28 मार्च 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
सुरक्षा:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
निरर्हता की पहेली या भ्रामक प्रश्न:
राजव्यवस्था:
विषय: संसद-संरचना, कामकाज, कार्य संचालन, शक्तियां और विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: विधायिका के सदस्यों की निरर्हता से सम्बंधित प्रावधान।
मुख्य परीक्षा: विधायिका के सदस्यों की निरर्हता के प्रावधानों से जुड़े विभिन्न मुद्दे।
प्रसंग:
- लोकसभा की सदस्यता से राहुल गांधी की निरर्हता ने एक बार फिर इस बहस को जन्म दिया है की क्या तत्काल निरर्हता से सेवारत विधायकों को प्राप्त पहले के संरक्षण को बहाल किया जाना चाहिए।
पृष्ठभूमि:
- सम्बंधित पृष्ठभूमि की विस्तृत जानकारी के ‘राहुल गांधी की दोषसिद्धि’ विषय से सम्बंधित लिंक पर क्लिक कीजिए: Rahul Gandhi’s Conviction
भूतपूर्व संरक्षण:
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1951 की धारा 8(4) ने सजायाफ्ता सांसदों, विधायकों और विधान परिषद के सदस्यों को अपने पदों पर बने रहने की अनुमति दी, बशर्ते कि वे ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले की तिथि के तीन महीने के भीतर उच्च न्यायालयों में अपनी सजा के खिलाफ अपील करें।
- हालाँकि वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया मामले में अपने ऐतिहासिक फैसले के माध्यम से, RPA, 1951 की धारा 8 (4) को रद्द घोषित कर दिया था।
- सर्वोच्च न्यायालय ने इस धारा को इस आधार पर असंवैधानिक घोषित किया था कि संसद के पास इस तरह के कानून को लागू करने के लिए आवश्यक विधायी क्षमता नहीं हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 102 में संसद को एक सामान्य कानून बनाने के लिए बाध्य किया हैं जिसमें किसी व्यक्ति को “सांसद के रूप में चुने जाने” के साथ-साथ “सदस्य होने” के लिए अयोग्य घोषित करने के लिए नियम और शर्तें निर्धारित की गई हैं (अनुच्छेद 191 राज्य विधानसभा और विधान परिषद से संबंधित है)।
- हालाँकि, RPA की धारा 8 की उप-धारा (4) के अनुसार अपील दायर करने का कार्य निरर्हता पर रोक के रूप में उसके निपटान तक काम करेगा।
- शीर्ष न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि आम नागरिकों की तत्काल निरर्हता के लिए एक प्रावधान और विधायकों की स्थगित निरर्हता के लिए एक प्रावधान बनाकर, संसद ने संवैधानिक जनादेश का उल्लंघन किया था।
निरर्हता के सम्बन्ध में सरकार का रुख क्या था:
- तत्कालीन सरकार ने दो तर्कों के साथ मौजूदा सदस्यों के लिए सुरक्षा खंड का बचाव करने की कोशिश की थी:
- सरकार ने तर्क दिया था कि इस तरह का खंड उस स्थिति में महत्वपूर्ण हो जाएगा यदि किसी सरकार के पास बहुत कम बहुमत है, और सजा की तिथि से किसी सदन के एक या दो सदस्यों की तत्काल निरर्हता के परिणामस्वरूप बहुमत खतरे में आ सकता है और सरकार गिर सकती हैं या उसमे परिवर्तन हो सकता है।
- इसमें सरकार ने यह भी तर्क दिया था उस तत्काल निरर्हता के लिए उपचुनाव कराने की आवश्यकता होगी और यदि उपचुनाव के परिणाम के बाद अपीलीय अदालत द्वारा सजा को खारिज कर दिया जाता है, तो परिणाम को पलटा नहीं जा सकता है, और पूर्व सदस्य को सदन के सदस्य के रूप में बहाल नहीं किया जा सकता है।
- इसके साथ ही सरकार ने आगे यह भी कहा कि संसद निरर्हता को नियंत्रित करने के लिए दो अलग-अलग प्रावधान नहीं कर रही है,चूंकि सुरक्षा खंड केवल निरर्हता के समय को स्थगित करता है जिसका अर्थ यह बिलकुल नहीं है कि सदस्यों को एक अलग तरह के उपचार के अधीन किया गया हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने हालांकि इन तर्कों को खारिज कर दिया और कहा कि तत्काल निरर्हता का सामना करने वाला सदस्य केवल अपील दायर कर सकता है और दोषसिद्धि पर रोक लगा सकता है।
