भारत सरकार द्वारा हिंसा से प्रभावित महिलाओं का समर्थन और सहायता करने के लिए 1 अप्रैल 2015 से वन स्टॉप सेंटर योजना लागू की गई थी। यह योजना मूल रूप से सखी के नाम से जानी जाती है। इसके तहत प्रत्येक जनपद में एक सखी वन स्टॉप सेंटर बनाए जाने की योजना हैं। वन स्टॉप सेंटर स्कीम एक ऐसी व्यवस्थाएं है जहां हिंसा से पीड़ित कोई भी महिला किसी भी समय मदद ले सकती है।
इस योजना का प्रमुख उद्देश्य हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच की सुविधा प्रदान करना है। आईएएस परीक्षा में इस तरह की कल्याणकारी योजनाओं, सामाजिक न्याय आदि से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा प्रायोजित पहलों के बारे में सवाल पूछे जानें की अधिक संभावना रहती है।
इस लेख में हम आपको वन-स्टॉप सेंटर योजना (सखी) के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं। इससे उम्मीदवारों को आईएएस परीक्षा 2023 के साथ-साथ अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी मदद मिलेगी।
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योजना से जुड़ी संक्षिप्त जानकारी –
इस योजना के अंतर्गत हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को वन स्टॉप सेंटर (सखी) पर एक जगह पुलिस-डेस्क, कानूनी सहायता, चिकित्सा एवं काउन्सलिंग की सुविधा के साथ-साथ अस्थायी आश्रय उपलब्ध कराए जाएंगे। वन स्टॉप सेंटर योजना, इंदिरा गांधी मातृ सहयोग योजना सहित राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण मिशन के तहत अम्ब्रेला योजना की एक उप-योजना है। योजना का लक्षित समूह इस योजान द्वारा हिंसा से पीड़ित महिलाओं एव बालिकाओं को सहायता प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए, वन स्टॉप सेंटर (सखी) को 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं की सहायता प्रदान करने के लिए लैंगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत गठित संस्थाओं से जोड़ने की योजना है। |
वन-स्टॉप सेंटर योजना से जुड़े ताजा अपडेट्स
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) ने घोषणा की है कि वह दस देशों में ओएससी स्थापित करके विदेश मंत्रालय के सहयोग से वन-स्टॉप सेंटर योजना (One-Stop Centre Scheme) पर काम करेगा।
इस योजना के तहत पहले चरण में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सिंगापुर, बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, यूएई और सऊदी अरब में वन-स्टॉप सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
वन स्टॉप सेंटर योजना की आवश्यकता
वन स्टॉप सेंटर योजना (सखी), निजी और सार्वजनिक दोनों जगहों पर महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और अपराध को रोकने और पीड़त महिलाओं और बालिकाओं को सहायता प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके तहत हिंसा प्रभावित महिलाओं को एक ही स्थान पर एकीकृत रुप से सहायता प्रदान करने के लिए वन स्टॉप सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं।
वन स्टॉप सेंटर (One Stop Centre) जाति, वर्ग, धर्म, क्षेत्र या वैवाहिक स्थिति की परवाह किए बिना 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों सहित सभी महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ काम करेंगे। नाबालिग लड़कियों की मदद के लिए, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत स्थापित संस्थानों और प्राधिकरणों को इससे जोड़ने की योजना है।
इस तरह की हिंसा और संकट में महिलाओं की मदद करने के उद्देश्य से, सरकार द्वारा वन-स्टॉप सेंटर स्थापित करने के लिए केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना तैयार की गई है।
वन-स्टॉप सेंटर योजना, राष्ट्रीय महिला अधिकारिता मिशन की एक उप-योजना है। इसमें इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना भी शामिल है। यह योजना, निर्भया फंड द्वारा वित्त पोषित है। इसके तहत केंद्र द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पूरी वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
इसका ऑडिट, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) के मानदंडों के अनुसार किया जाएगा। साथ ही इस योजना के संबंध में नागरिक समाज समूहों द्वारा एक सामाजिक ऑडिट भी किया जाएगा।
‘निर्भया फंड’ क्या है?
