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मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क

भारत सरकार ने हाल ही में भारतमाला परियोजना के तहत देश भर में आधुनिक मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) के तेजी से विकास के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए है। यह एक त्रिपक्षीय समझौता है। यह समझौता, राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन लिमिटेड (एनएचएलएमएल), भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्‍ल्‍यूएआई) और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के बीच हुआ है।

समझौते पर हस्ताक्षर करने वाली पार्टियां

  • राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक प्रबंधन लिमिटेड (NHLML) – यह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत काम करने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) का एक विशेष प्रयोजन वाहन (special purpose vehicle) है।
  • भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) – यह बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत काम करने वाला वैधानिक प्राधिकरण है।
  • रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) – यह रेल मंत्रालय के तहत काम करने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।

 इसका उद्देश्य लॉजिस्टिक लागत को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप करना और माल ढुलाई को केंद्रीकृत करना और है। फिलहाल भारत में लॉजिस्टिक लागत जीडीपी की 14% से है इस प्रोजेक्ट से ये लागत घटकर सकल घरेलू उत्पाद के 10% से कम होने का अनुमान है।

मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क, भारत सरकार की एक प्रमुख नीतिगत पहल है। इस परियोजना का नेतृत्व सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) कर रहे हैं।

इस परियोजना के तहत समग्र माल ढुलाई लागत और समय को कम करके, भंडारण लागत को कम किया जाएगा। इसका उद्देश्य वाहनों के प्रदूषण के साथ-साथ भीड़भाड़ को कम करके देश के माल ढुलाई उद्योग को बढ़ाने के लिए हब-एंड-स्पोक ढांचे में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित करना।

समझौते के उद्देश्य

  • इस त्रिपक्षीय समझौता का उद्देश्य देश में लॉजिस्टिक परिवहन क्षमता में दक्षता हासिल करना है। इसमें ये तीनों निकायों सहयोग करेंगे।
  • MMLP मॉडल के द्वारा माल कार्गो को जलमार्ग, समर्पित फ्रेट कॉरिडोर और सड़क परिवहन द्वारा निर्बाध रूप से स्थानांतरित किया जाएगा।
  • ‘हब एंड स्पोक’ मॉडल के तहत विकसित एमएमएलपी, माल परिवहन के तरीकों को राजमार्गों, रेलवे और अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से एकीकृत करेगा।
हब और स्पोक मॉडल क्या है?

हब एंड स्पोक मॉडल को समझने के लिए आप एक साइकिल के पहिए की कल्पना करें। इसमें पहिए का बीच वाला हिस्सा जो एक्सेल से जुड़ता है उसे हब कहेंगे। वहीं इसमें जो लोहे की तीलियां होती है उन्हें स्पोक कहा जाता है। 

यहां हम बात माल परिवहन के संदर्भ में कर रहे हैं इसलिए हब और स्पोक मॉडल, परिवहन के विभिन्न मार्गों के एक नेटवर्क को सरल बनाने की प्रणाली है। हब और स्पोक प्रणाली का उपयोग वाणिज्यिक विमानन में माल ढुलाई के लिए किया जाता है। 

सबसे पहले साल 1955 में डेल्टा एयरलाइंस ने इस पद्धति को लागू किया था। बाद में 1970 के दशक में, FedEx ने भी इसे लागू किया। इसके बाद परिवहन में क्रांति आई। एयरलाइन के संदर्भ में इस प्रणाली के तहत विमानन के सभी यातायात को एक केंद्रीयकृत या हब के माध्यम से संचालन किया जाता है। 

इस प्रणाली में यातायात या माल परिवहन के सभी संकुल को क्रमबद्ध करने के बजाय,  एक हब पर क्रमबद्ध किया जाता है। यह प्रणाली बेहद कुशल है और इसमें त्रुटि की संभावना काफी कम है।

 

मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क क्यों आवश्यक है?

भारत के रसद उद्योग का विकास देश के त्वरित आर्थिक विस्तार के साथ चल रहा है। वित्तीय वर्ष 2008 में 1,200 बिलियन टन-किलोमीटर से वित्तीय वर्ष 2015 में लगभग 2,300 बिलियन टन-किलोमीटर तक, देश की माल ढुलाई की मात्रा लगभग दोगुनी हो गई। अगले दस वर्षों में, सरकार का अनुमान है कि देश में माल ढुलाई औसतन 8% से 10% की दर से बढ़ेगी। MoRTH द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार, लॉजिस्टिक्स उद्योग के 2032 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद के विकास के लगभग 1.2 गुना की दर से बढेगा। इसके द्वारा साल 2017 के मूल्यवर्धन 115 बिलियन डॉलर की तुलना में 360 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।