- न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि निरर्हता/अपात्रता एक अपीलीय अदालत द्वारा दोषसिद्धि की “रोक लगाने की तिथि ” से समाप्त मानी जाएगी।
“रोक लगाने की तिथि” की प्रासंगिकता:
- दोषसिद्धि की “रोक लगाने की तिथि” ने भी तरह-तरह के प्रश्नों को जन्म दिया है।
- अधिकांश मामलों में दोषसिद्धि पर कोई रोक नहीं लगाई गई है, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अक्सर कहा है कि केवल सजा का निलंबन, ज़मानत देना और लंबित अपीलों को ही सामान्य उपचार के रूप में माना जाना चाहिए, और दोषसिद्धि पर रोक सिर्फ दुर्लभ मामलों में दी जानी चाहिए।
- नेताओं के विभिन्न उदाहरण देखे जा सकते हैं जिन्होंने निरर्हता कि वजह से अपनी सदस्यता खो दी थी और बाद में अपनी अपील में या तो वे सफल हुए या हार गए, जिसकी वजह से कोई बड़ा विवाद पैदा नहीं हुआ।
- हालांकि, लक्षद्वीप के एक सांसद, जिन्हें दोषी ठहराया गया था और जनवरी में 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, केरल उच्च न्यायालय से दोषसिद्धि पर रोक लगाने में कामयाब रहे,लेकिन तब तक लोकसभा सचिवालय ने उनकी सीट खाली घोषित कर दी थी और चुनाव आयोग ने उपचुनाव के लिए एक तिथि भी तय कर दी थी।
- सांसद ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी और चुनाव आयोग ने कहा कि वह अदालत के स्थगन आदेश का सम्मान करेगा। हालांकि, सांसद की लोकसभा सदस्यता अभी तक बहाल नहीं हुई है।
- बहाली में देरी का मुख्य कारण यह है कि सजा की तिथि तब होती है जब निरर्हता लागू होती है, लेकिन दोषसिद्धि पर रोक उस दिन से शुरू होती है जिस दिन से रोक दी जाती है, जिसका अर्थ है कि बीच की अवधि के दौरान, सदस्य को निरर्हता का नुकसान उठाना पड़ा।
- इस प्रकार, ऐसे प्रश्न हैं जैसे कि सदस्यता को बहाल किया जा सकता है या सजा की तिथि से पूर्वव्यापी प्रभाव से बहाल किया जा सकता है।
अनुशंसाएँ:
- संबंधित सदनों के सचिवालय को सजा पर रोक के आदेश को स्वीकार करना चाहिए और अपील पूरी होने तक बिना किसी परेशानी के सदस्यता बहाल करनी चाहिए।
- सचिवालय को भी तब तक प्रतीक्षा करने के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए जब तक दोषी सदस्य दोषसिद्धि पर रोक के लिए अपीलीय न्यायालयों में नहीं जाते और न्यायालय में आवेदन खारिज होने पर ही रिक्ति की सूचना दें।
- इसके अलावा, राष्ट्रपति या राज्यपाल को अनुच्छेद 103 और अनुच्छेद 192 (राज्य विधानमंडल) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए और “स्वचालित” निरर्हता मार्ग का उपयोग करने के बजाय किसी सदस्य को औपचारिक रूप से अयोग्य घोषित करना चाहिए।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
ओशन कॉमन्स के लिए एक साझा G20 विजन:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों को प्रभावित करने वाले वैश्विक समूह और समझौते।
मुख्य परीक्षा: महासागरों के लिए G20 विजन; नीली अर्थव्यवस्था।
प्रारंभिक परीक्षा: G20; नीली अर्थव्यवस्था।
विवरण:
- महासागर पृथ्वी ग्रह के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे जैव विविधता के भंडार हैं, और जलवायु और मौसम नियामक हैं।
- इसके अलावा महसागरों में अपार आर्थिक अवसर या संभावनाएं देखी जा सकती हैं।
- विशेष रूप से, अधिकांश समृद्ध देशों/शहरों के पास अपने तट है।
- G20 के सदस्य देश मिलकर दुनिया के लगभग 45% समुद्र तट और लगभग 21% अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZs) [ exclusive economic zones (EEZs)] का हिस्सा हैं।
- समुद्र पर निर्भर आर्थिक विकास के अलावा, ‘नीली अर्थव्यवस्था'( ‘blue economy’) में समावेशी सामाजिक विकास और पर्यावरण और पारिस्थितिक सुरक्षा भी शामिल है।
अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को भी क्लिक कीजिए: India Takes Over Presidency Of G20 | 17th G20 Summit- Indonesia
नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए पहलें:
- सागरमाला कार्यक्रम (Sagarmala program) के माध्यम से बंदरगाह आधारित विकास पर बल दिया गया है।
- जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति घरेलू जहाज निर्माण को बढ़ावा देती है।
- मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और उत्तरदायी विकास के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) शुरू की है।
- वास्तविक समय में जहाजों को ट्रैक करने के लिए सागर मंथन डैशबोर्ड है।
- भारत EEZ और महाद्वीपीय शेल्फ में गहरे समुद्र के संसाधनों का पता लगाने के लिए डीप ओशन मिशन (Deep Ocean Mission) शुरू करने की भी योजना बना रहा है।
- पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील तटीय और समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए भारत ने तटीय विनियमन क्षेत्र को भी अपनाया है।
- 2018 में, भारत ने एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों में भी संशोधन किया और विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) के लिए नीतियां प्रस्तुत कीं।
- G20 अध्यक्षता के एक भाग के रूप में, भारत ने अपने पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह के तहत ‘नीली अर्थव्यवस्था’ को एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता प्रदान की है।
- ‘नीली अर्थव्यवस्था’ की अवधारणा ‘लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट (LiFE)’ [Lifestyle for the Environment (LiFE) ] पहल के अनुरूप है, जो बिना सोचे-समझे उपभोग पैटर्न की तुलना में सचेत उपयोग को बढ़ावा देती है।
अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को भी क्लिक कीजिए: Coastal Regulation Zone. CRZ Notifications & Reforms
समुद्री और तटीय पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरे:
- जलवायु परिवर्तन और संबद्ध चरम मौसम घटनाएं।
- महासागर अम्लीकरण और समुद्र स्तर में वृद्धि।
- समुद्री प्रदूषण में वृद्धि।
- अनियोजित शहरीकरण।
- संसाधनों का अत्यधिक दोहन।
- जैसा कि स्वाभाविक रूप से महासागर आपस में जुड़े हुए हैं, जिसके कारण दुनिया के एक हिस्से में होने वाली गतिविधियों का दुनिया भर में प्रभाव पड़ता है।
भविष्य की कार्रवाई:
- G20 की अध्यक्षता में महासागरों और नीली अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता देने के भारत के प्रयासों से सदस्य देशों के बीच निरंतर चर्चा सुनिश्चित होगी।
- भारत व्यक्तिगत और सामूहिक कार्यों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- महासागरों के संरक्षण और सतत उपयोग की जिम्मेदारी पूरी दुनिया की है।
- कुशल और प्रभावी नीली अर्थव्यवस्था गवर्नेंस की भी आवश्यकता है।
- G20 सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा करने और साझा करने, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति के लिए सहयोग को बढ़ावा देने, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने और नवाचारी ब्लू वित्तीय तंत्र विकसित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
- G20 के परिणामों का उपयोग अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों जैसे UNFCCC, CBD, प्लास्टिक प्रदूषण पर अंतर सरकारी वार्ता समिति, UNCLOS आदि में किया जा सकता है।
निष्कर्ष
- महासागरों का कुशल और विवेकपूर्ण प्रबंधन एक ऐसा निवेश है जो आने वाली पीढ़ियों को जीवित बनाए रखेगा। इस प्रकार, ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की भावना को हमारे महासागरों की भलाई के लिए वैश्विक समुदाय को एकजुट करना चाहिए।
संबंधित लिंक: Marine Mineral Resources: UPSC Geography
