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संसदीय मंच या पार्लियामेंट्री फोरम

संसदीय मंच या पार्लियामेंट्री फोरम (Parliamentary Forum) की स्थापना, संसद सदस्यों को जागरूक करने और उनमें मुद्दों की सही समझ विकसित करने के लिए की गई थी। यह फोरम संबंधित मंत्रियों के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत और चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करते हैं। संसदीय मंच देश की कई गंभीर समस्याओं को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यूपीएससी परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार संसदीय मंच या पार्लियामेंट्री फोरम के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ें। इस लेख में हम आपको संसदीय मंच और उसके प्रमुख कार्यों के बारे में विस्तार से बताएंगे। यूपीएससी परीक्षा के लिए पार्लियामेंट्री फोरम के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Parliamentary Forums पर क्लिक करें।

संसदीय मंचों की स्थापना

पहला संसदीय मंच साल 2005 में जल संरक्षण और प्रबंधन पर गठित किया गया था। इसके बाद, 7 और संसदीय मंचों का गठन किया गया था। वर्तमान में, आठ संसदीय मंच हैं, जिनके बारे में नीचे जानकारी दी जा रही है –

  • जल संरक्षण और प्रबंधन पर संसदीय मंच (2005)
  • युवाओं पर संसदीय मंच (2006)
  • बच्चों पर संसदीय मंच (2006)
  • जनसंख्या और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर संसदीय मंच (2006)
  • ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय मंच (2008)
  • आपदा प्रबंधन पर संसदीय फोरम (2011)
  • कारीगरों और शिल्प-लोगों पर संसदीय मंच (2013)
  • सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों पर संसदीय मंच (2013)

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संसदीय मंच का उद्देश्य

संसदीय मंचों की स्थापना सदन के सदस्यों को विभिन्न प्रासंगिक विषयों के बारे में जानकारी और जमीनी वास्तविकताओं से परिचित कराने के लिए की गई थी। जिससे कि सदस्य, मुद्दों को विभागीय समितियों के समक्ष प्रभावशाली ढंग से उठा सके। पार्लियामेंट्री फोरम, संसद सदस्यों को एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहां वे संबन्धित मंत्रियों, विशेषज्ञों और मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण विषयों पर सार्थक चर्चा और विमर्श कर सकते हैं। साथ ही इसमें कार्यान्वयन प्रक्रिया को गति देना और परिणामोन्मुख दृष्टिकोण के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित चर्चा की जाती है।

संसदीय मंचों का उद्देश्य, संसद सदस्यों को चिंता के प्रमुख क्षेत्रों और जमीनी स्तर की स्थिति के बारे में संवेदनशील बनाना और उन्हें नवीनतम जानकारी, ज्ञान, तकनीकी जानकारी और देश और विदेश दोनों के विशेषज्ञों से मूल्यवान जानकारी से लैस करना है ताकि वे इन मुद्दों को सदन के पटल पर और विभागों से संबंधित स्थायी समितियों (Departmentally Related Standing Committees) की बैठकों में प्रभावी ढंग से उठा सकें।  

इसके द्वारा संबंधित मंत्रालयों, विश्वसनीय गैर सरकारी संगठनों, समाचार पत्रों, संयुक्त राष्ट्र, इंटरनेट आदि जगहों से महत्वपूर्ण मुद्दों पर डेटा के संग्रह के माध्यम से एक डाटा-बेस तैयार किया जाता है। और इन जानकारियों को मंच के सदस्यों को प्रसारित किया जाता है ताकि वे मंचों की चर्चा में सार्थक भागीदारी कर सकें और बैठकों में उपस्थित मंत्रालय के विशेषज्ञ या अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांग सकें।

इस मंच की स्थापना के साथ यह भी अनिवार्य किया गया है कि संसदीय मंच, संबंधित मंत्रालय/विभाग की विभागीय-संबंधित स्थायी समितियों के क्षेत्राधिकार में हस्तक्षेप या अतिक्रमण नहीं करेगा।

संसदीय मंच की संरचना

सभी मंचों के पदेन अध्यक्ष, लोकसभा अध्यक्ष होते है, राज्य सभा के उप-सभापति, लोकसभा उपाध्यक्ष, संबन्धित मंत्री तथा विभागों से संबन्धित स्थायी समितियों के अध्यक्ष विभिन्न मंचों के पदेन उपाध्यक्ष होते है।

