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भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज

स्टॉक एक्सचेंज, एक ऐसा स्थान है जहां व्यापारी प्रतिभूतियों को खरीदते और बेचते हैं। स्टॉक एक्सचेंज, शेयर बाजार का सबसे महत्वपूर्ण घटक होता है। जहां कुछ नियमों और विनियमों का पालन करते हुए शेयर प्रतिभूतियों की व्यवस्थित रूप से की नीलामी की जाती है। शेयर मार्केट में कारोबार की जाने वाली प्रतिभूतियों को वहां सूचीबद्ध कराना होता है।

नोट – यूपीएससई 2023 और IAS परीक्षा के लिए भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सजेंच एक महत्वपूर्ण विषय है। इसके बारे में करेंट अफेयर के सेक्शन में प्रश्न पूछे जाने की बहुत  अधिक संभावना होती है।

आईएएस परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ें। इस लेख में हम आपको भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज के बारे में विस्तार से बताएंगे। भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के  लिए Major Stock Exchanges in India पर क्लिक करें।

शेयर एक्सचेंज 

शेयर एक्सचेंज (stock exchange) एक ऐसी जगह है जहां से शेयर बाजार (Share Market) का संचालन होता है। यहां शेयर खरीदी और बिक्री की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। इसलिए यह संस्थान किसी केन्द्रीय जगह पर ही होता है। उदाहरण के लिए बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) मुंबई शहर में दलाल स्ट्रीट पर स्थित है। जहां आसानी से शेयरों की ट्रेडिंग की जा सकती है। वहीं, अमेरिका का शेयर बाजार, न्यू यॉर्क शेयर एक्सचेंज (New York Stock Exchange), न्यू यॉर्क शहर के वॉल स्ट्रीट पर स्थित है। 

स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा शेयर व्यापारी (stock trader) या स्टॉक ब्रोकर्स विभिन्न सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर, ऋणपत्र (बॉन्ड) और प्रतिभूतियों को खरीदने और बेचने का काम करते हैं। स्टॉक एक्सचेंज, शेयरों की खरीदी और बिक्री के अलावा भी कई अन्य सुविधाएं देता है। 

भारत में प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज

भारत में प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों का विवरण नीचे दिया गया है – 

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज

एनएसई या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) की स्थापना साल 1992 में की गई थी और इसका संचालन साल 1994 में शुरू हुआ। सेबी (सेबी) द्वारा एनएसई को प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम, 1956 के तहत स्टॉक एक्सचेंज के रूप में मान्यता दी गई थी। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने आशीष कुमार चौहान को अपना नया प्रबंध निदेशक और सीईओ नियुक्त करने की घोषणा की है। वह विक्रम लिमये का स्थान लेंगे जिनका 5 साल का कार्यकाल 16 जुलाई 2022 को समाप्त हो गया था। वह एनएसई के संस्थापकों में से एक थे। उन्होंने 1992 से 2000 तक एनएसई में काम किया था।

एनएसई, अपनी शुरूआत से ही, प्रौद्योगिकी और नवाचार के उपयोग में अग्रणी रहा है। इसने अपने सिस्टम के उच्च-स्तरीय प्रदर्शन को सुनिश्चित किया है। एनएसई पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्रदान करने वाला भारत का पहला एक्सचेंज है। एनएसई 3,000 से अधिक वीएसएटी टर्मिनलों का समर्थन करता है। इसके कारण एनएसई भारत में सबसे बड़ा निजी वाइड-एरिया नेटवर्क है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज

भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में स्थित, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। साथी ही यह कारोबार के लिहाज से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एक्सचेंज भी है। इसकी स्थापना साल 1992 में हुई थी। भारत के 320 शहरों में एनएसई के वीसैट (V-SAT) टर्मिनल फैले हुए हैं। यह तकनीकी रूप से अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज होने के साथ ही पूरी तरह से स्वचालित स्क्रीन-बेस्ड इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम प्रदान करता है। एनएसई की विश्वसनीयता इस बात से आंकी जा सकती है कि इसके इंडेक्स- निफ्टी 50 (नेशनल इंडेक्स फिफ्टी) का उपयोग भारतीय पूंजी बाजारों और दुनिया भर के निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर बैरोमीटर के रूप में किया जाता है।  

नोट – एनएसई द्वारा उपयोग की जाने वाली स्वचलित प्रणाली इसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की तुलना में अधिक विश्वसनीय और कुशल बनाती है।

शेयर एक्सचेंज में शेयर सूचीबद् कैसै होते हैं? 

