ग्रामीण बस्तियों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:
- जल आपूर्ति – जल आपूर्ति ग्रामीण बस्तियों को प्रभावित करने वाला सबसे प्रमुख कारक है । आमतौर पर ग्रामीण बस्तियाँ जल स्रोतों जैसे नदियाँ, झीलें एवं झरनों इत्यादि के पास ही बसाई जाती हैं, जहाँ जल आसानी से उपलब्ध हो । हम जानते हैं कि पीने, खाना पकाने, कपड़े धोने और अन्य अनेक चीजों के लिए जल की उपलब्धता जरूरी है । लेकिन ग्रामीण बस्तियों में जल की सबसे ज्यादा खपत सिंचाई के लिए है । इसके लिए नदियों और झीलों के जल का उपयोग किया जा सकता है । इन्हीं जल स्रोतों से वहाँ के निवासीयों को भोजन के रूप में मछली भी मिल जाती है तथा नाव चलाने योग्य नदियाँ एवं झीलें जल यातायात के लिए भी प्रयोग की जा सकती हैं ।
- भूमि – चूँकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित होती है, अतः ग्रामीण बस्तियों के निर्माण लिए उस जगह का चुनाव किया जाता है जहाँ की भूमि कृषि के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त व उपजाऊ हो । लोग नदी घाटियों के निम्न भाग एवं तटवर्ती मैदानों के नजदीक ग्रामीण बस्तियां बसाते हैं जो कि उन्हें चावल की कृषि के लिए अनुकूल भूमि दे । इसके अलावा भूमि का दूसरा चुनाव उसकी उंचाई से भी किया जाता रहा है । ऊँचे क्षेत्रों को इसलिए चुना जाता है कि वहाँ पर बाढ़ के समय होने वाली क्षति से बचा जा सके ।
- गृह निर्माण सामग्री – मानव बस्तियों के विकसित होने में गृह- निर्माण सामग्री (जैसे लकड़ी, पत्थर, अच्छी मिट्टी आदि) की उपलब्धता भी एक बड़ा कारक है ।
- सुरक्षा – सुरक्षा एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है जो ग्रामीण बस्तियों के निर्माण को प्रभावित करता है । राजनीतिक अस्थिरता, युद्ध या बाहरी आक्रमण से बचाने के लिए गाँवों को सुरक्षात्मक पहाड़ियों या द्वीपों पर बसाया जाता था । भारत के अनेक दुर्ग इसके अच्छे उदाहरण हैं ।
- नियोजित बस्तियाँ – कुछ नियोजित बस्तियाँ सरकार द्वारा भी बसाई जाती हैं । कई बार ग्रामीणों द्वारा जिन बस्तियों की स्थिति का चुनाव नहीं किया जाता, सरकार द्वारा अधिगृहित की गई ऐसी भूमि पर निवासियों को सभी प्रकार की सुविधाएँ जैसे -आवास, पानी, विजली तथा अन्य अवसंरचना आदि उपलब्ध कराकर बस्तियों को विकसित करती हैं । भारत में इंदिरा गांधी नहर के क्षेत्र में बस्तियों का विकास इसके अच्छे उदाहरण हैं ।
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