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राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम

राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (National Film Development Corporation), देश में सिनेमा निर्माण को बढ़ावा देने के लिए स्थापित एक केंद्रीय एजेंसी है। इसका लक्ष्य भारतीय फिल्म उद्योग के कुशल विकास की योजना बनाना, उसे बढ़ावा देना और सिनेमा के व्यवसाय को व्यवस्थित करना है। भारतीय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक उपक्रम है। यह देश में फिल्म निर्माण और वितरण के लिए जिम्मेदार है।

एनएफडीसी ने अब तक 300 से अधिक फिल्मों को वित्त पोषित या निर्माण में सहयोग प्रदान किया है। विभिन्न भारतीय भाषाओं में निर्मित इन फिल्मों को व्यापक रूप से सराहा गया है। साथ ही साथ इनमें से कई फिल्मों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

चर्चा में क्यों

हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने चार फिल्म मीडिया संगठनों के राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के साथ विलय की घोषणा की है। इन संस्थानों में फिल्म प्रभाग (Films Division), फिल्म समारोह निदेशालय (Directorate of Film Festivals), भारतीय राष्ट्रीय फिल्म संग्रह (National Film Archive of India) और भारतीय बाल फिल्म सोसायटी (Children’s Film Society of India) शामिल हैं। यह निर्णय बिमल जुल्का के नेतृत्व वाली विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है। अब इन चारों फिल्म मीडिया इकाइयों का, फिल्म विकास निगम में विलय कर दिया गया है। 

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राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC) से जुड़े जरुरी तथ्य –

भारतीय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC) का मुख्यालय मुंबई में है। उच्च गुणवत्ता वाली भारतीय फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए इसकी स्थापना साल , 1975 में की गई थी। यह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत कार्य करने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। एनएफडीसी का प्रमुख उद्देश्य भारतीय फिल्म उद्योग के एकीकृत और कुशल विकास की योजना बनाना, प्रचार करना और व्यवस्थित करना है, साथ ही साथ सिनेमा में उत्कृष्टता पैदा करना है।

पिछले कुछ वर्षों में, राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) ने भारतीय फिल्म, विशेष रूप से 1970 और 1980 के दशक में भारतीय समानांतर सिनेमा के विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इस दौरान कई भारतीय भाषाओं में बनी समानांतर फिल्मों को व्यापक प्रशंसा मिली और साथ ही इन फिल्मों ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते।

नोट – एनएफडीसी का नेतृत्व रविंदर भाकर कर रहे हैं, जो केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सीईओ भी हैं।

NFDC में विलय होने वाले चार मीडिया संगठनों के से जुड़े तथ्य –

बिमल जुल्का के नेतृत्व वाली विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर चार फिल्म मीडिया इकाइयों का एनएफडीसी में विलय कर दिया गया है। यहां हम इन चार मीडिया ईकाईयों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दे रहे हैं –

फिल्म समारोह निदेशालय (Directorate of Film Festivals) – सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भारतीय सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए साल 1973 में फिल्म समारोह निदेशालय की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य फिल्म-आधारित सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से अंतरसांस्कृतिक समझ को बढ़ाना देना था।

फिल्म प्रभाग (Film Division) – इन चारों मीडिया ईकाईयों में से फिल्म प्रभाग, सबसे पुराना है। इसकी स्थापना साल 1948 में की गई थी। इसकी स्थापना भारतीय इतिहास के सिनेमाई रिकॉर्ड को संरक्षित करने, वृत्तचित्रों एवं समाचार पत्रिकाओं को विकसित करने व सरकारी कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।

चिल्ड्रन फिल्म सोसाइटी ऑफ इंडिया (CFSI) – CFSI ने साल 1955 में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधिन एक स्वायत्त एजेंसी के रूप में कार्य शुरू किया। यह ऐसी बच्चों का मनोरंजन करने वाली और उनके दृष्टिकोण को व्याक बनाने वाली फिल्मों को प्रोत्साहित करती है।   

भारत के राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार (National Film Archives of India) – भारतीय सिनेमाई विरासत को सहेजने और संरक्षित करने के प्राथमिक लक्ष्य के साथ साल 1964 में भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार (NFAI) की स्थापना की गई थी।

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भारतीय सिनेमा के पिछड़ने के कारण 

भारत में एक साल में करीब 2000 फिल्में बनाती है, वहीं अमेरिका और कनाडा जैसे देशों साल में सिर्फ 700 फिल्में बनती है। इसके बावजूद ये देश सिनेमा से होने वाली आय के मामले में भारत से बहुत आगे हैं। एक रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका और कनाडा की फिल्म इंडस्ट्री की सालाना आय करीब 11 अरब डॉलर है, जो कि भारत फिल्म इंडस्ट्री की आय के करीब 5 गुना से भी अधिक है। 