साल 2017 में, भारत में रसद लागत तुलनात्मक रूप से बहुत अधिक थी। दुनिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में इसकी लागत माल की कुल कीमत 8% की है लेकिन हमारे देश मे इसकी लागत माल की कुल कीमत का 13% थी। भारत में एक कंटेनर के निर्यात/आयात करने की लागत चीन की तुलना में औसत 72% अधिक थी। इन लागतों और समय को कम करने और भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए, MoRTH अपने लॉजिस्टिक्स एफिशिएंसी एनहांसमेंट प्रोग्राम (LEEP) के तहत देश में चुनिंदा स्थानों पर मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क विकसित कर रहा है।

भारतमाला परियोजना (Bharatmala Project) क्या है? 

भारतमाला परियोजना देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गो के विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई एक परियोजना हैं। इस परियोजना के तहत नए राजमार्गों के निर्माण के साथ अधूरे राजमार्गों के निर्माण का काम पूरा किया जा रहै। इसके तहत बंदरगाहों और सड़क, राष्ट्रीय गलियारों (नेशनल कॉरिडोर्स) को बेहतर बनाने के साथ नए कॉरिडोर्स को विकसित किया जाएगा। इसके साथ धार्मिक और पर्यटन स्थलों को जोड़ने और पिछडे इलाकों में राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया जाएगा।

 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क क्या है?

मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क, 100 एकड़ (40.5 हेक्टेयर) के न्यूनतम क्षेत्र में विकसित एक माल-संचालन सुविधा है। इसमें परिवहन के विभिन्न तरीकों से पहुंच, मशीनीकृत गोदाम, कोल्ड स्टोरेज जैसे विशेष भंडारण विकल्प, मशीनीकृत सामग्री प्रसंस्करण और इंटर-मॉडल के लिए सुविधाएं, ट्रांसफर कंटेनर टर्मिनल, के साथ ही बल्क और ब्रेक-बल्क कार्गो टर्मिनल होंगे।

इसके अतिरिक्त, लॉजिस्टिक्स पार्क मूल्य वर्धित सेवाओं की पेशकश करेंगे जैसे परीक्षण सुविधाएं, संगरोध क्षेत्र और बंधुआ भंडारण यार्ड के साथ सीमा शुल्क निकासी। इसमें रिटर्न प्रबंधन, किटिंग, फाइनल असेंबली, ग्रेडिंग, सॉर्टिंग, लेबलिंग और पैकेजिंग के साथ-साथ रीवर्किंग जैसी लेट-स्टेज मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों को भी कवर किया जाएगा।

MoRTH ने जुलाई 2021 तक 35 MMLPs की पहचान की है। बैंगलोर, चेन्नई, गुवाहाटी और नागपुर वर्तमान में कार्यान्वित किए जा रहे हैं, जबकि अन्य शहर नियोजन चरणों में हैं, जिनकी डीआरपी (detailed project report) अभी तक नहीं बनी है।

एमएमएलपी के कार्य

एमएमएलपी के निर्माण की परिकल्पना रसद लागत को कम करने और ऊपर पहचान की गई पांच बाधाओं में से तीन को दूर करने में सहायता करने के लिए एक प्रमुख नीतिगत उपाय के रूप में की गई है। इनमें एक प्रतिकूल मॉडल मिश्रण, एक अक्षम बेड़े मिश्रण, और सामग्री से निपटने के बुनियादी ढांचे की कमी शामिल है। भारत सरकार ने जुलाई 2017 में 35 एमएमएलपी बनाने की योजना को मंजूरी दी थी। परियोजनाओं के लिए आवश्यक भूमि राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की जाएगी, जिसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से किया जाएगा।

एमएमएलपी के पांच आवश्यक कार्य निम्न हैं –

  • एकत्रीकरण और माल ढुलाई का वितरण
  • कई तरीकों से माल परिवहन करना
  • संयुक्त भंडारण और वेयरहाउसिंग 
  • सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से आसानी से काम करना  
  • मूल्य संवर्धित सेवाएं

रसद प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई) में भारत की स्थिति

भारत 2016 में विश्व बैंक के रसद प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई) में अपनी स्थिति में सुधार करने में कामयाब रहा। यह सूचकांक देशों को इस आधार पर रैंक करता है कि वे अपने रसद को कितनी अच्छी तरह से संभालते हैं। साल 2012 में भारत की एलपीआई में 46वें नंबर था जो साल 2016 में से बढ़कर 35वें स्थान पर पहुंच गया है। हालांकि, भारत की रैंकिंग अभी भी अन्य एशियाई देशों सहित अपने कुछ आर्थिक प्रतिद्वंद्वियों से काफी पीछे है।

