम था। इस घटना के कारण चूहों की आबादी में वृद्धि हुई और लगभग 70% मानव आबादी ‘ब्लैक डेथ महामारी’ के कारण मारी गई।
- इसी तरह भारत के सूरत शहर में कुत्तों को वहाँ से हटाने के बाद प्लेग आया था।
- कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने में चुनौतियां:
- बजट का अभाव।
- अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा।
- भ्रष्ट और अक्षम प्रथाओं की व्यापकता।
- पारदर्शिता की कमी।
- पालतू जानवरों की विदेशी नस्लों के साथ लगाव।
- अवैध पालतू दुकानों और प्रजनकों की उपस्थिति।
सरकार द्वारा अपनाए गए उपाय:
- केंद्र सरकार ने 2016 में भारत में पेडिग्री कुत्तों के आयात पर रोक लगा दी थी।
- इसके अलावा, सरकार ने 2018 में कुत्ते के प्रजनकों को विनियमित करने के लिए नियम अधिसूचित किए।
- विधि आयोग (Law Commission) की सिफारिश के अनुसार, पेडिग्री कुत्तों के व्यापार को विनियमित करने के लिए 2018 में पेट शॉप नियम अधिसूचित किए गए थे।
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने डॉ. माया डी. चबलानी बनाम राधा मित्तल के मामले में देशी नस्ल के कुत्तों की देखभाल करने वाले लोगों के महत्व को मान्यता दी।
- नए ABC नियम (2023) कुत्तों की सामुदायिक देखभाल करने वालों की उत्पीड़न से देखभाल करते हैं।
भावी कदम:
- कुत्तों के गुणन को रोका जाना चाहिए।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और पशु स्वास्थ्य के लिए विश्व संगठन ने 2001 में पशु जन्म नियंत्रण (श्वान) नियम (ABC नियम) की सिफारिश की।
- नियम कुत्तों की आबादी, रेबीज संक्रमण और कुत्तों में आक्रामकता में निरंतर गिरावट ला सकते हैं।
- कुत्तों की आबादी को वैज्ञानिक रूप से प्रबंधित करने के लिए स्थानीय अधिकारियों द्वारा इन नियमों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए।
- केंद्र सरकार ने ABC नियमों का एक नया सेट जारी किया है जो मौजूदा कानून की खामियों को दूर करता है।
- नागरिकों को कुत्तों को हटाने के बजाय नए ABC नियम (2023) के अनुसार ABC कार्यक्रम बनाने और लागू करने के लिए नगर निकायों से मांग करनी चाहिए।
- भारतीय कुत्तों को अपनाने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। विशेष रूप से, देशी कुत्तों में विदेशी नस्लों की तुलना में बेहतर प्रतिरक्षा प्रणाली होती है और इस प्रकार उन्हें पालतू जानवरों के रूप में अपनाया जाना चाहिए।
- सबूत के आधार पर कुत्तों के हमलों की रिपोर्ट को सत्यापित किया जाना चाहिए।
संबंधित लिंक:
UPSC Exam Comprehensive News Analysis. Sep 24th, 2022 CNA. Download PDF
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. टाइप 1 मधुमेह:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विभिन्न रोगों के बारे में जागरूकता।
प्रारम्भिक परीक्षा : टाइप 1 मधुमेह।
प्रसंग:
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा बोर्डों को पत्र लिखकर कहा है कि यह सुनिश्चित करना स्कूलों का कर्तव्य है कि टाइप 1 मधुमेह वाले बच्चों को उचित देखभाल और आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएं।
टाइप 1 मधुमेह:
- टाइप 1 मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय में इंसुलिन का निर्माण करने वाली “बीटा कोशिकाओं” को नष्ट कर देती है।
- इस प्रकार यह रोग एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण होता है।
- चूंकि अग्न्याशय इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या बहुत कम इंसुलिन उत्पादित करता है, जिसकी वजह से रक्त शर्करा कोशिकाओं में नहीं जा पाती है और रक्त प्रवाह में संचित होता जाती है।
- शरीर में इंसुलिन ऊर्जा के रूप में उपयोग के लिए रक्त शर्करा को कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करता है।
- टाइप 1 मधुमेह को पहले “इंसुलिन पर निर्भर या किशोर मधुमेह” (insulin-dependent or juvenile diabetes) के रूप में जाना जाता था।
- टाइप 1 मधुमेह इतनी आम नहीं है जितनी टाइप 2 मधुमेह, जो आमतौर पर वयस्कों में होती है।
- टाइप 1 मधुमेह को रोका नहीं जा सकता है लेकिन इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करके शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखकर इसका सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।
