अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस हर साल 23 जून को मनाया जाता है। यह दिन खेल, स्वास्थ्य और एकजुटता का जश्न मनाने का दिन है। यह अवसर पूरी दुनिया के लोगों को क्रियाशील बनने और उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इसी दिन पेरिस के सोरबॉन में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना की गई थी। पियरे डी कौबर्टिन ने प्राचीन ओलंपिक खेलों को फिर से जीवंत करने के लिए 23 जून 1894 को रैली की थी। इसी की याद में हर साल इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
पूरी दुनिया में हर साल अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों के जीवन में खेल और खेलों के महत्व को चिह्नित करने और उम्र, लिंग, जाति या धर्म के बावजूद दुनिया भर में खेलों और खेलों में भागीदारी को बढ़ावा देना है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए International Olympic Day पर क्लिक करें।
नोट – यूपीएससी हर बार सामान्य ज्ञान से जुड़े प्रश्नों से अपने उम्मीदवारों को चौंकाती रहती है। इसलिए आपको यह सलाह दी जाती है कि आप अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस से जुड़े जरूरी तथ्यों को ठीक से समझ लें। यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा में इस विषय से संबंधित प्रश्न पूछे जाने की प्रबल संभावना हैं।
ओलंपिक खेल क्या है?
‘ओलंपिक गेम्स’ को खेलों का महाकुंभ भी कहा जाता है। इन खेलों का आयोजन चार साल में एक बार होता है। यह दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिताओं में से एक है। इसमें 200 से अधिक देशों के हजारों एथलीट कई प्रकार के खेलों में भाग लेते हैं। ओलम्पिक की शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है।
ओलंपिक दिवस क्या होता है और इसे कब मनाया जाता है?
ओलंपिक दिवस खेल, स्वास्थ्य और एकजुटता का एक बड़ा जश्न है। यह हर साल 23 जून को मनाया जाता है। साथ ही यह पूरी दुनिया को क्रियाशील बनाने और उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने के लिए सभी को आमंत्रित करता है।
ओलम्पिक खेलों का इतिहास
प्राचीन ओलम्पिक खेलों का इतिहास करीब 1200 साल पुराना है। इन खेलों की शुरुआत 776 ई.पू. में मानी जाती है। उस दौरान इन खेलों का आयोजन योद्धाओं और खिलाड़ियों के बीच हुआ करता था। यूनान में प्राचीन काल में दौरन दौड़, मुक्केबाजी, कुश्ती और रथों की दौड़ सैनिक प्रशिक्षण का हिस्सा हुआ करते थे, जो खिलाड़ी (सैनिक) इनमें उम्दा प्रदर्शन करते थे उन्हें बाद में इन खेलों (ओलंपिक खेल) में अपने करतब दिखाने का मौका मिलता था। इन खेलों का नाम ओलम्पिक कैसे पड़ा इन खेलों का आयोजन साल 1896 में ग्रीस यानी यूनान की राजधानी एथेंस में किया गया था। उस दौरान इन खेलों को ओलंपिया पर्वत पर खेला गया था, इसलिए इन्हें ओलम्पिक खेल कहा जाने लगा। इन खेलों की लोकप्रियता इतनी थी कि ओलम्पिक खेलों के दौरान लड़ाई और युद्ध तक को रोक दिया जाता था। ओलम्पिक में राज्यों और शहरों के खिलाड़ी भाग लेते थे। उस दौरान ओलम्पिक खेलों में घुड़सवारी और युद्द सबसे लोकप्रिय खेल थे। हालांकि इन सबके बावजूद कई सालो तक ओलम्पिक खेलों का व्यापक विस्तार नहीं हो सका। इसका कारण मेजबानी की समस्या, सुविधाओं की कमी, खिलाड़ियों की कम भागीदारी थी। ओलंपिक खेल से जुड़ी दंतकथा ओलंपिक खेल से जुड़ी दंतकथा के अनुसार हरक्यूलिस ने ज्यूस के सम्मान में ओलम्पिक स्टेडियम बनवाया गया। बाद में पांचवीं छठवीं शताब्दी में ओलम्पिक खेलों की लोकप्रियता चरम पर पहुंच गई थी। लेकिन रोमन साम्राज्य की बढ़ती शक्ति से ग्रीस काफी प्रभावित हुआ और इसके बाद ओलम्पिक खेल का महत्व घटता चला गया। |
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ओलंपिक खेल से जुड़े जरूरी तथ्य
पूरी दुनिया में ओलंपिक खेल मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं।
