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बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 (Major Port Authorities Act, 2021) भारत के प्रमुख बंदरगाहों के संचालन और विनियमन (Regulation) के लिए लागू किया गया था। इसके तहत बंदरगाह प्राधिकरणों के बोर्डों द्वारा बंदरगाहों के प्रशासन, नियंत्रण और प्रबंधन किया जाता है। यह अधिनियम इन बंदरगाहों को निर्णय लेने में बढ़ी हुई स्वायत्तता और उनके संस्थागत ढांचे के आधुनिकीकरण के कारण अधिक दक्षता प्रदर्शित करने का अधिकार देता है।

नए प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 के 3 नवंबर 2021 से प्रभावी होने के बाद प्रमुख बंदरगाहों के लिए टैरिफ प्राधिकरण (Tariff Authority for Major Ports) के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। इसके तहत जारी किए गए नए दिशा-निर्देश प्रमुख बंदरगाहों पर रियायत पाने वाली परियोजनाओं को बाजार के आधार पर टैरिफ निर्धारित करने की अनुमति देते हैं।

बाजार आधारित टैरिफ बदलाव का मुख्य लाभ यह है कि इससे निजी बंदरगाहों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रमुख बंदरगाहों पर पीपीपी रियायत पाने वालों को एक समान अवसर मिलेंगे। इससे पहले प्रमुख बंदरगाहों पर पीपीपी रियायत पाने वालों को इन दिशानिर्देशों (टीएएमपी दिशा निर्देशों) की शर्तों के अनुसार काम करने के लिए मजबूर किया गया था। वहीं, गैर-प्रमुख बंदरगाहों पर निजी ऑपरेटरों/पीपीपी परियोजनाएं बाजार के आधार पर टैरिफ चार्ज करने के लिए स्वतंत्र थीं।

नोट – नए दिशा-निर्देश भविष्य की पीपीपी परियोजनाओं पर भी लागू होंगे।

यूपीएससी परीक्षा 2023 के लिहाज से प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 और इस तरह के अन्य विधेयक बेहद महत्वपूर्ण होते है, इसलिए आईएएस परीक्षा के उम्मीदवारों को उनसे जुड़े बुनियादी तथ्यों की जानकारी होनी चाहिए। प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Major Port Authorities Act, 2021 पर क्लिक करें।

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021

अर्थव्यवस्था में बंदरगाह की भूमिका 

भारत में प्राचीन काल से ही बंदरगाह, व्यापार का एक सुगम माध्यम रहे हैं। आज भी भारत के आयात और निर्यात में बंदरगाहों की बेहद अहम भूमिका है। व्यापार क्षमता को बढाने व आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में बंदरगाहों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए इन्हें व्यापार की की रीढ़ की हड्डी भी कहा जाता है। 

बंदरगाह, पर्यावरण के साथ-साथ समुद्री अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का विकास करते हैं। हमारे प्रमुख बंदरगाह, देश में आयात और निर्यात के लिए एक जंक्शन की तरह काम करते हैं। इसकी एक प्रमुख वजह यह भी है कि रोडवेज और रेलवे के साथ-साथ जलमार्ग से माल परिवहन बेहद सस्ता और सुगम है। 

बंदरगाहों से भार (माल) को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में समुद्री मार्ग परिवहन अन्य प्रणालियों की तुलना में बेहद प्रभावी और सस्ती है। भारतीय उद्योगों के लिए कच्चा माल समुद्री मार्ग से आसानी से एवं सुरक्षित और सस्ते तरीके से आयात किया जा सकता है। इसके बाद समुद्री परिवहन द्वारा माल के निर्यात में भी आसानी होती है। क्योंकि यहां के अधिकांश उद्योग तटीय क्षेत्रों के करीब स्थित हैं और भारत के प्रमुख बंदरगाहों से जुड़े हुए हैं।

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2021 (Major Port Authorities Act, 2021)  को 12 मार्च, 2020 को लोकसभा में पेश किया गया था। यह विधेयक 23 सितंबर, 2020 को लोकसभा में और 10 फरवरी, 2021 को राज्यसभा में पारित हुआ था। इसके बाद इस अधिनियम को 17 फरवरी 2021 को भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई थी। इसके बाद यह यह प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 बन गया। इसके द्वारा प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट अधिनियम, 1963 को निरस्त कर दिया गया है।

