Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

पृथ्वी की प्रमुख भू-आकृतियां

भू-आकृति, पृथ्वी या अन्य ग्रह पिंड की ठोस सतह की एक प्राकृतिक या कृत्रिम विशेषता है। भू-आकृतियां मिलकर एक भूभाग का निर्माण करती हैं, और भू-दृश्य में उनकी व्यवस्था को स्थलाकृति के रूप में जाना जाता है। पृथ्वी की प्रमुख भू-आकृतियों के बारे में अंग्रेजी में पढने के लिए Major Landforms of the Earth पर क्लिक करें। 

IAS परीक्षा 2023 की तैयारी के लिहाज से पृथ्वी की प्रमुख भू-आकृतियां एक महत्वपूर्ण विषय है। इसलिए उम्मीदवारों को इससे जुड़ी जानकारियों का ठीक से अध्ययन करना चाहिए। इस लेख में दी गई जानकारी यूपीएससी परीक्षा के लिए बेहद उपयोगी है।

पृथ्वी की प्रमुख भू-आकृतियां क्या है?

एक भू-आकृति पृथ्वी या अन्य ग्रह पिंड की ठोस सतह की एक प्राकृतिक या कृत्रिम विशेषता है। भू-आकृतियां मिलकर एक भूभाग का निर्माण करती हैं, और भू-दृश्य में उनकी व्यवस्था को स्थलाकृति के रूप में जाना जाता है।

इस लेख में हम आपको पृथ्वी की प्रमुख भू-आकृतियों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। इससे यूपीएससी 2023 परीक्षा के साथ- साथ अन्य महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को बहुत मदद मिलेगी।

भू-आकृति (Major Landforms of the Earth)

भू-आकृति पृथ्वी की सतह की एक विशेषता है जो उसकी उपरी परत का हिस्सा है। पृथ्वी पर मुख्यरुप से पर्वत, पहाड़ियां, पठार और मैदान, ये चार प्रकार की भू-आकृतियां होती हैं। इसके अलावा छोटे भू-आकृतियों में बट और घाटियां आदि शामिल हैं। 

पृथ्वी के नीचे टेक्टोनिक प्लेट मूवमेंट पहाड़ों और पहाड़ियों को ऊपर धकेल कर भू-आकृति बनाती है। वहीं, पानी और हवा से कटाव से भूमि नीचे गिर जाती है, जिससे घाटियों और खाईयों जैसी भू-आकृतियों का निर्माण होता है। हालांकि ये दोनों प्रक्रियाएं बेहद लंबी अवधि में संपन्न होती हैं, और कभी-कभी इन आकृतियों के बनने में लाखों वर्षों का समय लग जाता है। 

पृथ्वी पर सबसे ऊंची भू-आकृति एक पर्वत है, जिसे माउंट एवरेस्ट के नाम से जानना जाता है। यह समुद्र तल से करीब 8,850 मीटर (29,035 फीट) ऊंचा है। यह हिमालय श्रृंखला का हिस्सा है जो एशिया के कई देशों में फैली हुई है। 

भू-आकृतियां पानी के नीचे पर्वत श्रृंखलाओं और समुद्र के नीचे द्रोणियों के रूप में मौजूद हो सकती हैं। पृथ्वी पर सबसे गहरी भू-आकृति, मारियाना ट्रेंच, दक्षिण प्रशांत में स्थित है। 

एक अनुमान के मुताबिक, कोलोराडो नदी को अमेरिकी राज्य एरिजोना में ग्रांड कैन्यन बनाने में 6 मिलियन वर्ष लगे थे। ग्रांड कैन्यन 446 किलोमीटर (277 मील) लंबा है।

नोट: उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा 2023 की तैयारी शुरू करने से पहले नवीनतम UPSC Prelims Syllabus in Hindi का ठीक से अध्ययन कर लें। इसके बाद ही अपनी आईएएस परीक्षा की तैयारी की रणनीति बनाएं।