रसद प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई) में 2016 में सिंगापुर पांचवें स्थान पर था। इसी के साथ हांगकांग, चीन (नौवें स्थान पर), जापान (बारहवें स्थान पर), कोरिया गणराज्य (चौबीसवें स्थान पर) थे।

चीन के अलावा, ब्रिक्स देशों में शामिल दक्षिण अफ्रीका भारत को पीछे छोड़ते हुए 20वां स्थान हासिल किया था।

नोट – ब्रिक्स देशों (BRICS) में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।

रसद प्रदर्शन सूचकांक क्या है ? 

विश्व बैंक द्वारा हर दो साल में रसद प्रदर्शन सूचकांक की सूचना दी जाती है। यह एक इंटरैक्टिव बेंच मार्किंग के द्वारा बनाई गई सूची है। यह किसी भी देश के देश के रसद प्रदर्शन स्कोर को 6 प्रमुख आयामों पर नापती है, जिनमें- सीमा शुल्क प्रदर्शन, बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता, शिपमेंट की व्यवस्था में आसानी, रसद सेवाओं की गुणवत्ता, माल की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग और शिपमेंट की समयबद्धता।

भारत के रसद क्षेत्र की चुनौतियां

विकसित देशों की तुलना में भारत में रसद लागत बहुत अधिक है। साल 2015 में भारत की रसद लागत कुल सकल घरेलू उत्पाद की 13% थी, जबकि इस अवधि में विकसित देशों में रसद लागत 8%-10% थी। क्रय शक्ति समानता के लिए समायोजित, भारत की सड़क माल ढुलाई लागत प्रति टन-किलोमीटर 1.90 रुपए थी, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में लगभग दोगुनी है। भारत में इस तरह के उच्च रसद व्यय मुख्य रूप से नीचे सूचीबद्ध पांच प्रमुख कारकों के कारण होते हैं –

प्रतिकूल अंतर-मॉडल मिश्रण (Unfavourable inter-modal mix) – भारत में रेल परिवहन द्वारा रसद माल ढुलाई की कम लागत के बावजूद, यहां 60% माल ढुलाई सड़क परिवहन से होती है।

अकुशल बेड़ा मिश्रण (Inefficient fleet mix) – हमारे यहां रसद ढुलाई करने वाले ट्रक छोटे और कम कुशल होते हैं, जिससे माल ढुलाई की लागत बढ़ जाती है।

अविकसित सामग्री हैंडलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (Underdeveloped material handling infrastructure) – सीमित मशीनीकरण के साथ छोटे, असंगठित गोदामों के प्रभुत्व वाला एक अलग उद्योग है। इस कारण भी माल ढुलाई और रख रखाव की कीमत बढ़ जाती है।

अविकसित सड़क अवसंरचना (Underdeveloped road infrastructure) – हमारे देश में चार और छह लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की कमी के कारण भी माल ढुलाई में मुश्किल होती है।

संस्थागत और नियामक अड़चनें (Institutional and regulatory bottlenecks) – उदाहरण के लिए, टोल संग्रह से संबंधित जटिल कागजी कार्रवाई और प्रक्रियाओं का भारत में रसद लागत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालांकि पिछले कुछ सालो मे इन चीजों में तेजी से सुधार हुआ है।

लॉजिस्टिक क्षेत्र में सुधार की पहल

भारत में लॉजिस्टिक क्षेत्र की उन्नति में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए केंद्र सरकार पिछले कई सालो से प्रयास कर रही है। देश भर में माल और सेवा कर (जीएसटी), मेक इन इंडिया, और बुनियादी ढांचे में सुधार की पहल के अलावा, भारत सरकार भारत के एकीकृत रसद क्षेत्र को फिर से आकार देने के लिए सुधार के प्रयास और प्रौद्योगिकी अपनाने का काम कर रही है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं –

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में रसद प्रभाग

इसे हाल ही में नीतिगत परिवर्तनों, वर्तमान प्रक्रियाओं में सुधार, बाधाओं और अंतरालों की पहचान, और प्रौद्योगिकी-आधारित हस्तक्षेपों के कार्यान्वयन के माध्यम से एकीकृत क्षेत्र के विकास का समन्वय करने के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में रसद प्रभाग की स्थापना की गई है।

एकीकृत रसद पोर्टल

एकीकृत रसद पोर्टल पर खरीदारों, रसद सेवा प्रदाताओं के साथ ही प्रासंगिक सरकारी एजेंसियों को भी जोड़ा जाएगा। इससे माल ढुलाई और रखरखाव आसान होगा।