सारांश:
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यह हेलीकॉप्टर कार्यक्रम किसी संकट में नहीं पड़ सकता:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
विषय: रक्षा प्रौद्योगिकियां।
मुख्य परीक्षा: उन्नत हल्का हेलीकाप्टर (ALH) और संबंधित चिंताएँ।
प्रारंभिक परीक्षा: G20; उन्नत हल्का हेलीकाप्टर (ALH)।
प्रसंग:
- 8 मार्च 2023 को ध्रुव (आईएन-709) दुर्घटना।
पृष्ठभूमि का विवरण:
- 8 मार्च 2023 को भारतीय नौसेना के ALH Mk-III MRs के नए अधिग्रहीत बेड़े में भारत का स्वदेशी उन्नत हल्का हेलीकॉप्टर (ALH-ध्रुव), IN-709 मुंबई तट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
- विभिन्न सेवाओं में ALH से जुड़ी 17 बड़ी दुर्घटनाएं हुई हैं। कोच्चि, केरल (2003) में गहन उड़ान और परीक्षण इकाई (IFTU) की स्थापना के बाद से भारतीय नौसेना के ALH बेड़े की यह पहली दुर्घटना थी।
- 26 मार्च 2023 को, एक और दुर्घटना हुई जब एक भारतीय तट रक्षक ALH Mk-III MR (CG-855) (परीक्षण उड़ान) उड़ान भरने के तुरंत बाद कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
- नौसेना जांच बोर्ड द्वारा दुर्घटनाओं की जांच की जा रही है।
- घटना के बाद, खोज और बचाव, और दुर्घटना और बचाव अभियान कुशलतापूर्वक चलाए गए है।
- इसके अलावा, भारतीय नौसेना और भारतीय तट रक्षक दोनों ने अपने ALH संचालन को निलंबित कर दिया।
- कुछ दिनों के बाद, आवश्यक सुरक्षा जांच के लिए सभी सेवाओं में पूरे ALH बेड़े को रोक दिया गया। यह इंगित करता है कि भारतीय नौसेना ने कुछ गंभीर विफलताओं की पहचान की होगी जो ALH के सभी रूपों को प्रभावित कर सकती हैं।
- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के अनुसार, ALH के प्रमुख संस्करण ध्रुव Mk-I, Mk-II, Mk-III और Mk-IV हैं।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एक बड़ी दुर्घटना के बाद संचालन को रोकना चिंता का कारण नहीं है तथा यह आमतौर पर तकनीकी कारणों से होता है।
- कोच्चि में दुर्घटना (26 मार्च को) चल रहे ग्राउंडिंग अभ्यास की सीमा और अवधि को और बाधित करेगी।
अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को भी क्लिक कीजिए: HAL Light Combat Helicopter: Overview and Characteristics
संभावित त्रुटियाँ:
- विश्व स्तर पर, लगभग 80% हवाई दुर्घटनाएँ मानवीय त्रुटि के कारण होती हैं।
- पूर्व में ALH बेड़े पर हुई दुर्घटनाओं को उड़ान नियंत्रण श्रृंखला में गंभीर विफलता या टूट-फूट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
- अनुदैर्ध्य, पार्श्व और सामूहिक नियंत्रण प्रदान करने वाले बूस्टर (उड़ान नियंत्रण छड़) में टूट-फूट के कारण ALH में नियंत्रण खोने के चार या पांच मामले हैं।
- यह भी कहा जाता है कि ALH में गंभीर खामियों को पर्याप्त रूप से ठीक नहीं किया गया था।
संबद्ध चिंताएं:
- एक ही माह में दो दुर्घटनाएं चिंता का बड़ा कारण हैं।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि IN-709 और CG-855 दोनों ही नए हेलीकॉप्टर हैं और 600 से 800 घंटे से कम की उड़ान भरी है।
- ये हेलीकॉप्टर कई दूरस्थ रक्षा चौकियों में रक्षा कर्मियों के लिए एक जीवन रेखा हैं तथा इसलिए उन्हें लंबे समय तक जमीन पर नहीं रहना चाहिए।
- यदि डिजाइन, उत्पादन, गुणवत्ता नियंत्रण, या प्रमाणन में संभावित खामियों को समय पर ठीक नहीं किया जाता है, तो यह ALH की नागरिक और निर्यात क्षमता को प्रभावित करेगा।
- हल्के उपयोगिता हेलीकॉप्टर जैसे बाद के डेरिवेटिव की प्रतिष्ठा, सुरक्षा और दीर्घायु के अलावा, हल्के युद्धक हेलीकॉप्टर, और भारतीय मल्टीरोल हेलीकाप्टर दांव पर हैं।
भविष्य की राह:
सभी हितधारकों को डिजाइन और उत्पादन विफलताओं को दूर करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य करना चाहिए।