पृथ्वी की प्रमुख भू-आकृतियों का वर्गीकरण

पृथ्वी की सतह असमान है, इसका कुछ भाग ऊबड़-खाबड़ और कुछ समतल होता हैं। इसलिए पृथ्वी में भू-आकृतियों की एक विशाल विविधता मौजूद है।

ये भू-आकृति दो प्रक्रियाओं का परिणाम से बनती हैं। ये दो प्रक्रियाएं हैं –

आंतरिक प्रक्रिया – आंतरिक प्रक्रिया से पृथ्वी की सतह का उत्थान (ऊंचा उठना) और डूबने (नीचे की ओर धंसना) होता है।

बाहरी प्रक्रिया – इसमें भूमि की सतह का निरंतर क्षरण और पुनर्निर्माण होता रहता है और इसमें दो प्रक्रियाएं शामिल हैं –

अपरदन (Erosion) – पृथ्वी की सतह के घिस जाने की प्रक्रिया को अपरदन कहते हैं। यह वह प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें चट्टानों का विखंडन हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप निकलने वाले पदार्थों को जल, हवा, इत्यादि द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। अपरदन की प्रक्रियाओं में जल, हवा, हिमनद और सागरीय लहरों की प्रमुख भूमिका होती है।

अपरदन में ज्वारभाटा की क्रिया के कारण समुद्र तट पर पृथ्वी के भाग टूटकर समुद्र में विलीन होते जाते हैं। इससे मिट्टी और नर्म चट्टानों के साथ कड़ी चट्टानें का भी धीरे- धीरे अपक्षय होता रहता है। इसके अलावा बारिश के पानी में घुली हुई गैसों की रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप, कड़ी चट्टानों का अपक्षय होता है। कभी- कभी बारिश का पानी पृथ्वी की दरारों में में घुसकर उसका अपरदन कर देते हैं।

निक्षेपण (Deposition) –  क्षरण के कारण पृथ्वी की निचली सतह के पुनर्निर्माण को विक्षेपण (Deposition या desublimation) कहा जाता है। निक्षेपण में गैस तरल चरण से गुजरे बिना ठोस में बदल जाती है। यह एक थर्मोडायनामिक प्रक्रिया है। 

किसी भी ठोस पदार्थों को गर्म करने पर वह पहले द्रव अवस्था में आता हैं और उसके बाद गैसीय अवस्था में आता है, लेकिन कुछ ठोस पदार्थ ऐसे होते हैं; जिन्हें गर्म किये जाने पर वे (द्रव अवस्था में आने से पहले) सीधे भाप में बदल जाते हैं। जब इस भाप को ठंडा किया जाता है तो पुनः ठोस अवस्था में आ जाते हैं।

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान पदार्थ की अवस्था किसी मध्यवर्ती द्रव अवस्था मे परिवर्तित नहीं होती है।   

स्थलरूपों को ऊंचाई और ढलान के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है और वे हैं –

  • पहाड़
  • पठार
  • मैदान

नोट: यूपीएससी 2023 परीक्षा करीब आ रही है; इसलिए आप BYJU’S द्वारा द हिंदू समाचार पत्र के मुफ्त दैनिक वीडियो विश्लेषण के साथ अपनी तैयारी को पूरा करें।

पर्वत, पृथ्वी की पपड़ी का एक ऊंचा हिस्सा होता है। इसमें आम तौर पर खड़ी भुजाओं के साथ महत्वपूर्ण बेडरॉक दिखते हैं। पर्वत, पठार से एक सीमित शिखर क्षेत्र में भिन्न होता है, और पहाड़ी से बड़े होते हैं। पहाड आमतौर पर आसपास की भूमि से कम से कम 300 मीटर (1000 फीट) ऊंचे उठे होते हैं। कुछ पहाड़ों के शिखर पृथक होते हैं, लेकिन ये अधिकांश पर्वत श्रृंखलाओं में पाए जाते हैं।

