Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

मेक इन इंडिया पहल

भारतीय अर्थव्यवस्था, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। हमारी अर्थव्यवस्था, मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रही है। अर्थव्यवस्था को गति देने और भारत में निर्माण को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में 25 सितंबर को ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में स्थापित करना है।

केंद्र सरकार का ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम मुख्य रुप से निर्माण क्षेत्र और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। साथ ही इस कार्यक्रम के द्वारा देश में विदेशी निवेश के लिए एक अनुकूल माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है। इस योजना के द्वारा देश में आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना तैयार करने के साथ- साथ विदेशी निवेश के लिए नए क्षेत्रों को खोल कर,सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण किया जा रहा है।

IAS 2023 results


आईएएस परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार ‘मेक इन इंडिया’ के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ें। इस लेख में हम आपको ‘मेक इन इंडिया’ की उपलब्धियों, इसके लाभा और चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताएंगे। ‘मेक इन इंडिया’ विषय के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Make In India पर क्लिक करें।

‘मेक इन इंडिया’ में विदेशी निवेश

भारत की ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम को देश के साथ- साथ विदेशों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम के शुरू होने के बाद अब तक इनवेस्ट इंडिया को 12,000 से अधिक क्वेरी प्राप्त हुई है।  

‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में निवेश करने के लिए जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया जैसे देशों नें रुची दिखा है। ये देश भारत में औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश की योजना बना रहे हैं।    

भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना का उद्देश्य घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना और देश में निवेश को बढ़ाना है। ‘मेक इन इंडिया’ के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए 00 पर क्लिक करें। इस लेख में हम आपको मेक इन इंडिया योजना से संबंधित उद्देश्यों, योजनाओं और पहलों, के साथ 25 विशेष क्षेत्रों, लाभों, चुनौतियों और प्रगति पर विस्तार से जानकारी देंगे।

नोट: उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा 2023 की तैयारी शुरू करने से पहले नवीनतम UPSC Prelims Syllabus in Hindi का ठीक से अध्ययन कर लें। इसके बाद ही अपनी आईएएस परीक्षा की तैयारी की रणनीति बनाएं।

मेक इन इंडिया से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य  

25 सितंबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘भारत में बनाओ’ (Make In India) पहल की शुरूआत की थी।  

इसका प्रमुख उद्देश्य भारत में रोजगार सृजन करना और अर्थव्यवस्था की दृष्टि से महत्वपूर्ण 25 क्षेत्रों में कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना हैं। 

इस पहल से भारत में पूंजी और प्रौद्योगिकी निवेश के आकर्षित होने की उम्मीद है। साथ ही इसके द्वारा उत्पादन में उच्च गुणवत्ता मानकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और पर्यावरण उसके प्रभाव को कम करने की कोशिश की जाएगी। 

मेक इन इंडिया पहल के तहत 25 क्षेत्रों और एक वेब पोर्टल पर ब्रोशर जारी किए गए है। इसके साथ लाइसेंस के लिए आवेदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया था और लाइसेंस की वैधता को तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया था।   

बात दें कि केंद्रिय कैबिनेट ने साल साल 2014 में, रक्षा क्षेत्र में 49% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और रेलवे के बुनियादी ढांचे में 100% की नीति को मंजूरी दी थी। इससे पिछले कुछ सालो में भारत के सैन्य उपकरणों के आयात में कमी आई है। पहले रक्षा क्षेत्र में 26% एफडीआई और रेलवे में एफडीआई की अनुमति नहीं थी।    

मेक इन इंडिया पहल की शुरुआत होने के अगले ही साल भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में जबरदस्त बढोतरी देखने को मिली। साल 2015 में एफडीआई के द्वारा भारत में 4.06 लाख करोड़ (US $ 63 अरब डॉलर) का विदेशी निवेश प्राप्त हुआ, जो चीन से भी अधिक था। 

पिछले साल की तुलना में साल 2014 के अक्टूबर महीने में भारत में 13 फीसदी अधिक जापानी कंपनियों ने व्यापार की शुरूआत की थी। इस योजना के बाद नवंबर 2014 में भारत में फैक्ट्री विकास दर की रफ्तार अधिकतम थी।