आगामी आईएएस परीक्षा 2023 के मेन्स के सामान्य अध्ययन पेपर 2 और 3 में इस अधिनियम और उसके उद्देश्यों पर आधारित प्रश्नों पूछे जाने की उम्मीद हैं। इसलिए आईएएस परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को इस विधेयक के प्रमुख पहलुओं, संरचना, शक्तियों और महत्व के बारे में विस्तार से जान लेना चाहिए।

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 से जुड़े तथ्य – 

  • बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनसुख मंडाविया ने संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्य सभा) में प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 को पेश किया था। 
  • मेजर पोर्ट अथॉरिटीज बिल को राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद अधिनियमित किया गया था और पिछले मेजर पोर्ट ट्रस्ट्स एक्ट, 1963 को बदल दिया गया था। 
  • इसके तहत प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह के लिए एक प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण का बोर्ड बनाया जाएगा। ये बोर्ड 1963 अधिनियम के तहत मौजूदा पोर्ट ट्रस्टों की जगह लेंगे, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त सदस्य शामिल होंगे। 
  • मेजर पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम, 1963 की तुलना में अधिनियम अधिक प्रभावशाली है क्योंकि इसके द्वारा अतिव्यापी और अप्रचलित वर्गों को समाप्त करके वर्गों की संख्या 134 से घटाकर 76 कर दी गई है।

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प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 में शामिल बंदरगाह

बंदरगाह एक ऐसी समुद्री सुविधा है, जहां से कार्गो जहाज पर यात्रियों और सामान को लोड और डिस्चार्ज किया जाता है। यह सुविधा माल निर्माता और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन प्रणाली के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

बंदरगाह, समुद्री उद्योग का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। भारत में 9 ऐसे राज्य हैं जो समुद्र से सीधे जुड़े हुए हैं, इसलिए ये भारत की अर्थव्यवस्था में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं। भारत में कई बड़े अंतर्देशीय बंदरगाह हैं जो समुद्र, नदी और नहर तक माल की सीधी पहुंच सुनिश्चित करते हैं। प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 इन 12 प्रमुख बंदरगाहों पर लागू होता है –

  • दीनदयाल (पूर्व में कांडला)
  • मुंबई पोर्ट
  • जेएनपीटी पोर्ट
  • मोरमुगाओ पोर्ट
  • न्यू मैंगलोर पोर्ट
  • कोचीन पोर्ट
  • चेन्नई पोर्ट
  • कामराजार (पहले एन्नोर) पोर्ट
  • वी ओ चिदंबरम पोर्ट
  • विशाखापत्तनम पोर्ट
  • पारादीप पोर्ट
  • कोलकाता (हल्दिया सहित) पोर्ट

अधिनियम के लक्ष्य और उद्देश्य

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम 2021 को निम्न उद्देश्यों और लक्ष्यों के लिए लागू किया गया है-

इसका उद्देश्य पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार को बढ़ावा देना और व्यापार और वाणिज्य को सुगम और सुविधाजनक बनाना है।

इस अधिनियम का उद्देश्य निर्णय लेने की शक्तियों का विकेंद्रीकरण करना और प्रमुख बंदरगाहों के शासन में व्यावसायिकता को बढ़ावा देना है।

इसके द्वारा सफल वैश्विक अभ्यास के अनुरूप केंद्रीय बंदरगाहों में शासन मॉडल को बंदरगाह प्रबंधन के ‘जमींदार मॉडल’ में बदला जाएगा।

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 के लागू होने के बाद निर्णय तेजी से औऱ पारदर्शीता के साथ लिए जाएंगे जिससे हितधारकों को लाभ होगा और बेहतर परियोजना निष्पादन करने की क्षमता का विकास होगा। 

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बोर्ड ऑफ मेजर पोर्ट अथॉरिटी एंड कंपोजिशन

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 में बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड की एक सरल संरचना का प्रस्ताव दिया गया है जिसमें विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान 17 से 19 सदस्यों में से 11 से 13 सदस्य शामिल होंगे।

