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वनाग्नि/ जंगल की आग

दुनिया के कई हिस्सों में भीषण आग से लगने से धरती पर जंगलों का सफाया हो रहा है। पिछले कुछ सालों से गर्मी के कारण कई देशों में जंगलों के एक बड़े हिस्से में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही है। इन घटनाओं से अब तक सैकड़ों किलो मीटर के जंगल जलकर खाक हो गए हैं। जंगल की आग (Forest Fires) या वनाग्नी के पीछे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को एक बड़ा कारण माना जा रहा है। जलवायु परिवर्तन से जूझ रही दुनिया को जंगल की धधकती आग ने और बड़े संकट में डाल दिया है। दुनिया के कुछ सबसे ठंडे क्षेत्रों में 2021 में जंगल की आग में लगातार वृद्धी हुई है। वनाग्नि या फारेस्ट फायर के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Forest Fires पर क्लिक करें।

जंगल ही हमें सांस लेने के लिए साफ हवा देते हैं, इसलिए जंगल में आग (वनाग्नी) लगने की लगातार हो रही घटनाओं से समस्त जीवों के लिए संकट खड़ा हो गया है। डाउन टू अर्थ (Down To Earth) पत्रिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2021 तक जंगल की आग से लगभग 1.76 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ था। इस वजह से हवा में जहरीला धुंआ घुल रहा है। आग लगने की घटनाओं को लेकर वन विभागों ने दावा किया है कि इनमें से कई घटनाएं मानव निर्मित भी होती हैं, कभी-कभी जानबूझकर भी जंगलों में आग लगाई जाती है। जंगलो में आग लगने की घटनाओं ने भारत समेत दुनिया भर में के जलवायु परिवर्तन पर्यावरणविदों और संरक्षणवादियों को चिंता में डाल दिया है।

जंगल में धधकती आग पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। इसलिए आईएएस परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए यह विषय बेहद महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम जंगल की आग, उसके प्रभावों, कारणों और रोकथाम आदि विषयों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। 

नोट- इस लेख में जंगल की आग की अवधारणा और इसके कारणों की व्याख्या की गई है, यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को इससे बहुत मदद मिलेगी।  

जंगल की आग क्या है?

जंगलों में अनियंत्रित रूप से फैलने वाली आग को वनाग्नी या जंगली की आग (Forest Fire) कहा जाता है। इसमें पौधे, जानवर, घास के मैदान, जो भी उसके रास्ते में आते हैं सब जलकर राख हो जाते है। जंगलों में चलने वाली तेज हवा के कारण यह आग अनियंत्रित होकर बड़े भू-भाग में फैल जाती है, जिससे वायु प्रदूषण का खतरा भी बढ़ जाता है।

जंगल में लगने वाली आग आमतौर पर, लंबे समय तक जलती रहती है। इसका मुख्य कारण, जलवायु परिवर्तन होता है। यह आग जंगल में स्थित सुखी लकडियां या अन्य ज्वलनशील पदार्थ के कारण फैलती जाती है। कई बार जंगलों में लगने वाली आग का कारण बिजली गिरना या अत्यधिक सूखी लकड़ियां या पेड़ पौधों के सुखे पत्ते भी होते हैं।

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जंगल की आग से उत्पन्न चिंता

वनाग्नी (जंगल की आग) एक वैश्विक चिंता बन गई है क्योंकि इससे कई देशों को वन में रहने वाले जीवों के साथ-साथ संपत्ति का भी नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा, जंगल की आग के कारण हवा में मिलने वाली जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड से मनुष्यों में फेफड़े और त्वचा में संक्रमण भी होता है।

भारत में, जंगलों में आग आम तौर पर मार्च और अप्रैल के महीनों के दौरान लगती है, जब जमीन सूखी लकड़ियों, घास, खरपतवार और सूखे पत्तों से भर जाती है। कुछ उदाहरणों में तापमान अधिक होने के समय सूखे पेड़ों की शाखाओं के आपस में रगड़ने से होने वाले घर्षण से भी जंगल में आग लग जाती है।

जंगल की आग के कारण

आजीविका के लिए जंगलों को जलाना या अत्यधिक सिंचाई (जिससे बाद में सूखे पत्ते एकत्र हो जाते हैं) करना भी वन में लगने वाली आग के कारणों के अंतर्गत आता है।

जंगल में सिगरेट -बट या माचिस की तिली फैंकने जैसी लापरवाही भी जंगल में आग की बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिमलीपाल के जंगल में ग्रामीणों द्वारा महुआ के फूल इकट्ठा करने के लिए सूखी पत्तियों को जलाने के कारण आग लगने की घटना घटित हुई थी।

