21 नवंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: भारतीय अर्थव्यवस्था:
समाज और सामाजिक न्याय:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
नया “डेटा संरक्षण विधेयक”:
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विकास के लिए हस्तक्षेप।
मुख्य परीक्षा: निजी/व्यक्तिगत डेटा संरक्षण का महत्व।
संदर्भ:
- केंद्र सरकार ने डेटा संरक्षण कानून के नवीनतम मसौदे -डिजिटल निजी डेटा संरक्षण विधेयक, 2022 (Digital Personal Data Protection Bill, 2022 (DPDP Bill, 2022) ) का मसौदा सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी किया है।
विवरण:
- डिजिटल निजी डेटा संरक्षण विधेयक, 2022 (DPDP बिल, 2022) का नवीनतम मसौदा,डेटा संरक्षण विधेयक-2019 के स्थान पर जारी किया गया था, जिसे इस साल अगस्त 2022 में सरकार ने वापस ले लिया था।
- चूँकि पूर्व का यह विधेयक डेटा संरक्षण के दायरे से केंद्र सरकार को व्यापक छूट प्रदान करता था जिसकी संबंधित कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं द्वारा आलोचना की जा रही थी।
- भारत में डेटा संरक्षण कानून की यह चौथी पुनरावृत्ति (चौथी बार लाया गया हैं) है।
- IT नियम, 2011 में गोपनीयता के लिए मौजूदा कानूनी ढांचा डेटा प्रिंसिपल के नुकसान से निपटने के लिए अप्रभावी साबित हुआ है, खासकर जब से सूचनात्मक गोपनीयता के अधिकार को के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ 2017 के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मौलिक अधिकार के रूप में बरकरार रखा गया है।
पृष्ठ्भूमि:
- इससे सम्बंधित पहला मसौदा, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2018 न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण समिति द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
- इसे 2019 में लोकसभा में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 के रूप में पेश किया गया था। पेश किये जाने के बाद इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति के पास भेजा गया था।
- इस संयुक्त समिति (JPC) ने कोविड-19 महामारी के कारण हुई देरी की वजह से दिसंबर, 2021 में इस विधेयक पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- संयुक्त समिति (JPC) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के साथ एक नया मसौदा विधेयक, अर्थात् डेटा संरक्षण विधेयक, 2021 भी दिया गया जिसमें JPC की सिफारिशों को शामिल किया गया था।
- हालांकि अगस्त 2022 में सरकार ने JPC की रिपोर्ट और JPC द्वारा 2019 के विधेयक में किए गए “व्यापक परिवर्तन” का हवाला देते हुए पीडीपी बिल वापस ले लिया था।
संशोधन और परिवर्तन के पीछे कारण:
- आज के समय में कंपनियां (डेटा फिड्यूशरीज़) अपने पास उपलब्ध कम्प्यूटेशनल शक्ति का इस्तेमाल कर उपयोगकर्ताओं (डेटा प्रिंसिपल) द्वारा उत्पन्न किए जा रहे व्यक्तिगत डेटा की अभूतपूर्व मात्रा को उन तरीकों से संसाधित कर सकते है जो डेटा प्रिंसिपल की स्वायत्तता, आत्मनिर्णय, पसंद की स्वतंत्रता और गोपनीयता को तेजी से कम कर देते हैं।
- सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2011 (IT नियम, 2011) के अनुसार गोपनीयता के लिए मौजूदा कानूनी ढांचा डेटा प्रिंसिपल के इस तरह के नुकसान से निपटने के लिए अपर्याप्त है।
यह चार स्तरों पर अपर्याप्त है:
- मौजूदा ढांचा निजता पर आधारित है जो एक मौलिक अधिकार होने के बजाय एक वैधानिक अधिकार है साथ ही यह सरकार द्वारा व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण पर लागू नहीं होता है।
- इसमें संरक्षित किए जाने वाले डेटा के प्रकारों के बारे में समझ भी सीमित है।