मेक इन इंडिया पहल के द्वारा केंद्र सरकार देश के पिछड़े विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करना चाहती है और अर्थव्यवस्था के विकास को गति देना चाहती है। भारत सरकार का इरादा देश के ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ इंडेक्स में सुधार करके विदेशों के व्यवसायों को देश में निवेश करने और यहां निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करना है। साथ ही इस योजना का दीर्घकालिक दृष्टिकोण भारत को धीरे-धीरे एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित करना है, और देश में रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा देना है।

मेक इन इंडिया’ मुहीम के माध्यम से सरकार, भारत में अधिक पूंजी और तकनीकी निवेश को बढ़ाना चाहती है। इस योजना के शुरू होने के बाद सरकार ने कई क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) की सीमा को बढ़ा दिया है। हालांकि सरकार ने अंतरिक्ष (74%), रक्षा (49%) और न्यूज मीडिया (26%) जैसे सामरिक महत्व के क्षेत्रों को पूरी तरह से विदेशी निवेश के लिए नहीं खोला है। हमारे देश में चाय बागान आदि क्षैत्रों में विदेशी निवेश की कोई सीमा नहीं हैं।

नोट: यूपीएससी 2023 परीक्षा करीब आ रही है; इसलिए आप BYJU’S द्वारा The Hindu Newspaper के मुफ्त दैनिक वीडियो विश्लेषण के साथ अपनी तैयारी को पूरा करें।

मेक इन इंडिया का ‘लोगो’

मेक इन इंडिया का लोगो एक शेर है। यह विनिर्माण, राष्ट्रीय गौरव और शक्ति का प्रतीक है। 

‘मेक इन इंडिया’ के ‘लोगो’ का चुनाव: ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के जरिए मोदी सरकार विदेशी निवेश को आमंत्रित करने की एक अहम पहल की है। इस योजना का लोगों भी अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है। इस योजना का के प्रतीक चिन्ह के तौर पर ‘सिंह’ का उपयोग किया गया है। बताया जाता है कि केंद्र सरकार ने लंबे विमर्श के बाद इस योजना के लोगों के रुप में ‘सिंह’ का चयन किया था। भारत ने मेक इन इंडिया के लोगो में सिंह को रख कर कारोबारी दुनिया में अपने प्रतिद्वंदी चीन के ‘ड्रैगन’ के सामने एक चुनौती पेश करने की कोशिश की है। लेकिन पिछले कई दशकों से अर्थशास्त्री और निवेशक, भारत की अर्थव्यवस्था को हाथी की संज्ञा देते रहे थे। इसका कारण यह था कि हमारी अर्थव्यवस्था तो बेहद विशाल है, लेकिन इसकी चाल बेहद धीमी है। 

मेक इन इंडिया में इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है –

मेक इन इंडिया की वेबसाइट पर 25 विशेष महत्व के क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया है और इन क्षेत्रों के बारे में सभी प्रासंगिक विवरण भी प्रस्तुत किए हैं। यहां सरकार की एफडीआई नीतियों, आईपीआर, सहित तमाम संबंधित सरकारी योजनाओं की जानकारी भी उपलब्ध कराई गई है। इस अभियान के तहत शामिल मुख्य क्षेत्रों (25 क्षेत्रों) को नीचे दिया दिया जा रहा है। 

विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sectors) –

  • एयरोस्पेस और रक्षा
  • ऑटोमोटिव और ऑटो कंपोनेंट्स
  • फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण
  • जैव-प्रौद्योगिकी
  • पूंजीगत वस्तुएं
  • कपड़ा और परिधान
  • रसायन और पेट्रो रसायन
  • इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ESDM)
  • चमड़ा और जूते
  • खाद्य प्रसंस्करण
  • रत्न और आभूषण
  • शिपिंग
  • रेलवे
  • निर्माण
  • नई और नवीकरणीय ऊर्जा

