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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 30 July, 2023 UPSC CNA in Hindi

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. उड़ान योजना पर संकट, 50 फीसदी रूट ठप:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. वैश्विक स्तर पर डेंगू बुखार का खतरा बढ़ता जा रहा है:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

अर्थव्यवस्था, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. भारत के चिप डिज़ाइन पारिस्थितिकी तंत्र का मानचित्रण:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. इजराइल संकट में क्यों फंस गया है?

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,नैतिकता:

  1. क्या मानव चुनौती अध्ययन प्रभावी हैं?

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. भारत में बाघों की आबादी बढ़ी, मधय प्रदेश में बाघों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

उड़ान योजना पर संकट, 50 फीसदी रूट ठप:

अर्थव्यवस्था:

विषय: बुनियादी ढांचा- हवाई अड्डे।

प्रारंभिक परीक्षा: क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (Regional Connectivity Scheme)।

मुख्य परीक्षा: उड़ान योजना से सम्बंधित चिंताएँ और चुनौतियाँ।

प्रसंग:

  • सरकार का दावा है कि विमानन में सबसे महत्वपूर्ण सफलता 7 वर्षों में 74 हवाई अड्डों का निर्माण है, लेकिन इस दावे के संबंध में विशिष्ट चिंताएं हैं।

विवरण:

  • पिछले 7 वर्षों में निर्मित 74 हवाई अड्डों में से केवल 11 बिल्कुल नए सिरे से (ग्रीनफ़ील्ड) बनाए गए थे; तथा 15 पहले ही अनुपयोगी हो चुके हैं।
  • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (RCS) के तहत शुरू किए गए लगभग आधे रूट ठप/ध्वस्त हो गए हैं।
  • हवाई अड्डे का विकास मुख्य रूप से RCS के तहत किया गया है, जिसे 2017 में छोटे शहरों के लिए हवाई कनेक्टिविटी में सुधार और कम उपयोग वाले हवाई अड्डों के पुनर्विकास के लिए शुरू किया गया था।
  • इसमें पुरानी हवाई पट्टियों का पुनरुद्धार शामिल था जो या तो अप्रयुक्त थीं या बहुत कम उपयोग की जाती थीं।
  • सरकार ने इन हवाई अड्डों को पुनर्जीवित करने के लिए 479 मार्ग शुरू किए, जिनमें से 225 का परिचालन बंद हो चुका है।
  • 74 नए हवाई अड्डों में से 9 हेलीपोर्ट हैं जबकि 2 वॉटरड्रोम (waterdromes) हैं। (वॉटरड्रोम (समुद्री, विमानन) विमान को उतारने और लॉन्च करने की एक सुविधा है, जहां जल निकाय की सतह रनवे का कार्य करती है।)
  • गुजरात के गांधीनगर और केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बीच समुद्री विमानों के लिए बनाए गए ये दो वॉटरड्रोम अक्टूबर 2020 में प्रधान मंत्री द्वारा लॉन्च किए जाने के तुरंत बाद बंद हो गए, क्योंकि स्पाइसजेट ने “तकनीकी आवश्यकताओं में बदलाव” के बाद अपनी उड़ानें बंद कर दी थीं।

उड़ान योजना से संबंधित जानकारी:

  • इसे वर्ष 2016 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (RCS) के रूप में लॉन्च किया गया था, ताकि छोटे शहरों में भी आम आदमी को क्षेत्रीय मार्गों पर सस्ती, आर्थिक रूप से व्यवहार्य और लाभदायक हवाई यात्रा प्रदान की जा सके।
  • उड़ान (UDAN () (उड़े देश का आम नागरिक) योजना को टियर-2 और -3 शहरों के लिए हवाई कनेक्टिविटी में सुधार करके उड़ान को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया।

मार्गों पर सब्सिडी प्रदान की गई:

  • बोली प्रक्रिया के बाद रूट प्रदान किए जाते हैं, और विजेता एयरलाइनों को उनके विमान पर बैठने की क्षमता के 50% के बराबर व्यवहार्यता अंतर निधि (या सब्सिडी) के साथ कुछ प्रोत्साहन दिए जाते हैं।
  • परिणामस्वरूप, हवाई यात्रा को किफायती बनाने के लिए एयरलाइंस अपनी 50% सीटें ₹2,500 प्रति घंटे की उड़ान दर पर बेचती हैं।
  • इस योजना में रनवे की मरम्मत और टर्मिनल भवनों के निर्माण द्वारा पुराने हवाई अड्डों को पुनर्जीवित करने के लिए ₹4,500 करोड़ की राशि भी निर्धारित की गई है।
  • इनमें से 46 हवाई अड्डों का पुनर्विकास भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) द्वारा किया गया है, और शेष राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयों (PSUs) द्वारा किया गया है।​

RCS के चरण:

  • चरण 1: 2017, सेवा से बाहर और अल्प सेवा वाले हवाई अड्डों को जोड़ने के लिए।
  • चरण 2: 2018, अधिक दूरस्थ और दुर्गम भागों में हवाई कनेक्टिविटी का विस्तार।
  • चरण 3: नवंबर 2018, पहाड़ी और दूरदराज के क्षेत्र।
  • चरण 4: दिसंबर 2019, द्वीप और अन्य दूरदराज के क्षेत्र।
  • चरण 5: अप्रैल 2023​।
  • श्रेणी 2 (20-80 सीटर) और श्रेणी 3 (>80 सीटर) विमान।
  • कोई पूर्व निर्धारित मार्ग पेश नहीं किया जाएगा।
  • यदि औसत त्रैमासिक यात्री भार कारक (Passenger Load Factor (PLF)) लगातार चार तिमाहियों के लिए 75% से अधिक है, तो एयरलाइन को दी गई संचालन की विशिष्टता वापस ले ली जाएगी।

चिंताएँ:​

  • सब्सिडी की लागत गैर-RCS मार्गों पर उड़ान भरने वाली भारतीय एयरलाइंस द्वारा वहन की जाती है, जो प्रति प्रस्थान (departure) ₹15,000 की RCS लेवी का भुगतान करती है (अप्रैल 2023 के अनुसार)।​
  • एयरलाइंस गैर-RCS उड़ानों (CROSS-SUBSIDIZATION) पर अपने यात्रियों पर लेवी लगाती हैं।
  • जिन 225 मार्गों पर परिचालन बंद हो गया है, उनमें से 128 मार्ग योजना के तहत अनिवार्य तीन साल की अवधि पूरी करने से पहले ही बंद हो गए हैं।
  • एयरलाइंस ने सब्सिडी के बावजूद इनमें से 70 मार्गों को व्यावसायिक रूप से अव्यवहार्य पाया, जबकि शेष 58 को एयरलाइन ऑपरेटर द्वारा “अनुपालन न करने” या एयरलाइन द्वारा सरेंडर किए गए मार्गों, या एयरलाइन कंपनियों द्वारा बंद किए जाने के कारण रद्द कर दिया गया है।
  • तीन साल की अवधि पूरी करने के बाद 97 मार्ग बंद हो गए, जिस अवधि के दौरान सरकार सहायता प्रदान करती है।
  • योजना का उद्देश्य यह था कि तीन साल की अवधि के बाद, एयरलाइंस सरकारी सहयोग के बिना अपने दम पर परिचालन जारी रखने में सक्षम होंगी, लेकिन तीन साल पूरे कर चुके 155 मार्गों में से केवल 58 ही बचे हैं।​

सबसे बड़ी समस्याएँ: ​

  • एयरलाइंस को पर्याप्त यात्री संख्या नहीं मिल रही है।
  • विमानन क्षेत्र पहले से ही तनावग्रस्त है।
  • वंदे भारत जैसी तेज़ ट्रेनें एक बड़ी प्रतिस्पर्धा हैं।

निष्कर्ष:

  • एयरलाइंस को मार्केटिंग पहल करनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग उड़ान योजना का लाभ उठा सकें।

सारांश:

  • पूरे देश में योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए अधिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। हितधारकों को उड़ान योजना को टिकाऊ बनाने और इसकी दक्षता में सुधार करने की दिशा में काम करना चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

वैश्विक स्तर पर डेंगू बुखार का खतरा बढ़ता जा रहा है:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास और रोजमर्रा की जिंदगी में इसके अनुप्रयोग एवं प्रभाव।

प्रारंभिक परीक्षा: डेंगू वायरस, टीके।

प्रसंग:

  • नए क्षेत्रों सहित वैश्विक स्तर पर डेंगू के मामलों में हालिया वृद्धि चिंताजनक है और यह महत्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियाँ पैदा करती है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ( World Health Organization (WHO)) ने ग्लोबल वार्मिंग के कारण रोग फैलाने वाले मच्छरों के कारण इस वर्ष रिकॉर्ड स्तर के मामलों की संभावना का अनुमान लगाया है।

डेंगू से संबंधित जानकारी:

  • अत्यधिक प्रचलित संक्रामक रोग (प्रति वर्ष 400 मिलियन लोग-WHO)।
  • वायरस: डेंगू वायरस (DENV); फ्लेविविरिडे परिवार का आरएनए वायरस चार सीरोटाइप (DENV-1 से 4) के साथ।
  • वेक्टर (Vector): एडीज एजिप्टी (चिकनगुनिया, जीका, ( Chikungunya, Zika) मायरो, पीला बुखार भी फैलाता है)​।

2023 के प्रकोप से संबंधित विवरण:

  • वर्ष 2023 की शुरुआत के बाद से, अमेरिका के कई क्षेत्रों में डेंगू का बड़े स्तर पर प्रकोप देखा गया है, वहीं जुलाई तक 20 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं, तथा ब्राजील, पेरू और बोलीविया में इस साल सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
  • अमेरिका में कई देशों ने सभी चार DENV सीरोटाइप के सह-संचलन की सूचना दी है।
  • यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ECDC) ने पूरे क्षेत्र में DENV संक्रमण में वृद्धि की चेतावनी दी है।
  • वर्ष 2022 में, यूरोप में स्थानीय रूप से प्राप्त डेंगू के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई हैं।

