भूगोल में पृथ्वी के प्रमुख क्षेत्र (परिमंडल) एक बुनियादी अवधारणा है। पृथ्वी के ठोस (स्थलमंडल), गैसीय (वायुमंडल), तरल (जलमंडल) और जीवमंडल भाग अलग-अलग नहीं, बल्कि एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। इस लेख में आपको पृथ्वी के 4 प्रमुख क्षेत्रों (परिमंडलों); अर्थात् भूमंडल (Lithosphere), वायुमंडल (Atmosphere), जलमंडल (Hydrosphere) और जीवमंडल (Biosphere) के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है।
आईएएस परीक्षा 2023 की दृष्टि से पृथ्वी के प्रमुख क्षेत्र (डोमेन) बेहद महत्वपूर्ण विषय है। यह टॉपिक भूगोल विषय के अंतर्गत आता है। यह लेख यूपीएससी की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के साथ-साथ अन्य प्रतियोगी परीक्षओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए भी मददगार साबित होगा।
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पृथ्वी के चार प्रमुख डोमेन (परिमंडल) कौन से हैं?
पृथ्वी के चार प्रमुख परिमंडल (Domains) है –
- भूमंडल (Lithosphere)
- वायुमंडल (Atmosphere)
- जलमंडल (Hydrosphere)
- जीवमंडल (Biosphere)
नीचे इन चारों परिमंडलों के बारे में विस्तार से चर्चा की जा रही है।
भूमंडल (Lithosphere) – भूमंडल या स्थलमंडल पृथ्वी का वह ठोस भाग है जिस पर हम लोग रहते हैं। इसमें मेंटल और क्रस्ट शामिल है। भूमंडल भूपर्पटी की चट्टानों और मिट्टी की परतो से बना होता है। पृथ्वी के इस भाग पर जीवो के लिए पोषक तत्व और खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। टेक्टोनिक प्लेटें लिथोस्फीयर का एक उपखंड हैं।
लिथोस्फीयर में कठोर यांत्रिक गुण होते हैं। पेडोस्फीयर लिथोस्फीयर का सबसे ऊपरी हिस्सा है जो पृथ्वी के अन्य 3 अन्य प्रमुख डोमेन; जलमंडल, जीवमंडल और वातावरण के साथ रासायनिक रूप से प्रतिक्रिया करता है। इसकी मोटाई लगभग 100 किमी है।
पृथ्वी की सतह के दो मुख्य भाग हैं
महाद्वीप – बड़े भूभाग।
इस धरती की सबसे ऊँची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट है। वर्तमान आधिकारिक ऊंचाई समुद्र तल से 8,848 मीटर ऊपर है। ऊंचाई को 1955 में किए गए एक भारतीय सर्वेक्षण द्वारा मापा और स्थापित किया गया था। नेपाल और चीन के बीच की सीमा इसके शिखर बिंदुओं पर चलती है।
महासागर घाटियां – विशाल जल निकाय।
मारियाना ट्रेंच पृथ्वी पर सबसे गहरी महासागरीय खाई है। सबसे गहरा हिस्सा 11,034 मीटर पर है। मारियाना ट्रेंच प्रशांत महासागर में स्थित है। मारियाना ट्रेंच की चौड़ाई 69 किमी और लंबाई 2550 किमी है। मारियाना ट्रेंच का नाम पास के मारियाना द्वीप समूह से लिया गया है जो प्रशांत महासागर में मारियाना ट्रेंच से लगभग 200 किमी की दूरी पर स्थित है।
पृथ्वी के महाद्वीप
पृथवी पर सात प्रमुख महाद्वीप हैं और इन्हें बड़े जल निकायों द्वारा अलग किया गया है। एशिया
अफ्रीका
उत्तरी अमेरिका
दक्षिण अमेरिका
यूरोप
अंटार्कटिका
ऑस्ट्रेलिया
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वायुमंडल (Atmosphere) : पृथ्वी का यह भाग गैसीय परतों से घिरा होता है। इसे वायुमण्डल कहा जाता है। वायुमंडल के फैलाव की दूरी का ठीक-ठीस अनुमान लगाना कठिन है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह कई सौ मीलों तक यह फैला हुआ है।
वायुमंडल का निचला भाग करीब 4 से 8 मील तक फैला हुआ है। इसमें क्षोभमंडल, समतापमण्डल और मध्य मण्डल तथा आयनमंडल होता है। क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच के भाग को क्षोभसीमा और समतापमंडल और मध्यमंडल के बीच के हिस्से को समतापसीमा कहा जाता है। वायु मंडल, सभी प्राणियों और पादपों के जीवन के लिए अति अत्यावश्यक है। वायुमंडल की वायु के कारण ही यहां कई प्रकार की भौतिक और रासायनिक क्रियाएं होती हैं। इनके परिणामस्वरुप ही, इंद्रधनुष, बिजली का चमकना और कड़कना, उत्तर ध्रुवीय ज्योति, दक्षिण ध्रुवीय ज्योति, प्रभामंडल, किरीट, मरीचिका आदि दृश्य उत्पन्न होते हैं।