 सेवा क्षेत्र (Services Sectors) –

  • सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाएं (आईटी और आईटीईएस)
  • पर्यटन और आतिथ्य सेवाएं
  • चिकित्सा मूल्य यात्रा
  • परिवहन और रसद सेवाएं
  • लेखा और वित्त सेवाएं
  • ऑडियो विजुअल सेवाएं
  • कानूनी सेवा
  • संचार सेवाएं
  • निर्माण और संबंधित इंजीनियरिंग सेवाएं
  • पर्यावरण सेवा
  • वित्तीय सेवाएं
  • शिक्षा सेवाएं

नोट: आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साथ जुडें, यहां हम प्रमुख जानकारियों को आसान तरीके से समझाते हैं।

मेक इन इंडिया योजना के मुख्य लाभ – 

भारत को विनिर्माण का हब बनाना – ‘मेक इन इंडिया’ पहल द्वारा भारत सरकार विभिन्न देशों की कंपनियों को करों में विशेष छूट देकर भारत में उद्योग लगाने के लिए प्रेरित करने का प्रयास कर रही है। इससे भारत का आयात कम होगा और देश में नए रोजगारों का सृजन भी हो सकेगा। 

देश के आर्थिक विकास को बढ़ाना – मेक इन इंडिया मुहिम से देश के निर्यात और विनिर्माण के क्षैत्र में वृद्धि होगी। इससे हमारी अर्थव्यवस्था सुधारेगी। इस मुहिम के द्वारा हम अपनी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके देश को विदेशी निवेश द्वारा मैन्युफैक्चरिंग हब में बदल सकेंगे। इससे देश का आर्थिक विकास तेजी से से होगा। फिलहाल भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान महज 16% है लेकिन सरकार इसे 25% से अधिकि करना चाहत है।

रोजगार सृजन – मेक इन इंडिया के द्वारा सरकार, तकनीकि उद्यमिता और नवाचार कौशल में दक्ष युवाओं को वित्तीय सहायता देकर रोजगार सृजन करने पर जोर दे रही है। इससे देश में कई उप कंपनियों का विकास हो सकेगा जो देश में रोजगार सृजन में योगदान देगी। 

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना – मेक इन इंडिया को लेकर सरकार ने 13 फरवरी 2016 को मुंबई में ‘मेक इन इंडिया वीक’ कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसमें करीब 68 देशों के 2500 अंतरराष्ट्रीय और 8000 घरेलू प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। इस कार्यक्रम में 15.2 लाख करोड़ के निवेश की प्रतिबद्धता और 1.5 लाख के निवेश के लिए पूछताछ (investment inquiries) प्राप्त हुई थी। इस कार्यक्रम के दौरान ही महाराष्ट्र को 8 लाख करोड़ विदेशी निवेश मिला था। 

रक्षा निवेश को बढ़ावा देना – ‘मेक इन इंडिया’ पहल द्वारा सुखोई Su-30MKI लड़ाकू विमान के 332 पार्ट्स की तकनीक को भारत को स्थानांतरित करने के लिए साल 2015 में,हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ रूस की इरकुट कॉर्प (Irkut Corp) कम्पनी से वार्ता शुरू हुई थी।  

देश को इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण का हब बनाना –  भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण का हब बनने की पूरी क्षमता है। सरकार ने इसके लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए आने वाले कुछ वर्षों में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स आयात को शून्य करने का लक्ष्य रखा है।  

रिकॉर्ड वैश्विक निवेश – इस मुहिम के शुरू होने के बाद भारत विदेशी कंपनियों के निवेश के लिए पहली पसंद बन गया है। इसका प्रमाण यहा है कि साल 2015 में अमेरिका और चीन को पछाड़कर भारत ने 63 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त किया था। वहीं, साल 2016 में वैश्विक मंदी के बावजूद भारत 60 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश पाने में सफल रहा था जो कई विकसित राष्ट्रों से अधिक था। 

नोट –  इस योजना से देश में करीब 10 मिलियन रोजगार सृजन की योजना है। इससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था विकास हो सकेगा।

मेक इन इंडिया योजना के अन्य लाभ और उद्देश्य 

मेक इन इंडिया अभियान देश में कई सकारात्मक बदलावों का साक्षी बना है। नीचे इस अभियान से प्राप्त हुए कुछ लाभ और उद्देश्यों पर चर्चा की जा रही हैं। 