ग्रीष्मकालीन ओलंपिक – इनको समर ओलंपिक गेम्स भी कहा जाता है। इनका आयोजन गर्मियों के समय में किया जाता है। ग्रीष्मकालीन ओलंपिक का आयोजन पहलीबार 1896 में ग्रीस की राजधानी एथेंस में हुआ था। इसके बाद से हर चार साल के अंतराल के बाद ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलो का आयोजन किया जाता है।
नोट – एथेंस में आयोजित ओलंपिक खेलों में 14 देशों के 200 एथलीटों ने 43 अलग-अलग मुकाबलों में हिस्सा लिया था।
शीतकालीन ओलंपिक – इन्हें विंटर ओलंपिक गेम्स भी कहा जाता हैं। इनका आयोजन सर्दियों के समय में किया जाता है। विंटर ओलंपिक खेल का आयोजन पहली बार साल 1924 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में किया गया था।
तथ्य – साल 1992 तक शीतकालीन ओलंपिक खेल, ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के साथ खेला जाता था। लेकिन इसके बाद इसे अलग से आयोजित किया जाने लगा।
शीतकालीन खेल के ज्यादातर इवेंट आइस यानी बर्फ के हिस्सों पर आयोजित होते हैं।
पैरालंपिक – इन खेलों में अलग-अलग देशों के दिव्यांग एथलीट हिस्सा लेते हैं। पैरालंपिक खेल का पहला आयोजन साल 1960 में इटली के रोम में किया गया था। इस आयोजन में 23 देशों के 400 खिलाडियों ने भाग लिया था। इन खेलों में सैनिकों के साथ-साथ आम लोग भी हिस्सा ले सकते थे।
नोट – ओलंपिक खेलों की तरह पैरालंपिक खेल भी दो प्रकार के होते हैं। पहला समर पैरालंपिक और दूसरा विंटर पैरालंपिक।
यूथ ओलंपिक – यूथ ओलंपिक खेलों का पहली बार आयोजन साल 2010 में सिंगापुर में किया गया था। इनका आयोजन भी प्रत्येक चार साल में किया जाता है। इसमें 18 वर्ष की कम उम्र के खिलाड़ी अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यूथ ओलंपिक का उद्देश्य युवा पीढ़ी को खेलों से जोड़ना और उन्हें प्रेरित करना है।
ओलंपिक खेल में 3 प्रकार के पदक दिए जाते हैं –
- स्वर्ण पद
- रजत पदक
- कांस्य पदक
ओलंपिक खेल के झंडे में 5 रिंग होते हैं, जो कि नीले, डार्क पीले, काले, हरे और लाल रंग में होते हैं।
ओलंपिक ध्वज में बने पांच रिंग पांच महाद्वीप अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, यूरोप और ओशिनिया का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ओलंपिक ध्वज को 1913 में पियरे डि कोबर्टिन द्वारा डिजाइन किया था।
ओलंपिक खेलों की देखरेख अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) द्वारा की जाती है।
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ओलंपिक, खेल के जरिए दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने का प्रतिनिधित्व करता है।
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस का इतिहास
1947 में चेकोस्लोवाकिया में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के सदस्य डॉ जोसेफ ग्रस ने स्टॉकहोम में विश्व ओलंपिक दिवस के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की।
साल 1948 में स्वीडन के स्टॉकहोम में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के 41वें सत्र में आईओसी के सदस्य डॉक्टर ग्रस ने विश्व ओलंपिक दिवस मनाने की बात कही थी।
इसके लिए 23 जून को चुना गया। इसका कारण यह था कि 23 जून 1894 को पेरिस के सोरबोन में आईओसी की स्थापना की गई थी।
वहीं, पियरे डी कौबर्टिन ने ओलंपिक खेलों को पुनर्जीवित करने के लिए इसी दिन एक रैली का आयोजन किया था। इसलिए 23 जून को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के रूप में चुना गया।
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस 2022 की थीम
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस, हर साल एक विशेष थीम या विषय के साथ मानाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के लिए साल 2022 की थी है, ‘एक शांतिपूर्ण दुनिया के लिए साथ’। इस बार ओलंपिक दिवस का आयोजन का जोर विश्व शांति पर रहा। विश्व ओलंपिक दिवस 2022 आयोजन का जोर इस पर रहा कि ‘खेल के जरिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण करना है और लोगों को शांति से एक साथ लाना है।‘