कारण:

  • यूरोप में बदलती जलवायु परिस्थितियों, जैसे बढ़ती हीट वेव्स ( heat waves), बाढ़ और लंबे समय तक गर्म मौसम ने डेंगू ( dengue) पैदा करने वाले मच्छरों की प्रजातियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया है।

जुलाई 2023:

  • कई पॉजिटिव मामलों के आने के बाद मिस्र के क़ेना प्रांत में डेंगू बुखार का प्रकोप सामने आया।
  • सूडान में फरवरी में पहला डेंगू का मामला दर्ज किया गया,भले ही प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के कारण इसे मध्य पूर्व में स्थानिक नहीं माना जाता हो।
  • जहाँ मध्य पूर्व में कुछ प्रकोप देखे गए हैं, वहीं एशिया के देशों की तुलना में उनका पैमाना अपेक्षाकृत छोटा रहा है।

भारत की स्थिति:

  • भारत में डेंगू के मामले बढ़ गए हैं, जिसका कारण मुख्यतः भारी बारिश और अपर्याप्त नियंत्रण उपायों को माना जाता हैं।
  • केरल, ओडिशा, असम, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं।

निवारक उपाय?

  • हालाँकि बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय लागू किए जा रहे हैं, जबकि व्यक्तिगत जागरूकता और जिम्मेदारी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • टीकाकरण:
    • वायरस के विकास और अनुकूलन को समझने के लिए वायरस की जीनोमिक निगरानी सहित निरंतर अनुसंधान और सहयोग आवश्यक है।

डेंगू के टीके:

  • डेंगू के टीकों का निर्माण करना इतना कठिन होने का कारण यह है कि उन्हें सभी 4 उपभेदों पर प्रभावी होना आवश्यक है।
  • अब तक, केवल 2 डेंगू टीकों को उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है।
    • डेंगवैक्सिया (Dengvaxia):फ्रांसीसी कंपनी सनोफी (Sanofi)। यह टीका केवल उन लोगों के लिए हैं,जिन्हें पहले डेंगू हो चुका है, या जो ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां की बहुसंख्यक आबादी पहले संक्रमित हो चुकी है। जिन लोगों को कभी संक्रमण नहीं हुआ है, उनमें यह टीका गंभीर डेंगू के खतरे को बढ़ा सकता है
    • क्यूडेंगा (Qdenga): जापानी कंपनी टेकेड्स (Takeds), इस टीके का उपयोग केवल वे लोग कर सकते हैं जिनका डेंगू से संक्रमण का अतीत नहीं रहा है।​
  • डेंगू के लिए भारत के पहले और एकमात्र DNA वैक्सीन प्रत्याशी ने अपने प्रारंभिक परीक्षणों में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। यह वैक्सीन नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज, बेंगलुरु द्वारा विकसित की जा रही है

निष्कर्ष:

  • हमें डेंगू और अन्य मच्छर जनित बीमारियों से निपटने और वैश्विक स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा के लिए प्रभावी रणनीति विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

सारांश:

  • इस वायरस के विकास और अनुकूलन को समझने के लिए वायरस की जीनोमिक निगरानी सहित निरंतर अनुसंधान और सहयोग आवश्यक है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

भारत के चिप डिज़ाइन पारिस्थितिकी तंत्र का मानचित्रण:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: प्रौद्योगिकी का विनिर्माण और स्वदेशीकरण।

मुख्य परीक्षा: भारतीय चिप डिजाइनिंग क्षेत्र का महत्व और चुनौतियाँ।

प्रसंग:

  • घरेलू सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए डिज़ाइन-लिंक्ड प्रोत्साहन (DLI) योजना के दूसरे चरण के एक भाग के रूप में, भारत सरकार घरेलू चिप डिज़ाइन बनाने वाली कंपनियों में इक्विटी हिस्सेदारी लेने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
  • यह कुछ “फैबलेस कंपनियों” के निर्माण के साथ-साथ एक स्थिर पारिस्थितिकी तंत्र व्यवस्था स्थापित करने के लिए की जा रही हैं।

उद्योग चुनौती:

  • अत्यधिक पूंजी-सघन क्षेत्र: निर्माण इकाइयों की स्थापना, विनिर्माण क्षमताओं और उपकरणों (जैसे थर्मल उत्तेजक, सेंसर) को बढ़ाने और अनुसंधान को आगे बढ़ाने में बड़ी लागत शामिल है।
  • इसके अलावा, रिटर्न तुरंत नहीं मिलता है क्योंकि डिजाइन और फैब्रिकेशन इकाइयों की स्थापना में लंबी अवधि शामिल होती है।
  • चिप्स के आकार को कम करने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं: इस क्षेत्र में व्यापक शोध की आवश्यकता है।
  • आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान निवेशकों के विश्वास को कम कर सकता है।
  • अतः इस क्षेत्र के लिए भी एक नीति दीर्घकालिक और सुविचारित होनी चाहिए।

भारतीय चिप डिजाइनिंग क्षेत्र:

  • सेमीकंडक्टर डिज़ाइन इंजीनियरों का अत्यधिक कुशल प्रतिभा पूल,दुनिया के कार्यबल इंजीनियरों का लगभग 20% है।​
  • भारत में हर साल लगभग 2,000 एकीकृत सर्किट और चिप्स डिज़ाइन किए जाते हैं।
  • देश में अनुसंधान एवं विकास का संचालन करने वाली वैश्विक कंपनियों में इंटेल, माइक्रोन और क्वालकॉम शामिल हैं।
  • लेकिन उनके डिजाइन से संबंधित आईपी का बहुत कम अनुपात भारत के स्वामित्व में है।

DLI योजना इसे कैसे बदलना चाहती है?