क्रेडिट तक बेहतर पहुंच

लॉजिस्टिक्स सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के एक उप-क्षेत्र के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया है, जिससे इसे दीर्घकालिक ऋण तक पहुंच प्रदान की जा सके। इसके लिए क्रेडिट तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित की जाएगी।

प्रक्रियाओं का सरलीकरण

भारत में माल ढुलाई को आसान बनाने के लिए मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (एमएमएलपी) के विकास के लिए अनुमोदन प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, और विनियमित क्षेत्र की बाजार जिम्मेदारी मान्यता प्राप्त रसद परियोजनाओं में ऋण और पेंशन फंड निवेश को प्रेरित किया जाएगा।

एमएमएलपी की सूची

भारत सरकार ने 2017 में आगामी कुछ सालो में पूरे देश में 35 मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है। इसके लिए एशियाई विकास बैंक (एडीबी) को प्रमुख भागीदार बनने और आवश्यक समर्थन देने के लिए आमंत्रित किया गया था। एडीबी ने एमएमएलपी स्थानों की उपयुक्तता का मूल्यांकन करने और दो चुने हुए स्थानों: कर्नाटक में बेंगलुरु और असम में गुवाहाटी में आवश्यक कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे और नियामक सुधारों की पहचान करने के लिए एक पूर्व-व्यवहार्यता अध्ययन किया था।

MoRTH ने देशभर में35 MMLPs विकसित करने की योजाना बनाई है। इसके लिए डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट और ट्रांसफर (DBFOT) मोड में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के हिस्से के रूप में, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर), व्यवहार्यता अध्ययन और अनुमोदित बोली दस्तावेज के आधार पर व्यवसायों से एक निविदा का अनुरोध किया जाएगा।

इन 35 एमएमएलपी के लिए, निम्नलिखित शहरों को चुना गया है, और बोली दस्तावेजों (मॉडल रियायत समझौते और प्रस्ताव के लिए अनुरोध) को वर्तमान में अंतिम रूप दिया जा रहा है। प्रत्येक का आकार कम से कम 100 एकड़ (40.5 हेक्टेयर) होगा। चरण 1 और चरण 2 दोनों के तहत निम्नलिखित एमएमएलपी की पहचान की गई है –

एमएमएलपी के लिए चयनित शहर
राज्य एमएमएसपी
आंध्र प्रदेश विजयवाड़ा,विशाखापत्तनम
असम गुवाहाटी
बिहार पटना
छत्तीसगढ़ रायपुर
दिल्ली-एनसीआर दिल्ली-एनसीआर
गुजरात कांडला, राजकोट,सूरत, वलसाड
गोवा पणजी
हरियाणा अंबाला, हिसार
हिमाचल प्रदेश सोलन
जम्मू और कश्मीर जम्मू
कर्नाटक बैंगलोर
केरल कोचीन
पंजाब भटिंडा, संगरुर
मध्य प्रदेश इंदौर, भोपाल
महाराष्ट्र मुंबई,दिघी,नागपुर,बिडकिन,नासिक,पुणे
ओडिशा सुंदरगढ़
राजस्थान जयपुर,कोटा, जोधपुर,बीकानेर
तमिलनाडु चेन्नई, कोयंबटूर, तूतीकोरिन
तेलंगाना हैदराबाद
पश्चिम बंगाल कोलकाता, सिलीगुड़ी
त्रिपुरा उदयपुर
उत्तर प्रदेश गोरखपुर, कानपुर
झारखंड रांची
उत्तराखंड हरिद्वार

राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम (National Highways & Infrastructure Development Corporation Limited ) असम के गुवाहटी में 190 एकड़ में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) का निर्माण कर रहा है। यह प्रस्तावित जगह राष्ट्रीय जलमार्ग 2 के साथ-साथ भारत-बांग्लादेश सड़क मार्ग पर स्थित है, जो इसे मल्टी मॉडल एक्सेस के साथ एमएमएलपी के लिए आदर्श बनाता है। बृह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित जोगीघोपा में एमएमएलपी में रेल, सड़क और अंतर्देशीय-जलमार्ग कनेक्टिविटी शामिल है।

इसके अलावा कर्नाटक में बैंगलोर के पास मुदलिंगनहल्ली और हुलिकुंटे में एमएमएलपी के निर्माण के लिए 400 एकड़ भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। कर्नाटक की राज्य सरकार ने इस संबंध में बेंगलुरु के पार्क के लिए डबस्पेटे को स्थान के रूप में चुना।