  • रोजगार के अवसर पैदा करना।
  • आर्थिक विकास का विस्तार करके सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि करना।
  • जब FDI का प्रवाह अधिक होगा, तो रुपया मजबूत होगा।
  • छोटे विनिर्माताओं को विशेष रूप से तब बल मिलेगा जब विदेशी निवेशक उनमें निवेश करेंगे।
  • जो निवेशक देश, भारत में निवेश करेंगे वे अपने साथ विभिन्न क्षेत्रों की नवीनतम तकनीकें भी यहां लाएंगे।
  • इस मिशन के तहत की गई विभिन्न पहलों के कारण, भारत ने ईओडीबी सूचकांक उच्च रैंक हासिल की है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में विनिर्माण केंद्र और कारखाने स्थापित करने से इन क्षेत्रों के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

मेक इन इंडिया क्यों?

पिछले दो दशकों से, भारत की विकास गाथा का नेतृत्व सेवा क्षेत्र ने किया है। इस क्षैत्र ने अल्पावधि में अच्छा काम किया, और भारत के आईटी और बीपीओ क्षेत्र ने एक बड़ी छलांग लगाई है। इसके बाद से भारत को अक्सर ‘दुनिया का बैक ऑफिस’ कहा जाने लगा था। हालांकि 2013 में सेवा क्षेत्र की भारतीय अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी बढ़कर 57% हो गई, लेकिन रोजगार के हिस्से में केवल 28% का योगदान दिया रहा। इसलिए, सरकार को रोजगार को बढ़ावा देने के लिए विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाने की जरूरत महसूस हुई। 

मेक इन इंडिया अभियान शुरू करने का एक अन्य कारण भारत में विनिर्माण की खराब स्थिति है। समग्र भारतीय अर्थव्यवस्था में विनिर्माण का हिस्सा केवल लगभग 15% है। यह पूर्वी एशिया में हमारे पड़ोसियों की तुलना में काफी कम है। जब माल की बात आती है तो समग्र व्यापार घाटा होता है। सेवाओं में व्यापार अधिशेष माल में भारत के व्यापार घाटे के पांचवें हिस्से को मुश्किल से कवर करता है। अकेला सेवा क्षेत्र, इस व्यापार घाटे को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए मैन्युफैक्चरिंग क्षैत्रे को आगे बढ़ना होगा। सरकार भारत में मैन्युफैक्चरिंग में निवेश करने के लिए भारतीय और विदेशी दोनों निवेशकों को प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रही है, जो इस क्षेत्र की मदद करेंगे और कुशल और अकुशल दोनों स्तरों पर रोजगार भी पैदा करेंगे।

विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किसी अन्य क्षेत्र का किसी देश में आर्थिक विकास पर इतना बड़ा प्रभाव नहीं पड़ता है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़े बैकवर्ड लिंकेज हैं और इसलिए, मैन्युफैक्चरिंग में मांग में वृद्धि अन्य क्षेत्रों में भी ग्रोथ को बढ़ावा देती है। यह अधिक रोजगार, निवेश और नवाचार उत्पन्न करता है, और आम तौर पर एक अर्थव्यवस्था को उच्च जीवन स्तर की ओर ले जाता है। 

मेक इन इंडिया – महत्पूर्ण तथ्य

पहली बार रेलवे, बीमा, रक्षा और चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्रों को अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के लिए खोला गया है।

रक्षा क्षेत्र में स्वचालित मार्ग के तहत एफडीआई की अधिकतम सीमा 49% से बढ़ाकर 74% कर दी गई है। FDI में इस वृद्धि की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 16 मई, 2020 को की थी।

निर्माण और निर्दिष्ट रेल अवसंरचना परियोजनाओं में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है।

एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ है जो निवेशकों की सारी जरुरतों को पूरा करने का काम करता है। यह 2014 में निवेशकों को सभी चरणों में सेवाएं देने के लिए बनाया गया था जैसे कि निवेश पूर्व चरण, निष्पादन और वितरण सेवाओं के बाद की सुविधा।

सरकार ने भारत की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंक में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत 2019 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में 23 अंक चढ़कर 77 वें स्थान पर पहुंच गया। भारत ने इस सूचकांक में दक्षिण एशिया में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था।