  • यह सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम (सेमीकॉनइंडिया फ्यूचरडिजाइन पहल) के तहत दिसंबर 2021 में पेश किया गया था।
  • यह नवाचारों को स्वदेशी बनाने पर केंद्रित है।
  • इसमें अगले पांच वर्षों में भारत में कम से कम 20 कंपनियों को आगे बढ़ाकर ₹1,500 करोड़ से अधिक का कारोबार करने की आकांक्षा निहित है। ​
  • उत्पाद डिज़ाइन के लिए,यह योजना प्रति आवेदन ₹15 करोड़ की सीमा तक पात्र व्यय का 50% तक प्रतिपूर्ति करेगी।
  • इस पहल के बाद भारत में पहले से ही 30 सेमीकंडक्टर डिज़ाइन स्टार्टअप स्थापित किए जा चुके हैं।
  • भारत सेमीकंडक्टर मिशन से सम्बन्धित जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: India Semiconductor Mission.

चुनौतियाँ एवं अवसर:

  • भारत में अर्धचालकों पर केंद्रित निजी क्षेत्र में उद्यम पूंजीपतियों की कमी।
  • उच्चतर गर्भधारण अवधि (gestation periods) का अर्थ है कि डिज़ाइन कंपनियां सॉफ्टवेयर कंपनियों की तरह संभावित निवेशकों और उद्यम पूंजीपतियों को आकर्षित करने में सक्षम नहीं हैं।
  • विशेषज्ञ की राय: चिप डिजाइन कंपनियों के लिए उद्यम पूंजी फर्म बनने का सरकार का प्रयास “अप्रभावी और अक्षम” होने की संभावना है क्योंकि कंपनियां स्वाभाविक रूप से विदेशी खरीदारों को चुनने जा रही हैं क्योंकि यह उन्हें उच्च मूल्यांकन देता है और उन्हें ग्राहकों और निवेशकों के वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र से भी जोड़ता है।
  • अन्य: सरकार की भागीदारी से नियामक सहयोग में मदद मिलेगी साथ ही इससे भरोसा भी बढ़ेगा।
  • सरकारी इक्विटी, कंपनियों को कारोबार बढ़ाने के क्रम में बड़े वैश्विक खिलाड़ियों को अपनी बहुमत हिस्सेदारी बेचने से रोकेगी।
  • यह स्थानीय, लघु और मध्यम आकार की कंपनियों के लिए उत्साहजनक होगा, जिन्हें पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बनने के लिए कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
  • सेमीकंडक्टर की कमी से सम्बन्धित जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Semiconductor Shortage.

निष्कर्ष:

  • ‘सेमीकॉन इंडिया 2023’ (‘Semicon India 2023) भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर प्रकाश डालता है। हमारे प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान में चल रही चौथी औद्योगिक क्रांति भारत की आकांक्षाओं से प्रेरित है और हालिया प्रस्ताव से इसे बढ़ावा मिलेगा।

सारांश:

  • घरेलू चिप डिजाइन बनाने वाली कंपनियों में इक्विटी हिस्सेदारी लेने का भारत सरकार का प्रस्ताव इस क्षेत्र के लिए एक अवसर है, हालांकि इस फैसले को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं।

इजराइल संकट में क्यों फंस गया है?

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत से जुड़े और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और समझौते

मुख्य परीक्षा: इजराइल संकट का भारत पर असर।

प्रसंग:

  • 24 जुलाई 2023 को इज़राइल के शासी गठबंधन ने नेसेट में अपनी न्यायिक निरिक्षण योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पारित किया, जो सरकारी निर्णयों की सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी शक्तियों को कम कर देगा।
  • इजराइल में न्यायपालिका में आमूल-चूल परिवर्तन करने की दक्षिणपंथी-धार्मिक सरकार की योजनाओं के खिलाफ महीनों तक विरोध प्रदर्शन देखा गया है

यह विधेयक वास्तव में किस बारे में है?

