जैसा कि हम जानते हैं, जैविक कृषि ऐसी कृषि तकनीक है जिसमें रासायनिक उर्वरकों/कीटनाशक का प्रयोग न कर हरित उर्वरकों/कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है । यह कई तरह से लाभकारी है और वर्तमान समय की मांग भी है । लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं :
- जैविक खेती से उत्पन्न भोजन/अनाज अपेक्षाकृत अधिक महंगा होता है ।
- पारंपरिक खेती की तुलना में प्रति एकड़ पैदावार कम होती है ।
- उत्पादन लागत अधिक होती है क्योंकि किसानों को अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है ।
- जैविक उत्पादों का विपणन और वितरण कुशल नहीं है क्योंकि जैविक खाद्य का उत्पादन कम मात्रा में होता है ।
- जैविक किसानों को स्थानीय मिट्टी प्रणालियों, मौसम विज्ञान, पारिस्थितिकी और अन्य कारकों के बारे में पर्याप्त ज्ञान और कौशल होना चाहिए जो फसल के विकास को प्रभावित करते हैं । उचित जानकारी के बिना, एक व्यक्तिगत जैविक किसान कृषि प्रक्रियाओं के दौरान उत्पन्न होने वाली महत्वपूर्ण अवस्थाओं में अपनी फसल की रक्षा करने में असमर्थ होगा । इस क्षेत्र में पर्याप्त प्रशिक्षण एवं जागरूकता की आवश्यकता है ।
- फसलें बीमारी के प्रति अति- संवेदनशील होती हैं जो उत्पादन को कम कर सकती है ।
- जैविक खेतों को कठिन प्रमाणन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है । इसके लिए FSSAI जैसी कुछ संस्थाओं से अनुज्ञप्ति लेनी पड़ती है ।
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