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राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड

राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (National Fisheries Development Board) की स्थापना साल 2006 में की गई थी। इसकी स्थापना भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के मत्स्यपालन विभाग के अधीन एक स्वायत्तशासी संगठन के रूप में की गई थी। देश में मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में बढ़ोत्तरी तथा इसके समेकित तथा समग्र विकास में समन्वय करने के लिए मत्स्य विकास बोर्ड की स्थपना की गई थी।

भारत में समुद्री क्षैत्र में प्रचुर मात्रा में संसाधन मौजूद है, लेकिन सरकारों की उदासीनता के चलते उनका दोहान नहीं हो पाया है। राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, समुद्री अर्थव्यवस्था को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हो सकता है। मत्स्य पालन हमारे देश के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। यह उद्योग भारत में जनसंख्या के पोषण के साथ-साथ लोगों की आर्थिक और सामाजिक आवश्यकताओं को भी पूरा करता है। हमारे देश में करोडों लोग अपनी आजीविका के लिए मछली पालन और इससे जुड़े उद्योगों पर निर्भर है। 

इस लेख में हम आपको राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के गठन, महत्व और मत्स्य पालन उद्योग में एनएफडीबी द्वारा किए गए योगदान के बारे में विस्तार से समझाएंगे। राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए National Fisheries Development Board पर क्लिक करें।

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 राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के महत्वपूर्ण कार्य

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB), केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा जारी मत्स्य पालन संबंधी गतिविधियों का समन्वय करने का काम करता है।

यह बोर्ड, केन्द्र के साथ, राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों के साथ भी मछली पालन व इस उद्योग से जुड़ी गतिविधियों को लेकर समन्वय स्थापित करता है।

बोर्ड़ का काम, जलकृषि और मत्स्य पालन उद्योग से संबंधित गतिविधियों के प्रबंधन में व्यावसायिकता लाने पर ध्यान केन्द्रित करना है।

NFDB, आहार एवं पोषण सुरक्षा में मत्स्य व इससे जुड़े उत्पादों के योगदान में बढ़ोत्तरी पर भी जोर देता है।

एनएफडीबी, प्राकृतिक जलीय संसाधन व मत्स्य भंडार व प्रबंधन करने और उनमें स्थिरता बनाए रखने के लिए भी प्रयास करता है।

मत्स्य पालन और जलीय कृषि उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन और विपणन जैसे विभिन्न कार्यों पर का प्रबंधन भी एनएफडीबी करता है।

मत्स्य पालन क्षेत्र की उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने के लिए अनुसंधान और विकास में आधुनिक, प्रौद्योगिकी-उन्मुख उपकरणों का अनुप्रयोग करने पर जोर देता है।

मत्स्य प्रबंधन और अधिकतम उपयोग के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचा तंत्र उपलब्ध कराने का काम भी एनएफडीबी करता है।

बोर्ड, मत्स्य उद्योग में पर्याप्त रोजगार के अवसरों का सृजन करने के साथ-साथ महिलाओं को भी सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करता है।

परम्परागत मत्स्य पालन एवं मत्स्य उत्पादों के उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन तथा विपणन में सुधार करने का काम भी एनएफडीबी द्वारा किया जाता है।

इसके अलावा राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, पोषण और सुरक्षा में मछली के योगदान को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास करता है। 

एनएफडीबी के बारे में जरुरी तथ्य 

NFDB की स्थापना 2006 में हुई थी, इसका मुख्यालय हैदराबाद में है।

यह भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग के नियंत्रण में काम करता है।

इसका उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र को सुसंगत और नवीन पद्धतियों के माध्यम से विकसित करना और हर क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना है।

एनएफडीबी की गतिविधियों का प्रबंधन मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री की अध्यक्षता में एक शासी निकाय द्वारा किया जाता है।

एक कार्यकारी समिति, बोर्ड के कार्यों और मामलों का सामान्य अधीक्षण, निर्देशन, नियंत्रण करती है।

इसके अध्यक्ष, मत्स्य विभाग के प्रभारी सचिव होते हैं।

शासी और कार्यकारी निकाय बोर्ड के कार्यों पर निर्णय लेते हैं और महत्व के मामलों पर मार्गदर्शन करते हैं। 

NFDB मुख्यतः इन बातों पर जोर देता है-

कल्चर बेस्ड कैप्टर फिश – प्राकृतिक स्रोतों से पकड़े जाने के बाद मछलियों को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए संवर्धित किया जाता है।

इंटेंसिव एक्वाकल्चर – वाणिज्यिक मत्स्य पालन में अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए पूरक आहार और जल वातन का उपयोग किया जाता है। इसमें मछलियों का पालन तालाबों या टैंकों में किया जाता है। इस दौरान उन्हें पौष्टिक आहार दिया जाता है।