- यह डेटा फ़िड्यूशरी पर न्यूनतम दायित्व आरोपित करता है जिसका अनुबंध द्वारा उल्लंघन किया जा सकता है।
- इन दायित्वों का उल्लंघन करने पर डेटा फिड्यूशरीज़ को न्यूनतम परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
- भारत कई कारणों से इष्टतम डेटा संरक्षण कानून लागू करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
- डेटा संरक्षण कानूनों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि डेटा न्यासियों के लिए अनुपालन जटिल और कठिन न हो जो डेटा प्रिंसिपल के अधिकारों की रक्षा करने के लिए वैध प्रसंस्करण को भी अव्यवहारिक बना देता है।
- डेटा सिद्धांतों की गोपनीयता के अधिकार और उचित अपवादों के बीच पर्याप्त संतुलन खोजना चुनौतीपूर्ण है, विशेष रूप से जहां व्यक्तिगत डेटा के सरकारी प्रसंस्करण का संबंध है।
- जिस गति से प्रौद्योगिकी विकसित हो रही है, उसे देखते हुए एक आदर्श डेटा संरक्षण कानून का डिजाइन भविष्योन्मुख होना चाहिए।
विधेयक के वर्तमान सूत्रीकरण कि व्यापकता:
- DPDP विधेयक, 2022 व्यक्तिगत डेटा के सभी प्रसंस्करण पर लागू होता है जो व्यक्तिगत डेटा सहित डिजिटल रूप से ऑनलाइन और ऑफलाइन एकत्र किया जाता है लेकिन प्रसंस्करण के लिए इन्हे डिजिटाइज़ किया जाता है।
- वास्तव में मानवीय रूप से संसाधित किए गए डेटा के लिए पूरी तरह से अनुपयुक्त होने के कारण यह निम्न स्तर की सुरक्षा प्रदान करता है।
- ऐसा प्रतीत होता है कि विधेयक भारत के बाहर व्यक्तिगत डेटा एकत्र और संसाधित करने वाले भारतीय डेटा फ़िड्यूशरीज़ या डेटा प्रिंसिपल जो भारत में स्थित नहीं हैं को बाहर करता है।
- यह विधेयक भारत में डेटा फ़िड्यूशरीज़ द्वारा भारत के अनिवासियों के व्यक्तिगत डेटा प्रोसेसिंग के लिए सुरक्षित अपने अधिकांश ऐप्लीकशन को भी छूट प्रदान करता है।
- यह विदेशों में काम कर रहे भारतीय स्टार्ट-अप के ग्राहकों के लिए उपलब्ध वैधानिक सुरक्षा को प्रभावित करेगा, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होगी।
DPDP विधेयक, 2022 का विश्लेषण:
- वर्तमान में जारी यह मसौदा संग्रह सीमा जैसे कुछ डेटा सुरक्षा सिद्धांतों के स्पष्ट संदर्भ को हटा देता है जो डेटा प्रत्ययी को डेटा प्रिंसिपल द्वारा सहमति के लिए किसी भी व्यक्तिगत डेटा को एकत्र करने की अनुमति देगा। यह केवल सहमति के आधार पर डेटा संग्रह को सक्षम बनाता है।
- 2022 का यह विधेयक “संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा” और इसके अतिरिक्त संरक्षण की अवधारणा को भी दूर करता है।
- यह बिल उस जानकारी के सम्प्रेषण को भी कम करता है जिसे डेटा फिड्यूशरी द्वारा डेटा प्रिंसिपल को दिया जाना आवश्यक है।
- क्योंकि केवल सहमति-आधारित व्यक्तिगत डेटा प्रोसेसिंग के लिए एक सीमित सूचना डेटा सुरक्षा अधिकारों के प्रयोग के दायरे को सीमित कर देगी।
- “सार्वजनिक हित” जैसे प्रसंस्करण के लिए अस्पष्ट शब्दों के आधार और डेटा प्रिंसिपल के हितों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों को हटाने के कारण “डीम्ड/समझी गई सहमति” की अवधारणा के बारे में कुछ चिंताएँ हैं।
- यह पोस्टमार्टम गोपनीयता के अधिकार को मान्यता देता है जो 2019 के विधेयक से गायब था लेकिन JPC द्वारा इसकी सिफारिश की गई थी।
- पोस्टमॉर्टम गोपनीयता का अधिकार डेटा प्रिंसिपल को मृत्यु या अक्षमता के मामले में किसी अन्य व्यक्ति को नामांकित करने की अनुमति देगा।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारत की सॉफ्ट लोन कूटनीति:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत और उसके पड़ोसी देशों से संबंध।
मुख्य परीक्षा: भारत की पड़ोस पहले नीति (India’s neighbourhood first policy) का विश्लेषण।