  • “युक्तियुक्त सिद्धांत” को समाप्त कर देता है, जिस सिद्धांत को शीर्ष अदालत अक्सर प्रमुख सरकारी निर्णयों और मंत्रिस्तरीय नियुक्तियों का आकलन करने के लिए नियोजित करती है।
  • इज़राइल, जहां कोई लिखित संविधान नहीं है, अदालतें सरकारी निर्णयों को संवैधानिक रूप से नहीं माप सकती हैं, लेकिन युक्तियुक्त सिद्धांत ने कार्यकारी निर्णयों पर एक महत्वपूर्ण न्यायिक सीमा के रूप में काम किया है।
  • अदालत यह निर्धारित कर सकती है कि सरकार का निर्णय या मंत्रिस्तरीय नियुक्ति विवेकपूर्ण और निष्पक्ष है या नहीं और ज़रूरत पड़ने पर इसे रद्द कर सकती है।
  • इज़राइल न्यायिक सुधार से सम्बन्धित जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Israel Judicial Reform.

अन्य प्रस्ताव?​

  • विधि पर न्यायिक समीक्षा को कम करना और फिर संसद को 61 मतों (120 में से) के पूर्ण बहुमत के साथ अदालती फैसलों को पलटने का अधिकार देना।
  • सरकार न्यायिक नियुक्तियों पर भी अधिक नियंत्रण रखना चाहती है। वर्तमान में 9-सदस्यीय पैनल (सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीश (अदालत प्रमुख सहित), इज़राइली बार एसोसिएशन के दो सदस्य, संसद से दो सदस्य, और सरकार से दो (मंत्री)) द्वारा चुने गए।​
  • सरकार बार एसोसिएशन को प्रतिस्थापित करना चाहती है। सरकार द्वारा चुने गए दो “जनप्रतिनिधियों” वाले सदस्य।
  • एक अन्य प्रस्ताव में मंत्रियों के लिए अपने कानूनी सलाहकारों (जो परिणामतः अटॉर्नी-जनरल से निर्देश प्राप्त करते हैं) द्वारा दी गई सलाह का पालन करने की कानूनी बाध्यता को खत्म करने का प्रयास किया गया है।

ऐसा क्यों किया जा रहा है?

  • पिछले कुछ वर्षों में, इज़राइल की राजनीति (और इसकी संसद) दक्षिणपंथ की ओर स्थानांतरित हो गई है, जबकि न्यायपालिका नहीं हुई है। ​
  • दक्षिणपंथियों ने इजरायली समाज को बदलने और फिलिस्तीनी क्षेत्रों में बस्तियों का विस्तार करने के उद्देश्य से अपने द्वारा किए गए विधायी और सरकारी प्रयासों को अवरुद्ध करने के लिए न्यायपालिका की आलोचना की है। ​
  • इज़राइल के विपक्ष और नागरिक समाज ने सरकार पर देश के लोकतंत्र को भीतर से कमज़ोर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। आलोचकों को डर है कि यदि यह प्रणाली टूट गई, तो इससे दक्षिणपंथी और धार्मिक दलों द्वारा नियंत्रित इज़राइल की सरकार बहुत शक्तिशाली हो जाएगी , तथा देश एक वास्तविक सत्तावादी धर्मतंत्र की ओर चला जाएगा।

भारत के साथ कोई समानता?

  • बुनियादी संरचना सिद्धांत (KBC 1973) (Basic Structure Doctrine )।
  • 42वां CAA (42nd CAA): उच्च न्यायालयों () की न्यायिक समीक्षा शक्तियों में कटौती; संविधान में संशोधन करने की संसद की असीमित शक्ति।
  • 44वाँ CAA (44th CAA): उपर्युक्त को उलट दिया गया।
  • मिनर्वा मिल्स मामला 1980 (Minerva Mills Case 1980 ): संसद नहीं, अपितु संविधान सर्वोच्च है। न्यायिक समीक्षा, मौलिक अधिकार (Fundamental Rights ) और DPSP () न्यायिक समीक्षा का हिस्सा हैं। सरकार के पास संविधान में संशोधन करने का असीमित अधिकार नहीं है (संशोधन की शक्ति को सीमित करना ही संविधान की मूल विशेषता है)।​
  • अनुसूची 9: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि इस अनुसूची के तहत कोई भी कानून FR या संविधान की बुनियादी संरचना का उल्लंघन करता है तो वह जांच के लिए खुला होगा।

आगे क्या हो सकता है?

  • नागरिक समाज समूहों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस कानून को रद्द करने की मांग की है।
  • देश की शीर्ष अदालत ने कहा है कि वह चुनौतियों की समीक्षा करेगी, और प्रतिवादियों से प्रारंभिक सुनवाई से कम से कम 10 दिन पहले जवाब देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के पास नेसेट कानूनों की समीक्षा करने की शक्तियां हैं, लेकिन यहां विरोधाभास यह है कि कानून सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों में है।
  • इसलिए न्यायाधीश संसद में पारित उस कानून की समीक्षा करेंगे जो उनकी अपनी शक्तियों को कम करता है।
  • यह देश को संवैधानिक टकराव की राह पर ले जाता है। हालाँकि कानूनी चुनौतियों में समय लगेगा, यह देखना होगा कि इज़राइल की सरकार अपनी नई अर्जित शक्तियों के साथ क्या करेगी।
  • धुर दक्षिणपंथी धार्मिक यहूदियों को सैन्य सेवा में छूट देना और वेस्ट बैंक में बस्तियों का विस्तार करना चाहते हैं। वे नेसेट में न्यायिक निरिक्षण योजना के अन्य हिस्सों को भी पेश करना चाहते हैं।

सारांश:

  • इज़राइल संकट का समाधान विभिन्न हितधारकों पर निर्भर करता है और इज़राइल सरकार और सुप्रीम कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश संवैधानिक टकराव में न फंसे।

क्या मानव चुनौती अध्ययन प्रभावी हैं?

