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सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल

सिन्धु घाटी सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। सिन्धु घाटी सभ्यता का पूर्व हड़प्पा काल करीब 3300 से 2500 ईसा पूर्व माना जाता है। चर्चित पत्रिका नेचर में प्रकाशित एक शोध में सिंधुघाटी सभ्यता को कम से कम 8000 साल पुरानी माना गया है। भारत का इतिहास भी सिंधु घाटी सभ्यता से ही शुरू होता है जिसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से जाना जाता है। यह करीब 2500 ईस्वी पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग मैं फैली हुई थी। वर्तमान सिंधुघाटी सभ्यता की साइट पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में फैली हुई है।

वर्तामान खोज से पता चला है कि सिंधु घाटी सभ्यता, मिस्र, मेसोपोटामिया और चीन की सबसे प्राचीन सभ्यताओं से भी कईं अधिक उन्नत सभ्यता थी। इस सभ्यता का विकास सिन्धु और घघ्घर/हकड़ा (इसे प्राचीन सरस्वती भी माना जाता है) नदी के किनारे हुआ था। मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और हड़प्पा, सिंधुघाटी सभ्यता के प्रमुख केन्द्र माने जाते हैं। हरियाणा के फतेहाबाद जिले के एक बड़े गांव भिरड़ाणा में साल 2014 में सिन्धु घाटी सभ्यता का अब तक का सबसे प्राचीन नगर खोजा गया है। इसकी स्थापना करीब 7570 ईसा पूर्व में मानी गई है। पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का मानना है कि सिंधुघाटी सभ्यता बेहद विकसित सभ्यता थी और इसके शहर अनेकों बार बसे और उजड़े थे।

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इस लेख में हम आपको दुनिया की चार शुरुआती सभ्यताओं में से एक- सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। इसमें उम्मीदवारों को सिंधुघाटी सभ्यता की प्रमुख साइटों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थलों के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Indus Valley Civilization – Major Sites पर क्लिक करें।

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सिंधु घाटी सभ्यता क्या है?

सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है और यह ग्रिड प्रणाली पर आधारित व्यवस्थित योजना के लिए प्रसिद्ध है।

सिंधु घाटी सभ्यता एक कांस्य युगीन सभ्यता थी जो आज के उत्तर-पूर्वी अफगानिस्तान से पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत तक फैली हुई थी। यह सभ्यता सिंधु और घग्गर-हकरा नदी के घाटियों में फली-फूली।

सिंधु घाटी सभ्यता में सात महत्वपूर्ण शहर हैं –

  • मोहनजोदड़ो
  • हड़प्पा
  • कालीबंगा
  • लोथल
  • चन्हुदरु
  • धोलावीरा
  • बनावली

सिंधु घाटी सभ्यता के इन 7 महत्वपूर्ण स्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है-

मोहन जोदड़ो

मोहन जोदड़ो को सिन्धी भाषा में ‘मुर्दों का टीला’ भी कहा जाता है। इसे नियोजित रुप से बसा हुआ विश्व का सबसे प्राचीन शहर माना जाता है। सिंघु घाटी सभ्यता में मोहनजोदड़ो सबसे परिपक्व शहर था। यह शहर सिंधु नदी के किनारे सक्खर जिले में बसा हुआ था। इसकी खोज साल 1922 में राखालदास बनर्जी (R D Banerjee) ने की थी। मोहन जोदड़ो शब्द का सही उच्चारण है ‘मुअन जो दड़ो’ है।

साल 1922 ई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जान मार्शल के निर्देश पर मोहन जोदड़ो पर खुदाई का कार्य शुरु हुआ था। लेकिन पिछले करीब 100 सालों में इस जगह के केवल एक-तिहाई भाग की ही खुदाई हो सकी है। हालांकि अब यहां खुदाई बंद कर दी गई है। जानकारों के मुताबिक मोहन जोदड़ों शहर करीब 125 हेक्टेयर में बसा हुआ था। इस शहर में उस समय जल कुड था। खुदाई में यहां बड़ी मात्रा में इमारतें, धातुओं की मूर्तियां, और मुहरें मिले थे।

मोहन जोदड़ो की स्थिति- यह शहर वर्तामन में पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में स्थित है।