श्रम सुविधा पोर्टल, ईबिज पोर्टल आदि शुरू किए गए हैं। ईबिज पोर्टल, भारत में व्यवसाय शुरू करने से जुड़ी 11 सरकारी सेवाओं तक एकल-खिड़की पहुंच प्रदान करता है।

व्यवसाय शुरू करने के लिए आवश्यक अन्य परमिट और लाइसेंस में भी ढील दी गई है। संपत्ति पंजीकरण, करों का भुगतान, बिजली कनेक्शन प्राप्त करने, अनुबंध लागू करने और दिवाला समाधान जैसे क्षेत्रों में सुधार किए जा रहे हैं।

अन्य सुधारों में लाइसेंस प्रक्रिया, विदेशी निवेशकों के आवेदनों के लिए समयबद्ध मंजूरी, कर्मचारी राज्य बीमा निगम और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के साथ पंजीकरण के लिए प्रक्रियाओं का स्वचालन, मंजूरी देने में राज्यों द्वारा सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना, दस्तावेजों की संख्या को कम करना शामिल है। निर्यात, और सहकर्मी मूल्यांकन, स्व-प्रमाणन आदि के माध्यम से अनुपालन सुनिश्चित करना।

सरकार मुख्य रूप से निवेश के पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड (public private partnership mode) के माध्यम से बुनियादी ढांचे में सुधार की उम्मीद कर रही है। बंदरगाहों और हवाई अड्डों में निवेश बढ़ा है। इसके लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भी विकसित किए जा रहे हैं।

सरकार ने 5 औद्योगिक कॉरिडोर बनाने की योजना शुरू की है। जो फिलहाल जारी हैं। ये कॉरिडोर भारत के कोने-कोने में फैले हुए हैं, जिसमें समावेशी विकास पर रणनीतिक ध्यान दिया गया है, जो योजनाबद्ध तरीके से औद्योगीकरण और शहरीकरण को बढ़ावा देगा। ये 5 औद्योगिक गलियारे हैं –

  • दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (Delhi-Mumbai Industrial Corridor)
  • अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारा (Amritsar-Kolkata Industrial Corridor)
  • बेंगलुरु-मुंबई आर्थिक गलियारा (Bengaluru-Mumbai Economic Corridor)
  • चेन्नई-बेंगलुरु औद्योगिक गलियारा (Chennai-Bengaluru Industrial Corridor)
  • विजाग-चेन्नई औद्योगिक गलियारा (Vizag-Chennai Industrial Corridor) 

मेक इन इंडिया के सहयोग के लिए लॉन्च की गई अन्य योजनाएं –

मेक इन इंडिया, कार्यक्रम का समर्थन और सहयोग करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई अन्य योजनाओं की शुरूआत की गई है। इन योजनाओं पर के बारे में नीचे विस्तार से चर्चा की गई है –

कौशल भारत (Skill India) –

स्किल इंडिया मिशन का लक्ष्य भारत में विभिन्न क्षेत्रों में सालाना 10 मिलियन लोगों को कौशल प्रदान करना है। मेक इन इंडिया को वास्तविकता में बदलने के लिए, उपलब्ध विशाल मानव संसाधन को अपस्किल करने की आवश्यकता है। यह मिशन बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में औपचारिक रूप से कुशल कार्यबल का प्रतिशत जनसंख्या का केवल 2% है।

स्टार्टअप इंडिया (Startup India) –

स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एक एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है जो स्टार्टअप्स के विकास को बढ़ावा दे सके। इससे देश के स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होंगे।

डिजिटल इंडिया (Digital India) –

डिजिटल इंडिया मिशन का उद्देश्य भारत को ज्ञान आधारित और डिजिटल रूप से सशक्त अर्थव्यवस्था में बदलना है।  

प्रधानमंत्री जन धन योजना (Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana) –

प्रधानमंत्री जन धन योजना भारत में वित्तीय समावेशन की परिकल्पना करता है ताकि वित्तीय सेवाओं, अर्थात् बैंकिंग बचत और जमा खातों, प्रेषण, क्रेडिट, बीमा, पेंशन तक पहुंच को वहनीय तरीके से सुनिश्चित किया जा सके।  