साल 2012 में दिल्ली में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने साल 2013 में ‘निर्भया फंड’ की स्थापना की थी। इस फंड़ की स्थापना, बलात्कार पीड़िताओं की सहायता करने और उनके पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए की गई थी। इसके लिए तत्कालीन केंद्रिय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 1000 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की थी। यह फंड पिछले 6 सालो में बढ़कर 3,600 करोड़ रुपए हो चुका है। ‘निर्भया फंड’ की स्थापना के उद्देश्य महिला सशक्तीकरण से जुड़ी कई योजनाओं का क्रियान्वयन करना। महिला सुरक्षा पर केंद्रित योजनाओं को सहायता देना। चुनौतियां राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्भया फंड के तहत दी जाने वाली राशी का सही उपयोग नहीं होना सबसे बड़ी चुनौती है। साल 2015 से 2018 के बीच महिलाओं की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को 854.66 करोड़ रुपए की राशि दी थी, लेकिन इसमें से केवल 165.48 करोड़ की ही उपयोग किया जा सका था। |
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वन स्टॉप सेंटर योजना के विकास की संक्षिप्त पृष्ठभूमि
साल 2013 में महिला सुरक्षा के लिए निर्भया कोष की स्थापना की गई थी।
इसके बाद महिला एजेंसी और अधिकारिता पर 12वीं योजना कार्य समूह द्वारा वन-स्टॉप क्राइसिस सेंटर स्थापित करने की सिफारिश की गई थी।
2013 में, उषा मेहरा आयोग ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें यौन उत्पीड़न की पीड़िता की मदद के लिए अधिसूचित अस्पताल में वन-स्टॉप सेंटर की आवश्यकता बताई गई थी।
2015 में, वन-स्टॉप सेंटर योजना लागू की गई थी।
देश भर में चरणबद्ध तरीके से वन-स्टॉप सेंटर स्थापित किए गए हैं –
इसके तहत पहले चरण में प्रति राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में 1 वन स्टॉप सेंटर स्थापित किया गया था। दूसरे चरण के तहत साल 2016-17 में 150 अतिरिक्त वन स्टॉप सेंटर स्थापित किए गए थे। जुलाई 2019 के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में 462 वन-स्टॉप सेंटर स्थापित किए जा चुके थे। सबसे अधिक वन-स्टॉप सेंटर- उत्तर प्रदेश में है, यहां 75 वन स्टॉप सेंटर कार्यरत हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश हैं, जहां 51 वन स्टॉप सेंटर कार्यरत हैं। |
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योजना की प्रशासन व्यवस्था
वन-स्टॉप सेंटर योजना (सखी) के लिए राष्ट्रीय स्तर पर, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बजटीय विनियमन और प्रशासन के लिए उत्तरदायी होगा। वहीं, राज्य स्तर पर महिला एवं बाल विकास विभाग इस योजना की समग्र दिशा और कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा।
नोट – UPSC प्रीलिम्स और IAS परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले छात्रों को वन-स्टॉप सेंटर योजना (सखी) और निर्भया फंड के साथ-साथ महिला सुरक्षा से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों के बारें में अवश्य जानना चाहिए।
वन-स्टॉप सेंटर योजना के उद्देश्य
वन स्टॉप सेंटर (सखी) का उद्देश्य सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही छत के नीचे सहायता उपलब्ध कराना है। इसका उद्देश्य हिंसा पीडित महिलाओं का समर्थन करना है जिसका सामना वे परिवार के भीतर या कार्यस्थल पर या समुदाय के भीतर, निजी या सार्वजनिक स्थानों पर कर सकती हैं।
