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नागासाकी दिवस

हर साल 9 अगस्त को नागासाकी दिवस मनाया जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान साल 1945 में अमेरिका के बम वर्षक विमान ने 6 अगस्त को जापान के हिरोशिमा शहर पर लिटिल बॉय’ नाम के परमाणु बम से हमला किया था। इस हमले के 3 दिन बाद 9 अगस्त को अमेरिका ने जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर फैट मैन-परमाणु बमगिराया था। अमेरिका ने यूएस बी-29 बॉम्बर से नागासाकी पर फैट मैन को गिराया था। इस भीषण परमाणु हमले ने नागासाकी के हजारों लोगों की जान ले ली थी। इसी की याद में दुनिया में 9 अगस्त को नागासाकी दिवस मनाया जाता है। 

इस भयानक परमाणु हमले में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी के हजारों लोगों की तत्काल मौत हो गई थी। वहीं, लाखो लोग इस त्रासदी में आजीवन विगलांगता और कई बीमारियों से पीड़ित हो गए। यह दुनिया में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का पहला और एकमात्र उदाहरण है। इसलिए, शांति की राजनीति को बढ़ावा देने और नागासाकी पर बम हमले के प्रभावों के बारे में दुनिया में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 9 अगस्त को नागासाकी दिवस मनाया जाता है।  

यूपीएससी अपने उम्मीदवारों को आम तौर पर सामान्य ज्ञान से जुड़े प्रश्नों से चौंकाती रहती है। इसलिए आपको यह सलाह दी जाती है कि आप नागासाकी दिवस से जुड़े बुनियादी तथ्यों को ठीक से समझ लें। UPSC प्रीलिम्स के लिए लिहाज से द्वितीय विश्व युद्ध और नागासाकी दिवस एक महत्वपूर्ण विषय है। इससे जुड़े प्रश्न यूपीएससी मेन्स के जीएस पेपर I में पूछे जाने की प्रबल संभावना है।

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परमाणु हमले में जापान को हुआ नुकसान

अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर किए गए परमाणु हमले के कारण करीब 74, 000 लोग मारे गए थे। जापान पर ये हमला मानवजाति के इतिहास का अब तक का सबसे भयानक हमला था। इस हमले में हिरोशिमा और नागासाकी से मानव जाति की पीढ़ियों का सफाया हो गया था। इसी के साथ जापान को आर्थिकरूप से भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था। जानमाल का नुकसान दुनिया भर के लोगों के लिए चिंता का विषय था।

इस हमले में नर्सों और डॉक्टरों समेत कई लोगों की जान चली गई। युद्ध की भयावयता के कारण परमाणु हमले के दौरान इन शहरों के लोगों को उचित चिकित्सा सहायता भी नहीं मिल सकी, जिसके परिणामस्वरूप लोगों में ल्यूकेमिया, थायराइड, स्तन और फेफड़ों के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां बड़े पैमाने पर फैल गईं।  

जापान पर परमाणु हमले का इतिहास

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी  थी। 8 मई 1945 को जर्मनी के आत्मसमर्पण के साथ ही यूरोप में युद्ध समाप्त हो गया था। लेकिन प्रशांत क्षैत्र में मित्र राष्ट्रों और जापान के बीच युद्ध जारी रहा।

जुलाई 1945 में पॉट्सडैम घोषणा (Potsdam Declaration) में, मित्र राष्ट्रों ने जापान से बिना शर्त आत्मसमर्पण के लिए कहा, लेकिन जापान ने इसे नजरअंदाज कर दिया और युद्ध जारी रखा।

इस घटना से जापान और अमेरिका के बीच संबंध काफी खराब हो गए, खासकर जब जापानी सेना ने ईस्ट इंडीज के तेल-समृद्ध क्षेत्रों पर कब्जा करने के इरादे से इंडोचीन रिजन को निशाना बनाने का फैसला किया।

इस घटना के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान को आत्मसमर्पण करने के लिए परमाणु बमों के उपयोग का फैसला किया।

इसके लिए 1940 के दशक में अमेरिका द्वारा मैनहट्टन परियोजना के परिणामस्वरूप विकसित दो प्रकार के परमाणु बमों का उपयोग किया गया। अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर में लिटिल बॉय नाम का परमाणु बम गिराया। इसके बात 9 अगस्त 1945 को नागासाकी शहर में द फैट मैन नाम का एक प्लूटोनियम बम गिराया।

द्वितीय विश्व युद्ध में जापान का आत्मसर्पण

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी युद्ध परिषद हिरोशिमा हमले के बाद आत्मसमर्पण करने के लिए आश्वस्त नहीं थी, जिसके कारण अमेरिका ने जापान के दूसरे शहर नागासाकी शहर पर बमबारी की। साल 1945 में हुई इस भीषण तबाही में शहर की लगभग 39 प्रतिशत आबादी का सफाया हो गया था। नागासाकी शहर पर बमबारी के छह दिन बाद जापानी सम्राट ने द्वतीय विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण की घोषणा कर दी।    

हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले के दुष्प्रभाव

अमेरिका द्वारा जापान के शहरो हिरोशिमा और नागासाकी पर किए गए परमाणु हमले से भीषण तबाही हुई। हिरोशिमा में गिराए गए लिटिल बॉय नाम के परमाणु बम ने वहां करीब 2.5 किमी के दायरे में इमारतों को नष्ट कर दिया। इस घटना में करीब 28,000 से अधिक लोग मारे गए थे। साथ ही जापान को भारी मात्रा में संपत्ति का भी नुकसान उठाना पड़ा था। वहीं, 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर गिराए गए प्लूटोनियम बम से 75000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।

परमाणु हमले की इस घटना के वर्षों बाद भी इन शहर में बचे हुए लोगों को उच्च आवृत्ति पर ल्यूकेमिया, थायरॉयड, स्तन और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों का अनुभव होता था।

नागासाकी पर बमबारी के कारण

दूसरा विश्व यूद्ध आखिरी मोड़ पर था जापान लगभग हार ही चुका था लेकिन अब तक उसने सरेंडर नहीं किया था। इस बीच अमेरिका, बार-बार जापान को एटम बम दागने के लिए चेतावनी दे रहा था। लेकिन इसके बावजूद जापान ने अमेरिका के सामने सरेंडर करने से इनकार कर दिया। इस घटना के बाद अमेरिका के सहयोगियों ने जापान पर एक्शन लेने की सलाह दी थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने परमाणु हमले को यह कहते हुए उचित ठहराया कि बम गिराने से युद्ध जल्दी और प्रभावी रूप से समाप्त हो गया और इससे अमेरिका को कम से कम नुकसान हुआ।

वहीं, कुछ लोगों का मानना ​​है कि जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर किए गए हमले का बदला लेने के लिए अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी हम परमाणु हमला किया।

हमले के लिए हिरोशिमा और नागासाकी जैसे शहरो का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि इन शहरों में जापान की महत्वपूर्ण औद्योगिक और सैन्य सुविधाएं थीं।

कुछ लोगों का मानना है कि युद्ध के बाद सोवियत संघ के साथ राजनयिक सौदेबाजी के लिए एक मजबूत स्थिति हासिल करने के लिए अमेरिका ने जापान पर परमाणु हमला किया था।

परमाणु हमले के लिए हिरोशिमा और नागासाकी को क्यों चुना

जापान पर परमाणु हमला करने से पहले अमेरिका ने उसके शहरों पर काफी रिसर्च किया था। इसके बाद ही उसने दो बड़े शहरों हिरोशिमा और नागासाकी का चयन किया। ये दोनों शहर जापान की संस्कृति का अहम हिस्सा थे। इन शहरो पर हमले का दूसरा कारण ये भी था कि जापान के सैन्य से जुड़े सामानों का अधिकतर प्रोडक्शन इन्हीं शहरों में होता था।

अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराने से पहले कोई चेतावनी नहीं दी थी। इसकी वजह यह थी कि अगर इतनी बड़ी आबादी वाले शहर को चेतावनी दी जाती तो इससे पायलट को खतरे में डालना पड़ता और अगर जापान को इसकी भनक लग जाती तो वह इन जहाजों को मार गिराता। इसलिए अमेरिका ने बिना किसी सूचना के ही जापान के शहरों पर परमाणु हमला कर दिया था।

नागासाकी दिवस का महत्व

जापान में हर साल 9 अगस्त (नागासाकी दिवस) को ब्लैक डे के रूप में मनाया जाता है।

परमाणु हमले ने इन शहरों में पीढ़ियों का सफाया कर दिया और मानव जीवन और संपत्ति दोनों को व्यापक रूप से नष्ट कर दिया।

यह दिन उन लोगों के साथ सहानुभूति और एकजुटता पेश करने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने इस भीषण त्रासदी का सामना किया। साथी ही इस दिन, परमाणु हमले में अपनी जान गंवाने वालों को भी याद किया जाता है।

इस दिन को मनाने का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य साथी राष्ट्रों को शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश देना है।

जापान के नागरिक इस दिन, परमाणु युद्ध और प्रसार की छाया में रह रहे लोगों के साथ शांति अभियानों का आयोजन करके दुनिया में शांति और सह-अस्तित्व का संदेश फैलाते हैं।

इस दौरान उच्च स्तरी बैठकों, सम्मेलनों, समीक्षाओं और चर्चाओं का आयोजन किया जाता है, साथ ही इस दिन दुनिया को रहने के लिए एक शांतिपूर्ण आवास बनाने का संकल्प भी लिया जाता है।

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हिरोशिमा दिवस (Hiroshima Day) 