संबंधित लिंक: HAL – Partnering with Russia for Make in India Defense Projects
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1.ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विभिन्न रोगों के बारे में जागरूकता।
प्रारंभिक परीक्षा: ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर/आत्मकेंद्रित स्पेक्ट्रम विकार (Autism spectrum disorder (ASD))।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD):
- ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) एक जटिल विकासात्मक स्थिति है जो रोगी के सामाजिक संचार, बातचीत और व्यवहार को प्रभावित करती है।
- ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) मस्तिष्क में अंतर के कारण होने वाली एक तंत्रिका विकास संबंधी विकलांगता है।
- ASD एक जटिल विकासात्मक विकार है जिसके लक्षण सामाजिक मेल-मिलाप तथा मौखिक और अमौखिक संचार में कठिनाई, दोहराव वाला व्यवहार, और रुचि के प्रति फोकस की कमी हैं।
- ASD को “उद्विकास-संबंधी विकार” कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण आमतौर पर बच्चे के पहले 2 वर्षों में दिखाई देते हैं।
- ऑटिज़्म को “स्पेक्ट्रम” विकार भी कहा जाता है क्योंकि लोगों द्वारा अनुभव किए जाने वाले लक्षणों के प्रकार और गंभीरता में व्यापक भिन्नता होती है।
- वर्तमान में, ASD का उपचार करने या इसे फिर से सामान्य करने के लिए कोई चिकित्सा उपलब्ध नहीं है।
ASD के स्तर:
- डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर (DSM-5) ASD को एक एकल विकार मानता है।
- ऑटिज़्म के विभिन्न स्तरों को वर्गीकृत करने के लिए पहले की प्रणालियों का उपयोग अब नहीं किया जाता है।
- DSM-5 सामाजिक संचार और प्रतिबंधित, दोहराए जाने वाले व्यवहारों का आकलन करके ASD की गंभीरता की जाँच करता है।
- इसके अलावा, ASD की गंभीरता को व्यक्ति की आवश्यकता एवं उसकी सहायता के लिए और उनके दैनिक जीवन पर उनके लक्षणों के प्रभाव के आधार पर 1, 2 या 3 जैसे स्तर का समर्थन करके निर्धारित किया जाता है।
- स्तर 1: ऑटिज्म के मरीजों को सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जिसमें उन्हें कुछ मदद की जरूरत होती है क्योंकि उन्हें बातचीत शुरू करने, दूसरों को जवाब देने या दोस्त बनाने आदि में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
- स्तर 2: दूसरे स्तर पर, व्यक्तियों को अधिक सहयोग की आवश्यकता होती है क्योंकि इस स्तर पर वे बातचीत करने में अधिक चुनौतियों का सामना करते हैं क्योंकि उन्हें सुसंगत बातचीत को समझने या अशाब्दिक संकेतों को समझने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- स्तर 3: व्यक्तियों को उच्चतम स्तर के सहयोग की आवश्यकता होती है क्योंकि वे दूसरों के साथ बातचीत करने से बचते हैं, संचार संबंधी चुनौतियों को बढ़ाते हैं और दोहराए जाने वाले व्यवहार भी करते हैं जो कार्य करने की उनकी क्षमता को प्रभावित करते हैं।
स्क्रीनिंग उपकरण:
- डॉक्टरों ने आत्मकेंद्रित के लिए स्क्रीनिंग के विभिन्न तरीकों को अपनाया है जैसे अनौपचारिक अवलोकन, औपचारिक आकलन और संरचित परीक्षण।
- नन्हें बच्चों (Toddlers) में ऑटिज्म के लिए संशोधित चेकलिस्ट (M-CHAT) 16-30 महीने की उम्र के बच्चों का परीक्षण करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे आम स्क्रीनिंग टूल है। एम-चैट (M-CHAT) 20 प्रश्नों की परीक्षा है।
- आयु/उम्र और चरण प्रश्नावली (ASQ) एक अन्य सामान्य विकासात्मक स्क्रीन है जो विशिष्ट आयु में विकास संबंधी चुनौतियों का आकलन करती है।
- टॉडलर्स एंड यंग चिल्ड्रन (STAT) में ऑटिज्म के लिए स्क्रीनिंग उपकरण में बच्चों और छोटे बच्चों के बीच खेल, संचार और नकल का आकलन करने के लिए 12 गतिविधियाँ हैं।