इसके तहत निम्नलिखित निकायों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है –

  • राज्य सरकार के प्रतिनिधि, जिसमें प्रमुख बंदरगाह स्थित है
  • रेल मंत्रालय के प्रतिनिधि
  • रक्षा और सीमा शुल्क मंत्रालय के प्रतिनिधि
  • राजस्व विभाग के प्रतिनिधि
  • एक सरकारी नामित सदस्य
  • मेजर पोर्ट अथॉरिटी के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक सदस्य

अधिनिर्णय बोर्ड (Adjudicatory Board) – प्रमुख बंदरगाहों के लिए तत्कालीन टीएएमपी के अवशिष्ट कार्यों को पूरा करने के लिए, बंदरगाहों और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) रियायतग्राहियों के बीच विवादों को देखने के लिए, तनावग्रस्त पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने और उपायों का सुझाव देने के लिए एक न्यायनिर्णय बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है।

नोट – हाल ही में, जलमार्गों के माध्यम से वैश्विक व्यापार को 20,000 TEU कंटेनर जहाज, एवर गिवेन के बाद एक बड़ी आर्थिक हानि का सामना करना पड़ा, जिसने स्वेज नहर को अवरुद्ध कर दिया था।

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प्रमुख पोर्ट से जुड़े बुनियादी तथ्य – 

चाबहार पोर्ट (chabahar port) – चाबहार बंदरगाह, दक्षिण-पूर्वी ईरान में ओमान की खाड़ी के तट पर चाबहार में स्थित है। इसमें शहीद कलंतरी और शहीद बहश्ती नाम के दो बंदरगाह स्थित है। यह ईरान का एकमात्र समुद्री बंदरगाह है। इसके लिए भारत-ईरान-अफगानिस्तान ने ज्ञापन (एमओयू) के तहत चाबहार-हाजीगाक गलियारे के लिए करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए के निवेष की प्रतिबद्धता जताई है। 

ग्वादर पोर्ट (Gwadar Port) – ग्वादर पोर्ट, एक गहरे समुद्र का बन्दरगाह है। यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के ग्वादर में स्थित है। इस बन्दरगाह को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pakistan Economic Corridor) योजना के लिए बेहद अहम माना जाता है। ग्वादर पोर्ट, वन बेल्ट, वन रोड और समुद्री सिल्क रोड परियोजनाओं के बीच एक लिंक के रुप में काम करेगा। 

जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (Jawaharlal Nehru Port) – जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह, अरब सागर तट पर स्थित प्रमुख बंदरगाह है। यह मुंबई के दक्षिण में स्थित है। इसका निर्माण मुंबई बंदरगाह पर दबाव कम करने के लिए किया गया था। यह भारत का सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह है। यहां मुख्यरुप से मालवाहक जहाजों का आवागमन होता है। 

हंबनटोटा पोर्ट (Hambantota port) – हंबनटोटा पोर्ट, श्रीलंका के दक्षिणी प्रान्त के हंबनटोटा जिला का मुख्यालय में स्थित है। यह दुनिया के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक है। इसे चीन की सरकारी कंपनी चाइना मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स ने 150 करोड़ डालर की लागत से बनाया था। यह इलाका साल 2004 में आयी सुनामी के कारण बुरी तरह से ध्वस्त हो गया था। इसके बाद इस नगर में बहुत सी विकास परियोजनाएं चल रही हैं जिसमें बंदरगाह तथा अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट आदि शामिल हैं।   

नोट – हंबनटोटा बंदरगाह, भारत की सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील है।

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 के तहत दी गई शक्तियां

यह अधिनियम, बोर्ड को प्रमुख बंदरगाह के विकास के लिए अपनी संपत्ति, संपत्तियों और धन का उपयोग करने की अनुमति देता है।