वायुमंडल से जुड़े अहम तथ्य
हर जगह वायुमंडल का घनत्व व दबाव एक समान नही रहता है। समुद्रतल पर वायु का दबाव 760 मिलीमीटर पारे के स्तंभ के दाब के बराबर होता है। जैसे- जैसे ये ऊपर उठती है इसके दबाव में कमी आती जाती है। तापमान के परिवर्तन के कारण भी हवा के दबाव में परिवर्तन होता है। वायुमंडल का तापमान सूर्य की रोशनी और ऊर्जा से पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। पृथ्वी पर तापमान बढ़ने से वायुमंडल का तापमान – 55 डिग्री सेल्सियस से 68 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। आयनमंडल किसे कहते हैं ? पृथ्वी के करीब 100 किमी के ऊपर पराबैंगनी किरणों से आक्सीजन गैस के अणु आयनों में बदल जाते हैं और परमाणु इलेक्ट्रॉनों में बदल जाते हैं, जिससे आयनमंडल बनता है। रात के समय में आयन एक बार पुनः अणु या परमाणु में बदल जाते हैं। यह प्रक्रिया चलती रहती है, जिससे रात में प्रकाश के वर्णपट में हरी और लाल रेखाएं दिखाती हैं। |
जलमंडल (Hydrosphere): पानी पृथ्वी की सतह के एक बहुत बड़े क्षेत्र को कवर करता है और इस क्षेत्र को जलमंडल कहा जाता है। जलमण्डल का अर्थ पृथ्वी की सतह पर पाई जाने वाली जल परत से हैं। इसमें महासागर, झीलें, नदियों के साथ-साथ अन्य जलाशय भी शामिल होते हैं। समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पृथ्वी पर सबसे बड़ा पारितंत्र भी है।
जलमंडल की संरचना
पृथ्वी के अलग-अलग हिस्से में जलमंडल की संरचना अलग-अलग होती है। जलमंडल की औसत गहराई लगभग 3.4 किलोमीटर है। पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (northern hemisphere) में जलमंड का फैलाव कम है। इसका करीब 52% हिस्सा जल से ढाका हुआ है। वहीं, दक्षिण गोलार्ध (southern hemisphere) में जलमंडल का फैलाव अधिक है। इसका करीब 88% भाग पानी से ढंका है। इसलिए दक्षिणी गोलार्ध को जल गोलार्ध भी कहा जाता है। पृथ्वी का केवल 2.5% जल ही मीठा जल है। और इस 2.5% में भी; लगभग 69% बर्फ के रूप में है। पृथ्वी का 97.5% पानी खारा पानी है, जो मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त है। पृथ्वी की सतह का लगभग 71% महासागरों द्वारा कवर किया गया है। जलमंडल में जल का कुल आयतन जलमंडल में जल का कुल आयतन करीब 1 अरब पच्चीस करोड़ घन किलोमीटर है। इसमें अगर महासागरीय नितलों को सम्मिलित कर यदि पूर भुपर्पटी को समतल कर दिया जाए तो पृथ्वी 3650 मीटर गहरे पानी में डूब सकती है। जलमंडल कैसे बनता है ? पृथ्वी के महासागर की ऊष्मा धारण करने की क्षमता बहुत अधिक होती है, जिससे गर्मी के दिनों में ये तापमान को कम कर देते हैं, वही सर्दियों में ठण्ड को भी कम कर देते हैं। सूर्य की किरणों के पृथ्वी की सतह पर पहुंचने से इसके तापमान का करीब चौथाई भाग महासागरीय जल को वाष्पीकृत कर देता है। इससे हर साल करीब 330000 घन किलोमीटर समुद्री जल वाष्प के रूप में वायुमंडल में पहुंच जाता है, जो वर्षा के रूप में वापस धरती और समुद्र में आ जाता है। इस तरह सूर्य, वायुमंडल और जलमंडल मिलकर पृथ्वी के मौसम को गतिशील बनाते है। जल का वाष्पीकरण सूरज की किरणों से झीलों, नदियों और महासागरों का जल गर्म होकर वाष्प बन जाता है। गर्मी के कारण पानी के वाष्प में बदलने की इस प्रक्रिया को ही वाष्पीकरण कहा जाता है। इससे पानी के कण वायुमंडल की निचली सतह पर पहुंचता है। पृथ्वी के वायुमंडल को जलमंडल से ही आर्द्रता प्राप्त होती है, जिससे बादलों का निर्माण और वर्षा होती है। इस प्रकार नदियों और समुद्रों का जल पुनः धरती पर आ जाता है। स्थलमंडल से वायुमंडल और