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तेल रिसाव

तेल को बेहद कीमती ऊर्जा स्रोत माना जाता है, जिसे समुद्र और भूमि पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जहाजों और पाइपलाइनों द्वारा पहुंचाया जाता है। जहाजों द्वारा तेल को स्थानांतरित करते समय या पाइपलाइन टूटने के कारण कई जगहों पर तेल का का रिसाव हो जाता है। तेल रिसाव का सीध सा मतलब, मानवीय गतिविधियों द्वारा तरल पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन का पर्यावरण में मुक्त होना है। ‘तेल रिसाव’ शब्द का उपयोग आमतौर पर समुद्री तेल रिसाव के लिए होता है, जिसमें स्थानांतरण के समय तेल समुद्र में या तटीय जल में रिस जाता है।

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तेल रिसाव क्या है? 

तेल रिसाव पर्यावरण में गैसोलीन, कच्चे तेल, अन्य तेल उत्पादों और ईंधन के अनियंत्रित रिलीज को संदर्भित करता है। तेल रिसाव, समुद्री जीवों के प्राकृतिक आवासों को नष्ट करके जल, वायु और भूमि को प्रदूषित कर सकता है। महाद्वीपीय चट्टानों पर पेट्रोलियम की खोज और बड़े जहाजों में परिवहन ने तेल रिसाव के मामलों में वृद्धि की है। 

मरीन इनसाइट के अनुसार, हर साल लगभग 706 मिलियन गैलन अपशिष्ट तेल समुद्र को प्रदूषित करता है। तेल अपशिष्ट निपटान और भूमि जल निकासी प्रथाओं से जल निकायों में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। पाइपलाइनों, तेल टैंकरों, या ड्रिलिंग रिग्स से जुड़ी दुर्घटनाएं महासागरों, नदियों और खाड़ियों में तेल रिसाव का प्रमुख कारण हैं। 

आमतौर पर कच्चे तेल के टैंकरों, अपतटीय प्लेटफार्म से, खुदाई उपकरणों, तथा कुओं से तेल का रिसाव होता है। तेल रिसाव में परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद, जैसे गैलोलिन, डीजल का रिसाव और इसके उप-उत्पादों का रिसाव शामिल है। इसके अलावा बड़े जहाजों में प्रयुक्त होने वाले ईंधन जैसे बंकर ईंधन का रिसाव या अपशिष्ट तेल का रिसाव या तैलीय अवशिष्ट पदार्थों का रिसाव भी तेल रिसाव में शामिल होता है। इसके अलावा कई बार प्राकृतिक रुप से भी तेल रिस कर समुद्रीय जल में मिलकर उसे प्रदुषित कर देता है। समुद्र या तटीय इलाकों पर रिसने वाले इस तेल को साफ करने में काफी समय और धन खर्च होता है। 

पिछले कुछ सालो में तेल रिसाव दुर्घटनाओं की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। ये तेल रिसाव समुद्री जीवन, कछुओं और पक्षियों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह पानी को जहरीला बना देता है। इससे मुहाने और तटों के भी दूषित होने का खतरा रहता है, जिससे इंसानों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। 

भारत में तेल रिसाव से संबंधित कानून 

तेल रिसाव और इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर फिलहाल भारत में कोई कानून नहीं है। हालांकि इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए भारत ने साल 1996 में राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिक योजना (National Oil Spill Disaster Contingency Plan) बनाई थी। 

NOS-DCP से संबंधित दस्तावेज़ रक्षा मंत्रालय ने साल 1996 में जारी किया था। इसे बाद में मार्च 2006 में अपडेट किया गया था। 

NOS-DCP योजना, भारतीय तटरक्षक बलों को तेल रिसाव के सफाई कार्यों में मंत्रालयों, बंदरगाह प्राधिकरणों और पर्यावरण एजेंसियों को सहायता के लिए समन्वय करने का अधिकार देता है। 

भारत ने साल 2015 में बंकर तेल प्रदूषण क्षति, 2001 (बंकर कन्वेंशन) के लिए नागरिक दायित्व पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की पुष्टि की थी। इस कन्वेंशन में तेल रिसाव से होने वाले नुकसान के लिए पर्याप्त, त्वरित और प्रभावी मुआवजा सुनिश्चित करता है। यह अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) द्वारा प्रशासित होता है।