- हाइपोग्लाइसीमिया और मधुमेह किटोएसिडोसिस मधुमेह से जुड़ी दो सामान्य जटिलताएँ हैं।
- हाइपोग्लाइसीमिया रक्त शर्करा के निम्न स्तर को संदर्भित करता है।
- मधुमेह केटोएसिडोसिस (DKA) मधुमेह की एक गंभीर जटिलता है, जो तब विकसित होती है जब शरीर में रक्त शर्करा को कोशिकाओं में जाने देने के लिए आवश्यक मात्रा में इंसुलिन की कमी होती है।
- चूंकि शरीर को ईंधन के लिए पर्याप्त ग्लूकोज नहीं मिलता है, यह बदले में वसा कोशिकाओं को तोड़ देता है। इससे कीटोन्स (ketones) नामक रसायन बनता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1.एक अप्रैल से जरूरी दवाओं के दाम बढ़ेंगे:
- थोक मूल्य सूचकांक ( Wholesale Price Index (WPI)) में तेज वृद्धि के कारण लगभग 384 आवश्यक दवाओं और 1,000 से अधिक फॉर्मूलेशन की कीमतों में 11% से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है।
- आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (National List of Essential Medicines (NLEM)) में सूचीबद्ध दवाओं की कीमतों में वार्षिक वृद्धि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित होती है।
- विभिन्न नियमित एवं आवश्यक दवाओं जैसे दर्द निवारक, संक्रमण-रोधी दवाओं, हृदय संबंधी दवाओं और एंटीबायोटिक दवाओं के मूल्य में वृद्धि की संभावना है।
- राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority (NPPA)) ने घोषणा की है कि कैलेंडर वर्ष 2022 के लिए WPI में वार्षिक परिवर्तन 12.12% था।
- प्रत्येक वर्ष NPPA दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 (Drugs (Price Control) Order, 2013) के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में बदलाव की घोषणा करता है।
- विशेषज्ञों ने बताया है कि नवीनतम WPI आंकड़े DPCO 2013 के लागू होने के बाद से उच्चतम स्तर पर देखे गए हैं और यह लगातार दूसरा वर्ष है जब WPI गैर-अनुसूचित फॉर्मूलेशन (10%) के लिए वार्षिक अनुमत मूल्य वृद्धि से अधिक है।
- विशेषज्ञों ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि कीमतों में इस तरह की भारी वृद्धि आवश्यक दवाओं तक पहुंच और वहनीयता को विकृत कर सकती है या कम कर सकती है।
- हालाँकि स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि मूल्य वृद्धि से यह सुनिश्चित होगा कि बाजार में दवाओं की कोई कमी नहीं हो और निर्माताओं और उपभोक्ताओं को परस्पर लाभ हो।
- पहले यह देखा गया था कि जब 10% वृद्धि की अनुमति दी गई थी, तो विभिन्न निर्माताओं ने बाजार के कारकों के कारण दर को 5% से कम रखा था और अब भी इसी तरह की प्रवृत्ति की उम्मीद है।
2. भारत SCO देशों के सुरक्षा सलाहकारों की बैठक की मेजबानी करेगा:
- भारत शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation (SCO)) के सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (National Security Advisers (NSAs)) की बैठक की मेजबानी करेगा।
- SCO में रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान और ईरान शामिल हैं।
- इस बैठक की अध्यक्षता NSA के अजीत कुमार डोभाल करेंगे और इसमें मध्य एशियाई गणराज्यों के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधि भाग लेंगे।
- यह बैठक वर्ष 2023 में भारत में आयोजित होने वाले SCO शिखर सम्मेलन की तैयारी बैठकों का एक हिस्सा है।
- इस बैठक के एजेंडे में अफगानिस्तान में विकास और यूरेशियन आर्थिक ब्लॉक के लिए रूस की योजनाओं पर परामर्श को आगे बढ़ाने की उम्मीद है।
3. MSP पर सवालों से बचने के कारण भारत WTO के निशाने पर:
- खाद्यान्न, विशेष रूप से चावल के लिए भारत के न्यूनतम समर्थन मूल्य ( minimum support price (MSP)) कार्यक्रमों पर उठाए गए सवालों से बचने के कारण भारत को विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation (WTO) ) के दबाव का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि सब्सिडी निर्धारित सीमा को पार कर गई है।
- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ और थाईलैंड जैसे सदस्यों ने भारत से WTO कृषि समिति की बैठक में उसके पब्लिक स्टॉकहोल्डिंग (PSH) कार्यक्रमों पर पूछे गए सवालों का जवाब मांगा है।