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3/4 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,नैतिकता:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और नैतिकता में प्रगति।

मुख्य परीक्षा: मानव चुनौती अध्ययन में जैव-नैतिकता का महत्व।

प्रसंग:

  • ICMR की जैव-नैतिकता समिति ने भारत में नियंत्रित मानव संक्रमण अध्ययन (CHIS), जिसे मानव चुनौती अध्ययन के रूप में भी जाना जाता है, के नैतिक आचरण के लिए सर्वसम्मतिपूर्ण विवरण पोस्ट किया है।

विवरण:

  • जैव-नैतिकता समिति ICMR ( ICMR) की एक सलाहकार इकाई है।
  • यह नीतियों, रिपोर्टों और अन्य दस्तावेजों की नैतिक समीक्षा करती है, तथा सम्पूर्ण भारत के संस्थानों को संचार में सुधार और उसी के संबंध में क्षमता निर्माण के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • चिकित्सा में नैतिकता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और एजेंसियों के साथ भी सहयोग करती है

मानव चुनौती अध्ययन:

  • मनुष्य बीमारियों के बारे में अधिक जानने के क्रम में उनके संपर्क में आता है।
  • वैश्विक स्तर पर यह कोई नई घटना नहीं है, लेकिन भारत में पहले कभी औपचारिक रूप से ऐसा नहीं हुआ।
  • यह संक्रामक रोगाणुओं के विभिन्न पहलुओं और ऐसे रोगजनकों के कारण होने वाली बीमारियों या स्थितियों को समझने के लिए आयोजित किया गया।

भारत में आवश्यकता?

  • भारत में संक्रामक रोगों के कारण रोग का बोझ और मृत्यु दर अधिक (30%) है।
  • अच्छी तरह से अध्ययन किए गए रोगजनकों, संक्रमण, संचरण, रोग रोगजनन और रोकथाम के कई पहलुओं में बेहतर अंतर्दृष्टि प्रदान करने में सहायक होगा।
  • पारंपरिक नैदानिक ​​अध्ययनों को पूरक बनाने में मदद मिलेगी तथा दवाओं और/या टीकों के रूप में सुरक्षित और प्रभावी हस्तक्षेप खोजने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।​
  • विकासशील देशों में कई संक्रामक रोग स्थानिक हैं और मौजूदा दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है।​

पारंपरिक और चुनौती अध्ययन के बीच अंतर:

  • मौलिक अंतर: रोगजनकों के संपर्क में आने की प्रकृति।
  • पारंपरिक परीक्षण: प्रतिभागियों को संक्रमित होने से बचने के लिए सुरक्षा उपायों को अपनाने और उनका पालन करने की दृढ़ता से सलाह दी जाती है और संक्रमण को संयोग पर छोड़ दिया जाता है।
  • चुनौती अध्ययन: प्रतिभागियों को जानबूझकर रोग पैदा करने वाले रोगजनकों के संपर्क में लाया जाना
  • दवाओं और टीकों की सुरक्षा और प्रभावकारिता का अध्ययन करने के लिए पारंपरिक नैदानिक ​​परीक्षण किए जाते हैं, जबकि सर्वोत्तम योग्य दवा या टीके का चयन करने के अलावा संक्रमण और रोग रोगजनन के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए मानव चुनौती अध्ययन किए जाते हैं।
  • जहाँ दोनों अध्ययनों में योग्य दवाओं या टीकों के प्रतिकूल प्रभाव ज्ञात नहीं हैं (पारंपरिक परीक्षण के चरण -1 के दौरान मनुष्यों में पहली बार सुरक्षा का मूल्यांकन किया जाता है), वहीं मानव चुनौती परीक्षण में स्वयंसेवकों को एक अतिरिक्त जोखिम का सामना करना पड़ता है जब वे साभिप्राय रोगज़नक़ के संपर्क में आते हैं।
  • पारंपरिक नैदानिक ​​अध्ययनों के विपरीत, मानव चुनौती अध्ययन प्रायः इन्फ्लूएंजा, डेंगू, टाइफाइड, हैजा और मलेरिया जैसी “कम घातक बीमारियों” का अध्ययन करने के लिए किए जाते हैं।

क्या किसी सुरक्षा उपाय का अनुपालन किया गया?