वहीं तमिलनाडु के चेन्नई में एमएमएलपी के निर्माण के लिए प्रक्रिया जारी है। चेन्नई दक्षिणी भारत का एकमात्र शहर है जहां सभी प्रकार के परिवहन की सुविधा उपलब्ध है। जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) ने नागपुर में भी इसके निर्माण के लिए 346 एकड़ जमीन की पहचान कर ली है।

मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क का महत्व

मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क भारत में और भारत के बाहर माल परिवहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। साल 2017 में चीन की तुलना में भारत से बाहर या भारत में एक कंटेनर की शिपिंग की लागत औसतन 72% अधिक महंगी थी। इस पार्क के निर्माण के बाद भारत में अपेक्षाकृत उच्च रसद लागत कम होने का अनुमान है। MoRTH इन खर्चों और समय को कम करके भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के प्रयास कर रहा है। इसके लिए पूरे देश में विशिष्ट स्थानों पर लॉजिस्टिक्स एफिशिएंसी एनहांसमेंट प्रोग्राम (LEEP) के तहत  मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क बनाए जा रहे हैं।

मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क से आप क्या समझते हैं ?

MMLP को आधिकारिक तौर पर 100 एकड़ (40.5 हेक्टेयर) के न्यूनतम क्षेत्र के साथ एक फ्रेट-हैंडलिंग सुविधा के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें परिवहन पहुंच के विभिन्न तरीके, मशीनीकृत गोदाम, कोल्ड स्टोरेज जैसे विशेष भंडारण समाधान, मशीनीकृत सामग्री प्रबंधन और इंटर-मोडल ट्रांसफर वकंटेनर टर्मिनल आदि की सुविधाएं होंगी।

मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क कहां है?

भारतमाला परियोजना के पहले चरण के तहत, सरकार ने देश में 35 एमएमएलपी के निर्माण की योजना बनाई है, जिनमें से असम, नागपुर (महाराष्ट्र), चेन्नई (तमिलनाडु) और बेंगलुरु (कर्नाटक) समेत कई जगहों पर में बनेंगे।

भारत का पहला मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क कहां है?

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी ने असम के जोगीघोपा में भारत के पहले मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) की आधारशिला रखी। भारत का पहला मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) असम में बनाया जाएगा। इस परियोजना की लागत 407 मिलियन अमेरिकी डॉलर होगी।

लॉजिस्टिक्स पार्क क्या हैं?

लॉजिस्टिक्स पार्क कई गोदामों का एक संग्रह है, जो रेडीमेड के आवश्यकत के अनुसार निर्मित होंगे। इसमें कार्यालय परिसर, डेटा केंद्र, परिवहन डिपो, ईंधन पंप, पियर्स या बे, श्रम आवास, खुदरा सुविधाएं, सीमा शुल्क घर आदि होंगे। इसमें से ग्राहक उनकी आवश्यकताओं के अनुसार सेवाओं का चुनाव कर सकेंगे।

मल्टी मॉडल से क्या तात्पर्य है?

मल्टीमॉडल का अर्थ है किसी कार्य को करने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीकों या विधियों का होना या उनका उपयोग करना। मल्टीमॉडल एक सामान्य शब्द है जिसका प्रयोग कई अलग-अलग संदर्भों में किया जा सकता है। सांख्यिकी और परिवहन के क्षेत्र में इसका अधिक विशिष्ट उपयोग होता है।

शिपिंग में मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट क्या है?

बहुविध परिवहन (जो संयुक्त परिवहन के रूप में भी जाना जाता है) एक अनुबंध के तहत माल का परिवहन है, यह परिवहन कम से कम दो अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। इसमें वाहक पूरे कैरिज के लिए (एक कानूनी अर्थ में) उत्तरदायी होग, भले ही यह परिवहन कई अलग-अलग तरीकों (उदाहरण के लिए रेल, समुद्र और सड़क द्वारा) द्वारा किया जाता हो।

शिपिंग और लॉजिस्टिक्स में क्या अंतर है?

शिपिंग एक गंतव्य से दूसरे स्थान पर माल की भौतिक आवाजाही है (उदाहरण के लिए, एक गोदाम से ग्राहकों तक) और कई रसद प्रक्रियाओं में से एक है। यह लॉजिस्टिक्स सिंक्रोनाइज्ड प्रोसेस (Logistics Synchronized Process) को संदर्भित करता है जो यह प्रबंधित करता है कि उत्पादों को कैसे प्राप्त, संग्रहीत और उनके अंतिम गंतव्य तक पहुंचाया जाता है।

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