भारत के अधिकतर स्टॉक एक्सचेंज, शेयर एक्सचेंज के साथ सूचीबद्ध (listed) कंपनियों और संगठनों के शेयरों के ही शेयरों के व्यापार (ट्रेडिंग) करने की अनुमति देते हैं। स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए कंपनियों या संगठनों को शेयर एक्सचेंज के नियमों का पालन करना होता है। इसके लिए नियमित रूप से अपने खर्चों और आय व्यय का ब्योरा देना होता है। इसके अलावा कंपनियों को अपने सभी वाणिज्यिक लेनदेन की कानून रूप से स्वतंत्र संगठन द्वारा जांच करवानी होती है। ऐसा करने से शेयर व्यापारियों को संबंधित कंपनी पर  भरोसा बढ़ता है और उसकी वास्तविक माली हालत का पता चलता है।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या बीएसई की स्थापना 9 जुलाई, 1875 को की गई थी। इसकी स्थापना प्रसिद्ध व्यवसायी प्रेमचंद रॉयचंद ने नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन (Native Stock and Share Brokers Association) के रुप में की थी। हालांकि बाद में इसके नाम को बदल कर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कर दिया गया। बीएसई को एशिया महाद्वीप का पहला स्टॉक एक्सचेंज (the oldest stock exchange in Asia) होने का भी गौरव प्राप्त है।

नोट – 6 माइक्रो सेकंड की औसत व्यापार गति के साथ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, दुनिया का सबसे तेज एक्सचेंज भी है।

नोट – बीएसई को अगस्त 1957 में भारत सरकार ने सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स रेगुलेशन एक्ट, 1956 (Securities Contracts Regulation Act) के अनुसार आधिकारिक रूप से मान्यता दी थी। साल 2012 में बीएसई, संयुक्त राष्ट्र सतत स्टॉक एक्सचेंज पहल (United Nations Sustainable Stock Exchange Initiative) में शामिल हुआ था।

बीएसई में करीब 5000 कंपनियां सूचीबद्ध हैं। सुंदरमण राममूर्ति, बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) के एमडी और सीईओ हैं।

मुंबई स्टॉक एक्सचेंज

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में स्थित बॉंम्बे स्टॉक एक्सचेंज, भारत के साथ-साथ एशिया का भी सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। बीएसई ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार में भारत को श्रेष्ठ स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

साल 1875 में स्थापित बीएसई की पहुंच भारत के 417 शहरों तक है। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज, भारत के दो प्रमुख शेयर स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है। भारत का दूसरा बड़ा स्टॉक एक्सचेंज, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है। भारतीय पूंजी बाजार के विकास में बीएसई की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साथ ही इसका सूचकांक भी विश्वविख्यात है। 

बीएसई का संचालन 

बीएसई का संचालन, एक मैनेजिंग डायरेक्टर के नेतृत्व में डायरेक्टर्स बोर्ड द्वारा किया जाता है। इसके बोर्ड में ट्रेडिंग सदस्यों के प्रतिनिधी और सार्वजनिक प्रतिनिधियों के साथ-साथ प्रतिष्ठित प्रोफेशनल्स भी होते हैं। इसका शेयर ट्रेडिंग सिस्टम पारदर्शी और सुरक्षित है। 

इसका लक्ष्य – ‘वैश्विक कीर्ति की पताका फहराकर प्रमुख भारतीय स्टाक एक्सचेंज के रूप में उभरना’ है।

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महत्वपूर्ण सूचकांक की सूची 

  • सेंसेक्स (30 कंपनियों पर आधारित) 
  • बीएसई-100 (100 कंपनियों पर आधारित) 
  • बीएसई-200 (200 कंपनियों पर आधारित) 
  • डॉलेक्स (बीएसई-200 कंपनियों के डॉलर मूल्य पर आधारित) 
  • बैंकेक्स (केवल बैंकों के शेयरों पर आधारित) 
  • रियलिटी इंडेक्स (रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों पर आधारित) 
  • सेंसेक्स (संवेदनशील सूचकांक) – बीएसई का सबसे महत्वपूर्ण सूचकांक – स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक बाजार पूंजीकरण में बदलाव को मापता है।

 

एनएसई और बीएसई के बीच अंतर 

नीचे दो स्टॉक एक्सचेंजों, एनएसई और बीएसई के बीच के अंतरों के महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानकारी दी गई, जिससे बीएसई और एनएसई के बीच के अंतर स्पष्ट होता है। 

