Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

लेसर फ्लोरिकन या खरमोर पक्षी

लेसर फ्लोरिकन एक बड़े आकार का लम्बी टांगों वाला भारतीय पक्षी है। इसे चीनीमोरया खरमोरभी कहते हैं। यह सबसे छोटा बस्टर्ड और सिफियोटाइड्स जीनस का एकमात्र सदस्य है। लेसर फ्लोरिकन या खरमोर का वैज्ञानिक नाम- सिफियोटाइड्स इंडिकस है। यह मुख्यतः उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र, नासिक, अहमदनगर से लेकर पश्चिमी घाट तक पाया जाता है। हालांकि वर्षा काल में यह गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान तक फैल जाता है। भारत में रतलाम, सरदारपुर सहित कई स्थानों पर खरमोर के अभयारण्य हैं। यह पक्षी कभी-कभी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ पश्चिमी भागों तक भी पहुंच जाता है। भारत के बाहर यह पक्षी नहीं पाया जाता है।

खरमोर की विशेषताएं

खरमोर नर पक्षी बरसात के मौसम में छलांग लगाने वाले प्रजनन प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है। नर खरमोर में सिर पर विशिष्ट विस्तारित पंख होते हैं जो गर्दन के पीछे तक पहुंचते हैं। गर्मियों के दिनों में खरमोर अधिकतर उत्तरी और मध्य भारत में पाए जाते हैं, लेकिन सर्दियों में ये पूरे भारत में फैले जाते हैं। यह भारत की अत्यधिक संकटग्रस्त पक्षी प्रजातियों में से एक है। शिकार और आवास की बिगड़ना इसके लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है।

खरमोर नर और मादा लगभग एक से ही होते हैं। इसके सिर, गर्दन और नीचे का भाग काला और ऊपरी हिस्सा हलका सफेद होता है। इसके कान के पीछे पंख कुछ बढ़े हुए होते हैं। प्रणय ऋतु में नर के सिर पर एक सुंदर कलंगी निकल आती और वो चमकीला काले रंग का हो जाता है। खरमोर मादा, नर से आकार में कुछ बड़ी होती है।   

खरमोर पक्षी, ऊबड़-खाबड़ और झाड़ियों से भरे मैदानी इलाकों में रहना पसंद करते हैं। हालांकि सर्दी के मौसम में इसे खेतों में भी देखा जा सकता है। यह पक्षी मुख्यरूप से जंगली फल, पौधों की जड़ें, घासपात, नए कल्ले एवं कीड़े मकोड़े खाते हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा में इस विषय सें संबंधित प्रश्न करेंट अफेयर्स या पर्यावरण और पारिस्थितिकी के सेक्शन में पूछे जाने की बहुत अधिक संभावना है।

नोट: UPSC 2023 परीक्षा करीब आ रही है, इसलिए आप BYJU’S द्वारा द हिंदू अखबार के मुफ्त दैनिक वीडियो विश्लेषण के साथ अपनी तैयारी को पूरा करें।

लेजर फ्लोरिकन से जुड़े जरूरी तथ्य

वर्गीकरण

इसकी दो छोटी बस्टर्ड उप-प्रजातियों को फ्लोरिकन करार दिया गया है। पहले इसमें विपरीत यौन आकार के द्विरूपता के साथ जीनस सिफियोटाइड्स में हौबारोप्सिस बेंगालेंसिस (या बंगाल फ्लोरिकन) भी शामिल थी। भले ही 2 पीढ़ी क्रमिक रूप से संबंधित हैं, लेकिन साइफोटाइड्स में टारसस लंबा होता है। इसमें नर पक्षियों में मौसमी पंख परिवर्तन के परिणामस्वरूप विशिष्ट जीनस की अवधारण स्थापित हुई है।

भौतिक विशेषताऐं

खरमोर नर के सिर, गर्दन और निचले क्षेत्र काले होते हैं। हालांकि उनका गला सफेद होता है। इसमें सिर के दोनों किनारों पर कान-आवरण के नीचे से लगभग तीन चार इंच लंबे रिबन जैसे प्लम निकलते हैं, जो ऊपर की ओर मुड़े हुए होते हैं और एक स्पैटुलेट बिंदु में समाप्त होते हैं।

इसमें सफेद, वी-आकार के निशान पीछे और स्कैपुलर में जाते हैं। इन पक्षियों का संभोग का मौसम समाप्त होने के बाद भी नर के पंख आमतौर पर कुछ सफेद होते हैं। इनमें मादा, नर से थोड़ी बड़ी होती हैं। युवा खरमोर पक्षियों की गर्दन में गले के पास एक प्रमुख यू-आकार का निशान होता है। इनके सिर और गले पर काली धारियां और गहरे निशान होते हैं। वहीं, पीठ काली और धब्बेदार होती है। जैसे ही वे नाभि के पास पहुंचते हैं, गर्दन और ऊपरी स्तन पर बफ की धारियां फीकी पड़ जाती हैं।

इनके इनर-वेब पर, बाहरी प्राइमरी पतली और नोकदार होती है। इनकी परितारिका पीले रंग की होती है, और पैर हल्के पीले रंग के होते है। युवा पक्षियों की गर्दन में गले के पास एक प्रमुख यू-आकार का निशान होता है। नर खरमोर, मादा को आकर्षित करने के लिए एक बार में करीब 400 से 800 बार तक कूदता है।  

नोट: UPSC 2023 परीक्षा करीब आ रही है, इसलिए आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साथ जुड़े, यहां हम महत्वपूर्ण जानकारियों को सरल तरीके से समझाते हैं।