पृथ्वी की सतह के किसी भी प्राकृतिक उत्थान को पर्वत कहा जाता है।

श्रेणी – इसमें पर्वत एक रेखा में व्यवस्थित होते हैं।

हिमनद (ग्लेशियर) – हिमनद, पहाड़ों में स्थायी रूप से जमी हुई बर्फ की नदियां हैं।

पहाड़ तीन प्रकार के होते हैं और वे हैं – 

  • फोल्ड पर्वत
  • ब्लॉक पर्वत
  • ज्वालामुखी पर्वत

नीचे इनके बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है –

फोल्ड पर्वत – 

वे ऊबड़ खाबड़ और ऊंची शंक्वाकार चोटियां हैं।

जैसे – हिमालय पर्वत और आल्प्स (युवा वलित पर्वत)

भारत में फोल्ड पर्वत – अरावली श्रृंखला (विश्व की सबसे पुरानी वलित पर्वत प्रणाली)

उत्तरी अमेरिका में  – एपलाचियन और रूस में यूराल पर्वत (बहुत पुराने वलित पर्वत)

ब्लॉक पर्वत –

यह भूमि के एक बड़े हिस्से के टुटने और लंबवत रूप से विस्थापित होने से बनते हैं। 

उदाहरण के लिए – यूरोप में राइन घाटी और वोसगेस पर्वत। 

ज्वालामुखी पर्वत –

ज्वालामुखी पर्वत का निर्माण, ज्वालामुखीय गतिविधि के कारण होता है।

उदाहरण – अफ्रीका में माउंट किलिमंजारो और जापान में माउंट फुजियामा ज्वालामुखी पर्वत हैं।

पर्वत कैसे उपयोगी होते हैं? 

पर्वत विभिन्न प्रकार से बहुत उपयोगी होते हैं। वे पानी के भंडार हैं और कई नदियों का आधार पहाड़ में ग्लेशियर हैं। लोगों के उपयोग के लिए जलाशय बनाए जाते हैं और पानी का दोहन किया जाता है। पहाड़ों के पानी का उपयोग सिंचाई और जल-विद्युत उत्पादन के लिए भी किया जाता है। पहाड़ों में वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता है। जंगल ईंधन, चारा, आश्रय और अन्य उत्पाद जैसे गोंद, किशमिश आदि प्रदान करते हैं। पहाड़ पर्यटकों के लिए एक शांत स्थल भी प्रदान करते हैं।

नोट: आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साथ जुडें, यहां हम प्रमुख जानकारियों को आसान तरीके से समझाते हैं।

पठार क्या होता है –

भूविज्ञान और भौतिक भूगोल में, पठार, जिसे एक उच्च मैदान भी कहा जाता है, एक उच्चभूमि का एक क्षेत्र है जिसमें समतल भूभाग होता है, जो कम से कम एक तरफ आसपास के क्षेत्र से ऊपर उठा होता है। इसमें प्राय: एक या अधिक ओर में गहरी पहाड़ियां होती हैं। पठार एक ऊंची समतल भूमि है। यह आसपास के क्षेत्र के ऊपर खड़ी एक सपाट-चोटी वाली भूमि होती है। उदाहरण – भारत में दक्कन का पठार सबसे पुराने पठारों में से एक है। ऑस्ट्रेलिया का पश्चिमी पठार, केन्या में पूर्वी अफ्रीकी पठार (तंजानिया और युगांडा), तिब्बत का पठार (दुनिया का सबसे ऊंचा पठार) आदि।

पठार कैसे उपयोगी हैं? 