बीएसई और एनएसई की शुरुआत 

एन.एस.ई. की शुरूआत करीब 30 साल पहले हुई थी, जबकि बीएसई, एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है जिसकी शुरूआत 18 वीं शताब्दी में हुई थी। ग्लोबल स्टॉक एक्सचेंज रैंकिंग में, बीएसई 10 वें स्थान पर है, वहीं एनएसई 11 वें स्थान पर है। 

इलेक्ट्रॉनिक व्यापार 

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में (तकनीकि रुप से) बीएसई से बेहद सक्षम है। एनएसई, शुरुआत से ही हमेशा पेपरलेस ट्रेडिंग सिस्टम को बढ़ावा देने वाला एक पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक स्टॉक एक्सचेंज था। जबकि, बीएसई में लंबे समय तक पेपर-आधारित प्रणाली से शेयर ट्रेडिंग होती थी। बीएसई में साल 1995 से इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की शुरुआत हुई।  

डेरिवेटिव अनुबंध 

एनएसई ने डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट सेगमेंट की बड़ी शुरुआत की थी और बाद में इसने पूरे सेगमेंट पर एकाधिकार कर लिया। एनएसई के दो प्रमुख सूचकांक– निफ्टी 50 और बैंक निफ्टी, भारत में डेरिवेटिव सेगमेंट में सबसे अधिक कारोबार वाले अनुबंध के रूप जाने जाते हैं। वहीं, बीएसई की डेरिवेटिव सेगमेंट में पकड़ कमजोर है। 

सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या 

सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या के मामले में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज से बहुत आगे है। बीएसई के एक्सचेंज में करीब 5000 कंपनियां शामिल है। वहीं, एनएसई के पास स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध करीब 1600 कंपनियां हैं।  

स्टॉक एक्सचेंज की लिस्टिंग 

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारत में एकमात्र सूचीबद्ध एक्सचेंज है।  

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में 5000 से अधिक सूचीबद्ध कंपनियां है। इसे शेयर मार्केट में निवेश की शुरुआत करने वाले लोगों के लिए एक आदर्श मंच के रुप में जाना जाता है। वहीं, थोक ट्रेडिंग में अच्छा प्रदर्शन करे के कारण नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, अनुभवी निवेशकों और व्यापारियों के लिए अच्छी जगह है।

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बेयर मार्केट (bear market) क्या है?

बेयर मार्केट, एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रतिभूतियों की कीमतें गिर रही हैं और व्यापक निराशावाद नकारात्मक भावना को आत्मनिर्भर होने का कारण बनता है। 

जैसा कि निवेशक एक बेयर मार्केट में नुकसान की आशा करते हैं और जितना अधिक बिकवाली जारी रहती है, निराशावाद केवल कई गुना बढ़ जाता है। यदि बाजार सूचकांक 20 प्रतिशत से अधिक गिरते हैं तो हमारे पास एक बेयर मार्केट है। 

बेयर मार्केट में कीमत उसी कीमत पर रहती है और फिर इंडेक्स के साथ नीचे जाती है और वॉल्यूम स्थिर हो जाता है। बेयर मार्केट में, जब तक विक्रेता किसी और से स्टॉक उधार नहीं लेता है, बाजार मूल्य पर शेयर बेचता है और शेयरों को पुनर्खरीद करता है और उन्हें मालिक को वापस नहीं करता है, तब तक त्वरित लाभ कमाना मुश्किल होता है। 

उदाहरण के लिए, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और चीनी बाजार में गिरावट के कारण विदेशी पूंजी के बहिर्वाह के कारण डॉलर के मुकाबले रुपया 30 पैसे गिरकर 28 महीने के निचले स्तर 67.59 पर आ गया। 

बीयर मार्केट (Bear Market)

बेयर मार्केट, को निवेश की कीमतों में लंबे समय तक गिरावट से परिभाषित किया जाता है। बेयर मार्केट, आम तौर पर, तब होता है जब एक व्यापक बाजार सूचकांक अपने सबसे हाल के उच्च स्तर से 20% या उससे अधिक गिर जाता है। बेयर मार्केट, का उल्टा एक बुल मार्केट है, जिसकी विशेषता 20% या उससे अधिक का लाभ है। 

बुल मार्केट (Bull Market) 

यह शेयर मार्केट की ऐसी स्थिति होती है जिसमें किसी एसेट या सिक्योरिटी की कीमतें बढ़ रही होती हैं या बढ़ने की उम्मीद होती है।