भारतीय फिल्म उद्योग के सामने आने वारी चुनौतियां – 

  • लाइसेंस, अप्रूवल और सर्टिफिकेशन की जटिल प्रक्रिया।
  • फिल्म बनाने के लिए 70 अप्रूवल और लाइसेंस की प्रक्रिया में 30 अथॉरिटीज से गुजरना होता है।
  • भारत में 96,300 लोगों पर एक स्क्रीन है, जबकि यूएस में 7,800 लोगों पर एक स्क्रीन हैं।
  • कम स्क्रीन्स के कारण लोग थिएटर में फिल्म देखने से वंचित रह जाते हैं।
  • देश में सिंगल स्क्रीन्स अधिक हैं, जिसमें टिकट के दाम कम होते हैं। इससे फिल्म इंडस्ट्री को घाटा होता है।
  • भारत में फिल्मों पर सर्विस टैक्स और एंटरटेनमेंट टैक्स दोनों देना पड़ता है।
  • भारत में फिल्मों की पाइरेसी भी बहुत होती है, सोशल मीडिया या डीवीडी पर फिल्में आसानी से मिल जाती हैं।
  • भारत में 20 से ज्यादा भाषाओं में फिल्में बनती हैं, अलग-अलग भाषाओं की फिल्मों में प्रोडक्शन और मार्केटिंग में ज्यादा खर्च आता है, लेकिन मुनाफा ज्यादा नहीं होता।
  • भारत में फिल्मों की टिकटें दूसरे देशों की फिल्मों की टिकटों से बहुत कम हैं।

 NFDC के 4 मीडिया संगठनों के साथ विलय की चुनौतियां

विलय के लिए उचित रणनीति का अभाव – अभिलेखागार को हस्तांतरित करने की कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई गई है। यदि अभिलेखागार स्वायत्त सार्वजनिक संस्थान नहीं रहते हैं, तो वे छेड़छाड़ के शिकार हो सकते हैं, जिससे वे क्षतिग्रस्त या हमेशा के लिए नष्ट हो सकते हैं।

एनएफडीसी, घाटे में चलने वाला निगम – इन चार सार्वजनिक-वित्तपोषित एजेंसियों को घाटे में चलने के कारण इनका एनएफडीसी में विलय किया जा रहा है। यदि एनएफडीसी भी लाभ नहीं कमाती है, तो विलय का कोई मतलब नही रह जाएगा।

विलय का महत्व

फिल्म निर्माण के लिए मजबूत प्रोत्साहन – 

इससे फीचर फिल्मों, वृत्तचित्रों, बच्चों की फिल्मों और एनीमेशन फिल्मों के निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा।

इससे फिल्मों के निर्माण के साथ-साथ विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवलों में भागीदारी और विभिन्न घरेलू फेस्टीवलों के आयोजन के माध्यम से फिल्मों के प्रचार के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित होगा।  

इन सभी निकायों को एक छत के नीचे लाने से विभिन्न गतिविधियों के बीच ओवरलैप की स्थिति में कमी आएगी। इससे सार्वजनिक संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा।

आउटरीच गतिविधियों को मजबूती मिलेगी –

यह विलय, फीचर फिल्मों, वृत्तचित्रों, बाल फिल्मों और एनीमेशन फिल्मों सहित सभी शैलियों की फिल्मों के निर्माण तथा विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय समारोहों में भागीदारी के माध्यम से फिल्मों का प्रचार व विभिन्न समारोहों का घरेलू स्तर पर आयोजन, फिल्मी सामग्री का संरक्षण, फिल्मों का डिजिटलीकरण, बहाली एवं वितरण तथा आउटरीच गतिविधियों को मजबूती के साथ प्रोत्साहन प्रदान करेगा।  

निष्कर्ष

नई इकाई का दृष्टिकोण भारतीय सिनेमा के सभी शैलियों-फीचर फिल्मों में संतुलित और केंद्रित विकास सुनिश्चित करना होगा, जिसमें ओटीटी प्लेटफार्मों के लिए फिल्में / सामग्री, बच्चों की सामग्री, एनीमेशन, लघु फिल्में और वृत्तचित्र शामिल हैं। एक निगम के तहत फिल्म मीडिया इकाइयों के समेकन के परिणामस्वरूप विविध कार्यों के साथ-साथ मौजूदा बुनियादी ढांचे और कर्मचारियों का बेहतर और अधिक प्रभावी उपयोग होगा। इसके परिणामस्वरूप गतिविधि का दोहराव कम होगा और राजकोष में तत्काल बचत होगी।

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