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विश्व मच्छर दिवस

विश्व मच्छर दिवस हर साल 20 अगस्त को मनाया जाता है। ब्रिटिश चिकित्सक, सर रोनाल्ड रॉस ने साल 1897 में 20 अगस्त को मादा एनाफिलीज मच्छर की खोज की थी, जो मलेरिया जैसी घातक बीमारी का कारण है। इसके बाद से हर साल इस दिन को पूरी दुनिया में विश्व मच्छर दिवस (World Mosquito Day 2022) के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों और उनसे बचाव के तरीकों के बारे में लोगों में जाकरूकता बढ़ाना है। 

जैसा कि आप जानते हैं कि यूपीएससी हर साल अपने उम्मीदवारों को सामान्य ज्ञान से जुड़े प्रश्नों से चौंकाता रहता है, इसलिए आपको यह सलाह दी जाती है कि आप विश्व मच्छर दिवस से जुड़े बुनियादी तथ्यों को ठीक से जान लें। इस विषय से जुड़े प्रश्न यूपीएससी प्रीलिम्स के करेंट अफेयर्स के सेक्शन से पूछे जा सकते हैं।

नोटः आप अपनी IAS परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले UPSC Prelims Syllabus in Hindi को गहराई से समझ लें और उसके अनुसार अपनी तैयारी की योजना बनाकर आगे बढ़ें। 

UPSC परीक्षा के संदर्भ में विश्व मच्छर दिवस के बारे में तथ्य 

विश्व मच्छर दिवस के बारे में नीचे दिए गए तथ्यों का ठीक से अध्ययन कर लें, इससे आपको IAS परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी सहायता मिलेगी। 

कब मनाया जाता है 20 अगस्त
2021 की थीम शून्य (0) मलेरिया के लक्ष्य तक पहुंचना।
2020 की थीम मलेरिया
सर रोनाल्ड रॉस चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार (यह पता लगाने के लिए कि एनोफिलीज मच्छर, मलेरिया परजीवी को मनुष्यों तक पहुंचाते हैं।)

IAS प्रारंभिक परीक्षा के करेंट अफेयर्स सेक्शन में विश्व मच्छर दिवस से जुड़े प्रश्न पूछे जा सकते हैं। करेंट अफेयर्स पर प्रश्नोत्तरी का अभ्यास करने के लिए संलग्न लिंक पर जाएं। 

विश्व मच्छर दिवस 2022 की थीम  

मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करें (Harness innovation to reduce the malaria disease burden and save lives) 

मच्छरों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य – 

  • पूरी दुनिया में करीब 110 ट्रिलियन मच्छर हैं। इनकी करीब 3000 प्रजातियां है।
  • सिर्फ मादा मच्छर ही काटती हैं, नर मच्छर आराम से पौधों पर बैठे रहते हैं और मुख्यतः फूलों के रस से अपना पोषण करते हैं  ।
  • मनुष्य का रक्त मच्छरों की प्रजनन प्रक्रिया  में महत्वपूर्ण भूमिका अदा  करता है। इसमें, मादा मच्छर के अंडे विकसित करने के लिए जरूरी प्रोटीन मौजूद रहता है।
  • मच्छर की आँखें  इंसानो को नहीं देख सकती हैं ।
  • मच्छर इंसानों की पहचान इंफ्रारेड रेडिएशन से करते हैं, इसलिए दिन-रात ये हमें काटते रहते हैं!
  • इंसान के शरीर के तापमान और गंध से भी मच्छर उनकी पहचान करते हैं।
  • मच्छर, कार्बन डाइऑक्साइड और लैक्टिक एसिड की तरफ आकर्षित होते हैं।
  • जितना अधिक इनका उत्पादन होगा, उतने ही ज्यादा मच्छर हमारे आसपास आएंगे।
  • इस कारण कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में मच्छर अधिक काटते हैं।
  • मच्छरों की खून पीने की क्षमता बहुत अधिक होती है, ये अपने वजन से 3 गुना अधिक खून पी सकते हैं। 
  • करीब 12 लाख मच्छरों के काटने से इंसान के शरीर का पूरा खून निकल सकता है।
  • मच्छर लगभग 75 फीट की दूरी से भी कार्बन डाइऑक्साइड (co2) का पता लगा सकते हैं।
  • जब इंसान सांस के द्वारा ऑक्सीजन अंदर लेकर कार्बन डाइऑक्साइड बाहर छोड़ते हैं, तब मच्छर, छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड से इंसानो तक पहुंच जाते हैं। 

क्या मच्छरों को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है? 