अध्यक्ष तथा उपाध्यक्षों को छोड़कर प्रत्येक मंच में 31 से अधिक सदस्य नहीं होते हैं। जिसमें से लोकसभा से अधिकतम 21 तथा राज्य सभा से अधिकतम 10 सदस्य हो सकते हैं। अध्यक्ष तथा उपाध्यक्षों को छोड़कर इन फोरमों के सदस्य, लोकसभा अध्यक्ष या सभापति द्वारा नामित किए जाते हैं। 

राज्य सभा के उपसभापति, लोक सभा के उपाध्यक्ष, संबंधित मंत्री और विभागों से संबंधित स्थायी समितियों के अध्यक्ष संबंधित मंचों के पदेन उपाध्यक्ष होते हैं।

फोरम के सदस्यों के कार्यकाल की अवधि संबंधित सदनों में उनकी सदस्यता के साथ समाप्त हो जाती है। हालंकि, इस बीच कोई भी सदस्य, अध्यक्ष को पत्र लिखकर भी मंच से त्यागपत्र दे सकता है या अलग हो सकता है।

नोट – लोक सभा के अध्यक्ष, जनसंख्या और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर संसदीय मंच के अध्यक्ष नहीं होते हैं। इसके अध्यक्ष राज्य सभा के सभापति होते हैं।

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संसदीय मंचों के कार्य

विभिन्न संसदीय मंच कई अगल- अलग समस्यों को लेकर कार्य करते हैं। नीचे सभी संसदीय मंचो के कार्यों को विस्तार से सूचीबद्ध किया गया हैं –

जल संरक्षण और प्रबंधन पर संसदीय मंच के कार्य – यह सबसे पहला संसंदीय मंच है। इसका गठन साल 2005 में किया गया था। नीचे इसके कार्यों के बारे में चर्चा की जा रही है – 

  • पानी से संबंधित समस्याओं की पहचान करना और संबंधित सरकार/संगठनों द्वारा विचार करने और उचित कार्रवाई के लिए सुझाव देना।
  • संबंधित राज्यों/निर्वाचन क्षेत्रों में जल संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन में संसद सदस्यों को शामिल करने के तरीकों की पहचान करना।
  • जल के संरक्षण और कुशल प्रबंधन के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए समय- समय पर सेमिनार/कार्यशालाओं आदि का आयोजन करना।
  • इसी के साथ ऐसे अन्य संबंधित कार्य करना जिन्हें वह उचित समझते हो।

युवाओं पर संसदीय मंच के कार्य –  विकास पहलो में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के के लिए इस फोरम का गठन साल 2006 में किया गया था। नीचे इसके कार्यों के बारे में बताया जा रहै है – 

  • विकास पहलों में तेजी लाने के लिए युवाओं की भागीदारी और मानव संसाधन का लाभ उठाने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श करना।
  • सामाजिक- आर्थिक परिवर्तन को प्रभावित करने के लिए सार्वजनिक नेताओं और जमीनी स्तर पर युवाओं की क्षमता के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करना।
  • युवा प्रतिनिधियों और नेताओं के साथ नियमित रूप से बातचीत करना, ताकि उनकी आशाओं, आकांक्षाओं, चिंताओं और समस्याओं को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
  • लोकतांत्रिक संस्थानों में युवाओं की आस्था और प्रतिबद्धता को मजबूत करने और उसमें उनकी सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए युवाओं के विभिन्न वर्गों तक संसद की पहुंच में सुधार के तरीकों पर विचार करना।

बच्चों पर संसदीय मंच के कार्य – बच्चों की भलाई के लिए प्रभावी रणनीति बनाने के लिए साल 2006 में इसका गठन किया गया था। नीचे इसके कार्यों का विवरण दिया जा रहा है –

  • बच्चों की भलाई को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति सांसदों की जागरूकता और ध्यान को और बढ़ाना ताकि वे विकास प्रक्रिया में उचित गति सुनिश्चित करने के लिए उचित नेतृत्व प्रदान कर सकें।
  • कार्यशालाओं, संगोष्ठियों, उन्मुखीकरण कार्यक्रमों आदि के माध्यम से संरचित तरीके से बच्चों के संबंध में विचारों, अनुभवों, विशेषज्ञ सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए सांसदों को एक मंच प्रदान करना।
  • बच्चों के मुद्दों को उजागर करने के लिए सांसदों को नागरिक समाज के साथ एक इंटरफेस प्रदान करना और इस संबंध में प्रभावी रणनीतिक साझेदारी की सिफारिश करना।
  • कोई अन्य कार्य, प्रोजेक्ट, असाइनमेंट आदि करना, जिन्हें फोरम के सदस्य उचित समझें।