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस का महत्व
दुनिया भर में लिंग, आयु या एथलेटिक क्षमता के भदभाव के बिना खेलों में भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए हर साल अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस का आयोजन किया जाता है।
ओलंपिक डे रन को 1987 में शुरू किया गया था, ताकि अधिक राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों (एनओसी) को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और सभी की उम्र, लिंग, राष्ट्रीयता और एथलेटिक क्षमता के बावजूद खेलों में भागीदारी के विचार को बढ़ावा दिया जा सके।
पहली बार ओलंपिक डे रन 10 किमी की दूरी के लिए आयोजित की गई थी, जिसमें 45 एनओसी प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था।
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस केवल खेलों को बढ़ावा देने का उत्सव नहीं है। राष्ट्रीय ओलंपिक समितियां (एनओसी) दुनिया भर में खेलों के अलावा शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करती है। इन आयोजनों में सभी तबके के लोगों को भागीदार बनाने की कोशिश की जाती है।
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ओलंपिक में पहली बार भारत
- भारत ने पहली बार 1900 के पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लिया था। इस दौरान भारत के एकमात्र प्रतिनिधि के तौर पर नॉर्मन प्रिचर्ड ओलंपिक में शामिल हुए थे। भारत की तरफ से ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले नॉर्मन एक एंग्लो इंडियन थे। उन्होंने 200 मीटर स्प्रिंट और 200 मीटर बाधा दौड़ में दो रजत पदक जीते थे।
- इसके बाद 1920 के एंटवर्प ओलंपिक में भारत ने अपना पहला दल भेजा। इस दौरान भारत के पांच एथलीटों (एथलेटिक्स में तीन और रेसलिंग में दो पहलवानों) ने हिस्सा लिया था।
- 1924 के पेरिस ओलंपिक में भारत ने टेनिस में अपना डेब्यू किया। इस दौरान पांच खिलाड़ियों (4 पुरुष और 1 महिला) ने एकल स्पर्धाओं में हिस्सा लिया।
- इसके बाद साल 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक से भारतीय हॉकी के स्वर्णिम युग की शुरुआत हुई। इस ओलंपिक में भारत ने मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में 29 गोल किए और एक भी गोल खाए बिना भारत को अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक दिला दिया।
- इसके बाद 1932 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक और 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने अपनी गोल्डन हैट्रिक पूरी की। इसी के साथ भारतीय हॉकी टीम का दबदबा पूरी दुनिया में बढ़ने लगा।
आजादी के बाद ओलंपिक में भारत
- द्वितीय विश्व युद्ध के चलते 1940 और 1944 में ओलंपिक खेलों का आयोजन नहीं हुआ था।
- 1947 में आजादी के बाद 1948 के लंदन ओलंपिक में भारत ने पहली बार स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों मे हिस्सा लिया।
- 1948 के ओलंपिक में भारत ने अपना सबसे बड़ा दल (9 खेलों के लिए 86 खिलाड़ी) भेजा था।
- 1948 ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम अपने चौथे ओलंपिक स्वर्ण पदक के साथ लौटी। बलबीर सिंह सीनियर के रूप में देश को एक नया हॉकी सितारा मिला।
- 1948 के लंदन ओलंपिक में भारतीय फुटबॉल टीम ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन किया, लेकिन टीम दिग्गज फ्रांस के साथ हुए करीबी मुकाबले में हार गई।
- 1952 और 1956 के ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम फिर से इस सफलता को दोहराने में कामयाब रही।
- 1952 का हेलसिंकी ओलंपिक भारत के लिए ऐतिहासिक रहा। इसमें पहलवान केडी जाधव व्यक्तिगत ओलंपिक पदक (कांस्य) जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।
