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राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियां (अनुच्छेद 72)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 में भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियों का उल्लेख किया गया है। जब भारत के राष्ट्रपति किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति की सजा या सजा के मामले में कोई कार्रवाई करते हैं, तो यह कार्रवाई उनकी क्षमादान शक्तियों का रूप ले लेती है। हालांकि राष्ट्रपति सरकार से स्वतंत्र होकर अपनी क्षमादान की शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। राष्ट्रपति ती क्षमा दान की शक्तियों की कुछ सीमाएं हैं, जिन पर आगे चर्चा की जाएगी। भारत के संविधान में राष्ट्रपित की पांच प्रकार की क्षमा शक्तियों के बारे में चर्चा की गई है-

  • क्षमा (Pardon)
  • लघुकरण (Commutation)
  • परिहार (Remission)
  • विराम (Respite)
  • प्रविलंबन (Reprieve)

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आईएएस परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार राष्ट्रपति की क्षमा शक्ति के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ें। इस लेख में हम आपको राष्ट्रपति की क्षमा शक्तियों और आर्टिकल 72 के बारे में विस्तार से बताएंगे। यूपीएससी परीक्षा के लिए राष्ट्रपति की क्षमा शक्तियों के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Pardoning Powers of the President पर क्लिक करें।

परिचय

भारत के संविधान में क्रमशः अनुच्छेद 72 और 161 में द्वारा भारत के राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपालों को प्रदान की गई शक्तियों का उल्लेख किया गया है। संविधान में उल्लेखित क्षमा या क्षमादान एक प्रकार की दया है। हमारे देश में क्षमा की अवधारणा पुराने समय से है, जहां पहले सर्वशक्तिमान सम्राट के पास किसी भी अपराधी को दंडित करने या उसे दी गई सजा को हटाने की शक्ति थी। भारत में, क्षमा करने की शक्ति संवैधानिक योजना का एक हिस्सा है। क्षमा की शक्ति अन्याय को रोकने के लिए मौजूद है, चाहे वह कठोर, अन्यायपूर्ण कानूनों से हो या निर्णयों से जो अन्याय में परिणत होते हैं; इसलिए उस शक्ति को न्यायपालिका के अलावा किसी अन्य प्राधिकरण में निहित करने की आवश्यकता को हमेशा मान्यता दी गई है।

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राष्ट्रपति अपनी क्षमादान शक्तियों का प्रयोग कब कर सकते हैं?

राष्ट्रपति नीचे उल्लिखित परिस्थितियों में क्षमादान शक्तियों में से किसी एक का उपयोग कर सकते हैं –

  • जब राष्ट्रपति किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ सजा के मामले पर विचार कर रहे हो जिसने किसी केंद्रीय कानून के खिलाफ अपराध किया हो।
  • जब राष्ट्रपति सजा के एक मामले पर विचार कर रहे हों अपराधी या दोषी को कोर्ट-मार्शल या सैन्य अदालत द्वारा कोई सजा दी गई हो।
  • जब कोर्ट द्वारा किसी अपराधी को मौत की सजा दी गई हो तब भी राष्ट्रपति अपनी क्षमा दान की शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं।

राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियां क्या हैं?

जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, राष्ट्रपति के पास पांच प्रकार की क्षमा शक्तियां होती हैं। नीचे उन शक्तियों के बारे में विस्तार से चर्चा की जा रही है –

राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियां
राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियों का विवरण
क्षमा (Pardon) इसमें राष्ट्रपति अपनी क्षमा शक्ति का उपयोग कर सजा और बंदीकरण दोनों को हटा सकते हैं तथा दोषी की सजा को दंड या दंडादेशों से पूरी तरह से मुक्त कर सकते हैं।
विराम (Respite) राष्ट्रपति अपनी इस शक्ति द्वारा किसी दोषी को प्राप्त मूल सजा के प्रावधान को विशेष परिस्थितियों में बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर किसी गर्भावति महिला को सजा मिली है तो उसकी सजा अवधि को परिवर्तित कर सकते हैं।
प्रविलंबन (Reprieve) अपनी इस क्षमा शक्ति के द्वारा राष्ट्रपति अस्थायी समय के लिए किसी सजा (विशेषकर मृत्युदंड) के निष्पादन पर रोक लगा सकते हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य दोषी को राष्ट्रपति से क्षमा मांगने या उसे कम करने के लिए समय देना है।
परिहार (Remission) जब राष्ट्रपति अपनी इस क्षमा शक्ति का उपयोग करते हैं तो इसमें सजा की अवधि को कम करने का निर्णय ले सकते हैं। हालांकि इसमें सजा का चरित्र वही रहता है। उदाहरण के लिए, दो साल के कठोर कारावास की सजा को एक वर्ष के कठोर कारावास में बदला जा सकता है, लेकिन कारावास कठोर ही रहता है।  इसमें सिर्फ दंड की अवधि को कम किया जाता है।
लघुकरण (Commutation) राष्ट्रपति इस क्षमा शक्ति का उपयोग कर के दंड के स्वरुप में बदलाव कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर किसी अपराधी को कोर्ट द्वारा मृत्युदंड की सजा दी गई है तो उसे आजीवन कारावास में बदला जा सकता है। वहीं, अगर अपराधी को कठोर कारावास मिला है तो उसे साधारण कारावास में बदला जा सकता है।

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राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमा शक्तियों में अंतर –

भारत के संविधान में राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल दोनों को ही क्षमा करने की शक्तियां प्राप्त हैं, लेकिन इन दोनों की क्षमा शक्तियों में कुछ अंतर होता है।

संविधान के अनुच्छेद 72 अनुसार भारत के राष्ट्रपति की क्षमा शक्ति का दायरा अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल को दी गई क्षमा शक्ति से अधिक है, जिनमें दो प्रमुख अंतर है –

कोर्ट मार्शल में क्षमा करने की शक्ति कोर्ट मार्शल के तहत सजा प्राप्त व्यक्ति की सजा को माफ करने की शक्ति सिर्फ राष्ट्रपति के पास होती है। अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल के पास ऐसी शक्ति नहीं होती है।

मृत्युदंड में क्षमाभारत के राष्ट्रपति मृत्युदंड की सजा के मामले में भी क्षमादान दे सकते हैं, लेकिन राज्यपाल के पास मृत्युदंड के मामलों में क्षमा करने की शक्ति नहीं होती है। 

राष्ट्रपति की क्षमा शक्तियों की सीमाएं 

  • सरकार से स्वतंत्र होकर राष्ट्रपति अपनी क्षमा शक्ति का उपयोग नहीं कर सकते हैं।
  • दया याचिका पर फैसला करते समय राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करना होता है। 

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