खरमोर का आवास

खरमोर पक्षी की प्रजातियां पहले, श्रीलंका को छोड़कर पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में पाई जाती थी। भारत के मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों में यह मुख्य रूप से प्रजनन के लिए आते हैं। घास के मैदान इसके लिए प्राकृतिक आवास हैं, यह कपास और मसूर के बागानों में रहना पसंद करते हैं।

खरमोह पक्षी को वर्षा के मौसम में यात्रा करने के लिए जाना जाता है। इस दौरान कुछ क्षेत्रों में इसकी उपस्थिति असंगत हो सकती है, जिसमें बड़ी संख्या में कुछ मौसमों के दौरान अप्रत्याशित रूप से दिखाई देते हैं। इस पक्षी के लिए मध्य प्रदेश, गुजरात और दक्षिणी नेपाल के कुछ स्थानों के साथ ही आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्से अभी मुख्य प्रजनन क्षेत्र हैं।

खरमोर पक्षी कश्मीर की वादियों से प्रजनन के लिए सैलाना आ जाते हैं। बारिश के मौसम में इस क्षेत्र की जलवायु इन्हें बहुत रास आती है। जुलाई के सुहाने मौसम में इनका आगमन शुरू होता है और अक्टूबर के आखिरी तक ये अपने बच्चों समेत उड़ककर पुनः अपने घरों की ओर लौट जाते हैं।

यह पक्षी बेहद शांत रहते हैं और जरा-सी आहट या आवाज से घास में छुप जाते हैं। नर खरमोर, मादा को आकर्षित करने के लिए विशेष प्रकार की तेज टर्र-टर्र की आवाज निकालता है और एक ही स्थान पर खड़े रहकर उछल-कूद करता है। नर खरमोर की आवाज और उछल-कूद की क्षमता, मादा खरमोर को प्रजनन के लिए आकर्षित व आमंत्रित करती है।

खरमोर का व्यवहार और आहार

खरमोर घने घास के मैदान या फसल वाले खेतों में अकेले या जोड़े के रूप में में देखे जा सकते हैं। अन्य बस्टर्ड की तुलना में ये काफी तेज रफ्तार से उड़ने में सक्षम होते हैं। इनकी उड़ान बतख के समान होती हैं। खरमोर कीड़े, मिलीपेड, छिपकली, टोड, और कीड़े जैसे टिड्डे, पंखों वाली चींटियां, और बालों वाले कैटरपिलर, छोटे कशेरुक और अकशेरुकी जीवों को खाते हैं। कई जगहों पर इन्हें अंकुर और बीज के साथ ही पौधों और जामुन को भी खाते हुए देखा गया है। भोजन के मामले में खरमोर अन्य नए प्रवासित पक्षियों के रुप में अपवाद हैं। फ्लोरिकन सिर्फ सुबह और शाम या रात को ही भोजन करते हैं।

लेजर फ्लोरिकन और बस्टर्ड के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न :

क्या बस्टर्ड उड़ते हैं?

बस्टर्ड अपने बड़े आकार के बावजूद तेज गति से उड़ने में सक्षम हैं।

क्या लेजर फ्लोरिकन संकटग्रस्त पक्षी है?

एक शताब्दी पहले तक खरमोर पूरे भारत में हिमालय से लेकर दक्षिण तट पर पाए जाते थे। घास के मैदानों में ही पाए जाने वाले खरमोर की संख्या अब धीरे-धीरे कम होने लगी है। 1980 के बाद तो लगभग विलुप्त से होने लगे खरमोर पर पक्षी विशेषज्ञों व सरकारों का ध्यान गया। इसलिए इस प्रजाति को लुप्तप्राय पक्षियों की प्रजाति रूप में वर्गीकृत किया गया है।

मध्य प्रदेश शासन ने 15 जुलाई 1983 को सैलाना, आम्बा और शेरपुर क्षेत्र में कुल 1296.541 हेक्टेयर भूमि को खरमोर पक्षी के प्रवास के लिए अभयारण्य क्षेत्र घोषित किया है। पूरी दुनिया में अब केवल कुछ हजार वयस्क लेजर फ्लोरिकन के बचे होने का अनुमान है। इसलिए भारत सरकार के केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय ने खरमोर पक्षी को संकट ग्रस्त प्रजाति घोषित किया है।

बस्टर्ड किससे संबंधित हैं?

बस्टर्ड, ओटिडिडे परिवार के कई मध्यम से बड़े पक्षियों ग्रुइफोर्मेस आदि प्रजातियों से संबंधित है।

आप अपनी अपनी IAS परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले UPSC Exam Pattern in Hindi को गहराई से समझ लें और उसके अनुसार अपनी तैयारी की योजना बनाएं।

आगामी UPSC 2023 परीक्षा की तैयारी के लिए नीचे लिंक किए गए लेख पर जाएं। यहां आपके लिए IAS परीक्षा की तैयारी से संबंधित महत्वपूर्ण सामग्री हिंदी में उपलब्ध हैं।

सम्बंधित लिंक्स :

Environment Book For UPSC in Hindi Botany Syllabus in Hindi
Bakhira Wildlife Sanctuary in Hindi Crop festivals of India in Hindi
Best GK Book For UPSC in Hindi Best Magazine For UPSC in Hindi
Animal Husbandry Veterinary Science Books in Hindi Animal Husbandry Veterinary Science Syllabus in Hindi

 

Comments

Leave a Comment

Your Mobile number and Email id will not be published.

*

*