हर साल 6 अगस्त को हिरोशिमा दिवस मनाया जाता है। इसी दिन अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा नगर पर लिटिल बॉयनामक यूरेनियम बम से हमला किया था। इस परमाणु हमले से करीब 13 वर्ग किलोमीटर में भीषण तबाही मच गई थी। इस भयानक हमले में हिरोशिमा शहर के करीब एक लाख चालीस हजारर लोग मौत के मुंह में समा गए। इस हमले मे मरने वाले अधिकांश लोग जापान के आम नागरिक, बच्चे, बूढ़े और महिलाएं थी। अमेरिका के इस परमाणु हमले के कई सालो बाद तक बम की विकिरण के प्रभाव से लोग मरते रहे। 

अमेरिका ने ऐसे किया था हमला 

6 अगस्त 1945 को अमरीकी सेना के कमाण्डर कर्नल पॉल टिबेट्स की अगवानी में बी-29 विमानों ने दक्षिण प्रशान्त में टिनियनसे दो अन्य बी-29 विमानों के साथ उड़ान भरी। यहां से उड़ान भरने के बाद तीनों विमानों ने इवोजिमा से 8000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए जापान की हवाई सीमा में प्रवेश किया। जब ये विमान हिरोशिमा शहर के पास पहुंचे तो इनकी ऊंचाई 32,300 फीट थी। हिरोशिमा शहर के ठीक उपर पहुंचने के बाद अमेरिकी जलसेना के कैप्टन विलियम पार्सन्स ने विमान में लिटिल बॉयको फिट किया। इसके बाद लक्ष्य पर पहुंचने के 30 मिनिट पहले उनके सहायक सेकेण्ड लेफ्टिनेंट टेनेण्ट मॉरिस जैप्सन ने उस अणुबम पर लगे सुरक्षा उपकरणों को हटाकर उसे सक्रिय किया।

परमाणु हमले के परिणाम

हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले के बाद जापान ने 15 अगस्त 1945 को अमेरिका और मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इसी के साथ आधिकारिक तौर पर 2 सितंबर को द्वितीय विश्व युद्ध का समापन हो गया।

परमाणु हथियारों के भयानक प्रभावों के परिणामस्वरूप जापान एक शांतिवादी और गैर-परमाणु देश बन गया।

अमेरिका द्वारा परमाणु बमों के उपयोग के कारण सोवियत संघ ने भी अपना परमाणु हथियार कार्यक्रम शुरू किया। सोवियत संघ द्वारा अपना स्वयं का परमाणु बम विकसित करने के साथ, शीत युद्ध के एक नए युग की शुरूआत हो गई।

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क्या जापान हिरोशिमा पर हमले को रोक सकता था ? 

जापानी राडार ने पूर्व दक्षिण की ओर बढ़ रहे इन अमरीकी विमानों को चिह्नित कर परमाणु हमले के करीब एक घंटे पहले रेडियो से हवाई हमले की चेतावनी दी थी। हालांकि हिरोशिमा के राडार चालक ने विमानों की संख्या तीन होने के चलते उन्हें टोही विमान मान लिया था। इस दौरान जापान ने अपने ईंधन और हवाई जहाजों को बचाने को बचाने के लिए इन जहाजों पर प्रतिरोधी कार्रवाई नहीं की। अगर समय रहते जापान के राडार इन बमवर्षक विमानों को पहचान लेते और जरूरी कार्रवाई करते तो शायद हमले से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता था। 

लिटिल बॉय को फटने में लगे थे 57 सेंकण्ड 

लिटिल बॉयनामक अमेरिकी अणुबम को हवाई जहाज से फैंके जाने के बाद हिरोशिमा शहर के ऊपर फटने में करीब 57 सेंकण्ड का समय लगा था। 60 किलोग्राम वजन वाला यह यूरेनियम-235 बम शहर से 2,000 फीट की ऊंचाई पर फटा था। हालांकि, हवा के विपरीत बहाव के कारण यह बम अपने लक्ष्य इयोई ब्रिजसे करीब 800 फीट दूर शीमा सर्जिकल क्लिनिकके ऊपर फटा।

इस भीषण धमाके में करीब 1.6 किलोमीटर का इलाका पूरी तरह नष्ट हो गया था। इस हादसे में 11 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र आग की लपटों से झुलस गया था। इससे हिरोशिमा नगर की 69 प्रतिशत इमारतें पूरी तरह नष्ट हो गई थी। वहीं, करीब 6-7 प्रतिशत भवनों को आंशिक नुकसान पहुंचा था। अमरीकी अधिकारियों का दावा था कि लिटिल बॉय से 12 वर्ग किलोमीटर का दायरा पूरी तरह ध्वस्त हो गया था।

अमरीकी वैज्ञानिकों का दावा– यू-235 वाला यह बम नाकाम बम था, क्योंकि वैज्ञानिकों के मुताबिक इसने ईंधन के केवल 1.38 प्रतिशत का ही उपयोग किया था।

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