नॉलेज बेस्ट फार्मिंग (ज्ञान आधारित खेती) – मछली उत्पादन और प्रसंस्करण के लिए तालाबों, मछली चारा, प्रजनन प्रथाओं, मछली जीव विज्ञान और वैज्ञानिक मछली पालन का ज्ञान आवश्यक है।

NFDB द्वारा मत्स्य पालन से संबंधित कई गतिविधिया की जाती हैं –

  • तालाबों और तालाबों में सघन जलकृषि
  • तटीय जलीय कृषि
  •  सागरीय कृषि
  •  समुद्री शैवाल की खेती
  • ढांचागत कृषि
  • सजावटी मत्स्य पालन
  • ट्राउट संस्कृति
  •  कृत्रिम चट्टान प्रौद्योगिकी उन्नयन
  • मछली लैंडिंग केंद्र
  • मछली किसानों और मछुआरों के लिए क्षमता निर्माण 

IAS प्रारंभिक परीक्षा में इस विषय से संबंधित प्रश्न करेंट अफेयर्स के सेक्शन में पूछे जा सकते हैं।  

नोट – UPSC उम्मीदवार BYJU’S के साथ जुड़कर IAS प्रारंभिक प्रश्न पत्र की विषय-वार तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, उम्मीदवार यहां अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम सामान्य ज्ञान अपडेट, तैयारी के टिप्स और अध्ययन सामग्री हिंदी में प्राप्त कर सकते हैं।

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड का लक्ष्य

  •  मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोत्तरी करना।
  • मत्स्य पालन क्षेत्र का समग्र विकास करना।
  • बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए पौष्टिक प्रोटीन की पूर्ति करना।
  • देश की समग्र अर्थव्यवस्था में तेजी लाना।
  • मत्स्य पालन उद्योग से देश में स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, निर्यात, रोजगार और पर्यटन में सुधार करना।

 एनएफडीबी के प्रमुख उद्देश्य 

मत्स्य पालन और जलीय कृषि से संबंधित गतिविधियों को ध्यान केंद्रित करने और बेहतर पेशेवर प्रबंधन के साथ प्रोत्साहित करना।

केंद्र सरकार द्वारा मत्स्य पालन से संबंधित गतिविधियों और नीतियों पर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय करना।

मछली स्टॉक सहित प्राकृतिक जलीय संसाधनों के सतत प्रबंधन और संरक्षण को बढ़ावा देना।

मात्स्यिकी प्रबंधन और संसाधनों के इष्टतम उपयोग में उत्पादकता बढ़ाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी सहित अनुसंधान और विकास में आधुनिक उपकरणों का अनुप्रयोग करना।

प्रग्रहण एवं पालन मात्स्यिकी के उत्पादों के उत्पादन, प्रसंस्करण, भण्डारण, परिवहन एवं विपणन से संबंधित गतिविधियों में वृद्धि करना।

मत्स्य पालन क्षेत्र में पर्याप्त रोजगार सृजन, आजीविका और राष्ट्रीय विकास में योगदान देना।

मत्स्य पालन क्षेत्र में महिलाओं को पर्याप्त प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना।

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जीएआईएस योजना (GAIS Scheme)

इसे समूह दुर्घटना बीमा योजना (Group Accident Insurance Scheme) के नाम से जाना जाता है।

इस योजना को प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना के एक भाग के रूप में लागू किया गया है।

जीएआईएस योजना का उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को बीमा कवरेज प्रदान करना है।

इस योजना का क्रियान्वयन, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड द्वारा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के माध्यम किया जाता है।

इस योजना में शामिल लाभार्थी, मछली श्रमिक, मछली किसान और मछली पकड़ने और इससे संबद्ध गतिविधियों में शामिल अन्य लोग हो सकते हैं।

मत्स्य उद्योग से जुड़े 18 से 70 वर्ष की आयु वर्ग के सभी लोग (पुरुष एवं महिलाएं) इस बीमा कवरेज के लिए पात्र हैं।

इस योजान के बीमा प्रीमियम की राशि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा साझा की जाएंगी।

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प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMSSY)   

प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) को आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है। इस योजना को वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक, 5 साल की अवधि के लिए लागू किया गया है।

PMMSY योजना के तहत मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड, वित्तीय सहायता और बीमा कवर जैसी कई सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। पीएमएमएसवाई, मत्स्य पालन क्षेत्र में एक व्यापक ढांचा स्थापित करने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है। 

इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 जुलाई 2019 को 2019-20 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए संसद में अपने भाषण के दौरान की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि सरकार नीली क्रांति (Blue Revolution) के माध्यम से मछली उत्पादन और प्रसंस्करण में भारत को पहले स्थान पर लाना चाहती है। PMMSY के तहत 20,050 करोड़ रुपए का निवेश, मत्स्य क्षेत्र में होने वाला सबसे अधिक निवेश है। 