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30 कंपनियों के चयन के लिए मानदंड

  • बड़ी कंपनियों के शेयरों के आधार पर।
  • शेयरों को बार-बार खरीदा और बेचा जाना चाहिए।
  • इसमें प्रत्येक क्षेत्र की कम से कम एक अग्रणी कंपनी शामिल होनी चाहिए।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के बारे में अधित जानकारी नीचे दी जा रही है – 

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड 

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI – Security Exchange Board Of India), भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है। सेबी की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को हुई थी। सेबी का मुख्यालय मुंबई के बांद्रा कुर्ला परिसर में हैं। नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में सेबी के उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किए गए हैं। 

आधिकारिक तौर पर साल 1988 में भारत सरकार द्वारा सेबी की स्थापना की गई थी। इसके बाद भारत की संसद द्वारा पारित सेबी अधिनियम, 1992 के साथ इसे वैधानिक अधिकार दिया गया था। सेबी से पहले पूंजी निर्गम नियंत्रक नियामक प्राधिकरण था, जिसे पूंजी मुद्दे (नियंत्रण) अधिनियम, 1947 के अंतर्गत अधिकार प्राप्त थे।

भारत में प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज कौन सा है?

व्यापार के लिहाज से एनएसई सबसे बड़ा शेयर बाजार है। भारतीय शेयर बाजार में अधिकांश व्यापार, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के द्वारा किया जाता है। बीएसई 1875 से अस्तित्व में है। दूसरी ओर, एनएसई, 1992 में स्थापित किया गया था और 1994 में व्यापार शुरू किया था। हालांकि, दोनों एक्सचेंज एक ही ट्रेडिंग तंत्र, ट्रेडिंग घंटे और निपटान प्रक्रिया का पालन करते हैं।

भारत में दो स्टॉक एक्सचेंज क्यों हैं?

भारत में दो स्टॉक एक्सचेंज है। पहला – बीएसई, जिसे 1875 में स्थापित किया गया था। यह एशिया का सबसे पुराना और यह भारत का पहला स्टॉक एक्सचेंज था। इसके द्वारा की जाने वाली ट्रेडिंग तब भी व्यापक थी। हालांकि बीएसई में ऑन-स्क्रीन ट्रेडिंग नहीं थी। इसके बाद 1992 में NSE की स्थापना हुई और इसके द्वारा एक्सचेंज पर ट्रेडिंग की शुरूआत 1994 में हुई थी। NSE ने निफ्टी नाम के अपने बेंचमार्क इंडेक्स के साथ ऑन-स्क्रीन ट्रेडिंग शुरू की थी। इसमें कम्युटरीकृत ट्रेडिंग के कारण तुरंत शेयर व्यापारियों का ध्यान अपनी ओर खींचा क्योंकि इससे दलालीं की लागत बचाने में मदद मिली रही थी। हालांकि बाद में बीएसई ने भी ऑन स्क्रीन ट्रेडिंग शुरू की थी। बारत की अधिकांश कंपनियां एनएसई और बीएसई दोनों स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध हैं, लेकिन इन कंपनियों के स्टॉक मूल्य भिन्न हो सकते हैं।

नोट – बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या एनएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों की तुलना में अधिक है।

भारत में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज कौन से हैं?

भारत में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज बीएसई लिमिटेड, कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड, इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज (इंडिया आईएनएक्स), इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड, मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड, नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड, नेशनल हैं। स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड, एनएसई आईएफएससी लिमिटेड आदि हैं।

सेंसेक्स की गणना कैसे की जाती है?

सेंसेक्स की गणना करे का फॉर्मूला = (टोटल फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन/बेस मार्केट कैपिटलाइज़ेशन) * बेस इंडेक्स वैल्यू।

बता दें कि सेंसेक्स की गणना के लिए बेस ईयर 1978-79 है, बेस वैल्यू स्थिर है लेकिन इसे बदलना होता है। बीएसई के मुताबिक रु. आधार बाजार पूंजीकरण के रूप में 2501.24 करोड़ का उपयोग किया जाना है। बेस इंडेक्स वैल्यू 100 है। सेंसेक्स में 30 स्टॉक शामिल हैं जो निर्धारित मानदंड के अनुसार चुने गए हैं। सभी 30 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण निर्धारित किए गए हैं। सभी 30 कंपनियों का फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन निर्धारित किया गया है। सभी 30 कंपनियों के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन को कुल फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन प्राप्त करने के लिए अभिव्यक्त किया गया है।

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