संदर्भ:
- हाल ही में पूर्व विदेश सचिव और जी-20 के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला ने एक कार्यक्रम में भारत की सॉफ्ट लोन कूटनीति के बारे में बात की।
मुख्य विवरण:
- अपने पड़ोसी देशों के लिए भारत की लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) वर्ष 2014 में 3.27 बिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020 में 14.7 बिलियन डॉलर हो गई थी।
- भारत के विश्वव्यापी सॉफ्ट उधार (लगभग 50 प्रतिशत) का बड़ा हिस्सा अपने पड़ोसी देशों में अपने भागीदार देशों के पास जाता है।
- भारत द्वारा किसी एक देश को दिया जाने वाला सबसे बड़ा रियायती ऋण बांग्लादेश ($8 बिलियन) को दिया गया है।
- भारत द्वारा श्रीलंका को कुल 1.4 बिलियन डॉलर से अधिक का वित्तीय सहयोग प्राप्त हुआ है, जिसमें से 400 मिलियन डॉलर की मुद्रा अदला-बदली (currency swap) ,और 500 मिलियन डॉलर का ऋण स्थगन ( loan deferment ) एवं ईंधन आयात के लिए 500 मिलियन डॉलर का LOC शामिल है।
- LOC प्राप्त करने वाले भारत के अन्य पड़ोसी देशों में नेपाल (1.65 बिलियन डॉलर), म्यांमार (476 मिलियन) और मालदीव (1.3 बिलियन डॉलर) हैं।
- कुल मिलाकर, 30.59 बिलियन डॉलर के 306 LOC को दुनिया भर के 65 देशों में विस्तारित किया गया है। परियोजनाओं में बुनियादी ढांचा, बिजली उत्पादन, सिंचाई, स्वास्थ्य देखभाल और क्षमता निर्माण शामिल हैं।
- सॉफ्ट लोन ने अन्य देशों के साथ भारत की बेहतर कनेक्टिविटी के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में मदद की हैं। चूँकि भारत की समृद्धि और विकास उसके पड़ोसियों से जुड़ा हुआ है।
सारांश:
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- भारतीय विदेश नीति पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Indian Foreign Policy
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
आर्थिक यात्रा का आगे का खाका तैयार करना:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
भारतीय अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: भारत का आर्थिक इतिहास और भविष्य की रणनीति।
विवरण:
- इस बात को बहुत अधिक महत्त्व नहीं दिया गया है कि 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध (ब्रिटिश शासन के अधीन) में भारत की आर्थिक प्रगति बेहद निराशाजनक थी। एक अध्ययन के अनुसार, उस पाँच दशकों के दौरान भारत की वार्षिक वृद्धि दर मात्र 0.89% थी।
- भारत की जनसंख्या 0.83% की दर से बढ़ी, जबकि प्रति व्यक्ति आय वृद्धि मात्र 0.06% थी। इस प्रकार, आजादी के तुरंत बाद आर्थिक विकास नीति निर्माताओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन गया।
- भारत 2047 (आजादी के 100 साल बाद) तक एक विकसित अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लेगा। इसका तात्पर्य यह है कि इसे न्यूनतम प्रति व्यक्ति आय $13,000 के बराबर प्राप्त करनी होगी।
- हालांकि भारत आज पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत की रैंक 197 देशों में (2020 में) 142वीं थी।
भारत के आर्थिक विवरण की पृष्ठभूमि:
- पहले की अवधि में भारत की विकास रणनीति में चार पहलू शामिल थे:
- बचत और निवेश दर में वृद्धि
- राज्य के हस्तक्षेप का प्रभुत्व
- आयात प्रतिस्थापन
- पूंजीगत वस्तुओं का घरेलू विनिर्माण
- हालाँकि, 1950 और 1960 के दशक के दौरान सभी विकासशील देशों में विकास को गति देने के लिए एक स्पष्ट मॉडल की कमी थी। 1970 के दशक के दौरान यह देखा गया कि भारत का मॉडल अपने वांछित परिणाम प्राप्त नहीं कर रहा था और उसमें बड़े संशोधनों की आवश्यकता थी।