- भारत की MSP ( minimum support price (MSP)) नीतियां जांच के दायरे में हैं क्योंकि भारत वर्ष 2018-2019 और 2019-2020 में चावल समर्थन के लिए 10% सीलिंग (चावल उत्पादन के कुल मूल्य का) के उल्लंघन को सही ठहराने के लिए बाली “शांति खंड” को लागू करने वाला पहला देश बन गया है।
- बाली “शांति खंड” विकासशील देशों को सदस्यों द्वारा कानूनी कार्रवाई किए बिना 10% की सीमा को पार करने की अनुमति देता है।
- हालाँकि, यह कड़े नियमों और शर्तों के अधीन है जिसमें वैश्विक व्यापार को विकृत नहीं करना और अन्य सदस्यों की खाद्य सुरक्षा को प्रभावित नहीं करना शामिल है।
- हालाँकि, भारत ने जोर देकर कहा है कि उसने आयोजित परामर्शों में सर्वोत्तम संभव जानकारी और स्पष्टीकरण प्रदान किए हैं।
- भारत और विश्व व्यापार संगठन-“शांति खंड” से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: India and the WTO
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. ‘उत्कृष्टता संस्थान’ टैग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- 2018 में, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त, एन. गोपालसामी की अध्यक्षता वाली अधिकार प्राप्त विशेषज्ञ समिति (EEC) ने IoE दर्जे पर विचार करने के लिए संस्थानों की एक सूची की सिफारिश की थी।
- यह दर्जा प्राप्त करने के लिए, संस्थानों को राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) में शीर्ष 100 या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त रैंकिंग में शीर्ष 500 में होना चाहिए।
- निजी संस्थान इस टैग के लिए पात्र नहीं हैं।
सही कूट का चयन कीजिए:
- केवल एक कथन गलत है
- केवल दो कथन गलत हैं
- सभी कथन गलत हैं
- कोई भी कथन गलत नहीं है
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: 2018 में, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त, एन. गोपालसामी की अध्यक्षता वाली अधिकार प्राप्त विशेषज्ञ समिति (EEC) ने “उत्कृष्टता संस्थान (IoE)” के दर्जे पर विचार करने के लिए संस्थानों की एक सूची की सिफारिश की थी।
- कथन 2 गलत है: दर्जा प्राप्त करने के लिए संस्थानों को:
- राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) में शीर्ष 50 में शामिल होना चाहिए।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त रैंकिंग में शीर्ष 500 में होना चाहिए।
- कथन 3 गलत है: निजी संस्थान भी टैग के पात्र हैं।
- निजी संस्थानों का मूल्यांकन QS इंडिया या NIRF में उनकी रैंकिंग के आधार पर किया जाता है, NIRF रैंकिंग को टाई-ब्रेकर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रश्न 2. राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी सॉफ्टवेयर (NMMS) ऐप को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया था।
- NMMS ऐप जियो-टैग की गई तस्वीरों के साथ महात्मा गांधी नरेगा कार्य स्थलों पर श्रमिकों की रियल टाइम उपस्थिति दर्ज करने की अनुमति देता है।
- केंद्र सरकार ने 1 जनवरी, 2023 से NMMS के माध्यम से मनरेगा उपस्थिति को डिजिटल रूप से कैप्चर करना सार्वभौमिक बना दिया है।
सही कूट का चयन कीजिए:
- केवल 1 और 3
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 2
- उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 2021 में राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी सॉफ्टवेयर (NMMS) ऐप लॉन्च किया गया था।
- कथन 2 सही है: NMMS ऐप का उपयोग महात्मा गांधी नरेगा कार्य स्थलों पर श्रमिकों की जियो-टैग की गई तस्वीरों के साथ रियल टाइम/वास्तविक समय की उपस्थिति दर्ज करने के लिए किया जाता है।
- कथन 3 सही है: केंद्र सरकार ने 1 जनवरी, 2023 से (NMMS) के माध्यम से मनरेगा उपस्थिति को डिजिटल रूप से कैप्चर करना सार्वभौमिक बना दिया है।
प्रश्न 3. भारत में परिसीमन अभ्यास के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- परिसीमन आयोग भारत के प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाता है और यह भारत के चुनाव आयोग के सहयोग से काम करता है।
- अनुच्छेद 170 के तहत, संसद प्रत्येक जनगणना के बाद एक परिसीमन अधिनियम बनाती है।
- पहला परिसीमन अभ्यास 1950-51 में परिसीमन आयोग (चुनाव आयोग की मदद से) द्वारा किया गया था।
सही कूट का चयन कीजिए:
- केवल एक कथन गलत है