पठार बहुत उपयोगी होते हैं क्योंकि वे खनिज भण्डारों से समृद्ध होते हैं। उदाहरण – अफ्रीकी पठार सोने और हीरे के खनन के लिए प्रसिद्ध है। भारत में छोटानागपुर पठार लोहा, कोयला और मैंगनीज का एक विशाल भंडार है।

पठारों से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

भूमि की सतह पर पाए जाने वाले पठार अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। यह धरती के करीब 33% भाग पर फैला हुआ हैं। यह भाग धरातल का एक विशिष्ट भाग होता है जो आस पास की जमींन से ऊंचा होता है। इसका ऊपरी भाग चौड़ा और सपाट होता है। सामान्यत: सागर तल से इसकी ऊंचाई 600 मीटर तक होती हैं। हालांकि कई जगहों पर ये कम ज्यादा होती है।  

पठारों की उत्पत्ति के मुख्य कारक –

पठारों की उत्पत्ति सामान्यरुप से भू-गर्भिक हलचल के कारण होती है, इससे समतल भू-भाग अपने आसपास की जमीन से ऊपर उठ जाता हैं। कई बार, इन हलचलों के कारण आसपास का भू-भाग नीचे बैठ जाता हैं इस कारण भी पठार बन जाता है। ज्वालामुखी से निकलने वाले लावे आसपास जमा होने से भी आसपास का इलाका अपेक्षाकृत ऊंचा उठ जाता है, जिससे पठारों का निर्माण होता है। पर्वतों के निर्माण के समय आसपास के भू-भाग के ऊपर उठ जाने के कारण भी पठार का निर्माण होता हैं।

मैदान

धरातल पर समतल निम्न भू-भाग को मैदान कहा जाता हैं। इनका ढाल एकदम न्यून होता हैं तथा एसे क्षेत्रों में नदियों का प्रवाह काफी धीमा पड़ जाता हैं। भूगोल में, मैदान भूमि का एक सपाट विस्तार है जिसकी आम तौर पर ऊंचाई अधिक नहीं बदलती है। यह इलाका मुख्य रूप से पेड़ रहित होता है। मैदान, तराई के रूप में घाटियों के साथ या पहाड़ों के आधार पर, तटीय मैदानों के रूप में, और पठारों या ऊपरी क्षेत्रों के रूप में पाए जाते हैं। 

सामान्यतः मैदान बहुत अधिक उपजाऊ होते हैं । यहां परिवहन के साधन आसानी से उपलब्ध होते हैं। इसलिए मैदान विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले क्षैत्र होते हैं। नदियों के द्वारा बनाए गए कुछ बड़े मैदान एशिया तथा उत्तरी अमेरिका में पाए जाते हैं। आम तौर पर, मैदान औसत समुद्र तल से 200 मीटर से अधिक ऊंचे नहीं होते हैं। सामान्यतः मैदान बहुत उपजाऊ होते हैं; इसलिए ये मैदान दुनिया के बहुत घनी आबादी वाले क्षेत्र होते हैं। उदाहरण – नदियों द्वारा निर्मित सबसे बड़े मैदान एशिया और उत्तरी अमेरिका में पाए जाते हैं। एशिया में बड़े मैदान भारत में गंगा और ब्रह्मपुत्र और चीन में यांग्त्जी द्वारा निर्मित हैं।

मैदान कैसे उपयोगी हैं? 

मानव आवास के लिए मैदान सबसे उपयोगी क्षेत्र हैं। घर बनाना, ट्रांसपोर्ट नेटवर्क बनाना और साथ ही खेती करना आसान है। भारत में, सिंधु-गंगा के मैदान सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं।

मैदानों के प्रकार

मैदानों को निर्माण प्रक्रियाओं के आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है। मैदानों के प्रमुख प्रकार नीचे दिए गए हैं। 

संरचनात्मक मैदान – जब कोई महासागरीय तल या महासागरीय मग्न तट आंतरिक बल के कारण सागर तल से ऊपर उठ जाता है तो वो जगह मैदान का रूप धारण कर लेती है। इस प्रकार के मैदानों को संरचनात्मक मैदान कहा जाता है। 

उदाहरण – पूर्वी तटीय मैदान, भारत के तटीय मैदान, संयुक्त राज्य अमेरिका के ग्रेटप्लेन्स आदि 