इसके तहत महिलाओं के लिए एक समर्थन तंत्र विकसित किया जाएगा जो महिलाओं के लिए यौन/शारीरिक/मनोवैज्ञानिक/भावनात्मक/आर्थिक शोषण का सामना करती हैं, भले ही उनकी जाति, पंथ, नस्ल, वर्ग, शिक्षा की स्थिति, उम्र, संस्कृति या वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो।
वन स्टॉप सेंटर पर तेजाब हमले, विच-हंटिंग, घरेलू हिंसा, तस्करी, यौन उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न के कारण किसी भी तरह की हिंसा का सामना करने वाली पीड़ित महिलाओं को विशेष सेवाएं प्रदान की जाएंगी। इसके द्वारा पीड़िताओं को चिकित्सा, कानूनी एवं, मनौवैज्ञानिक परामर्श भी तत्काल उपलब्ध कराया जाएगा।
जस्टिस उषा मेहरा आयोग की रिपोर्ट
दिल्ली में सामुहिक दुष्कर्म की घटना के बाद भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आधी आबादी के साथ हिंसा, अत्याचार और भेदभाव जारी है। इसे लेकर जस्टिस उषा मेहरा आयोग ने केंद्र सरकार को 160 पेज की एक रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन आदि जगहों पर सुरक्षा इंतजामों को लेकर कई सुझाव दिए थे। यहां हम जस्टिस उषा मेहरा आयोग की रिपोर्ट में दिए गए सुझावों पर संक्षिप्त में चर्चा कर रहे हैं। उषा मेहरा आयोग की मुख्य सिफारिशें – महिलाओं से धार्मिक आधार पर भेदभाव को खत्म करने पर जोर जस्टिस मेहरा ने अपनी रिपोर्ट में धार्मिक आधार पर महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को खत्म करने पर जोर दिया था। रिपोर्ट मे ऐसे प्रयास करने के सुझाव दिए गए हैं जिससे समाज में महिलाओं के प्रति लोगों का नजरिया बदले और उन्हें सम्मान मिल सके। रिपोर्ट में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, अभियान की तारीफ की गई है। योग शिक्षा को अनिवार्य करने का सुझाव आयोग ने स्कूली शिक्षा में योग को अनिवार्य रुप से शामिल करने का सुझाव दिया था। इससे छात्रों को शरीर के साथ-साथ मन और भावनाओं पर काबू करने में मिलेगी। दिल्ली पुलिस को संवाद बढ़ाने का सुझाव रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस को छात्रों से संवाद बढ़ाने और कानून की जानकारी देकर उन्हें अच्छे नागरिक बनाने का सुझाव दिया गया है। इसके लिए कम्युनिटी पुलिसिंग, पीसीआर में सीसीटीवी कैमरे और पुलिस बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाने और पुलिस थानों की संख्या बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया है। महिला सम्मान को लेकर अभियान चलाने का सुझाव जस्टिस मेहरा की रिपोर्ट में सरकार को महिला सम्मान को लेकर प्रचार अभियान चलाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही दिल्ली की कई सड़कें अंधेरे में है, इसे लेकर भी बात की गई है। इसके अलावा रात्रि में विशेष बसें चलाने के साथ बसों में सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस लगाने का भी सुझाव दिया गया था। परिवहन विभाग और यातायात पुलिस में तालमेल हो शराब की दुकान की संख्या निर्धारित करें मेहरा आयोग की रिपोर्ट में शराब की दुकानों की संख्या निर्धारित करने का भी सुझाव दिया गया था। साथ ही गहा गया था कि शराब के ठेके स्कूल, पार्क, सार्वजनिक स्थानों और कॉलोनियों में न हो। रिपोर्ट में हर जिले में शराब की दुकानों की संख्या निर्धारित करने के साथ महिला शौचालयों की संख्या बढ़ाने की बात कही गई थी। |