- केवल दो कथन गलत हैं
- सभी कथन गलत हैं
- कोई भी कथन गलत नहीं है
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: परिसीमन आयोग भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और भारत के चुनाव आयोग के सहयोग से काम करता है।
- कथन 2 गलत है: प्रत्येक जनगणना के बाद, अनुच्छेद 82 के अनुसार, संसद एक परिसीमन अधिनियम बनाएगी।
- कथन 3 गलत है: इस तरह का पहला अभ्यास 1950-51 में राष्ट्रपति द्वारा चुनाव आयोग की मदद से किया गया था।
- 1952 में परिसीमन आयोग अधिनियम के बाद, ऐसे सभी अभ्यास 1952, 1963, 1973 और 2002 में स्थापित परिसीमन आयोगों द्वारा आयोजित किए गए हैं।
प्रश्न 4. यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- यह तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) – नक़दी रहित भुगतान को तेज़, आसान और सुगम बनाने के लिए चौबीसों घंटे सक्रीय धन हस्तांतरण सेवा – का एक उन्नत संस्करण है।
- एनपीसीआई ने 2016 में 21 सदस्य बैंकों के साथ UPI लॉन्च किया था।
- एनपीसीआई – भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन के लिए एक छत्रक संगठन – भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) की एक पहल है।
सही कूट का चयन कीजिए:
- केवल 1 और 2
- केवल 3
- केवल 2
- 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: UPI तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) – नक़दी रहित भुगतान को तेज़, आसान और सुगम बनाने के लिए चौबीसों घंटे सक्रीय धन हस्तांतरण सेवा – का एक उन्नत संस्करण है।
- कथन 2 सही है: NPCI ने अप्रैल 2016 में 21 सदस्य बैंकों के साथ UPI लॉन्च किया था।
- कथन 3 सही है: NPCI, भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन के लिए एक छत्रक संगठन है।
- यह भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के प्रावधानों के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) की एक पहल है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: PYQ (2017) (स्तर – कठिन)
परम्पराएँ समुदाय
- चलिहा साहिब उत्सव – सिंधियों का
- नंदा राज जात यात्रा – गोंडों का
- वारी-वारकरी – संथालों का
ऊपर दिए गए युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं ?
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- युग्म 1 सही सुमेलित है: चैलो साहिब या चलिहा चालीस दिनों का त्योहार है जो जुलाई-अगस्त के महीनों में आता है जब सिंधी अपने भगवान झूलेलाल को प्रसन्न करने के लिए चालीस दिनों तक उपवास करते हैं।
- युग्म 2 सही सुमेलित नहीं है: नंदा राज जात यात्रा उत्तराखंड की तीन सप्ताह लंबी तीर्थ यात्रा और त्योहार है।
- गोंड उत्तराखंड राज्य के मूल निवासी नहीं हैं।
- युग्म 3 सही सुमेलित नहीं है: वारी महाराष्ट्र में पंढरपुर भगवान विठोबा से संबंधित वारकरी संप्रदाय के लिए एक तीर्थ है।
- यह किसी विशेष आदिवासी समूह के त्योहार के बजाय भक्ति आंदोलन का हिस्सा है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. केस स्टडी:
रामपुर के डीएम के रूप में, आप क्षेत्र में आवारा कुत्तों की उपस्थिति के संबंध में एक विवादास्पद मुद्दे का सामना कर रहे हैं। कुत्तों के हमलों की कई रिपोर्टों के बाद, कुछ निवासियों ने आवारा कुत्तों के साथ क्रूर व्यवहार सहित इस मुद्दे से निपटने के लिए चरम उपायों का सहारा लिया है। स्थानीय सतर्कता समूहों ने इन जानवरों की हत्या को प्रोत्साहित करने के लिए रियायती दरों पर एयरगन बांटना भी शुरू कर दिया है। इस विवादास्पद स्थिति के मीडिया कवरेज के जवाब में, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि ऐसे मामलों में जहां जानवरों के हमलों के कारण मानव जीवन खतरे में है, मानवाधिकारों को पशु अधिकारों पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके विपरीत, PETA जैसे कई वैश्विक गैर-सरकारी संगठनों ने आवारा कुत्तों के लिए सुरक्षा उपायों का अनुरोध करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है।
- इस मामले में हितधारक कौन हैं और इस मामले से जुड़े नैतिक मुद्दे क्या हैं?
- इस समस्या को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए आपके द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।