अपरदन द्वारा निर्मित मैदान – नदी, हिमानी, हवा, सागरीय लहरों आदि द्वारा द्वारा किसी उत्थित भूभाग को काट-छांट कर समतल मैदान में परिणित कर देिया जाता है। इस प्रकार के मैदान को अपरदनात्मक मैदान कहा जाता है। ये निम्न प्रकार के होते है –

1. समप्राय मैदान (Peniplain) 

2. कार्स्ट मैदान (Karst Plains) 

3. हिमानी अपरदित मैदान (Glaciated Plain) 

4. पेडीप्लेन (Pediplain) 

निक्षेपण द्वारा निर्मित मैदान निम्न प्रकार के होते हैं –

1. जलोढ़ का मैदान 

  • पर्वतपदीय मैदान 
  • बाढ़ का मैदान 
  • डेल्टाई मैदान 

2. हिमानी निक्षेपित मैदान 

  • टिल मैदान
  • हिमोढ़ मैदान
  • हिमनद अवक्षेप मैदान

3. पवन द्वारा निक्षेपित मैदान 

  • मरुस्थलीय मैदान
  • लोयस मैदान

4. सरोवरीय मैदान – ये मैदान, नदियों द्वारा बहाकर लाए गए अवसादों से झीलों के भरने से निर्मित होते हैं। सरोवरीय मैदान भारत में कश्मीर की घाटी एवं इम्फाल बेसीन में पाए जाते हैं। वहीं, यूरोप में हंगरी का मैदान, उत्तरी अमेरिका के महान झील के तटवर्ती मैदान का निर्माण इसी भी प्रकार से हुआ था।

5. लावा मैदान या ज्वालामुखी मैदान – लावा मैदान या ज्वालामुखी मैदान, ज्वालामुखी से निकलने वाले लावे के जमा होने से बनता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, अर्जेण्टाइना, फ्रांस, न्यूजीलैंड, आइसलैंड आदि में लावा मैदान देखने को मिलते हैं।

6. समुद्रतटीय मैदान – समुद्रतटीय मैदान, समुद्री लहरों के निक्षेपों से समुद्र तटीय भागो में बनते हैं। इस तरह के मैदान तिमलनाडु में मरीना बीच तथा मुम्बई के जुहु बीच के पास स्थित है।

पृथ्वी के प्रमुख भू-आकृतियों के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

स्थलाकृतियों में परिवर्तन किसके कारण होता है?

प्रकृति में शक्तियों के माध्यम से पृथ्वी की सतह लगातार बदल रही है। वर्षण, वायु और भूमि की गति की दैनिक प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप लंबी अवधि में भू-आकृतियों में परिवर्तन होता है। ड्राइविंग बलों में कटाव, ज्वालामुखी और भूकंप शामिल हैं। लोग भूमि की उपस्थिति में परिवर्तन में भी योगदान देते हैं।

भू-आकृतियां क्यों महत्वपूर्ण हैं?

लैंडफॉर्म मेसो- और सूक्ष्म पैमाने पर वनस्पति और मिट्टी के पैटर्न का सबसे अच्छा संबंध है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भू-आकृति पौधों और उनके साथ विकसित होने वाली मिट्टी के लिए महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण कारकों की तीव्रता को नियंत्रित करती है। 

आईएएस परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार लिंक किए गए लेख के माध्यम से पूरा UPSC Syllabus in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। परीक्षा से संबंधित अधिक तैयारी सामग्री नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से मिलेगी।

अन्य सम्बंधित लिंक्स

Animal Husbandry veterinary Science Books in Hindi Animal Husbandry veterinary Science Syllabus in Hindi
Vertical And Horizontal reservation in Hindi   IAS Interview Questions In Hindi With Answer   
History NCERT Books For UPSC in Hindi   World History Book For UPSC in Hindi
Best Optional Subject For UPSC in Hindi Medium Polity Questions For UPSC Prelims in Hindi 

Comments

Leave a Comment

Your Mobile number and Email id will not be published.

*

*