- 1970 के दशक के अंत तक देश का औसत economic growth 3.6% था, जनसंख्या वृद्धि 2.2% थी, और प्रति व्यक्ति आय वृद्धि दर 1.4% थी।
- हालांकि, स्वास्थ्य, साक्षरता दर और जीवन प्रत्याशा जैसे मापदंडों में सुधार हुआ है। हरित क्रांति के कारण कृषि में भी आश्चर्यजनक सुधार हुआ।
- वास्तविक विकास अनुमानों से कम था और प्रदर्शन अन्य विकासशील देशों की तुलना में प्रभावशाली नहीं था। लगभग उसी समय चीन ने आर्थिक नीतियों में बड़े बदलाव किए।
- 1980 के दशक में अर्थव्यवस्था ने 5.6% की वृद्धि दर्ज की थी, लेकिन ऐसा बिगड़ती राजकोषीय और चालू खाता घाटे के कारण हुआ था।
- 1991-92 में अर्थव्यवस्था को सबसे खराब संकट का सामना करना पड़ा। तीन बड़े बदलाव किए गए:
- लाइसेंस और परमिट की जटिल व्यवस्था को खत्म करना
- राज्य की भूमिका को पुनर्परिभाषित करना
- अंतर्मुखी व्यापार नीति को त्यागना
एलपीजी सुधारों पर अधिक जानकारी के लिए, यहां पढ़ें: LPG Reforms in India – Significance & Effects [UPSC Notes]
- अलग-अलग समय अवधि में कारक लागत पर वार्षिक जीडीपी विकास दर नीचे दी गई है:
समय अवधि |
वार्षिक जीडीपी वृद्धि |
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1992-93 और 2000-01 के बीच |
6.20% |
2001-02 और 2012-13 के बीच |
7.4% |
2013-14 और 2019-20 के बीच |
6.7% |
- 2005-06 और 2010-11 की समयावधि के दौरान सबसे अच्छा प्रदर्शन दर्ज किया गया था, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद 8.8% के आंकड़े तक पहुंच गया था। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह विकास दर 2008-09 के वैश्विक संकट के बावजूद प्राप्त हुई थी। 2007-08 में निवेश दर 39.1% के शिखर पर पहुंच गई।
- हालांकि, 2011-12 के बाद आर्थिक विकास को झटका लगा। 2012-13 में यह दर घटकर 4.5% रह गई। विकास दर ने 2019-20 में 3.7% के स्तर को छुआ।
भविष्य की कार्रवाई:
- विकास दर में वृद्धि:
- शोध सुझाव देते हैं कि विकसित अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल करने के लिए भारत को लगातार दो दशकों तक 7% की विकास दर हासिल करनी होगी।
- इसके लिए, सकल स्थायी पूंजी निर्माण दर को सकल घरेलू उत्पाद (वर्तमान में) के 28% से बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का 33% करना महत्वपूर्ण होगा। इसके अलावा, भारत को पूंजी उपयोग की दक्षता को दर्शाते हुए वृद्धिशील पूंजी-उत्पादन अनुपात को भी 4 पर बनाए रखना चाहिए।
- निजी निवेश (कॉर्पोरेट और गैर-कॉर्पोरेट दोनों) के साथ-साथ सार्वजनिक निवेश भी बढ़ना चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि मूल्य स्थिरता, सतत निवेश वातावरण और स्थिर वित्तीय और राजकोषीय प्रणाली इसके पीछे महत्वपूर्ण कारक हैं।
- भारत को नई और उभरती प्रौद्योगिकियों को आत्मसात करना चाहिए।
- इसके लिए मजबूत विनिर्माण और निर्यात क्षेत्रों की भी आवश्यकता है।
- सामाजिक सुरक्षा जाल को मजबूत करना:
- यह याद रखना चाहिए कि समानता के बिना विकास टिकाऊ नहीं होता और इस प्रकार भारत को सामाजिक सुरक्षा जाल की व्यवस्था को मजबूत करना चाहिए।
- इसके अलावा, कुछ प्रतिबंधों के साथ एक खुली अर्थव्यवस्था का पालन करना सबसे अच्छा मार्ग है।
संबंधित लिंक्स:
The Indian Economic Development Experience: Facts and Overview
सारांश:
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भारत के कल्याण छत्र के नीचे सभी शरणार्थियों के लिए एक स्थल:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
समाज और सामाजिक न्याय:
विषय: महिलाओं से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: सक्रियता के 16 दिन।
मुख्य परीक्षा: लिंग आधारित हिंसा और लैंगिक समानता।