वायुमंडल से पुनः जलमंडल तक होने वाले जल के संचरण को जल चक्र कहा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया से पृथ्वी पर जल का आयतन नहीं घटता है, बस उसका रूप बदल जाता है। नोट – समुद्री जल स्थिर नहीं रहता है, इसमें गति होती है। समुद्री में लहरें, ज्वारभाटा, धाराएं उठती रहती है जिसे जलमंडल की तीन गतियां माना जाता है। समुद्र में हवा के कारण लहरें बनती हैं जिससे ऊंची लहरें उत्पन्न होती है। ये कभी-कभी सुनामी का भी रूप ले लेती हैं। जलमंडल का महत्व धरती पर जीव का अस्तित्व बनाए रखने के लिए जलमंडल का सबसे बड़ा योगदान है। जलमंडल में असंख्य जीव-जंतुओ का निवास होता है। साथ ही इसमें इंसानों का एक प्रमुख आहार मछली भी पाया जाता है। इन सब चीजों के साथ जलमंडल से खनिज और तेल के अलावा मूंगे और मोती के खजाने भी पाए जाते हैं। इंसान ने महासागरो में ही यातायात के सस्ते साधन के रूप में जलमार्ग विकसित किए है जिनसे माल ढुलाई बेहद स्स्ती और आसान हो गई है। जलमंडल, पृथ्वी की जलवायु को भी सम बनाए रखने में मदद करता है और अब ज्वारभाटा से जल विधुत भी पैदा की जाने लगी है। नोट – उतर अटलांटिका व्यापारिक मार्ग और स्वेज नहर मार्ग अंतरराष्ट्रीय व्यापर की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। |
नोट – पृथ्वी की सतह के कुल क्षेत्रफल के करीब 71 प्रतिशनत हिस्से में जलीय परत का विस्तार हैं, इसलिए पृथ्वी को जलीय ग्रह भी कहा जाता है।
जीवमंडल (Biosphere) – यह संकीर्ण क्षेत्र है जहां भूमि, जल और वायु एक साथ पाए जाते हैं।
पृथ्वी की सतह क्या होती है ?
जमीन के उपरी हिस्से को जो मुख्यतः मिट्टी की परत और चट्टानों से बना है उसे पृथ्वी की सतह कहा जाता है। इसे दो भागों में बांटा जा सकता है, पहला- भूभाग, जिसे महाद्वीपों के रुप में जाना जाता है। यह पृथ्वी का बड़ा स्थलीय भाग है। और दूसरा – महासागरीय बेसिन, जिसमें बड़े जलाशय शामिल होते हैं। पृथ्वी के महासागर पृथ्ली पर हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, आर्कटिक महासागर, अटलांटिक महासागर, अंटार्कटिका महासागर है। ये सभी महासागर आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। समुंद्री जल का तल सभी जगहों पर समान होता है, जिसे शून्य माना जाता है। इसलिए सभी स्थानों की ऊंचाई को समुंद्र के तल की दूरी से मापा जाता है। विश्व का सबसे ऊंचा शिखर पृथ्वी की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट है जिसे विश्व का शिखर भी कहा जाता है। समुंद्र तल से इसकी ऊंचाई 8,848 मीटर है। विश्व का सबसे गहरा भाग पृथ्वी का सबसे गहरा क्षैत्र प्रशांत महासागर का मेरियाना गर्त है। यह प्रशांत महासागर में मौजूद है। मेरियाना गर्त की गहराई 11,034 मीटर है। |
धरती के 5 प्रमुख महासागर उनके आकार के क्रम में –
प्रशांत महासागर – यह आकार में लगभग गोलाकार है। एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तर और दक्षिण अमेरिका इसे घेरे हुए हैं।
अटलांटिक महासागर – यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा महासागर है। यह ‘S’ आकार का है। यह पश्चिम की ओर उत्तर और दक्षिण अमेरिका और पूर्वी ओर यूरोप और अफ्रीका से घिरा हुआ है।
हिंद महासागर – यह एकमात्र ऐसा महासागर है जिसका नाम किसी देश, यानी भारत के नाम पर रखा गया है। इसका का आकार लगभग त्रिभुजाकार है। उत्तर में, यह एशिया से, पश्चिम में अफ्रीका से और पूर्व में ऑस्ट्रेलिया से घिरा है।
दक्षिणी महासागर – यह अंटार्कटिका महाद्वीप को घेरे हुए है।
आर्कटिक महासागर – यह आर्कटिक सर्कल के भीतर स्थित है और उत्तरी ध्रुव को घेरे हुए है। बेरिंग जलडमरूमध्य उथले पानी का एक संकीर्ण खंड इसे प्रशांत महासागर से जोड़ता है।
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