जनसंख्या और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर संसदीय मंच के कार्य – जनसंख्या और सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंताओं को दूर करने के लिए साल 2006 में इस मंच का गठन किया गया था। नीचे इसके कार्यों का विवरण दिया जा रहै है –

  • जनसंख्या स्थिरीकरण और उससे जुड़े मामलों से संबंधित रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों पर चर्चा और रणनीति तैयार करना।
  • जनसंख्या नियंत्रण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में समाज के सभी वर्गों में, विशेष रूप से जमीनी स्तर पर अधिक जागरूकता पैदा करना।
  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञों के साथ जनसंख्या और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मामले में व्यापक संवाद और चर्चा करना और डब्ल्यूएचओ, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष, और संबंधित शिक्षाविदों और एजेंसियों जैसे बहुपक्षीय संगठनों के साथ बातचीत करना।

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय मंच के कार्य – जलवायु से संबंधित समस्याओं की पहचान करने और इसके प्रभावों को कम करने के लिए साल 2008 में इसका गठन हुआ था। नीचे इसके कार्यों के बारे में जानकारी दी जा रही है –

  • ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से संबंधित समस्याओं की पहचान करना और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए संबंधित सरकार/ संगठनों द्वारा विचार और उचित कार्रवाई के लिए सुझाव/ सिफारिशें करना।
  • ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए नई तकनीकों को विकसित करने के बढ़ते प्रयास के साथ ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर काम कर रहे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निकायों के विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने के लिए संसद सदस्यों को शामिल करने के तरीकों की पहचान करना।
  • ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने के लिए संसद सदस्यों को शामिल करने के तरीकों की पहचान करना।

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आपदा प्रबंधन पर संसदीय मंच के कार्य – इस संसदीय मंच का गठन साल 2011 में हुआ था। नीचे इसके प्रमुख कार्यों के बारे में चर्चा की जा रही रहै –

  • आपदा प्रबंधन के दौरान समस्याओं की पहचान करना और आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए संबंधित सरकारों/ संगठनों से विचार करने और उचित कार्रवाई के लिए सुझाव देना और सिफारिशें करना।
  • आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए नई तकनीकों को विकसित करने के बढ़ते प्रयासों के साथ आपदा प्रबंधन पर काम कर रहे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निकायों के विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने के लिए संसद सदस्यों को शामिल करने के तरीकों की पहचान करना
  • संसद सदस्यों के बीच आपदाओं के कारणों और प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सेमिनार/कार्यशालाओं का आयोजन करना।

कारीगरों और शिल्पकारों पर संसदीय मंच के कार्य – इसका गठन साल 2013 में किया गया था। यह मंच निम्मलिखित कार्यों को अंजाम देता है –

  • कारीगरों और शिल्पकारों को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर सांसदों के ध्यान को खींचना ताकि विभिन्न तंत्रों के माध्यम से पारंपरिक कला और शिल्प को संरक्षित कर उन्हें बढ़ावा दिया जा सके।
  • सांसदों को एक संरचित तरीके से कारीगरों और शिल्पकारों के संबंध में विचारों, अनुभवों, विशेषज्ञता और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करना।
  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इससे जुड़े विशेषज्ञों और संगठनों के साथ कला और पारंपरिक शिल्प के संरक्षण और कारीगरों और शिल्पकारों के प्रचार से संबंधित मामलों पर व्यापक संवाद और चर्चा करना।

सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों पर संसदीय मंच के कार्य – इस संसदीय मंच का गठन साल 2013 में हुआ था। इसके प्रमुख कार्य निम्न हैं – 

  • सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों के तहत निर्धारित लक्ष्यों और उपलब्धियों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति सांसदों की जागरूकता और ध्यान की समीक्षा करना और उन्हें बढ़ावा देना।
  • सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों से संबंधित मुद्दों को उजागर करने के लिए सांसदों को नागरिक समाज के साथ एक इंटरफेस प्रदान करना। गरीबी उन्मूलन; भूख; सार्वभौमिक शिक्षा की उपलब्धि; महिलाओं का सशक्तिकरण; एचआईवी/ एड्स का मुकाबला करना; मलेरिया और अन्य रोग; और विकास के लिए एक स्थायी साझेदारी विकसित करना।

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