स्मार्ट सिटीज (Smart Cities) –

स्मार्ट सिटीज मिशन का उद्देश्य भारतीय शहरों को बदलना और उनका कायाकल्प करना है। कई उप-पहलों के माध्यम से भारत में 100 स्मार्ट शहर बनाने का लक्ष्य तय किया गया है।

कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation) –

अमृत, कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन है। इसका उद्देश्य बुनियादी सार्वजनिक सुविधाओं का निर्माण करना और भारत में 500 शहरों को अधिक रहने योग्य और समावेशी बनाना है।

स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Abhiyan) –

स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य भारत को और अधिक स्वच्छ बनाना और बुनियादी साफ- सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देना है।  

सागरमाला परियोजना (sagarmala project) –

इस योजना का उद्देश्य बंदरगाहों का विकास करना और देश में बंदरगाह आधारित विकास को बढ़ावा देना है।   

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) –

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, 121 देशों का एक गठबंधन है, जिनमें से अधिकांश ऐसे देश है जहां सूरज की भरपूर रोशनी मिलत है। ये देश पूरी तरह से या आंशिक रूप से कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच स्थित हैं। यह संगठन सौर प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने और उस संबंध में नीतियां बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा बनाया गया है।

अग्नि (Accelerating Growth of New India’s Innovations) –

AGNII या नए भारत के नवाचार का त्वरित विकास, लोगों को जोड़ने और नवाचारों के व्यावसायीकरण में सहायता करके देश में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को आगे बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था। 

मेक इन इंडिया – लक्ष्य

मेक इन इंडिया मिशन के कई लक्ष्य हैं। वो हैं –

  • विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि को प्रति वर्ष 12-14% तक बढ़ाना।
  • कुछ वर्षों में विनिर्माण क्षेत्र में 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार सृजित करना।
  • जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी बढ़ाकर 25% करना।
  • समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए शहरी गरीबों और ग्रामीण प्रवासियों के बीच आवश्यक कौशल सेट बनाना।
  • विनिर्माण क्षेत्र में घरेलू मूल्यवर्धन और तकनीकी गहराई में वृद्धि करना।
  • पर्यावरण-स्थायी विकास करना।
  • भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना।

मेक इन इंडिया पहली की प्रगति रिपोर्ट

मेक इन इंडिया योजना ने कई मील के पत्थर बनाए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नीचे सूचीबद्ध किए गए हैं – 

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की शुरूआत ने व्यवसायों के लिए कर प्रक्रिया प्रणाली को आसान बना दिया है। जीएसटी, मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा देने वाला रहा है।

देश में डिजिटाइजेशन ने रफ्तार पकड़ी है। कराधान, कंपनी निगमन, और कई अन्य प्रक्रियाओं को समग्र प्रक्रिया को आसान बनाने और दक्षता में सुधार करने के लिए ऑनलाइन किया गया है। इससे ईज ऑफ डूईंग बिजनेस (EoDB) इंडेक्स में भारत की रैंक में सुधार हुआ है।

नई दिवाला संहिता अर्थात् दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code 2016) ने दिवाला से संबंधित सभी कानूनों और नियमों को एक ही कानून में एकीकृत कर दिया। इसने भारत की दिवालियापन संहिता को वैश्विक मानकों के अनुरूप बना दिया है।

पीएमजेडीवाई (PMJDY) जैसी वित्तीय समावेशन की योजनाओं के कारण मई 2019 तक 356 मिलियन नए बैंक खाते खोले गए।

एफडीआई उदारीकरण ने भारत के ईओडीबी सूचकांक को अनुकूल बनाने में मदद की है। बड़े एफडीआई प्रवाह से रोजगार, आय और निवेश का सृजन होगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी को भारतमाला और सागरमाला जैसी योजनाओं के साथ-साथ विभिन्न रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीमों के माध्यम से गति मिली है।

भारतनेट – यह देश के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल नेटवर्क को बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित एक दूरसंचार अवसंरचना प्रदाता है। यह शायद दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण ब्रॉडबैंड परियोजना है।