PMMSY का लक्ष्य और उद्देश्य –

  • PMMSY का उद्देश्य ग्रामीण संसाधनों का उपयोग करके ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तेज़ी से बढ़ावा देना है।
  • PMMSY का आदर्श वाक्य – मत्स्य पालन क्षेत्र में ‘सुधार, प्रदर्शन और रूपांतरण’ है।
  • पीएमएमएसवाई का लक्ष्य 2024-25 तक मछली उत्पादन को 220 लाख मीट्रिक तक बढ़ाने का है।
  • इस योजना से निर्यात आय दोगुनी होकर 1,00,000 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
  • इससे आने वाले 5 सालो में करीब 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने की संभावना है।
  • इसके तहत पहली बार, मछली श्रमिकों, मछुआरों, मछली विक्रेताओं, मछली किसानों और इससे जुड़े अन्य लोगों के साथ, मछली पकड़ने वाले जहाजों के लिए भी बीमा कवरेज होगा।  

 मात्स्यिकी और एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट फंड (FIDF)

मात्स्यिकी और एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट फंड (FIDF) के तहत कोष की अनुमानित राशि 7,522 करोड़ रुपए होगी। इसमें 5266.40 करोड़ रुपए प्रमुख ऋणदाता निकायों द्वारा जुटाए जाएंगे। इसके लिए, राष्‍ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD), राष्‍ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) और सभी अनुसूचित बैंक प्रमुख ऋणदाता निकाय होंगे।

FIDF स्थापित करने के उद्देश्य

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, FIDF योजना की नोडल कार्यान्वयन एजेंसी है।

अंतर्देशीय और समुद्री क्षेत्रों में मछली पालन के लिए बुनियादी व ढांचागत सुविधाएं स्‍थापित करना।

FIDF द्वारा मत्स्य पालन क्षेत्र में 8 से 9 प्रतिशत की सतत वृद्धि हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।

इसका लक्ष्य 2022-23 तक मछली उत्पादन को 20 मिलियन टन तक बढ़ाना है।   

इसके द्वारा 9.40 लाख से भी अधिक मछुआरों/मत्‍स्‍य पालन से जुड़े लोगों के साथ-साथ मत्‍स्‍य पालन एवं इससे जुड़े उद्यमियों के लिए रोज़गार पैदा करने की योजना है।

FIDF द्वारा मत्‍स्‍य पालन से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था निजी निवेश को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य है।  

FIDF के तहत ऋण और भुगतान व्यवस्था

FIDF के तहत 5 वर्षों की अवधि के लिए ऋण वितरण किया जाएगा। इस ऋण के भुगतान के लिए अधिकतम 12 वर्षों की सीमा तक की गई है।

FIDF द्वारा मत्‍स्‍य पालन क्षेत्र के विकास से जुड़ी चिन्ह्ति गतिविधियां पूरी करने के लिए राज्य व केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों व अन्य निकायों, सहकारी समितियों, उद्यमियों आदि को रियायती दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।

भारतीय मत्स्य उद्योग

आय और रोजगार उत्पन्न करने की दृष्टि से भारत का मछली पालन उद्योग बेहद महत्वपूर्ण क्षैत्र है। साथ ही साथ यह क्षैत्र लोगों को सस्ता और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने में भी अहम भूमिका निभाता है। मछली पालन उद्योग देश की आर्थिक रूप से पिछड़ी एक बड़ी आबादी के लिए आजीविका का साधन है। इसलिए इसे ‘सनराइज सेक्टर’ के रूप में मान्यता प्रदान की गई है।

मत्स्य पालन क्षेत्र, भारत में तेजी से बढ़के हुए क्षेत्रों में से एक है। यह देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मछली पालन और इससे जुड़े उद्योग देश की एक बड़ी आबादी को पोषण और खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ करीब 28 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।

भारत के मछली उद्योग से जुड़ी खास बातें –

वैश्विक मछली उत्पादन का लगभग 7.58% भारत से होता है।

मछली उद्योग भारत के सकल मूल्य वर्धित में 1.28% और कृषि जीवीए 7.28% योगदान देता है।

2014-15 से मत्स्य पालन क्षेत्र 10.87 की औसत वार्षिक दर से बढ़ा है।

भारत ने साल 2021-22 के दौरान 7.76 बिलियन अमरीकी डालर के समुद्री उत्पादों का निर्यात किया है।

भारत, दुनिया में मछली का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है।

मछली पालन उद्योग, भारत में मछुआरों और मछली किसानों सहित लगभग 280 लाख लोगों की आजीविका में योगदान देता है।

भारत की लगभग 7516.6 किमी की विशाल तटरेखा है। इसके अलावा विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों, महाद्वीपीय शेल्फ क्षेत्र, और देश के अंदरुनी क्षैत्रों में तालाबों, झीलों, नहरों, जलाशयों, आदि के माध्यम से बड़े पैमाने पर मछली पालन की गुंजाइश प्रदान करता है।

यह क्षैत्र लाखों लोगों के लिए आय, भोजन, पोषण और रोजगार में योगदान देता है। 

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