प्रसंग:
- “सक्रियता के 16 दिन” का आयोजन 25 नवंबर 2022 से किया जाएगा।
विवरण:
- लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ वार्षिक “सक्रियता के 16 दिन” का आयोजन 25 नवंबर 2022 (महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस) से 10 दिसंबर 2022 (अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस) तक किया जाएगा।
- 2022 का वैश्विक विषय है: “यूनाइट (UNITE)! महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए सक्रियता”।
- इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लिंग और सुरक्षा की कमी को उलट दिया जाए। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए एकजुट होना जरूरी है। इसके अलावा, परिवर्तन के अभिकर्त्ता बनने के लिए पुरुषों का भी समर्थन किया जाना चाहिए।
- दुनिया घरेलू हिंसा, तस्करी, बाल विवाह, यौन शोषण और दुर्व्यवहार में समग्र वृद्धि का सामना कर रही है।
- Russia-Ukraine War, म्यांमार में तख्तापलट, और अफगानिस्तान में तालिबान के कब्ज़े जैसी संघर्ष स्थितियों के कारण महिलाओं को एक विषम बोझ का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उन्हें अपने घरों से भागने और दूसरे देशों में शरण लेने के लिए मजबूर किया जाता है।
भारत का प्रदर्शन: भारत
- 1947 में भारत की स्वतंत्रता के दौरान भारत की महिलाओं को मताधिकार प्रदान किया गया था।
- मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा का मसौदा तैयार करते समय भारत ने लैंगिक-संवेदनशील मानदंडों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उदाहरण के लिए, ‘सभी पुरुषों को समान बनाया गया है’ की भाषा को बदलकर ‘सभी मनुष्यों को समान बनाया गया है’ कर दिया गया।
- भारत ने महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर सम्मेलन ( Convention on the Elimination of all Forms of Discrimination against Women (CEDAW)) जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों की भी पुष्टि की है।
- भारतीय महिलाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा करने के “अनुचित भेदभाव” को भी समाप्त कर दिया है और अब उन्हें कमांडर के रूप में सेवा करने की अनुमति है (2020 से)। इसके अलावा, भारत में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (United Nations peacekeeping forces) में महिलाओं की सबसे बड़ी संख्या है, इस प्रकार समान भूमिका का अर्थ है कि महिलाएं संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों में कार्य कर सकती हैं।
- केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकार ने शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लड़कियों/महिलाओं का समर्थन करने के लिए विभिन्न योजनाएं/नीतियां शुरू की हैं। उदाहरण के लिए, ‘नए भारत के लिए नारी शक्ति’ अभियान लाखों महिलाओं की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है और उन्हें नेतृत्व करने का अवसर भी प्रदान करता है।
शरणार्थी महिलाओं का मामला:
- भारत में लगभग 2,12,000 शरणार्थी हैं। सरकार यह सुनिश्चित करती है कि शरणार्थी भारतीय नागरिकों के समान सुरक्षा सेवाओं का उपयोग कर सकें।
- इसके अलावा, श्रीलंका से सीधे सरकार द्वारा पंजीकृत शरणार्थी भी आर्थिक और वित्तीय समावेशन के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड के हकदार हैं। वे कल्याणकारी योजनाओं तक भी पहुंच सकते हैं।
- हालाँकि, UNHCR के साथ पंजीकृत शरणार्थी सुरक्षा और केवल सीमित सहायता सेवाओं तक ही पहुँच प्राप्त कर सकते हैं और इस प्रकार वे अनजाने में पीछे रह जाते हैं।
समापन टिप्पणी:
“मानवता की प्रगति महिलाओं के सशक्तिकरण के बिना अधूरी है”।
– प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी
संबंधित लिंक:
Gender Inequality In India – UPSC Preparation Strategy
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1.हानि और क्षति निधि:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण:
विषय: संरक्षण पर्यावरण प्रदुषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
प्रारंभिक परीक्षा: UNFCCC, पार्टियों का सम्मेलन।
संदर्भ:
- शर्म अल-शेख, मिस्र में 27वें संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (COP27) में सभी देशों के प्रतिनिधि ‘हानि और क्षति’ कोष (Loss and Damage Fund) स्थापित करने पर सहमत हुए हैं,अर्थात जिसमें क्षति निधि व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए समझौता किया गया है।
मुख्य विवरण:
- COP27 ( COP27 ) सम्मेलन में शामिल सभी देश जलवायु से जुड़ी आपदाओं से सबसे कमजोर (गरीब) देशों को मुआवजा देने के लिए एक कोष स्थापित करने पर सहमत हुए हैं।
- इस निधि के संबंध में महत्वपूर्ण प्रश्नों को एक “संक्रमणकालीन समिति” (transitional committee) पर छोड़ दिया गया है,जो 2023 में संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित होने वाले जलवायु परिवर्तन के लिए संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क कन्वेंशन के पार्टियों के अगले सम्मेलन (UN’s Framework Convention for Climate Change) में फंड को अपनाने के लिए सिफारिशें करेगा।
- COP27 में लगभग 45,000 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें स्वदेशी लोग, नागरिक समाज, युवा और बच्चे शामिल थे।
- L&D फंड (Loss and Damage Fund) से अपेक्षित मौद्रिक मुआवजा लगभग $500 बिलियन और सालाना $200 बिलियन बढ़ने का अनुमान है।
- इस सम्मेलन में लिए गए सभी प्रमुख निर्णयों का सारांश दस्तावेज़, जिसे शर्म अल-शेख कार्यान्वयन योजना कहा गया है, ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था में वैश्विक परिवर्तन के लिए एक वर्ष में कम से कम $4-6 ट्रिलियन के निवेश की आवश्यकता है।
हानि और क्षति (Loss and Damage):
- हानि और क्षति मानव समाज और प्राकृतिक पर्यावरण पर जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक परिणामों को संदर्भित करता है।
- जलवायु परिवर्तन चरम मौसम की घटनाओं जैसे कि तूफान, बाढ़ और हीट वेव्स की आवृत्ति, तीव्रता और भौगोलिक वितरण को प्रभावित कर रहा है, और साथ ही समुद्र के स्तर में वृद्धि, समुद्र के अम्लीकरण, जैव विविधता की हानि और मरुस्थलीकरण जैसी धीमी शुरुआत वाली घटनाओं को बढ़ा रहा है।
- इन सभी के परिणामस्वरूप आर्थिक और गैर-आर्थिक दोनों तरह की हानि और क्षति होती है।
- निष्पक्षता और इक्विटी के सवालों और जलवायु परिवर्तन के लिए ऐतिहासिक जिम्मेदारी साबित करने के कारण हानि और क्षति की बहस अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ताओं के भीतर विवादास्पद रही है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ऑपरेशन क्लॉ-स्वार्ड (Operation Claw-Sword):
- हाल ही में तुर्की ने उत्तरी सीरिया और इराक में प्रतिबंधित कुर्द उग्रवादियों के ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं।
- इस आक्रामक हमले को “ऑपरेशन क्लॉ-स्वार्ड” कूट नाम दिया गया हैं।
- इन ठिकानों का इस्तेमाल तुर्की की धरती पर “आतंकवादी” हमले शुरू करने के लिए किया जा रहा था।
- मध्य इस्तांबुल में हाल ही में हुए एक विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई और 81 घायल हो गए थे।
- तुर्की ने कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) पर हमले का आरोप लगाया हैं।