  • बहुत ही दुर्लभ मामलों जैसे कि SARS-CoV-2 ( SARS-CoV-2 virus) वायरस जो COVID-19 ( COVID-19) का कारण बनता है, को छोड़कर मानव चुनौती अध्ययनों में जिन संक्रामक एजेंटों का परीक्षण किया जाता है, वे अच्छी तरह से ज्ञात हैं और अध्ययन किए जाते हैं। प्रतिभागियों को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए, रोगज़नक़ के कमजोर या कम विषैले रूप का उपयोग किया जाता है।
  • बीमारी को गंभीर रूप में बढ़ने से रोकने के लिए बचाव उपचार की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

चुनौतीपूर्ण नैतिकता:

  • प्रतिभागी साभिप्राय इसके संपर्क में आते है, इसलिए जोखिम अधिक हैं। इसलिए उन्हें इन जोखिमों के बारे में उचित जानकारी दी जानी चाहिए। (चुनौती 1)​
  • ICMR के विवरण अनुसार केवल 18-45 वर्ष आयु वर्ग के स्वस्थ व्यक्तियों को ही अनुमति है। ​
  • पहले से मौजूद चिकित्सीय स्थितियों वाले प्रतिभागियों को बाहर रखा जाना चाहिए, लेकिन अक्सर लोग कई चिकित्सीय स्थितियों से अनजान होते हैं। इससे नामांकन से पहले प्रतिभागियों की विस्तृत चिकित्सा जांच करना आवश्यक हो जाता है। (चुनौती 2)​
  • सर्वसम्मतिपूर्ण विवरण के अनुसार, भागीदारी के लिए भुगतान की जानकारी सहमति प्रपत्र में उल्लिखित की जानी चाहिए, लेकिन भागीदारी के लिए भुगतान की सही राशि का खुलासा किया जाना चाहिए: वह भी “केवल स्वयंसेवक द्वारा भाग लेने के लिए सहमति देने के बाद”। पैसे का इस्तेमाल लोगों को लुभाने के लिए नहीं किया जा सकता (भोपाल में कोवैक्सीन परीक्षण के लिए किया गया था) (चुनौती 3)​
  • बचाव उपाय करना महत्वपूर्ण है। (चुनौती 4)​
  • यह देखा जाना बाकी है कि नवीन अनुसंधान क्रियाविधि में मानव चुनौती परीक्षणों की जोखिम भरी प्रकृति और लोगों को नामांकित करने की मजबूरी को देखते हुए कैसे “सुविज्ञ” सुविज्ञ सहमति होगी, खासकर जब रोगज़नक़ का अध्ययन विशिष्ट आयु समूहों जैसे कि बच्चों या वंचित समूहों में किया जाता है। (चुनौती 5)

निष्कर्ष:

  • मानव चुनौती अध्ययन तभी सफल और मानव के लिए सहायक होगा जब प्रतिभागियों को जोखिम के बारे में पूरी जानकारी होगी और इसके बारे में पूरी जागरूकता होगी।

सारांश:

  • नैतिकता मानव चुनौती अध्ययन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और समावेशी विकास को बढ़ावा देगी।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. भारत में बाघों की आबादी बढ़ी, मधय प्रदेश में बाघों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विषय: जैव विविधता:

प्रारंभिक परीक्षा: भारत में बाघ।

  • भारत की बाघों की आबादी वर्ष 2018 के 2,967 से बढ़कर वर्ष 2022 में 3,682 हो गई। (अप्रैल 2023 में 3167 से ऊपर की ओर दोहराव)।​
  • वर्तमान में बाघों की आबादी का औसत आंकड़ा संभवतः 3,167 और 3,925 के बीच है।
  • बाघों की संख्या का अनुमान कैमरे में कैद अनूठे बाघों की संख्या के साथ-साथ उन जानवरों के अनुमान के आधार पर लगाया जाता है जिनकी तस्वीर नहीं ली गई होगी।​
  • सबसे अधिक बाघों की आबादी मध्य प्रदेश में (785) है, उसके बाद कर्नाटक (563), उत्तराखंड (560), और महाराष्ट्र (444) का स्थान आता हैं।
  • 1/4 बाघ संरक्षित क्षेत्रों के बाहर पाए जाते हैं।
  • 53 बाघ अभयारण्य (भारतीय भूमि का 2.3%): कॉर्बेट नेशनल पार्क- सबसे अधिक बाघ आबादी (260) वाला टाइगर रिजर्व, इसके बाद बांदीपुर (150), और नागरहोल (141) हैं।​

चित्र स्रोत: The hindu

  • मध्य भारत और शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानों में बाघों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, विशेष रूप से मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र राज्यों में।
  • हालाँकि, पश्चिमी घाट जैसे कुछ क्षेत्रों में स्थानीयकृत गिरावट का अनुभव हुआ, जिससे लक्षित निगरानी और संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता हैं।
  • मिजोरम, नागालैंड, झारखंड, गोवा, छत्तीसगढ़ और अरुणाचल प्रदेश सहित कुछ राज्यों ने बाघों की लघु आबादी के साथ चिंताजनक रुझान की सूचना दी है।
  • 35% बाघ अभ्यारण्यों में तत्काल सुरक्षा उपायों, आवास बहाली, अनगुलेट (हिरण, चीतल, काला हिरण) संवर्धन और उसके बाद अधिक बाघों को लाए जाने की तत्काल आवश्यकता है।
  • 2014 के बाद से, भारत में बाघों की संख्या हर साल 5% से 6% की दर से बढ़ रही है।
  • बाघ जनगणना रिपोर्ट 2022-23 से सम्बन्धित जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Tiger Census Report 2022-23.

महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (RCS) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. इसे क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ाने और भारत के आम नागरिकों के लिए उड़ान को किफायती बनाने के लिए लॉन्च किया गया था।

2. इस योजना के तहत, एयरलाइन ऑपरेटरों को कम सेवा वाले और बिना सेवा वाले हवाई अड्डों के लिए उड़ानें संचालित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और रियायतें प्रदान की जाती हैं।

3. इस योजना का क्रियान्वयन प्राधिकरण भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण है।

उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?

(a) इनमें से कोई नहीं

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) केवल एक

उत्तर: c

व्याख्या:

  • RCS या उड़ान का लक्ष्य क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी, वहनीयता को बढ़ाना और वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से कम सेवा वाले हवाई अड्डों का विकास करना है। इसका कार्यान्वयन प्राधिकरण AAI है।

प्रश्न 2. भारत में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही है?

(a) ICMR भारत में चिकित्सा शिक्षा का प्रशासन करता है।

(b) ICMR भारत में बायोमेडिकल अनुसंधान को बढ़ावा देता है और समन्वयित करता है।

(c) ICMR ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करता है।

(d) ICMR की गवर्निंग काउंसिल की अध्यक्षता विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा की जाती हैं।

उत्तर: b

व्याख्या:

  • ICMR भारत में बायोमेडिकल अनुसंधान के निर्माण, समन्वय और प्रचार के लिए शीर्ष निकाय है।

प्रश्न 3. डेंगू बुखार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. डेंगू बैक्टीरिया के कारण होता है।

2. यह संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है।

3. वर्तमान में डेंगू रोग के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है।

उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • यह बैक्टीरिया के कारण नहीं होता है, और डेंगवैक्सिया वैक्सीन का उपयोग डेंगू रोग से बचाने में मदद के लिए किया जाता है।

प्रश्न 4. सेमीकंडक्टर उद्योग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. इस उद्योग में निर्माण इकाइयों और अनुसंधान की स्थापना के लिए उच्च पूंजी निवेश शामिल है।

2. डिजाइन और निर्माण इकाइयां स्थापित करने से तत्काल रिटर्न मिलता है।

3. चिप का आकार कम करने के लिए न्यूनतम शोध की आवश्यकता होती है।

उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • डिज़ाइन और निर्माण इकाइयों की स्थापना में लंबी अवधि शामिल होती है, जिससे तुरंत रिटर्न नहीं मिलता है। चिप का आकार कम करने के लिए व्यापक शोध की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5. भारत की बाघ आबादी के संदर्भ में भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के हालिया अनुमानों के बारे में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा गलत है?

(a) शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानों में बाघों की आबादी में वृद्धि देखी गई।

(b) लगभग 1/4 बाघ संरक्षित क्षेत्रों के बाहर पाए जाते हैं।

(c) कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या सबसे अधिक है।

(d) सभी राज्यों में कर्नाटक में बाघों की आबादी सबसे अधिक है।

उत्तर: d

व्याख्या:

  • भारत में बाघों की सबसे अधिक संख्या मध्य प्रदेश (785) में है, इसके बाद कर्नाटक (563), उत्तराखंड (560), और महाराष्ट्र (444) का स्थान आता हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत सरकार की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना की सफलता और विफलताओं का मूल्यांकन कीजिए। (Evaluate the success and failures of the Regional Connectivity Scheme of the Government of India. ) (10 अंक 150 शब्द)​ (सामान्य अध्ययन – III, अर्थव्यवस्था)

प्रश्न 2. भारत के सेमीकंडक्टर डिज़ाइन क्षेत्र में सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (Critically analyze the need for government intervention in the Semiconductor design sector of India.) (10 अंक 150 शब्द)​(सामान्य अध्ययन – III, अर्थव्यवस्था)

प्रश्न 3. आप निजी क्षेत्र की एक प्रमुख दवा कंपनी में शोधकर्ता हैं। सरकार ने हाल ही में मानव चुनौती अध्ययन के लिए सर्वसम्मतिपूर्ण नीति जारी की है। इन अध्ययनों से आपकी कंपनी को बीमारियों के लिए नई दवाओं और टीकों के विकास के संबंध में अत्यधिक लाभ होगा। आपके वरिष्ठ ने आपसे मानव चुनौती अध्ययन द्वारा उत्पन्न नैतिक चुनौतियों और उसके समाधान पर एक रिपोर्ट लिखने के लिए कहा है। आप ऐसी रिपोर्ट में क्या शामिल करेंगे? (You are a researcher at a prominent private-sector pharmaceutical company. The government has recently released the consensus policy for Human Challenge Studies. These Studies would benefit your firm immensely with regard to the development of new drugs and vaccines for diseases. You have been asked by your senior to write a report on the ethical challenges posed by the human challenge studies and solutions for the same. What would you include in such a report? ) (15 अंक 250 शब्द)​ (सामान्य अध्ययन – IV, नीतिशास्त्र केस स्टडी)

(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)