पेमेंट बैंक, विशेष प्रकार के बैंक हैं, जिन्हें सीमित बैंकिंग क्रियाकलापों की अनुमति दी गई है। यह बैंकिंग का एक नया स्वरूप है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दायरे में काम करते हैं। भुगतान बैंक प्रति ग्राहक ₹100,000 की सीमित जमा राशि स्वीकार कर सकते हैं और इसे और बढ़ाया जा सकता है। लेकिन ये बैंक ऋण और क्रेडिट कार्ड जारी नहीं कर सकते हैं। हालांकि ये बैंक, नेट बैंकिंग, एटीएम कार्ड, डेबिट बैंक और मोबाइल बैंकिंग जैसी सुविधाएं उपलब्ध करा सकते हैं। इन पेमेंट बैंक को यह भी निर्देश दिया गया है कि इनका परिचालन शुरुआत से ही पूर्णत: नेटवर्क व प्रौद्योगिकी साधित होगा।
नोट – भारतीय रिजर्व बैंक ने 19 अगस्त 2015 को एक आदेश के द्वारा 11 पेमेंट बैंक या भुगतान बैंकों को स्वीकृत प्रदान की थी।
भुगतान बैंक, आईएएस परीक्षा 2023 के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है और यूपीएससी पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उम्मीदवार इस लेख के अंत में नोट्स पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं।
आईएएस परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार पेमेंट बैंक या भुगतान बैंक के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ें। इस लेख में हम आपको पेमेंट बैंक / भुगतान बैंक और उसके कार्यों के बारे में विस्तार से बताएंगे। पेमेंट बैंक के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Payment Banks पर क्लिक करें।
भुगतान बैंकों का इतिहास
साल 2013 के सितंबर माह में आरबीआई द्वारा नचिकेत मोर की अध्यक्षता में छोटे व्यवसाय और कम आय वाले परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवाओं पर समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने 7 जनवरी, 2014 को अपनी अंतिम सिफारिश प्रस्तुत की जिसमें भुगतान बैंक नामक एक नए प्रकार के बैंक के गठन पर विस्तार से बताया गया था। इसके बाद उसी साल जुलाई में, आरबीआई ने प्रमुख हितधारकों और आम जनता से टिप्पणियों को आमंत्रित करते हुए दिशानिर्देशों के लिए एक मसौदा तैयार किया जो भुगतान बैंक को नियंत्रित करेगा। इसके लिए अंतिम दिशानिर्देश 27 नवंबर 2014 को जारी किए गए थे।
इसके बाद फरवरी 2015 में, आरबीआई ने उन संस्थाओं की सूची जारी की जिन्होंने भुगतान बैंक के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। उस दौरान कुल 41 आवेदन प्राप्त हुए थे। इसके बाद यह घोषणा की गई कि नचिकेत मोर की अध्यक्षता वाली एक बाहरी सलाहकार समिति (ईएसी) लाइसेंस आवेदनों का मूल्यांकन करेगी। 28 फरवरी 2015 को, बजट की प्रस्तुति के दौरान, यह घोषणा की गई कि भारतीय डाक भुगतान बैंक चलाने के लिए अपने बड़े नेटवर्क का उपयोग करेगा। नचिकेत मोर की अध्यक्षता वाली बाहरी सलाहकार समिति ने 6 जुलाई 2015 को अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए।
इसके बाद सभी आवेदक संस्थाओं की उनके वित्तीय ट्रैक रिकॉर्ड और शासन संबंधी मुद्दों की जांच की गई और 19 अगस्त 2015 को, भारतीय रिजर्व बैंक ने भुगतान बैंकों को लॉन्च करने के लिए ग्यारह संस्थाओं को “सैद्धांतिक रूप से” लाइसेंस दिया। यह सैद्धांतिक रूप से दिया गया लाइसेंस 18 महीने के लिए वैध था जिसके भीतर संस्थाओं को आवश्यकताओं को पूरा करना था और उन्हें इस अवधि के भीतर बैंकिंग गतिविधियों में संलग्न होने की अनुमति नहीं दी गई थी। शर्तों को पूरा करने के बाद आरबीआई बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22 के तहत पूर्ण लाइसेंस प्रदान किए गए।
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भुगतान बैंक के तहत निर्धारित विनियम
