मैसूर दशहरा भारत के कर्नाटक राज्य में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। इस त्यौहार को हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। मैसूर दशहरा को नदहब्बा या नाडा हब्बा भी कहा जाता है। इस त्यौहार को कर्नाटक में राज्य उत्सव के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसे मनाने के पीछे एक किंवदंती यह है कि मां चामुंडेश्वरी ने नवरात्रि पूर्ण होने के बाद 10 वें दिन राक्षस महिषासुर (महिषासुरन) का वध किया था। इसके बाद से इस दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाने लगा। यह त्यौहार पूरे राज्य में 10 दिनों तक मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार अश्विन मास के दसवें दिन मनाया जाता है, जो आम तौर पर सितंबर या अक्टूबर के महीनों में पड़ता है।
मैसूर दशहरा देश और विदेश में बेहद प्रसिद्ध उत्सव है। इससे जुड़े प्रश्न आईएएस प्रारंभिक परीक्षा के कला और संस्कृति के सेक्शन में पूछे जाने की प्रबल संभावना है।
मैसूर दशर से जुड़े तथ्य
मैसूर दशहरा का उत्सव 10 दिनों तक चलता है। लेकिन विशेषकर इसे नवरात्रि के खत्म होने के बाद 10वें दिन धूमधाम से मनाया जाता है। मैसूर दशहरे के पहले, 9 दिन तक चले वाले त्यौहार को “नवरात्रि” कहा जाता है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के एक-एक रूप को समर्पित है। देवी चामुंडेश्वरी को समर्पित इन 9 दिनों की सूची और उनके अवतार नीचे दिए गए हैं –
दिन | देवी का नाम |
पहला | शैलपुत्री |
दूसरा | ब्रह्मचारिणी |
तीसरा | चंद्रघंटा |
चौथा | कुष्मांडा |
पांचवां | स्कंदमाता |
छठा | कात्यायनी |
सातवां | कालरात्रि |
आठवां | महागौरी |
नौवां | सिद्धिदात्री |
इस त्यौहार के दसवें दिन, मैसूर पैलेस से शुरू होकर बन्नी मंडप तक एक भव्य और शानदार जुलूस निकलता है। यह कर्नाटक का राज्य उत्सव है। इसलिए प्रमुख समारोह मैसूर के शाही परिवार द्वारा आयोजित किए जाते हैं। मैसूर दशहरे के दौरान पूरे शहर को सजाया जाता है। इस दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है, जो इस प्रकार है –
- कुश्ती
- कवि सम्मेलन
- फूड फेस्टिवल
- विभिन्न खेल गतिविधियां
- फिल्म महोत्सव, आदि।
इस उत्सव के दौरान मेले और प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया जाता है, जो कि कई महीनों तक चलती रहती हैं। कर्नाटक प्रदर्शनी प्राधिकरण त्यौहार का विशेष आयोजन करता है। जिसमें कई व्यापारी, सरकारी विभाग, सार्वजनिक/निजी क्षेत्र के उद्योग स्टॉल लगाकर अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए भाग लेते हैं।
मैसूर दशहरा त्यौहार देश में मनाए जाने वाले अन्य दशहरे पर्व से थोड़ा अलग है। मैसूर दशहरा, गुजरात की नवरात्रि और पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा से भिन्न एक उत्सव है, जो पूरे राज्य में धूमधाम से मनाया जाता है।
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मैसूर दशहरा का इतिहास
मैसूर का दशहरा, भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह पर्व ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस उत्सव को भव्यता और धूमधाम से मनाने की एक लंबी परंपरा है। मैसूर में 600 सालों से भी अधिक समय से यह उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। हालांकि सबूत बताते हैं कि 15 वीं शताब्दी के पहले भी विजयनगर साम्राज्य के राजाओं द्वारा कर्नाटक राज्य में यह उत्सव मनाया जाता था।
विजयनगर साम्राज्य में 14 वीं शताब्दी में इस त्यौहार ने एक ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी। इस दौरान इसे महानवमी कहा जाता था। इस उत्सव को हम्पी के हजारा राम मंदिर की बाहरी दीवार की कलाकृति में भी दिखाया गया है।
इतालवी यात्री निकोलो डे कोंटी ने अपने यात्रा वृतांत के दौरान इस त्यौहार को शाही और एक भव्य धार्मिक घटना के रूप में वर्णित किया है। कोंटी ने इस समारोह के दौरान एथलेटिक प्रतियोगिताओं, गायन और नृत्य, आतिशबाजी, सार्वजनिक सैन्य परेड और धर्मार्थ कार्यों का भी वर्णन किया है।
यह पर्व कला, संस्कृति और आनंद का एक अद्भुत सामंजस्य है। इस दिन फूलों, दीपों एवं विद्युत बल्बों से नगर की सुसज्जित शोभा देखने लायक होती है। मैसूर में ‘दशहरा उत्सव‘ की शरूआत चामुंडी पहाड़ियों पर विराजने वाली देवी चामुंडेश्वरी के मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और दीप प्रज्ज्वलन के साथ होती है।
दशहरा पर्व से पहले मैसूर महल और चामुंडी पहाड़ियों को लाखों बल्बों की रोशनी से सजाया जाता है। इससे पूरा शहर रोशनी से जगमगा उठता है। इस दौरान जगनमोहन पैलेस, जयलक्ष्मी विलास एवं ललिता महल का अद्भुत सौंदर्य देखते ही बनता है।
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मैसूर दशहरे को लेकर ताजा अपडेट्स
15 दिसंबर 2021 को कोलकाता की दुर्गा पूजा को यूनेस्को द्वारा सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिए जाने के बाद कर्नाटक सरकार भी मैसूर दशहरा उत्सव के लिए यूनेस्को द्वारा दिए जाने वाले सांस्कृतिक दर्जे के लिए प्रयासरत है। राज्य सरकार द्वारा इसके लिए नए सिरे से प्रयास किए जा रहे हैं। अगर सरकार मैसूर दशहरे के लिए यूनेस्को द्वारा दिया जाने वाला सास्कृतिक विरासत का दर्जा हासिल करने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना मे सफल हो जाती है, तो पहले से ही भव्य तरीके मनाए जाने वाले इस उत्सव में पर्यटकों की संख्या में और इजाफा देखने को मिलेगा।
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