हड़प्पा

हड़प्पा शहर, पाकिस्तान के पूर्वोत्तर में स्थित पंजाब प्रांत में स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। यह शहर रावी नदी के किनारे, साहिवाल शहर से करीब 20 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। कांस्य युगीन सिंधु घाटी सभ्यता से संबंध रखने के कारण इसे हड़प्पा सभ्यता कहा जाता है। यह सिंधु घाटी सभ्यता में सबसे पहले खोजी गई सभ्यता है। यहां खुदाई के समय सिंधु घाटी सभ्यता के अनेक अवशेष प्राप्त हुए थे।

साल 1921 में जब भारतीय पुरातात्विक विभाग के निर्देशक, जॉन मार्शल थे तब उनके निर्देश पर ‘दयाराम साहनी द्वारा सबसे पहले इस जगह की खुदाई का काम शुरू किया गया था। इस प्राचीन साईट पर साहनी के अलावा माधव स्वरुप व मार्तीमर वीहलर द्वारा भी खुदाई करवाई गई थी।  लेकिन हड़प्पा का अधिकातर हिस्सा रेलवे निर्माण कार्य के कारण नष्ट हो चुका था। खुदाई में इस जगह से सिंधु सभ्यता से जुड़ी तांबे की इक्का गाड़ी, उर्वरता की देवी, कांस्य दर्पण, मछुआरे का चित्र, गरुड़ की मूर्ति, शिव की मूर्ति आदि साक्ष्य प्राप्त हुए थे।

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कालीबंगा

यह स्थल राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। जानकारों के मुताबिक कालीबंगा एक छोटा नगर था। इसे 4000 ईसा पूर्व से भी अधिक प्राचीन नगर माना जाता है। इन नगर की खोज साल 1952 में अमलानन्द घोष द्वारा की गई थी। इसके बाद बीके थापर व बीबी लाल द्वारा साल 1961 से 1969 के बीच यहां खुदाई का कार्य किया गया था। यहां खुदाई में एक दुर्ग के साथ- साथ दुनिया का सबसे पहलो जोता हुआ खेत मिला था। ऐसा माना जाता है कि 2900 ईसा पूर्व तक कालीबंगा एक विकसित नगर हुआ करता था। कालीबंगा में भी खुदाई में सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं।   

लोथल

लोथल गुजराती में स्थित प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख शहरों में से एक है। यह एक बहुत महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर है। यह ईसा से करीब 2400 साल पूर्व का एक प्राचीन नगर माना जाता है। लोथल की खोज साल 1954 में हुई थी। इसकी खुदाई 13 फरवरी 1955 से लेकर 19 मई 1956 तक हुई थी। यह शहर वर्तमान में अहमदाबाद जिले के धोलका तालुका के गांव सरागवाला पास है। लोथल, अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन के स्टेशन लोथल भुरखी से दक्षिण पूर्व में करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर है।

विश्व की सबसे प्राचीनतम गोदी, लोथल गोदी, हड़प्पा के शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच बहने वाली साबरमती नदी की धारा से जुड़ी थी। यह प्राचीन समय में एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग था। पूराने समय में इसके आसपास अरब सागर का एक हिस्सा और कच्छ का मरुस्थल क्षैत्र हुआ करता था। इस संपन्न व्यापार केंद्र से पश्चिम एशिया और अफ्रीका के सुदूर कोनों तक मोती, जवाहरात और कीमती गहने भेजे जाते थे। उस दौर में यहां मनके बनाने की तकनीक और उपकरण विकसित हो चुके थे। बताया जाता हैं कि यहां की धातु 4000 साल से भी अधिक से समय की कसौटी पर खरी उतरी थी। 

चहुँदड़ो

यह भी सिंधु घाटी सभ्यता से सबंधित एक पुरातत्व स्थल है। चहुँदड़ो, पाकिस्तान के सिंध इलाके के मोहेंजोदड़ो से करीब 130 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित है। चहुँदड़ो शहर को  4000 से 1700 ईसा पूर्म में बसा हुआ नगर माना जाता है। साल 1930 में एन गोपाल मजुमदार द्वारा चहुँदड़ो की पहली बार खुदाई करवाई गई थी। हालांकि इसके बाद भी साल 1935-36 में अमेरीकी स्कूल ऑफ इंडिक एंड इरानियन तथा म्यूजियम ऑफ फाइन आर्ट्स, बोस्टन के दलों अर्नेस्ट जॉन हेनरी मैके के नेतृत्व में भी यहां खुदाई का काम किया था। प्राचीनकाल में चहुँदड़ो को इंद्रगोप मनकों के निर्माण स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां पर खुदाई में, ईट पर बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजे के निशान मिले थे।