- हेलसिंकी ओलंपिक में ही नीलिमा घोष ओलंपिक में भाग लेने वाली स्वतंत्र भारत की पहली महिला एथलीट बनी। उस वक्त उनकी उम्र केवल 17 साल थी। घोष ने 100 मीटर स्प्रिंट और 80 मीटर बाधा दौड़ में हिस्सा लिया था।
- 1956 के मेलबर्न ओलंपिक में भारतीय फुटबॉल टीम कांस्य पदक के प्लेऑफ में हार गई और चौथे स्थान पर रही।
- भारतीय हॉकी टीम को 1960 में रजत पदक से संतोष करना पड़ा। वहीं, दिग्गज एथलीट मिल्खा सिंह 400 मीटर में कांस्य पदक जीतने से कुछ क्षण पीछे रह गए।
- 1964 में टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम अपने छठे स्वर्ण पदक के साथ ओलंपिक हॉकी के शिखर पर पहुंच गई।
- 1968 के मेक्सिको ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम शीर्ष दो टीमों में जगह बनाने से पीछे रहे गई। यहां सिर्फ कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा।
- 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में भारत को एक बार फिर कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।
- 1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम सातवें स्थान पर रही। यह ओलंपिक खेलों में उसका सबसे खराब प्रदर्शन रहा। 1924 के बाद ऐसा पहली बार हुआ जब भारत ओलंपिक में पदक जीतने में असफल रहा।
- 1980 के मास्को ओलंपिक में हॉकी टीम फिर ओलंपिक चैंपियन बनी और खोया हुआ गौरव फिर से हासिल किया। हालांकि अभी तक हॉकी में ये भारत का अंतिम ओलंपिक पदक बना हुआ है।
- 1980 के दशक में भारत ओलंपिक में बुरे दौर से गुजर रहा था। 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक और 1988 के सियोल ओलंपिक में भारत एक भी पदक नहीं जीत सका।
- यह सिलसिला 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में भी जारी रहा।
- 1996 में अटलांटा में लिएंडर पेस ने कांस्य पदक जीता।
- फिर चार साल बाद 2000 में वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी ने इतिहास रचते हुए कांस्य पदक जीता। इसी के साथ ओलंपिक में पदक जीतने वाली मल्लेश्वरी पहली भारतीय महिला बन गईं।
- 2004 में एथेंस ओलंपिक में पुरुषों के ट्रैप में आर्मी मैन राज्यवर्धन सिंह राठौर का रजत पदक भारत का पहला व्यक्तिगत ओलंपिक पदक बन गया। ये पदक उन्होंने निशानेबाजी में हासिल किया था।
- 2008 का बीजिंग ओलंपिक, भारतीय ओलंपिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण पल था। इस साल निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में भारत का पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता।
- बॉक्सर विजेंदर सिंह और पहलवान सुशील कुमार ने भी कांस्य पदक जीते। 1952 के बाद यह पहला मौका था जब भारत ने एक ही ओलंपिक में कई पदक जीते।
- 2012 के लंदन ओलंपिक में साइना नेहवाल ने बैडमिंटन में भारत का पहला ओलंपिक पदक जीता। इसी साल सुशील कुमार, गगन नारंग, विजय कुमार, मैरी कॉम और योगेश्वर दत्त ने भी पदक जीते। इस साल ओलंपिक में भारत ने कुल 6 पदक जीते। ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में यह पहला मौका था जब भारत ने सबसे अधिक पदक जीते थे।
- 2016 में रियो ओलंपिक में पीवी सिंधु और साक्षी मलिक ही भारत के लिए पदक जीत सकीं। इस साल भारत की तरफ से सिर्फ इन दो महिलाओं ने ही पदक जीते थे।
- 2020 में टोक्यो ओलंपिक भारत का सबसे सफल ओलंपिक रहा है। इसमें भारत ने कुल 7 पदक जीते। वहीं, भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने भी इस बार कांस्य पदक हासिल कर पिछले 41 साल से ओलंपिक पदक का इंतजार खत्म। महिला टीम ने भी इसबार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए चौथा स्थान हासिल किया। इस साल नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में भारत का पहला ट्रैक-एंड-फील्ड स्वर्ण पदक जीता था।
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