तकनीकि विकास और चिकित्सा विज्ञान द्वारा की गई इतनी तरक्की के बाद यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि क्या मच्छरों को हमेशा के लिए दुनिया से खत्म किया जा सकता है? लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसा कर पाना संभव नहीं है। हालांकि तकनीकी के प्रयोग द्वारा इंसानों ने मच्छरों को काबू करने में काफी हद तक सफलता हासिल कर ली है। 

पारिस्थितिक तंत्र में मच्छरों की भूमिका  

हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के सुचारू रूप से संचालित होने में मच्छरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अगर हम मच्छरों को पूरी तरह से खत्म करने की कोशिश करेंगे तो उससे हमारा पारिस्थितिक संतुलन खराब हो सकता है। मच्छर कईं अन्य जीवो का भोजन हैं, इसलिए अगर हम मच्छरों के पूरी तरह से खत्म करने की कोशिस करेंगे तो कई अन्य जीवों के लिए भोजन का संकट उत्पन्न हो सकता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र गड़बड़ा जाएगा। इसलिए वैज्ञानिक मच्छरों को पूरी तरह से खत्म करने के बजाय उनके प्रजनन को नियंत्रित करने और उनसे होने वाली बीमारियों को ठीक करने के उपायों पर जोर देते हैं। 

नोट: आप नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi के साथ खुद को अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साथ जुड़े, यहां हम प्रमुख जानकारियों को आसानी से समझ में आने वाले तरीकों से समझाते हैं।

विश्व मच्छर दिवस की पृष्ठभूमि 

हर साल 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस मनाने की शुरूआत साल 1930 से हुई थी। इसकी शुरूआत लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन द्वारा की गई थी। यह दिवस साल 1897 में ब्रिटिश डॉक्टर सर रोनाल्ड रॉस द्वारा मादा एनोफिलीज मच्छरों की ऐतिहासिक खोज का प्रतीक भी है। डॉक्टर रॉस ने ही सबसे यह पता लगाया था, कि मादा एनोफिलीज मच्छर, मलेरिया को फैलाने के लिए जिम्मेदार परजीवी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं। सर रोनाल्ड रॉस को अपनी इस महान खोज के लिए चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। 

विश्व मच्छर दिवस का महत्व

विश्व मच्छर दिवस, मलेरिया के कारण होने वाली बीमारियों से लड़ने में स्वास्थ्य अधिकारियों, गैर सरकारी संगठनों और अन्य लोगों के प्रयासों को रेखांकित करता है। 

आम लोगों को स्वस्थ रहने की आदतों और  घरों के आसपास मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए जागरूक करने में यह दिवस बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

इस दिन होने वाली विभिन्न गतिविधि के माध्यम से लोगों को मलेरिया के प्रसार और मच्छरों से होने वाली अन्य घातक बीमारियों के बारे में जागरूक करने का कार्य किया जाता है। 

मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियों को रोकने के बारे में शिक्षित करने, जागरूकता पैदा करने और प्रचार प्रसार करने के समाज के कई तबकों के लोग इस दिन एक साथ आते हैं। 

मच्छर दिवस के अवसर पर कई धर्मार्थ ट्रस्ट और संगठन बुजुर्ग और जरूरतंद लोगों को मच्छरदानी, कॉइल और कुनैन आदि वितरित करते हैं। 

मच्छरों से होने वाली घातक बीमारियां

मच्छर दुनिया के सबसे घातक कीटों में से एक हैं। इनमें मनुष्यों के अंदर रोगों को संचारित और प्रसारित करने की क्षमता होती है। इसी कारण मच्छरजनित रोगों से दुनिया में हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। मच्छर कई प्रकार के होते हैं, और ये मनुष्यों में कई प्रकार के रोगों का संवाहन कर सकते हैं। यहां हम मच्छरों की कुछ प्रजातियों और उनसे होने वाले रोगों के बारे में जानकारी दे रहे हैं- 

एनोफेलीज – मलेरिया, लिम्फेटिक फाइलेरिया (कुछ देशों में)।

एडीज – चिकनगुनिया, डेंगू बुखार, पीला बुखार (पीत ज्वर), जीका, लिम्फेटिक फाइलेरिया, रिफ्ट वैली बुखार।