- इन हमलों में उत्तरी इराक के कंदील, असोस और हाकुर्क के पहाड़ी क्षेत्रों में PKK के ठिकानों को निशाना बनाया गया, साथ ही सीरिया के क्षेत्रों में कुर्दिश पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स (YPG) के ठिकानों को आइन अल-अरब (कुर्दिश में कोबाने कहा जाता है), ताल रिफत, जज़ीरा और डेरिक में निशाना बनाया गया।
- हाल के वर्षों में तुर्की ने तुर्की क्षेत्र पर हमलों को रोकने के उद्देश्य से उत्तरी इराक और सीरिया में स्थित कुर्द समूहों को निशाना बनाते हुए कई सीमा पार अभियान चलाए हैं।
चित्र स्रोत: BBC
2.’ग्रेट नॉट’ (Great Knot):
- लुप्तप्राय कैलिड्रिस टेन्यूरोस्ट्रिस से संबंधित रूस के एक ग्रेट नॉट, जो सर्दियों के प्रवास के लिए 9,000 किमी से अधिक की उड़ान भरता है, को हाल ही में केरल के चवक्कड़ समुद्र तट पर देखा गया था।
- इस प्रवासी पक्षी ने मध्य एशियाई फ्लाईवे (CAF) से होकर उड़ान भरी। यह पूर्वी रूस में कामचटका प्रायद्वीप में MOSKVA रिंग के साथ चिन्हित किए गए लगभग हजार नॉट्स में से भारत में फिर से देखे जाने वाले दो ग्रेट नॉट्स में से एक है – दूसरा गुजरात के जामनगर में देखा गया है।
- ये लंबी दूरी के प्रवासी CAF के साथ प्रायद्वीपीय भारत समेत अपने दक्षिणी सर्दियों के मैदानों में जाने से पहले दक्षिणपूर्व एशिया में पीले सागर क्षेत्र और थाईलैंड में रुकते हैं।
- ग्रेट नॉट एक छोटा सा बगुला है। यह कैलीड्रिड प्रजाति में सबसे बड़ा है।
- उनका प्रजनन आवास पूर्वोत्तर साइबेरिया में टुंड्रा है। वे जमीन पर घोंसले में लगभग चार अंडे देते हैं। वे ऑस्ट्रेलिया से होते हुए दक्षिणी एशिया में तटों पर प्रवास करते हैं। यह प्रजाति सर्दियों में बड़े झुंड बनाती है।
- वे IUCN Red List of Threatened Species में ‘लुप्तप्राय’ के रूप में सूचीबद्ध हैं।
चित्र स्रोत: eBird
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. हाल ही में चर्चा में रहे ‘ग्रेट नॉट’ (Great Knot) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर: कठिन)
- यह एक छोटा सा बगुला है और कैलिड्रिड प्रजातियों में सबसे छोटा है।
- इसे IUCN रेड-लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- यह एक अंतरराष्ट्रीय प्रवासी पक्षी है जो उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी गोलार्द्ध के बीच व्यापक दूरी तय करता है।
दिए गए कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल एक कथन
(b) केवल दो कथन
(c) सभी तीनों कथन
(d) उपर्युक्त कथनों में से कोई भी नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: ग्रेट नॉट एक छोटा सा बगुला है। यह कैलीड्रिड प्रजाति में सबसे बड़ा है।
- कथन 2 गलत है: वे संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में ‘लुप्तप्राय’ के रूप में सूचीबद्ध हैं।
- कथन 3 सही है: वे लंबी दूरी के प्रवासी हैं और मध्य एशियाई फ्लाईवे से होते हुए प्रायद्वीपीय भारत समेत अपने दक्षिणी शीतकालीन मैदानों में जाने से पहले वे दक्षिणपूर्व एशिया में पीले सागर क्षेत्र और थाईलैंड में रुकते हैं।
प्रश्न 2. ज़ैपोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र ( Zaporizhzhia Nuclear Powerplant) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर: मध्यम)
- यह यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है।
- यह डोनबास क्षेत्र में स्थित है और रूस द्वारा नियंत्रित है।
- यह यूक्रेन का एकमात्र परमाणु ऊर्जा संयंत्र है जो यूक्रेन के वार्षिक बिजली उत्पादन का पांचवां हिस्सा उत्पादित करता है।
दिए गए कथनों में से कितने गलत है/हैं?