भारत, पवन से ऊर्जा प्राप्त करने की क्षमता के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर है और सौर ऊर्जा का उपयोग करने में दुनिया में छठे स्थान पर है। कुल मिलाकर, स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता में भारत दुनिया में पांचवें स्थान पर है।

मेक इन इंडिया के सामने प्रमुख चुनौतियां –

भले ही मेक इन इंडिया अभियान को सफलताएं मिली हो, लेकिन साथ ही इसकी आलोचनाएं भी हुई हैं। अगर इस योजना द्वारा निर्धारित किए गए ऊंचे लक्ष्यों को हासिल करना है तो देश के सामने कई चुनौतियां भी हैं। नीचे इसकी कुछ चुनौतियों और आलोचनाओं पर चर्चा की जा रही है।

भारत के पास लगभग 60% कृषि योग्य भूमि है। कहा जाता है कि मैन्युफैक्चरिंग पर जोर देने से कृषि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह कृषि योग्य भूमि के स्थायी व्यवधान का कारण भी बन सकता है।

यह भी माना जाता है कि तेजी से औद्योगीकरण प्राकृतिक संसाधनों की कमी का कारण बन सकता है।

बड़े पैमाने पर एफडीआई आमंत्रित करने का एक नतीजा यह है कि स्थानीय किसान और छोटे उद्यमी अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से प्रतिस्पर्धा का सामना करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।

यह अभियान, विनिर्माण पर अपने पूरे ध्यान के साथ, प्रदूषण और पर्यावरणीय दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है।

देश में भौतिक अवसंरचना सुविधाओं में गंभीर कमी है। इसलिए इस अभियान की सफलता के लिए जरूरी है कि देश में उपलब्ध बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाए और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं को सबसे निचले स्तर पर कम किया जाए। यहां, भारत चीन से सबक ले सकता है, जिसने 1990 के दशक में 2.6% से 2013 में 24.9% तक नाटकीय रूप से वैश्विक विनिर्माण में अपनी हिस्सेदारी में सुधार किया है। चीन ने रेलवे, रोडवेज, बिजली, हवाई अड्डे आदि जैसे अपने भौतिक बुनियादी ढांचे को तेजी से विकसित किया है।

यूपीएससी परीक्षा 2023 और अन्य सरकारी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को करंट अफेयर्स के नवीनतम घटनाक्रमों का गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए।

मेक इन इंडिया के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मेक इन इंडिया कितना सफल है?

मेक इन इंडिया अभियान ने सफलता की कई ऊंचाईया देखी है, इसके बावजूद इसमें कईं कमियां भी है। इस अभियान के बाद मोबाइल फोन निर्माण क्षेत्र को एक बड़ी सफलता मिली है, जिसमें 120 इकाइयां स्थापित की गईं है। इसके कारण पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (सीबीयू) के आयात को घरेलू स्तर पर असेंबल और निर्मित इकाइयों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है। इस अभियान ने इस क्षैत्र में 2014 के बाद संभावित 3 लाख करोड़ रुपये बचाए हैं। इससे मोबाइल फोन के आयात में कमी आने की उम्मीद है।

मेक इन इंडिया की चुनौतियां क्या हैं?

इस मिशन की कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं,- व्यवसाय के लिए एक स्वस्थ वातावरण का निर्माण, अनुसंधान और विकास की कमी, कौशल विकास और उन्नयन, श्रम-गहन प्रौद्योगिकी का निर्माण, भारत में निर्मित वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना आदि।

IAS परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार लिंक किए गए लेख के माध्यम से पूरा UPSC Syllabus in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। परीक्षा से संबंधित अधिक तैयारी सामग्री नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से मिलेगी।

अन्य सम्बंधित लिंक्स :  

Azadi Ka Amrit Mahotsav in Hindi Ayushman Bharat Diwas in Hindi
Vertical And Horizontal reservation in Hindi   IAS Interview Questions In Hindi With Answer   
History NCERT Books For UPSC in Hindi   World History Book For UPSC in Hindi
Best Optional Subject For UPSC in Hindi Medium Polity Questions For UPSC Prelims in Hindi

 

Comments

Leave a Comment

Your Mobile number and Email id will not be published.

*

*