वन-स्टॉप सेंटर (सखी) पर मिलने वाली सेवाएं
सखी- वन स्टॉप सेंटर योजना के तहत निम्नलिखित सेवाएं प्रदान की जाती हैं –
- मेडिकल सहायता
- पुलिस सहायता
- मनो-सामाजिक समर्थन/परामर्श
- कानूनी सहायता/परामर्श
- शरण स्थल
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा
निम्नलिखित सेवाओं तक पहुंच की सुविधा के लिए केंद्रों को महिला हेल्पलाइन के साथ एकीकृत किया जाएगा-
महिलाओं और बच्चों की तस्करी की दिशा में सरकार की पहल को इन वन स्टॉप केंद्रों के साथ जोड़ा जाएगा और इन सेवाओं तक पहुंच प्रदान की जाएगी जिसमें शामिल हैं –
आपातकालीन प्रतिक्रिया और बचाव सेवाएं पहले से मौजूद तंत्र जैसे 108 सेवा, पुलिस, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), आदि के साथ जोड़कर सेवाएं प्रदान की जाएंगी ताकि पीड़ित महिलाओं को बचाया जा सके और निकटतम चिकित्सालयों में स्थानांतरित किया जा सके।
इस योजना के तहत पीडित महिलाओं और किशोरियों को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा विकसित प्रोटोकॉल के अनुसार चिकित्सा सहायता प्रदान की जाएगी।
प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) / गैर-संज्ञेय रिपोर्ट (एनसीआर) दर्ज करने में सहायता प्रदान की जाएगी।
महिलाओं को परामर्श और मनोसामाजिक समर्थन, हिंसा के कारण न्याय पाने के लिए विश्वास और समर्थन के साथ कानूनी सहायता भी प्रदान की जाएगी।
पीड़ित महिलाओं को ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अपना बयान दर्ज कराने के लिए पुलिस अधीक्षक, जिला एवं सत्र न्यायाधीश के परामर्श से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा प्रदान की जाएगी।
वन स्टॉप सेंटर योजना (सखी) को लेकर यूपीएससी से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न –
वन स्टॉप सेंटर (सखी) क्या है?
सखी – वन स्टॉप सेंटर योजना के तहत ऐसे केंद्र बनाए गए हैं जो एक ही छत के नीचे चिकित्सा, कानूनी, मानसिक-सामाजिक सहायता और अस्थायी आश्रय जैसी एकीकृत सेवाएं प्रदान करते हैं।
यहां शारीरिक, यौन, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक शोषण का सामना करने वाली महिलाओं को आवश्यक सहायता भी प्रदान की जाती हैं। इसमे उम्र, वर्ग, जाति, शिक्षा की स्थिति, वैवाहिक स्थिति, नस्ल और संस्कृति के कारण भेदभाव के बिना समर्थन और सहायता प्रदान की जाती है।
महिला टोल फ्री हेल्पलाइन 181 डायल कर कोई भी महिला विपरीत परिस्थिति में या उसकी ओर से कोई भी सखी केंद्र से 24X7 मदद मांग सकती हैं।
स्वाधार गृह योजना क्या है?
वन स्टॉप सेंटर योजना के समान, स्वाधार गृह योजना का उद्देश्य पीड़ित महिलाओं, कठिन परिस्थितियों की शिकार महिलाओं को आश्रय, भोजन, कपड़े और स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है।
वन-स्टॉप (एक पड़ाव) का क्या अर्थ है?
वन स्टॉप सेंटर योजना मे वन-स्टॉप का मतलब एक ऐसी जगह से है जहां संकट में फंसी महिलाओं को कई तरह की सेवाएं एक जगह उपलब्ध कराई जाती हैं।
भारत में कितने वन स्टॉप सेंटर हैं?
मई 2021 तक, भारत में 700 वन-स्टॉप सेंटर बनाए जा चुके हैं, सरकार का लक्ष्य देश में 300 और केंद्र स्थापित करना है।
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