(a) केवल एक कथन
(b) केवल दो कथन
(c) सभी तीनों कथन
(d) उपर्युक्त कथनों में से कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: ज़ैपोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र (NPP) यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है।
- कथन 2 गलत है: इसे सोवियत संघ द्वारा विवादित डोनबास क्षेत्र से सिर्फ 200 किलोमीटर की दूरी पर नीपर नदी के किनारे कखोव्का जलाशय के दक्षिणी किनारे पर, एनरहोडार शहर के पास बनाया गया था। यह यूक्रेन द्वारा नियंत्रित है।
- कथन 3 गलत है: ज़ैपोरिज़िया यूक्रेन में परिचालित चार NPP में से एक है और 1984 से काम कर रहा है। यह सभी यूक्रेनी NPP द्वारा उत्पन्न कुल बिजली का लगभग 40% और यूक्रेन के वार्षिक बिजली उत्पादन का पांचवां हिस्सा उत्पादित करता है।
प्रश्न 3. द्वि-तुलन पत्र (Twin-balance sheet) समस्या निम्न में से किसका परिणाम है: (स्तर: कठिन)
- अधिक लाभ उठाने वाला व्यासायिक क्षेत्र
- कम लाभ उठाने वाला व्यासायिक क्षेत्र
- बढ़ता राजकोषीय घाटा
- बैड लोन से भारग्रस्त बैंक
सही विकल्प का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) केवल 2 और 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- द्वि-तुलन पत्र की समस्या (Twin Balance Sheet) एक ओर अत्यधिक ऋणग्रस्त कंपनियों की स्थिति और दूसरी ओर खराब-ऋण-ग्रस्त बैंकों की स्थिति को संदर्भित करती है।
प्रश्न 4. दिए गए कथनों में से कौन सा कथन हाल ही में चर्चा में रही ‘स्वास्तिक’ (SVASTIK) पहल का सर्वोत्तम वर्णन करता है?
(a) गाँवों के सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत तकनीक के साथ मानचित्रण की सुविधा के लिए पंचायती राज मंत्रालय की एक पहल।
(b) आकांक्षी जिलों में पानी के कीटाणुशोधन और जल जनित रोगों का कारण बनने वाले रोगजनक सूक्ष्मजीवों को दूर करने के लिए नीति आयोग द्वारा शुरू की गई एक पहल।
(c) भारत के वैज्ञानिक रूप से मान्य पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और संचार के लिए CSIR-NIScPR की एक पहल।
(d) दिहाड़ी मजदूरों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए सीमा सड़क संगठन की एक पहल।
उत्तर: c
व्याख्या:
- CSIR-NIScPR के वैज्ञानिकों की एक टीम ने “SVASTIK” – वैज्ञानिक रूप से मान्य सामाजिक पारंपरिक ज्ञान – ब्रांड नाम के साथ इस पहल की शुरुआत की है। इस पहल के एक भाग के रूप में डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से अंग्रेजी, हिंदी और विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में पारंपरिक ज्ञान पर सरल रचनात्मक सामग्री का प्रसार किया जा रहा है।
- स्वास्तिक का उद्देश्य सही परंपरा के अभ्यास का संरक्षण करना, वैज्ञानिक तरीके से परंपरा को सत्यापित करने के वैज्ञानिक स्वभाव को विकसित करना और हमारे पारंपरिक ज्ञान/प्रथाओं के वैज्ञानिक मूल्य के बारे में नागरिकों में विश्वास पैदा करना है।
प्रश्न 5. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- सौत्रांतिक और सम्मितिया जैन धर्म के संप्रदाय थे।
- सर्वास्तिवादिन का मानना था कि परिघटना के घटक पूर्ण रूप से क्षणिक नहीं थे, बल्कि एक अव्यक्त रूप में हमेशा के लिए उपस्थित थे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: सौत्रांतिक और सम्मित्य बौद्ध धर्म के संप्रदाय थे।
- कथन 2 सही है: सर्वास्तिवादिन (वे जो कहते हैं “सब कुछ है”) का विचार था कि घटना (धर्म) के घटक पूर्ण रूप से क्षणिक नहीं होती, बल्कि एक अव्यक्त रूप में हमेशा के लिए अस्तित्व में रहते हैं।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. शीर्ष डेटा-योगदानकर्ता राष्ट्र होने के बावजूद भारत में एक प्रभावी व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानूनी ढांचे का अभाव है। कथन के आलोक में, हाल के घटनाक्रमों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस-2; राजव्यवस्था)
प्रश्न 2. किसी भी संघर्ष या संकट की स्थिति में एक महिला शरणार्थी को सैदेव ही अनुपातहीन बोझ वहन करना पड़ता हैं। भारत में शरणार्थियों की स्थिति का मूल्यांकन करते हुए बताये की विशेष रूप से महिला शरणार्थियों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए क्या किया जा सकता है? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस-2; शासन)