भारत के गुयाना के साथ ऐतिहासिक और राजनैतिक संबंधों को भारत-गुयाना संबंधों के रूप में जाना जाता है। वर्तमान में भारत और गुयाना के बीच मधुर संबंध है। ये दोनों ही देश एक समय में ब्रिटिश औपनिवेशिक साम्राज्य का हिस्सा थे। गुयाना में मई 1965 में जॉर्ज टाउन में भारतीय आयोग की स्थापना की गई थी। बाद में साल 1968 में इस आयोग को पूर्णकालिन भारतीय उच्चायोग बना दिया गया था। वहीं साल 1972 में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना भी की गई थी।
गुयाना में वर्तमान में भारतीय मूल के लोगों की आबादी करीब 3,27,000 है। यह गुयाना का सबसे बड़ा जातीय समुदाय है। मई 1966 में गुयाना की स्वतंत्रता के बाद, भारत और गुयाना के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। भारत और गुयाना में सरकारों के बदलने से भी दोनो देशों के संबंधों की गर्मजोशी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
भारत-गुयाना संबंध हाल ही में चर्चा में रहे थे, इसलिए इस विषय के प्रश्न UPSC प्रारंभिक परीक्षा में ‘अंतर्राष्ट्रीय संबंध या करंट अफेयर्स’ सेक्शन में पूछे जाने की बहुत अधिक संभावना है।
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भारत-गुयाना आर्थिक संबंध
भारत-गुयाना के बीच व्यापार साझेदारी बहद कम है, हालांकि दोनो देशों के बीच व्यापार की प्रवृत्ति सकारात्मक बनी हुई है। दोनों देश, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) के माध्यम से विकासात्मक विशेषज्ञता को साझा करते हैं। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में हर साल 40 छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती है। इसके अलावा, कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में गतिविधयों के आधार पर गुयाना के अनुरोध पर कुछ भारतीय विशेषज्ञों को भी वहां नियुक्त किया जाता है।
भारत, गुयाना के लोगों को लंबी अवधि के पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने, भारत में अनुभव हासिल करने और भारत में हिंदी सीखने के लिए कई अन्य छात्रवृत्तियां भी प्रदान करता है। भारत ने कृषि के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी सहित पारस्परिक रूप से सहमत उद्योगों में उपयोग के लिए गुयाना ऋण सुविधाएं भी प्रदान की हैं। वहीं, गुयाना के जैव ईंधन, बिजली, खनिज और फार्मास्यूटिकल्स आदि क्षैत्र भी भारत की बड़ी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित कर रहे हैं।
सांस्कृतिक संबंध
भारत और गुयाना दशकों से सांस्कृतिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। दोनो देशों के नागरिकों के बीच सांस्कृतिक संबंधों और साझा समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से साल 1972 में जॉर्ज टाउन में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र (ICC) की स्थापना की गई थी। बाद में इसका नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र कर दिया गया।
इस केंद्र में नियमित रूप से योग, हिंदी और संस्कृत भाषाओं, पाक कला कक्षाओं / साड़ी ड्रेपिंग और भारतीय शास्त्रीय संगीत, हारमोनियम, तबला और भारतीय नृत्य के रूप में; कत्थक के लिए कक्षाएं आयोजित की जाती है। भारत इसके लिए, गुरुओं, पेशेवरों और प्रशिक्षकों की नियुक्त करके द्विपक्षीय सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देता है। इसके अलावा इस केंद्र के सुसज्जित सभागार में समय-समय पर सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं।
भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के शिक्षक और छात्र-छात्राएं पूरे साल नियमित रूप से सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। इस केंद्र में एक पुस्तकालय है जिसमें इतिहास, साहित्य, कलाकृति, संस्कृति, पौराणिक कथाओं और उल्लेखनीय विद्वानों और लेखकों की किताबें और पत्रिकाएं हैं। इसके अलावा भारत और गुयाना के बीच क्रिकेट एक महत्वपूर्ण कड़ी है। गुयाना के कई खिलाड़ियों को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में खेलने का मौका दिया गया है।
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भारत और कैरीकॉम
‘कैरीकॉम’ का अर्थ ‘कैरेबियन समुदाय’ है। यह जमैका, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, एंटीगुआ और बारबुडा, सूरीनाम, ग्रेनाडा, गुयाना, हैती, बहामास, बारबाडोस, बेलीज, डोमिनिका के कैरिबियाई मोंटसेराट, सेंट किट्स एंड नेविस, और त्रिनिदाद और टोबैगो आदि देशों से मिलकर बना है। इनमें से भारत सहित कई अन्य देश राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं और वैश्विक मंचों पर एक दूसरे की सहायता करते हैं। गुयाना के साथ भारत के संबंध, अन्य कैरिकॉम देशों के साथ भारत के संबंधों से बहुत अलग नहीं हैं। इतनी समानता, निकटता और साझा महत्वाकांक्षाओं के साथ-साथ कई मुद्दों पर समान नजरिया होने के कारण, भारत का राजनयिक दृष्टिकोण कैरिकॉम देशो के लिए लगभग एक जैसा ही है।
भारत-गुयाना से जुड़ी ताजा खबर
भारत के तात्कालिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुछ महीने पहले कैरिकॉम देशों का दौरा किया था। यह किसी भी भारतीय राष्ट्रपति की इन देशों की पहली यात्रा थी।
भारत-गुयाना संबंधों के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या गुयाना वासियों को भारतीय माना जाता है?
अधिकांश गुयाना वासी, भारतीयों के वंशज हैं, जिन्हें 1838 में गन्ना बागानों में ठेका मजदूरों के रूप में कैरिबियन देशो में लाया गया था। उस समय, क्षेत्र के ब्रिटिश उपनिवेशों में दासता को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था। इसके बाद ये लोग वहीं बस गए थे। आंकड़ो के मुताबिक फिलहाल गुयाना में रहने वाले करीब 43 फीसदी लोग भारतीय मूल के हैं, उनमें से 30 फीसदी आबादी हिंदू हैं।
इंडो-गुयानी कौन सी भाषा बोलते हैं?
गुयाना क्रियोल (अफ्रीकी, भारतीय और अमेरिंडियन वाक्य रचना के साथ अंग्रेजी-आधारित क्रियोल) व्यापक रूप से बोली जाती है। कुछ इंडो-गुयानी लोगों द्वारा सांस्कृतिक और धार्मिके कारणों से गुयाना हिंदुस्तानी भी बोली जाती है।
गुयाना कहां है?
गुयाना, दक्षिण अमेरिका के उत्तरपूर्वी कोने में स्थित एक देश है। यूरोपीय लोगों ने यूरोपीय बस्ती से पहले गुयाना में ही निवास किया था, और भूमि के लिए उनके नाम, गुयाना (पानी की भूमि) ने देश को इसका नाम दिया था। वर्तमान गुयाना में भी ब्रिटिश और डच औपनिवेशिक अतीत की झलकियां दिखाई देती है।
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