- इसके अलावा, बचपन ऑटिज़्म रेटिंग स्केल ऑटिज़्म के स्तर को इंगित करने के लिए “सामान्य” और “गंभीर” जैसी रेटिंग का उपयोग करता है।
ऑटिज्म जागरूकता दिवस से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: World Autism Awareness Day
महत्वपूर्ण तथ्य:
1.PPF, सुकन्या समृद्धि ब्याज दर में बढ़ोतरी की संभावना नहीं:
- कुछ रिपोर्टों के अनुसार लोकप्रिय छोटी बचत योजनाओं जैसे सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) और सुकन्या समृद्धि खाता (SSA) पर ब्याज दरों में जल्द ही वृद्धि होने की संभावना नहीं है।
- जनवरी 2019 से PPF और SSA पर ब्याज दरें नहीं बढ़ाई गई हैं।
- वर्ष 2022-23 की तीसरी और चौथी तिमाही के लिए अन्य छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बावजूद इन दोनों योजनाओं की ब्याज दरें स्थिर बनी हुई हैं।
- इसका मुख्य कारण यह है कि सरकार अब श्यामला गोपीनाथ समिति के फार्मूले से पूरी तरह सहमत नहीं है।
- श्यामला गोपीनाथ समिति के फार्मूले को अप्रैल 2016 में अपनाया गया था ताकि तुलनात्मक कार्यकाल के सरकारी बॉन्ड पर प्रचलित प्रतिफल के अनुरूप हर तिमाही में छोटी बचत दरों को पुनः निर्धारित/सेट किया जा सके।
- वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मंत्रालय उन वस्तुओं के संबंध में फॉर्मूले से असहमत है जहां कर लाभ मुख्य विचारणीय प्रश्न है।
- कर संबंधी विचारों के अलावा, सरकार बैंकों की क्रेडिट मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिए पर्याप्त जमा राशि जुटाने की क्षमता और विकसित दुनिया में बैंकों में परेशानियों के बीच अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने के बारे में भी चिंतित है।
- इसके अलावा, केंद्रीय बजट – 2023 ( Union Budget – 2023) में एक नए महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र की घोषणा की गई, जिसमें ₹2 लाख तक के निवेश पर दो साल के लिए 7.5% रिटर्न मिलेगा। SSA के विपरीत, यह योजना कर योग्य है।
सुकन्या समृद्धि योजना से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Sukanya Samriddhi Scheme
2. श्रीलंका ने देश के खुदरा ईंधन बाजार में वैश्विक तेल कंपनियों के प्रवेश को मंजूरी दी:
- श्रीलंका ने तीन वैश्विक तेल कंपनियों को घरेलू खुदरा बाजार में काम करने के लिए लाइसेंस देने का फैसला किया है क्योंकि सरकार अपनी राज्य-स्वामित्व वाली इकाइयों का पुनर्गठन करना चाहती है।
- यह प्रयास श्रीलंका के खुदरा ईंधन बाजार में विविधता लाने हेतु भी किया जा रहा है, जिस पर कुछ ही कंपनियों का एकाधिकार है, जिसमें मुख्य रूप से राज्य के स्वामित्व वाली सीपीसी और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की सहायक कंपनी लंका आईओसी बाजार के एक महत्वपूर्ण हिस्से को नियंत्रित करती है।
- श्रीलंकाई कैबिनेट ने सिनोपेक;यूनाइटेड पेट्रोलियम, ऑस्ट्रेलिया; और RM पार्क्स, यूएसए को शेल के सहयोग से लाइसेंस देने की मंज़ूरी दे दी है।
- तीनों कंपनियों को 150 डीलर संचालित ईंधन स्टेशन आवंटित किए जाएंगे जो राज्य के स्वामित्व वाली सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन द्वारा संचालित हैं और जिन्होंने श्रीलंका में पेट्रोलियम उत्पादों के आयात, भंडारण, वितरण और बिक्री के लिए 20-वर्षीय लाइसेंस प्राप्त किया हैं।
- इन्ही घटनाक्रमों बीच एक भारतीय आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल ने श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ बातचीत की है।
- प्रतिनिधिमंडल दल ने पूर्वी प्रांत में त्रिंकोमाली का भी दौरा किया, जहां लंका आईओसी, सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और श्रीलंका सरकार ने द्वितीय विश्व युद्ध के युग के तेल टैंकों को संयुक्त रूप से विकसित करने पर सहमति व्यक्त की है।