बोर्ड इसके लिए नीचे दिए गए मामलों में अपने नियम भी बना सकता है –

  • बंदरगाह से संबंधित गतिविधियों और सेवाओं के लिए बंदरगाह संपत्ति की उपलब्धता की घोषणा करना।
  • नए बंदरगाहों, घाटों की स्थापना जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास करना।
  • किसी भी सामान या जहाजों पर किसी भी शुल्क के भुगतान से छूट या विशेष छूट प्रदान करना।
  • प्रमुख बंदरगाहों के लिए टैरिफ प्राधिकरण (टीएएमपी) की भूमिका को फिर से परिभाषित किया गया है। बंदरगाह प्राधिकरण को अब टैरिफ तय करने की शक्तियां दी गई हैं जो पीपीपी परियोजनाओं के लिए बोली लगाने के उद्देश्यों के लिए एक संदर्भ टैरिफ के रूप में कार्य करेगा। पीपीपी ऑपरेटर बाजार की स्थितियों के आधार पर टैरिफ तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

अधिनियम के तहत, अपनी पूंजी और कार्यशील व्यय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, बोर्ड नीचे दिए गए किसी भी संस्थान से ऋण ले सकता है –

  • भारत में स्थित कोई भी अनुसूचित बैंक या वित्तीय संस्थान।
  • भारत के बाहर का कोई भी वित्तीय संस्थान जो सभी कानूनों का अनुपालन करता हो।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership) परियोजना – 

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजना में सार्वजनिक क्षैत्र और निजी क्षैत्र की भागीदारी के द्वारा परियोजना का विकास या क्रियान्वयन किया जाता है। इसके तहत सरकारी एजेंसी और निजी क्षेत्र की कंपनी के बीच सहयोग शामिल होता है। इसमें सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क, पार्क आदि परियोजनाओं के वित्तपोषण, निर्माण और संचालन के लिए निजी क्षैत्रों को सहयोग लिया जा सकता है। 

सार्वजनिक-निजी भागीदारी या निजी वित्तपोषण द्वारा परियोजना को जल्दी पूरा किया जा सकता है। 

  • पीपीपी परियोजना के विभिन्न मॉडल 
  • बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी)
  • बिल्ड-ओन-ऑपरेट (बीओओ)
  • बिल्ड-ऑपरेट-लीज-ट्रांसफर (बीओएलटी)
  • डिजाइन-बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (डीबीएफओटी)
  • लीज-डेवलप-ऑपरेट (एलडीओ)
  • ऑपरेट-मेंटेन-ट्रांसफर (ओएमटी) आदि। 

नोट – पीपीपी के ये मॉडल नियंत्रण, जोखिम साझाकरण, तकनीकी सहयोग, निवेश स्वामित्व, अवधि और वित्तपोषण आदि के स्तर पर भिन्न हो सकते हैं।

अधिनियम का महत्व

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप है। यह भारत को वैश्विक विनिर्माण और व्यापार केंद्र बनने में मदद करेगा।

यह अधिनियम तेजी से और पारदर्शी निर्णय लेने में सहयोग करता है जिससे हितधारकों को लाभ होता है और बेहतर परियोजना निष्पादन की क्षमता मिलती है।

यह अधिनियम सफल वैश्विक अभ्यास के अनुरूप सेंट्रल पोर्ट्स में गवर्नेंस मॉडल को लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल में बदल देता है।

मैरीटाइम इंडिया विजन (Maritime India Vision) 2030 क्या है ? 

भारत को वैश्विक समुद्री क्षैत्र में अपनी सेवाओं को बहतर करने और उनका विस्तार करने के लिए मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 तैयार किया गया है। इसे बंदरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है। इसके तहत समुद्री क्षेत्र के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। इसमें 10 विषय वस्तुओं में 515 गतिविधियों को शामिल किया गया है। 

मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 के तहत जहाजरानी एवं अंतर्देशीय जलमार्ग श्रेणियों और बंदरगाहों पर सुविधाओं के विस्तार के लिए 3,00,000 – 3,50,000 करोड़ रुपये के समग्र निवेश की परिकल्पना की गई है। इस निवेश राशि में सागरमाला परियोजना के तहत किए गए निवेश को शामिल नहीं किया गया है। 

इस विजन द्वारा, भारतीय बंदरगाहों के लिए 20,000 करोड़ से अधिक का वार्षिक राजस्व प्राप्त करने का अनुमान है। इससे भारतीय सामुद्रिक गतिविधियों में करीब 20 लाख प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने की संभावना जताई गई है।

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