क्यूलेक्स – लिम्फेटिक फाइलेरिया, जापानी इन्सेफेलाइटिस, वेस्ट नाइल फीवर। 

मच्छरों से होने वाली सामान्य बीमारियां 

मच्छरों से होने वाली कुछ सामान्य बीमारियां निम्न हैं – 

मलेरिया यह बीमारी मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलती है। इस बीमारी के फैलने का मुख्य कारण एक परजीवी होता है। यह रोग ज्यादातर उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्रचलित है। मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सबसे पहली दवा कुनैन थी। 

डेंगू यह बीमारी एडीज एल्बोपिक्टस और एडीज एजिप्टी द्वारा फैलती है। डेंगू रोग, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु वाले देशों और ज्यादातर शहरी क्षेत्रों में होने वाला रोग है। 

पीला बुखार – पीला बुखार अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में प्रचलित रोग है। यह एडीज एजिप्टी मच्छर द्वारा फैलता है। इस रोग के लक्षण मलेरिया के समान होते हैं, लेकिन इसमें मतली, उल्टी और पीलिया भी शामिल हैं। 

जापानी इंसेफेलाइटिस – यह भी एडीज या कुलीसेटा मच्छर जैसे मच्छरों से फैलता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, गर्दन में अकड़न, सिरदर्द, भ्रम और सुस्ती/नींद न आना आदि शामिल हो सकते हैं। 

जीका – यह एक वायरल बीमारी है, जो एडीज मच्छर से फैलती है जो दिन में काटता है। जीका के सबसे आम लक्षणों में, बुखार, दाने, जोड़ों में दर्द और लाल आंखें हैं। इस रोग के लक्षण कुछ दिनों से लेकर एक सप्ताह तक रहते हैं। गर्भावस्था के दौरान यह बीमारी बेहद खतरनाक हो सकती है। इससे गंभीर जन्म दोष माइक्रोसेफली और अन्य जन्मजात विकृतियां हो सकती है, जिन्हें जन्मजात जीका सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है। कुछ दुर्लभ मामलों में जीका वायरस से गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस सिंड्रोम) भी हो सकता है। 

चिकनगुनिया – यह बीमारी, एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के माध्यम से फैलती है। चिकनगुनिया के मरीजों में सिरदर्द, बुखार, मतली, उल्टी और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण देखे जाते हैं। 

वेस्ट नाइल वायरस – यह विभिन्न प्रजातियों द्वारा फैलने वाली बीमारी है, जिसे प्राथमिक प्रजाति क्यूलेक्स पिपियन्स के रूप में जाना जाता है। इसमें कुछ फ्लू जैसे लक्षण होते हैं और दुर्लभ मामलों में स्थायी रुप से न्योरोलॉजिकल डेमेज भी हो सकता है। 

नोट: UPSC 2023 परीक्षा नजदीक आ रही है, इसलिए आप अपनी तैयारी को बढ़ाने के लिए BYJU’S के The Hindu Newspaper के दैनिक वीडियो विश्लेषण का उपयोग करें।

मच्छरजनित बीमारियों से बचाव

मच्छरों की आबादी का जल्द पता लगाने के लिए वेक्टर निगरानी की जानी चाहिए ताकि प्रारंभिक चरण में उन्हें नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त उपाय किए जा सकें।

वेक्टर जनित बीमारियों को रोकने के लिए कई सावधानियां बरती जा सकती हैं, जैसे कि कीटनाशक-उपचारित जाल (ITN), मच्छर भगाने वाले रेपेल्लेंट सिस्टम और इनडोर अवशिष्ट छिड़काव (IRS) का उपयोग आदि। 

मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए सभी पानी के बर्तनों को ढककर रखना, पानी की टंकियों, कंटेनरों, कूलर, पक्षी-स्नान आदि को खाली करके व सुखाकर रखना चाहिए। इसके अलावा खुले स्थानों से वर्षा जल एकत्र करने वाली वस्तुओं को फेंकना बंद करना, गटरों और सपाट छतों पर जल इकट्ठा होने से रोककर भी मच्छरों के प्रजनन को नियंत्रित किया जा सकता है। 

सजावटी पानी की टंकियों/बगीचों या आस-पास के तालाबों में लार्वा वाली मछलियों को शामिल करने से बीमारियों को रोकने में मदद मिल सकती है। 

यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के लिए ऐसे दिवस और कार्यक्रम बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। अन्य महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवसों के बारे में अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। 

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