जंगल में आग लगने की प्रमुख घटनाएं

साइबेरिया में जंगल की आग ने 2021 की शुरुआत में टूमेन और ओम्स्क के आसपास के पश्चिमी क्षेत्र को बेहद प्रभावित किया था। मॉस्को टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इस घटना में साइबेरिया की लगभग 40 मिलियन एकड़ भूमि पर फैली वनस्पति जलकर राख हो गई थी। इससे उत्तर पूर्व में साखा गणराज्य को बड़ी क्षति हुई थी।

उत्तरी अमेरिका में जुलाई और अगस्त में अत्यधिक तापमान और लू चलने के कारण कनाडा के लिटन शहर में तापमान 49.6 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था, जिससे जंगल की आग की एक श्रृंखला बन गई थी।

भूमध्यसागरीय क्षेत्र में बड़ी आग लगने की घटनाओं से पीएम 2.5 का स्तर काफी बढ़ गया था। तुर्की, ट्यूनीशिया और इटली को भी बड़ी जंगल की आग का सामना करना पड़ा था।

अमेरिका के केलिफार्निया के जंगल में एक सप्‍ताह से अधिक समय से आग धधकती रही इससे यहां का योसेमाइट नेशनल पार्क (Yosemite National Park)  भी आग की चपेट आ गया था। इस जंगल में आग पिछले साल 7 जुलाई को सियरा नेशनल फोरेस्‍ट (Sierra National Forest) से आग की शुरूआत हुई थी। इसके बाद काफी बड़ा इलाका आग की चपेट में आकर जलकर खाक हो गया। इससे कई घर भी जल गए थे।

स्पेन के जंगलों में लगी आग से भी इस इलाके में काफी नुकसान हुआ। यह आग इतनी भयानक थी कि इसे टोरेमोलिना के समुद्री किनारे से भी साफ देखा जा सकता था। इस आग का धुआं कई किमी दूर फैल गया था। इसके बाद से यहां के लोगों को अब आग के घरों तक पहुंचने को लेकर चिंता सता रही है।

मोरक्को में भी एक विशाल भू भाग पर आग लगने की घटना हुई थी। यहां के लाराचे और ताजा प्रोविंस के जंगलों में कई दिनों से आग जलती रही। इसके बाद यहां के सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया।

फ्रांस के जंगलों में लगी आग को लेकर वहां की सरकार भी काफी परेशान रही। यहां आग पर काबू पाने के लिए सरकार को कई दिनों तक मशक्कत करनी पड़ी थी।

पुर्तगाल के कई क्षेत्रों में लगी भयानक आग के कारण हजारों लोगों को सुरक्षित जगह ले जाया गया। इस आग में करीब 75 हजार एकड़ जमीन पर लगे पेड़ जल गए थे। यहां साल 2017 के बाद पहली बार इतना बड़ा इलाका आग से जलकर नष्ट हो गया। इस आग पर काबू पाने के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ करीब 2000 फायरफाइटर्स को रात-दिन मेहनत करनी पड़ी थी। यहां आग बुझाने के लिए हेलीकाप्‍टरों से पानी डाला गया था।

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भारत में आग की प्रमुख घटनाएं

पिछले साल जनवरी में हिमाचल प्रदेश और नागालैंड-मणिपुर सीमा पर लंबे समय तक आग लगी रही।

ओडिशा के सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान में भी फरवरी और मार्च के महीनों में जंगल में भीषण आग लगने की घटना हुई थी।

मध्य प्रदेश में बांधवगढ़ वन रिजर्व और गुजरात में अभयारण्यों में भी जंगलों में आग लगने की घटनाएं हुई थी।

उत्तराखंड में पिछले साल छह महीनों में (अप्रैल 2021 तक) जंगल में आग लगने की लगभग 1,000 घटनाएं हुई थी।

नोट –  दक्षिणी छत्तीसगढ़, मध्य ओडिशा, पश्चिमी महाराष्ट्र, और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के क्षेत्रों में जंगल की आग का सबसे अधिक खतरा रहता है।

जंगल की आग के प्रभाव

भारत में जंगलों में रहने वाले कई परिवार और समुदाय भोजन, चारे और ईंधन के लिए जंगलों पर निर्भर रहते हैं, इसलिए हमारे देश में जंगल की आग अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकती है।