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धोलावीरा

भारत के गुजरात में कच्छ जिले के भचाऊ तालुका में स्थित धोलावीरा एक पुरातत्विक स्थल की खोज हुई थी। इस जगह का नाम यहां पर स्थित गांव पर था। इस स्थल की खोज साल 1960 में धोलावीरा निवासी शंभूदान गढ़वी ने की थी। इसके कई सालों बाद गढ़व के प्रयासों से सरकार का ध्यान इस जगह की ओर गया।  धोलावीरा, भौगोलिक रूप से कच्छ के रण में मरुभूमि वन्य अभयारण्य के अंदर खादिरबेट द्वीप पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि धोलावीरा नगर कीब 120 एकड़ में बसा हुआ शहर था।

जानकारों के मुताबिक यहां करीब 2650 ईसा पूर्व में लोगों का बसना शुरू हुआ था जोकि 2100 ईं पू के बाद कम हो गया था। प्राचीन काल में एक समय ऐसा भी आया जब यह नगर खाली रहा। हालांकि 1450 ई पू में एक बार फिर यहां लोगों का बसना शुरू हुआ। कुछ खोजों से ये भी पता चलता है कि यहां 3500 ई पू से लोग बसने लगे थे।

5 हजार साल पहले, धोलावीरा को दुनिया के सबसे व्यस्त महानगरों में गिना जाता था। हड़प्पा कालीन धोलावीरा शहर को यूनेस्को की साल 2021 में चीन में संपन्न यूनेस्को की ऑनलाइन बैठक में, विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया था। यह सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल माना जाता है।

नोट – यह धोलावीरा, भारत का 40वां विश्व धरोहर स्थल है।

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बनावली

हरियाणा में स्थित बनावली सिन्धु घाटी सभ्यता से सबंधित एक पुरातत्व स्थल है। यह रंगोई नदी के तट पर स्थित था। बताया जाता है कि कालीबंगा सरस्वती की निचली घाटी पर स्थित था, वहीं बनावली उपरी घाटी पर बसा था। यह स्थल, प्राचीन शहर कालीबंगा से 120 किमी तथा फतेहाबाद से 16 किमी दूरी स्थित है। यहां खुदाई का काम आरएस बिह्स्त द्वारा किया गया था। यहां खुदाई में तीन संस्कृति अनुक्रम प्राप्त हुए है,- प्री-हड़प्पा (अर्ली-हड़प्पा), हड़प्पा और हड़प्पा के बाद।  

इस काल के मिट्टी के बर्तनों में, पूर्व-हड़प्पन चित्रित रूपांकनों सरल विरल बन जाती थी। इस दौरान सफेद रंगों का उपयोग कम लोकप्रिय हो गया था। यहां खुदाई में डिश-ऑन-स्टैंड, बेसिन, गर्त, जार और कटोरे आदि प्राप्त हुए थे। इसले अलावा यहां से कम कीमती पत्थर, शेल और तांबे की चूड़ियां भी मिली थी।

हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, बनावली और धोलावीरा चार प्रमुख हड़प्पा स्थल माने जाते हैं। साल 1999 तक यहां 1,056 से अधिक शहर और बस्तियां ढूंढी जा चुकी थी। इसके लिए सिंधु और घग्घर-हकरा नदियों और उनकी सहायक नदियों के क्षेत्र में 96 स्थलों की खुदाई की गई थी। इस दौरान हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, धोलावीरा और राखीगढ़ी सबसे महत्वपूर्ण शहरी केंद्र थे।

सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थलों के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सिन्धु घाटी का महत्वपूर्ण स्थल कौन-सा है ?

सिन्धु घाटी का सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध स्थल मोहनजोदड़ो है। मोहनजोदड़ो, सिंधु नदी के बगल में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है। यह रोहरी से बहुत अधित दूरी पर नहीं है जहां बहुत प्रारंभिक मानव चकमक पत्थर खनन खदानें हैं। ऐसा माना जाता है कि सिंधु नदी कभी मोहनजोदड़ो के पश्चिम में प्रवाहित होती थी, लेकिन अब यह इसके पूर्व में स्थित है।

सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे छोटा स्थल कौन सा है?

सिंधु सभ्यता को दो बड़े शहरों, हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के लिए जाना जाता है। इसके अलावा यहां 100 से अधिक अक्सर अपेक्षाकृत छोटे आकार के शहर और गांवों के होने का अनुमान लगाया जाता है।

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