नोट: आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साथ जुडें, यहां हम प्रमुख जानकारियों को आसान तरीके से समझाते हैं।

यूपीएससी परीक्षा 2023 के लिहाज से तेल रिसाव एक बेहद महत्वपूर्ण विषय है। इसलिए आईएएस उम्मीदवारों को, तेल रिसाव और उसे नियंत्रित करने के उपायों के बारे में बुनियादी जानकारी होनी चाहिए। इस लेख में हम आपको तेल रिसाव, उसके नियंत्रण के उपाय और पर्यावरण पर पड़ने वाले उसके असर के बारे में विस्तार से बताएंगे।   

तेल रिसाव के प्रमुख कारण 

महाद्वीपीय चट्टानों पर पेट्रोलियम पदार्थों की गहन खोज और उत्पादन से बड़ी मात्रा में तेल का रिसाव होता है। इसके अलावा जहाजों से परिवहन के समय भी तेल का रिसाव होता है। 

टैंकरों, नावों, पाइपलाइनों, रिफाइनरियों, ड्रिलिंग क्षेत्र तथा भंडारण सुविधाओं से जुड़ी दुर्घटनाओं के कारण भी नदियों, खाड़ियों और समुद्र में बडे स्तर पर तेल का रिसाव होता है। 

नोट – UPSC प्रीलिम्स और IAS परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को पर्यावरण पर तेल रिसाव के प्रभाव के बारे में जानना चाहिए। 

तेल रिसाव के पर्यावरणीय प्रभाव

लोगों के जीवन के लिए खतरा – तेल प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होता है। यह समुद्री भोजन पर निर्भर रहने वाले लोगों का जीवन संकट में डाल सकता है। 

पक्षियों के लिए खतरा – कच्चा तेल पक्षियों के पंखों की रोधन क्षमता को नष्ट कर देता है और उन पर तेल चढ़ा देता है। जिससे तेल में लिपटे पक्षी हाइपोथर्मिया के शिकार हो जाते हैं और कई बार इससे उनकी उनकी मृत्यु तक हो जाती है। 

जलीय जीवों के लिए खतरा – तेल रिसाव समुद्री तेल समुद्र की सतह पर एक पतली परत बना देता है, जिससे सूर्य का पर्याप्त प्रकाश समुद्र की सतह के नीचे प्रवेश नहीं कर पाता है। इससे पानी में घुलित ऑक्सीजन का स्तर भी कम हो जाता है, जिससे समुद्री जीवों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। 

जीवों की प्रजनन दर पर खतरा – तेल के कारण समुद्री जीवों जैसे मछली आदि जहरीले हो जाते हैं और उनको खाने से अन्य बड़े समुद्री जीव भी मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। समुद्र में तेल रिसाव से जीवों की प्रजनन दर कम हो जाती है और निवास स्थान भी नष्ट हो जाते हैं। 

मैंग्रोव के लिए खतरा – पृथ्वी को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने वाले मैंग्रोव और खारे पानी के दलदल के लिए तेल रिसाव बेहद खतरनाक है। इसलिए तेल रिसाव पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर सकता है। 

नोट – IAS परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को तेल रिसाव के पर्यावरणीय प्रभाव के अलावा  आर्थिक प्रभाव के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। यहां नीचे तेल रिसाव के आर्थिक प्रभाव के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है।

तेल रिसाव के आर्थिक प्रभाव

मछली पालन उद्योग पर प्रभाव – तेल रिसाव के कारण प्रदुषित होने वाले जल से मछली पालन उद्योग बड़े पैमाने पर प्रभावित होता है, जिससे बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है।

पर्यटन उद्योग पर प्रभाव – समुद्र तटों और तटरेखाओं पर तेल रिसाव से होने वाले प्रदूषण के कारण पर्यटन उद्योग प्रभावित होता है।

बिजली संयंत्रों पर प्रभाव – कई बिजली संयंत्रों के संचालन में समुद्री जल की जरूरत होती है, लेकिन तेल रिसाव के कारण जल के प्रदुषित होने से बिजली संयंत्रो के संचालन पर भी विपरित असर पड़ता हैं।

यूपीएससी परीक्षा 2023 की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को तेल रिसाव (Oil Spills) से संबंधित प्रश्नों का आत्मविश्वास के साथ उत्तर देने के लिए उपर दिए गए कारकों की जानकारी होना बेहद आवश्यक है।

नोट: UPSC 2023 परीक्षा नजदीक आ रही है, आप अपनी तैयारी को बढ़ाने के लिए BYJU’s के The Hindu Newspaper के दैनिक वीडियो विश्लेषण का उपयोग करें।

तेल रिसाव को नियंत्रित करने के उपाय क्या हैं?