भुगतान बैंक के लिए न्यूनतम 100 करोड़ रुपए की पूंजी आवश्यकता होती है। इसके लिए पहले पांच साल तक प्रमोटर की हिस्सेदारी कम से कम 40 फीसदी रहनी चाहिए। वहीं, भारत में निजी बैंकों में एफडीआई के नियमों के अनुसार इन बैंकों में विदेशी शेयरधारिता की अनुमति होगी। इसके मत अधिकार को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 द्वारा विनियमित किया जाएगा। किसी भी शेयरधारक का मत अधिकार 10% पर सीमित है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 26% तक बढ़ाया जा सकता है। इसकी 25% शाखाएं बैंक रहित ग्रामीण क्षेत्र में होनी चाहिए।
इसके साथ ही आरबीआई ने पेमेंट बैंक को अन्य प्रकार के बैंकों से अलग करने के लिए अपने नाम में “पेमेंट बैंक” शब्द का उपयोग करने के लिए कहा है। इन बैंकों को, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22 के तहत भुगतान बैंकों के रूप में लाइसेंस दिया गया है और कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया था।
पेमेंट बैंक या भुगतान बैंक, सिविल सेवा परीक्षा 2023 के लिए अर्थशास्त्र अनुभाग के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण विषय है। इसलिए यूपीएससी परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को यह सलाह दी जाती है कि वे देश में होने वाले आर्थिक विकासों से संबंधित नवीनतम करंट अफेयर्स के विषयों पर नजर बनाए रखें।
भारतीय रिजर्व बैंक ने भुगतान बैंकों को लॉन्च करने के इन 11 संस्थाओं को सैद्धांतिक रूप से लाइसेंस दिया था। नीचे इन भुगतान बैंकों / उनके संचालकों की सूची दी जा रही है –
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पेमेंट बैंकों के द्वारा किए जाने वाले कार्य
पेमेंट बैंकों की स्थापना देश में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य छोटे बचत खाते उपलब्ध कराने के साथ- साथ प्रवासी श्रमिक वर्ग, निम्न आय वाले परिवारों, लघु कारोबारों और असंगठित क्षेत्र की अन्य संस्थाओं और उपयोगकर्ताओं को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है। नीचे पेमेंट बैंक द्वारा किए जाने वाले कार्यों के बारे में संक्षिप्त में जानकारी दी जा रही है –
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विभेदित बैंकिंग (differentiated banking) प्रणाली क्या है ?
भुगतान बैंक, लाइसेंस प्राप्त बैंकों की श्रेणी में आते हैं। ये एक विशेष प्रकार के बैंक हैं, जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकिंग से संबंधित सीमित क्रियाकलापों की अनुमति दी गई है।
जिस बैंकिंग प्रणाली में छोटे बैंकों और भुगतान बैंकों का उपयोग करके जनसंख्या के एक निश्चित जनसांख्यिकीय खंड की आवश्यकता को पूरा किया जाता है। उस बैंकिंग प्रणाली को विभेदित बैंकिंग प्रणाली कहा जाता है।
साल 2019 तक, भारत के करीब 19 करोड़ लोगों की बैंकिंग तक पहुंच नहीं थी।
भुगतान बैंकों के रूप में कार्य करने के लिए पात्रता के बारे में नीचे जानकारी दी जा रही है –
- गैर-बैंकिंग प्रीपेड लिखत जारीकर्ता (Non-banking prepaid instrument issuers)
- मोबाइल दूरसंचार कंपनियां (Mobile telecom companies)
- गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (एनबीएफसी) (Non-Banking Finance Companies (NBFC))
- कॉर्पोरेट व्यापार कॉरेस्पोंडेंट (Corporate business correspondents)
- सहकारिता (Co-operatives)
- और सुपरमार्केट चेन (Supermarket chains)
छोटे बैंकों के रूप में कार्य करने के लिए पात्र संस्थाएं हैं –
- एनबीएफसी (NBFC)
- माइक्रोफाइनेंस संस्थान (Microfinance institutions)
- बैंकिंग का अनुभव रखने वाले व्यक्ति (Individuals with experience of banking)
- फायनेंस सोसाईटीज (Finance societies)
- स्थानीय क्षेत्र के बैंक (Local area banks)
भुगतान बैंक और छोटे बैंकों के लिए आवश्यक न्यूनतम की पूंजी 100 करोड़ रुपए हैं।
विभेदित बैंकों के रूप में कार्य करने के लिए पात्रता मानदंड –
- उच्च पूंजीकरण स्तरों का रखरखाव
- उच्च तकनीक तक पहुंच
- वंचित ग्राहकों के प्रति प्रौद्योगिकी और सेवा के बीच संतुलन बनाए रखना।
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