7 अगस्त 2021 को, राज्यसभा में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) क्षेत्र की मदद के लिए विधायी प्रणाली में विभिन्न बदलाव लाने के इरादे से फैक्टरिंग विनियमन संशोधन विधेयक पारित किय गया। फैक्टरिंग रेगुलेशन एक्ट-2021, का उद्देश्य छोटे व्यवसायों के लिए उपलब्ध क्रेडिट सुविधाओं का विस्तार करना है।
इससे छोटे उद्यमों को 9500 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से धन प्राप्त करने की अनुमति मिलेगी। इससे उनकी वित्तीय जरुरतें पूरी करने मे आसानी होगी। इस विधेयक में यू के सिन्हा समिति से कई सुझाव लिए गए हैं।
यह विषय आगामी यूपीएससी परीक्षा 2023 के साथ-साथ अन्य प्रतियोगिता परीक्षओं की दृषटि से बहुत महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम आपको फैक्टरिंग रेगुलेशन एक्ट-2021 के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। फैक्टरिंग रेगुलेशन एक्ट 2021 के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Factoring Regulation Amendment Act, 2021 पर क्लिक करें।
यू के सिन्हा समिति के सुझाव
सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को समर्थन देने के लिए गठित येके सिन्हा समिति की रिपोर्ट में 5,000 करोड़ के तनावग्रस्त परिसंपत्ति कोष की स्थापना की सिफारिश की है। साथ ही गैर-लाभकारी विशेष प्रयोजन व्हीकल(SPV) की स्थापना की भी बात कही गई है। समिति की प्रमुख सिफारिशें –
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फैक्टरिंग रेगुलेशन संशोधन बिल के प्रमुख प्रावधान
- यह विधेयक गैर-बैंकिंग ऋणदाताओं को नए अवसर प्रदान करता है।
- इस विधेयक द्वारा ‘प्राप्य’, ‘असाइनमेंट’ और ‘फैक्टरिंग व्यवसाय’ जैसे शब्दों की परिभाषाओं को संशोधित किया गया है, ताकि उन्हें वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाया जा सके।
- फैक्टरिंग रेगुलेशन एक्ट 2021 का उद्देश्य फैक्टरिंग व्यवसाय में संलग्न पार्टियों के दायरे को बढ़ाने के लिए 2011 के समान अधिनियम के कुछ क्षेत्रों में संशोधन करना है।
- वर्तमान कानून, भारतीय रिजर्व बैंक को गैर-बैंक वित्त कंपनियों (NBFC) को फैक्टरिंग व्यवसाय में बने रहने की अनुमति देने का अधिकार देता है, यदि उसका प्रमुख व्यवसाय फैक्टरिंग हो।
- इस बिल में यह भी उल्लेख किया गया है कि व्यापार प्राप्तियां जो कि TreDS या ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम के माध्यम से वित्तपोषित हैं, उन्हें जिम्मेदार TReDS द्वारा केंद्रीय रजिस्ट्री में दर्ज किया जाना चाहिए।
- इसके अलावा, बिल एक कारक को पंजीकरण प्रमाण पत्र के लिए अनुदान को विनियमित करने के लिए आरबीआई के हाथों में शक्ति भी प्रदान करता है।
- यह बिल कारकों द्वारा किए गए प्रत्येक लेनदेन को दर्ज करने के 30 दिनों के नियम को खत्म करता है।
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फैक्टरिंग विनियमन संशोधन अधिनियम 2021 का महत्व
- यह बेहद महत्वपूर्ण बिल है। इससे गैर-एनबीएफसी कारकों (non-NBFC factors) के साथ-साथ अन्य को भी फैक्टरिंग व्यवसाय में शामिल होने का अवसर मिलेगा। इससे छोटे व्यवसायों के लिए धन की उपलब्धता में वृद्धि होने का अनुमान है।
- इससे धन की लागत कम हो सकती है और विभिन्न छोटे व्यवसायों को भी इसमें शामिल होने की अनुमति मिल सकती है जिनको क्रेडिट की आवश्यकता हैं। इससे समय पर भुगतान की नियमितता सुनिश्चित होगी।
- MSME क्षेत्र हमेशा विलंबित प्राप्तियों (भुगतान) का शिकार रहा है। यह बिल उस इस समस्या को हल करने का प्रयास करता है। इस बिल से यह अनुमान लगाया गया है कि इससे कार्यशील पूंजी और नकदी के स्वस्थ प्रवाह के गति मिलेगी।
- फैक्टरिंग विनियमन संशोधन अधिनियम 2021, 2011 के अधिनियम के प्रतिबंधात्मक प्रावधानों को मुक्त करने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास करता है कि भारतीय रिजर्व बैंक की सहायता से एक मजबूत नियामक प्रावधान प्रशासित किया जाता है।
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