जैविक उपचार (Bioremediation)

समुद्र के जल से तेल साफ करने की जैविक उपचार तकनीक में बैक्टीरिया का उपयोग किया जाता है। इसमें विशिष्ट बैक्टीरिया गैसोलीन और तेल में हाइड्रोकार्बन जैसे प्रदूषकों को बायोरेमेडिएट कर सकते हैं।

बायोरेमेडिएशन तकनीक दूषित पदार्थों को खत्म करने के लिए साइक्लोक्लास्टिकस, ओलेस्पिरा, पैरापरलुसीडिबाका और थैलासोलिटस झोंगशानिया जैसे बैक्टीरिया का उपयोग करती है। 

द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी ने अलग-अलग सूक्ष्मजीव पाए हैं जो कच्चे तेल में जहरीले पॉलीसाइक्लिक सुगंधित यौगिकों को हटा सकते हैं। ये सूक्ष्म जीव भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र में 2100 मीटर की गहराई पर हाइड्रोकार्बन पर पनपते हैं।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी, चेन्नई ने साल 2020 में तेल रिसाव को साफ करने के लिए एक इको-फ्रेंडली क्रूड ऑयल बायोरेमेडिएशन तकनीक विकसित की थी।

कंटेनमेंट बूम (Containment Booms)

तेल को समुद्र में फैलने से रोकने के लिए वैज्ञानिक बूम या फ्लोटिंग बैरियर का उपयोग करते हैं। यह तेल को तेजी से हटाने और फैलाने में भी मदद करता है।

स्किमर्स (Skimmers)

स्किमर्स ऐसे उपकरण हैं जिनका उपयोग पानी की सतह से छलकते तेल को अलग करने के लिए किया जाता है।

सोरबेंट्स (Sorbents)

ज्वालामुखीय राख, पुआल और पॉलिएस्टर-व्युत्पन्न प्लास्टिक छीलन जैसे सोरबेंट्स पानी से तेल को अवशोषित करने में मदद करते हैं।

डिस्पर्सिंग एजेंट (Dispersing Agents)

डिस्पर्सिंग एजेंट, ऐसे रसायन होते हैं, जिनमें यौगिक या सर्फेक्टेंट होते हैं जो तेल को छोटी-छोटी बूंदों में तोड़ देते हैं। इनका अधिकतर उपयोग जल निकायों को साफ करने के लिए किया जाता है।

उम्मीद है, इस लेख से आईएएस और यूपीएससी परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों मदद मिलेगी। इस तरह की अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए आप BYJU’S के साथ जुड़े रहें। 

तेल रिसाव के बारे में अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

समुद्री तेल रिसाव क्या है?

तेल स्थानांतरण के समय जल निकायों में कच्चे तेल और परिष्कृत उत्पादों के आकस्मिक फैलने या रिसने को समुद्री तेल रिसाव कहा जाता है।

तेल रिसाव पर्यटन को कैसे प्रभावित करता है?

तेल रिसाव से पर्यटन स्थलों और तटों के प्रदुषण का खतरा रहता है। और इससे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ समुद्री जीवन भी प्रभावित होता है। इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के डर से पर्यटक इन क्षेत्रों में जाने से बचते हैं।

तेल रिसाव की घटना सर्वाधिक कहां होती है?

मेक्सिको की खाड़ी और भूमध्य सागर, जहाजों से तेल रिसाव वाले प्रमुख स्थान हैं।

यूपीएससी परीक्षा 2023 और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित नवीनतम अध्ययन सामग्री के लिए नीचे लिंक किए गए लेखों पर जाए।

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