जंगल में लगने वाली आग से छोटी झाड़ियों और घास जल जाती है है, बारिश के मौसम से भूस्खलन और मिट्टी के कटाव का खतरा बढ़ जाता है।

जंगलों में लगने वाली आग से अत्यधिक मात्रा में धुंआ और जहरीली गैस निकलती है, जिससे वातावरण प्रदुषित होता है और मनुष्य में स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण समस्याएं पैदी करती है।

जंगल की आग से होने वाले पेड़ों का नुकसान जलवायु परिस्थितियों को बाधित कर सकता है, जिससे कार्बन श्रृंखला टूटने का खतरा है।

जंगल की आग में कई जानवरों की मौत हो जाती है, वहीं, कुछ जानवरों के आवास नष्ट हो जाते है, जिससे वे शहरो और गांवो की ओर भागने लगते हैं।

आग से जंगल में पाई जान वाली वनस्पति और जीव नष्ट हो जाते हैं। इससे मिट्टी की गुणवत्ता पर भी विपरित प्रभाव पड़ता है। 

जंगल की आग से जुड़ी विशेष बातें

क्या करें

  • गर्मी के मौसम में जंगलों में सूखे कूड़े को इकट्ठा होने से रोकें।
  • प्रारंभिक तौर पर आग लगने वाली जगह के चारो ओर पानी का घेरा बना दें या आस पास छोटी खाई बना दें ताकि आग आगे न फैल सके। आग लगने की घटना के तुरंत बाद फायरब्रिगेड कर्मियों को बुलाएं।
  • जगलो में आग लगने वाले संभावित क्षैत्र के आसपास रहने वाले लोग आग लगने की अग्रिम जानकारी के लिए नियमित रूप रेडियों अनाउंसमेंट सुने और आवश्यक निर्देशों एवं सलाह का पालन करें।
  • अचानक जंगल में आग लगने के दौरान बिना डरे, धैर्य के साथ आग पर काबू पाने के प्रयास करें।
  •  अपने परिवार व आसपास के लोगों को आग से होने वाले नुकसानों की जानकारी दें।

 क्या न करें

  • जंगल में सूखे पत्तों या लकडियों के पास सुलगती हुई सिगरेट, बीड़ी आदि जलती हुई चीजें न फेंके।
  • जंगल में पिकनिक के दौरान खाना बनाने के बाद जलती हुई लकड़ियां न छोड़ें, उन्हें पूर्णरूप से बुझा दें।
  •  आग के दौरान जंगल में जाने से बचें।

वनाग्नी को रोकने के लिए उठाए गए कदम

वनाग्नि के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan for Forest Fire) – जंगल की आग पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPFF) की शुरुआत साल 2018 में की गई थी। इसका उद्देश्य वन क्षैत्र के आसपास रहने वाले समुदायों को सूचित करना के, उन्हें सक्षम और सशक्त बनाकर वनाग्री की करना करना है। इस योजना के तहत जंगलों के पास रहने वाले लोगों को आग की घटनाओं को कम करने के लिए विभिन्न राज्यों के वन विभागों के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। 

इसका उद्देश्य देश में विविध वन पारिस्थितिक तंत्रों में आग के खतरों को काफी हद तक कम करना है।

इसका योजना का उद्देश्य आग से लड़ने और आग की घटनाओं के बाद तेजी से रिकवरी में वन कर्मियों और संस्थानों की क्षमताओं को बढ़ाना भी है।

वनाग्नि निवारण और प्रबंधन योजना (Forest Fire Prevention and Management Scheme) – यह वनाग्नि को रोकने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित एक कार्यक्रम है, जो जंगल में लगने वाली आग से निपटने में राज्यों की मदद करता है।

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जंगल की आग के बारे में अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

जंगल की आग के मानव निर्मित कारण क्या हैं?

जंगल में आग तब लगती है जब बिजली की चिंगारी, सिगरेट या बीड़ी से खुली लौ का स्रोत ज्वलनशील सामग्री के संपर्क में आता है।

फायरब्रेक क्या है? जंगल की आग को रोकने में यह किस प्रकार सहायक है?

फायरब्रेक,जंगल की आग को रोकने का एक तरीका है कि घांस और पेड़ों को आग से अलग कर दिया जाए। आदर्श रूप से, अग्निशामक ईंधन चीजों को उस रास्ते से हटाते हैं जिस रास्ते से आग आगे बढ़ रही है।

जंगल की आग के तीन प्रकार क्या हैं?

जंगल में लगने वाली तीन प्रकार की आग क्राउन फायर, सरफेस फायर और ग्राउंड फायर हैं।

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