केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने मछुआरों के मुद्दों, अनुभवों और आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से समझने के साथ-साथ समुद्री खाद्य निर्यात के दायरे की जांच करने और तटीय क्षेत्रों में मछुआरों के लिए उपलब्ध कार्यक्रमों को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से सागर परिक्रमा नामक एक पहल शुरू की है। यह मछुआरों, मत्स्य किसानों और उनसे जुड़े हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए पूर्व-निर्धारित समुद्री मार्ग के माध्यम से सभी तटीय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में आयोजित की जाने वाली एक नेविगेशन यात्रा है।
यह विषय हाल ही के दिनों मे काफी चर्चा में रहा है, इसलिए इस टॉपिक से जुड़े प्रश्न UPSC प्रीलिम्स के इकोनॉमी या करेंट अफेयर्स के सेक्शन में पूछे जाने की प्रबल संभावना है।
नोट: UPSC 2023 परीक्षा करीब आ रही है, इसलिए आप BYJU’S के द हिंदू अखबार के मुफ्त दैनिक वीडियो विश्लेषण के साथ अपनी तैयारी को पूरा करें।
सागर परिक्रमा पहल से जुड़ी जरूरी बातें
सागर परिक्रमा पहल की शुरूआत ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत महान स्वतंत्रता सेनानियों, नाविकों और मछुआरों का सम्मान करने के रूप में की गई है।
यह देशभर के मछली किसानों, मछुआरों और उनसे जुड़े सभी भागीदारों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए एक पूर्व निर्धारित समुद्री मार्ग के साथ सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरने वाली एक नौवहन यात्रा है।
‘सागर परिक्रमा’ के पहले चरण में ये गुजरात के मांडवी में शुरू हुई और गुजरात के अन्य जिलों के साथ-साथ अन्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ रवाना हुई।
इसका पहला चरण मांडवी में 5 मार्च 2022 को शुरू हुआ था और 6 मार्च 2022 को पोरबंदर में संमाप्त हुआ।
गुजरात के तटो पर ‘सागर परिक्रमा’ का आयोजन केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (मत्स्य पालन विभाग), गुजरात सरकार के मत्स्य पालन विभाग, भारतीय तटरक्षक, भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण, गुजरात समुद्री बोर्ड और मछुआरों के प्रतिनिधियों ने किया था।
यह यात्रा 5 मार्च को मांडवी में शुरू हुई और 6 मार्च को पोरबंदर में, देवभूमि द्वारका में ओखा होते हुए समाप्त हुई।
इस यात्रा को उन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित करने की योजना बनाई गई है, जिनके पास समुद्र तट है। इस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में गुजरात पहला राज्य था।
इसका लक्ष्य केवल बंदरगाहों के बजाय पूरे देश में मछली पकड़ने के बंदरगाहों, लैंडिंग स्थानों और मछली पकड़ने के स्थानों का दौरा करना है। वहीं, इन गांवों में परिस्थितियों की जांच करना, मछुआरे समुदाय की आकांक्षाओं को निर्धारित करने और उनकी आकांक्षाओं और उनकी वास्तविकताओं के बीच की खाई को पाटने के लिए, “वाइब्रेंट विलेज” की तरह “फिशिंग विलेज” बनाना है।
इस पहल के तहत मछुआरे और पशुपालन में रुचि रखने वाले लोग किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) का उपयोग कर सकेंगे। सरकार ने इसके लिए एक एसओपी विकसित किया है, हालांकि इसे लेकर लोगों में फिलहाल जागरूकता की बेहद कमी है।
इस दौरान तटीय मछुआरों के सामने आने वाले मुद्दों की बेहतर समझ विकसित करने के उद्देश्य से इन स्थानों और जिलों में मछुआरों, मछुआरे समुदायों और हितधारकों के साथ जुड़ाव सत्र आयोजित किए जाएंगे।
इस यात्रा की कल्पना आत्मनिर्भर भारत की भावना के रूप में मछुआरों, मछली किसानों और संबंधित हितधारकों के साथ एकता प्रदर्शित करने के लिए की गई है।
नोट: UPSC 203 परीक्षा करीब आ रही है, इसिलए आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साझ जुड़ें, यहां हम महत्वपूर्ण जानकारियों को सरल तरीके से समझाते हैं।
सागर परिक्रमा का महत्व
सागर परिक्रमा पहल देश की खाद्य सुरक्षा और तटीय मछुआरों की आजीविका के साथ-साथ समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण के बीच दीर्घकालिक स्थायी संतुलन बनाने में मदद करेगी।
भारत में 8,118 किलोमीटर लंबी तटरेखा है जो नौ समुद्री राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों तक फैली हुई है, जिससे लाखों तटीय मछुआरों को अपनी आजीविका चलाने में सहायता मिलती है। देश के तटीय राज्यों की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और आजीविका बहुत हद तक महासागर/समुद्र पर निर्भर है।
भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र एक नजर में
भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा मछली निर्यातक देश है। दुनिया के कुल मछली उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 7.7% है। वहीं भारत मछली का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक देश है।
2021-22 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, मछली पकड़ने के उद्योग में 2014-15 के बाद से 10.87 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर रही है। साल 2020-21 में 145 लाख टन मछली उत्पादन रहा था।
पिछले पांच वर्षों के दौरान, भारतीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि उद्योग औसतन 7.53 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा है। 2019-20 के दौरान भारत ने 12.89 लाख मीट्रिक टन मत्स्य माल का निर्यात किया, जिसकी कीमत 46,662 करोड़ थी।
बुनियादी ढांचे की समस्याओं के बावजूद, हाल के वर्षों में केंद्र सरकार के आश्वासन के बुते मत्स्य पालन क्षेत्र ने 10% से अधिक की वार्षिक वृद्धि दर बनाए रखी है।
हमारे देश के 2.8 करोड़ से अधिक लोग अपनी आजीविका के लिए मछली उद्योग पर निर्भर हैं। हालांकि, यह एक ऐसा उद्योग है जिसमें अपार संभावनाएं छुपी हुई हैं।
UPSC सिलेबस को गहराई से समझकर और उसके अनुसार अपने दृष्टिकोण की योजना बनाकर अपनी IAS परीक्षा की तैयारी शुरू करें।
संबंधित लिंक्स :
Comments