कोरिऑलिस बल एक ऐसा आभासी बल है जो पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न होता है । पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने के कारण पवनों की दिशा भी प्रभावित होती है । 1844 में फ्रांसिसी वैज्ञानिक फेरेल ने इसे सिद्ध किया अतः इसे फेरेल का नियम या कोरिऑलिस बल / कोरिऑलिस प्रभाव (Coriolis effect) कहते हैं । इस प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्ध में अपनी मूल दिशा से दाहिनी तरफ व दक्षिण गोलार्ध में बाईं तरफ विक्षेपित (deflect) हो जाती हैं । पवनों का वेग जितना अधिक होता है, विक्षेपण भी उतना ही अधिक होता है । कोरिऑलिस बल अक्षांशों के कोण का सीधा समानुपाती (directly proportional) होता है; अर्थात यह ध्रुवों पर सर्वाधिक और विषुवत् वृत्त पर अनुपस्थित होता है । इसका अर्थ यह हुआ कि विषुवत रेखा पर पवनों की दिशा में कोई विक्षेपण नहीं होता है जबकि ध्रुवों पर पवनों की दिशा में अधिकतम विक्षेपण होता है । यही कारण है कि विषुवत् वृत्त के निकट उष्णकटिबंधीय चक्रवात नहीं बनते (क्योंकि उष्णकटिबंधीय चक्रवात बनने के लिए कोरिऑलिस प्रभाव का होना आवश्यक है) ।
भूगोल विषय पर हमारे अन्य हिंदी लेख देखें :
- यूपीएससी भूगोल का पाठ्यक्रम
- कृषि वानिकी
- UPSC भूगोल की पुस्तक सूचि
- चक्रवात एवं प्रति- चक्रवात में अंतर
नोट : UPSC 2023 परीक्षा की तिथि करीब आ रही है, आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साथ जुड़ें, यहां हम महत्वपूर्ण जानकारियों को सरल तरीके से समझाते हैं ।
हिंदी माध्यम में UPSC से जुड़े मार्गदर्शन के लिए अवश्य देखें हमारा हिंदी पेज IAS हिंदी
अन्य महत्वपूर्ण लिंक :
UPSC Syllabus in Hindi | UPSC Full Form in Hindi |
UPSC Books in Hindi | UPSC Prelims Syllabus in Hindi |
UPSC Mains Syllabus in Hindi | NCERT Books for UPSC in Hindi |
Comments