- इसके अलावा, भारत ने श्रीलंका को “क्षेत्रीय पेट्रोलियम हब” के रूप में उभरने में सहायता करने का वचन दिया है।
3.भारत में हीट एक्शन प्लान कमजोर समूहों की पहचान करने में विफल: अध्ययन
- हीटवेव तैयारियों की समीक्षा के लिए प्रधान मंत्री की उच्च स्तरीय बैठक के बाद, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की एक नई रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि भारत गर्मी का सामना करने के लिए तैयार नहीं है।
- थिंक टैंक ने भारत में नीतिगत कार्रवाई का आकलन करने के लिए 18 राज्यों में 37 हीट एक्शन प्लान (HAP) की जांच की और यह देखा गया कि अधिकांश योजनाएँ कमजोर समूहों की पहचान करने और उन्हें लक्षित करने में विफल रही हैं, तथा ये कम वित्त पोषित हैं, इनका कानूनी आधार कमजोर हैं और ये योजनाएं पारदर्शी नहीं हैं।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल दो हीट एक्शन प्लान (HAP) ने इसकी संवेदनशीलता/भेद्यता आकलन किया और इसे प्रस्तुत किया है (किसी शहर, जिले या राज्य में सबसे अधिक प्रभावित होने वाले लोगों का पता लगाने के लिए व्यवस्थित अध्ययन)।
- इसके अलावा, बुजुर्गों, बाहरी श्रमिकों, गर्भवती महिलाओं आदि जैसे कमजोर समूहों को वर्गीकृत करने के बावजूद एचएपी ने विशेष रूप से इन समूहों पर ध्यान केंद्रित नहीं किया है।
- मूल्यांकन रिपोर्ट में विभिन्न अंतरालों पर प्रकाश डाला गया है जिन्हें भविष्य की योजनाओं में भरना होगा, यदि नहीं तो श्रम उत्पादकता में कमी और कृषि में व्यवधान के कारण महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान होगा।
- इसके अतिरिक्त, कार्यान्वयन-उन्मुख एचएपी के बिना, देश के सबसे गरीब व्यक्ति अत्यधिक गर्मी के कारण पीड़ित होंगे।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्न में से बस्टर्ड की कौन सी प्रजाति भारत में पाई जाती है? (स्तर – मध्यम)
1.ग्रेट इंडियन बस्टर्ड्स (GIB)
2.लेसर फ्लोरिकन या खरमोर (Lesser florican)
3.मैक्वीन बस्टर्ड (Macqueen bustard)
4.सैंड ग्रॉस (Sand grouse)
विकल्प:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1,2 और 3
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: b
व्याख्या:
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड्स (GIB) भारत में बस्टर्ड की पाई जाने वाली चार प्रजातियों में से सबसे बड़ी हैं।
- बस्टर्ड की अन्य तीन प्रजातियाँ मैकक्वीन बस्टर्ड, लेसर फ्लोरिकन और बंगाल फ्लोरिकन हैं।
- सैंडग्राउज़ पटेरोक्लीडिडै (Pteroclididae) का सामान्य नाम है जो जमीन पर रहने वाली पक्षियों की प्रजातियों का एक परिवार है।
- वे ज़मीन पर रहने वाले पक्षी हैं जो बिना वृक्षों के खुले देश, जैसे कि मैदानी, सवाना और अर्ध-रेगिस्तान तक सीमित रहते हैं।
- वे पूरे अफ्रीका, मेडागास्कर, मध्य पूर्व, भारत और मध्य एशिया में पाए जाते हैं।
प्रश्न 2. परिवेश ( PARIVESH) योजना के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन से सत्य हैं? (स्तर – मध्यम)
- इसमें वनों, वन्यजीवों और CRZ जैसी सभी प्रकार की मंजूरी के लिए एकल पंजीकरण और एकल साइन-इन शामिल है।
- इस प्रणाली को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा डिजाइन, विकसित और होस्ट किया गया है।
- यह ई-शासन के माध्यम से आर्थिक विकास सृजित करने और सतत विकास को मजबूत करने के लिए एक ढांचा प्रदान करता है।
विकल्प
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: परिवेश (PARIVESH) एक वेब आधारित एप्लिकेशन है, जो केंद्र, राज्य और जिला स्तर के अधिकारियों से पर्यावरण, वन, वन्यजीव और सीआरजेड क्लीयरेंस प्राप्त करने के लिए प्रस्तावकों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों की ऑनलाइन प्रस्तुति और निगरानी के लिए विकसित किया गया है।
- कथन 2 गलत है: इस प्रणाली को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा डिजाइन, विकसित और होस्ट किया गया है।
- कथन 3 सही है: यह ई-गवर्नेंस के माध्यम से आर्थिक विकास उत्पन्न करने और सतत विकास को मजबूत करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
प्रश्न 3. ‘राष्ट्रीय जलीय पारिस्थितिकी संरक्षण योजना’ (National Plan for Conservation of Aquatic Eco-systems- NPCA) पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। (स्तर – मध्यम)
- NPCA केवल झीलों के लिए एक संरक्षण कार्यक्रम है।
- यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित एक केंद्र-प्रायोजित योजना है और इसमें विभिन्न गतिविधियों जैसे अवरोधन, मोड़ और अपशिष्ट जल का उपचार, तटरेखा संरक्षण और झील के विकास को शामिल किया गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से गलत है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) दोनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: ‘राष्ट्रीय जलीय पारिस्थितिकी संरक्षण योजना’ (NPCA) योजना देश में आर्द्रभूमि (झीलों सहित) के संरक्षण और प्रबंधन से सम्बन्धित कार्य देखती है।
- कथन 2 सही है: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा केंद्र प्रायोजित NPCA योजना को लागू किया जा रहा है।
- NPCA को शहरी और अर्ध-शहरी वातावरण में प्रदूषण के मुद्दों को अवरोधन, मोड़, और झीलों में प्रवेश करने वाले प्रदूषण भार के उपचार, तटरेखा संरक्षण और झील के विकास के माध्यम से संबोधित करने के लिए लाया गया था।
प्रश्न 4. जल जीवन मिशन (JJM) के माध्यम से आपूर्ति किए गए पानी में आर्सेनिक स्तर की निगरानी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- भारत में कुल आर्सेनिक के लिए निर्दिष्ट वर्तमान सीमा 0.1 मिलीग्राम/ली है।
- JJM की शुरुआत वर्ष 2016 में वर्ष 2024 तक हर घर में पाइप से पानी पहुंचाने के उद्देश्य से की गई थी।
- लंबे समय तक आर्सेनिक युक्त पानी पीने और भोजन करने से कैंसर और त्वचा की क्षति जैसे रोग हो सकते है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: भारत में कुल आर्सेनिक के लिए निर्दिष्ट वर्तमान सीमा 0.01 mg/l है।
- कथन 2 गलत है: जल जीवन मिशन (JJM), 2024 तक सभी घरों में नल का पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 2019 में शुरू किया गया था।
- कथन 3 सही है: आर्सेनिक युक्त पेयजल का लंबे समय तक अंतर्ग्रहण मूत्राशय के कैंसर, त्वचा के कैंसर और त्वचा के घावों के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित गैसों में से किस एक का मिश्रण खानों में अधिकांश विस्फोटों का कारण बनता है? (PYQ (2008)) (स्तर – मध्यम)
(a) हाइड्रोजन और ऑक्सीजन
(b) ऑक्सीजन और एसिटिलीन
(c) मीथेन और हवा
(d) कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन
उत्तर: c
व्याख्या:
- भूमिगत खनन के प्रारम्भ के बाद से ही कोयले के स्तरों से मीथेन का निकलना खनन सुरक्षा के लिए हमेशा से एक खतरा रही है।
- जब मीथेन हवा के साथ मिलती है, तो यह एक ज्वलनशील मिश्रण बनाती है जो अनगिनत खदान विस्फोटों का कारण बनता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत की नीली अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियों और अवसरों की जांच करते हुए इस क्षेत्र के सतत विकास के लिए नवीन रणनीतियों का सुझाव दीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) [जीएस-3, अर्थव्यवस्था]
प्रश्न 2. वर्तमान मानहानि कानून संबंधित न्यायाधीशों को व्याख्या करने के लिए बहुत गुंजाइश छोड़ देता है। क्या आप इससे सहमत हैं? समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) [जीएस-2, राजव्यवस्था]