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भारत में जनजातीय जनसंख्या की स्थिति

भारत में आदिवासी जनजातियां प्राचीन काल से जंगलों में निवास करती आ रही है। आदिवासी शब्द (‘आदि’ + ‘वासी’) का अर्थ है मूल निवासी। प्राचीन लेखों में आदिवासियों को अत्विका बताया गया है। वहीं, महात्मा गांधी ने इन्हें गिरिजन (क्योंकि आदिवासी लोग जंगल और पहाड़ों पर निवास करते हुए उनकी रखवाली करते हैं) कहा था। ऐतिहासिक श्रोत के अनुसार आदिवासी हजारों वर्षों से भारत में निवास करते आ रहे हैं। हमारे संविधान में आदिवासियों के लिए ‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द का प्रयोग किया गया है। संविधान की पांचवी अनुसूची में आदिवासियों को अनुसूचित जनजातियों के रूप में मान्यता दी गई है। इन्हें अनुसूचित जाति एवं जनजाति श्रेणी में स्थान दिया गया है।

भारत के प्रमुख आदिवासी समुदाय – भील, गोंड, आंध, खरवार, बोडो, कोल, मुण्डा, खड़िया, कोली, सहरिया, संथाल, बिरहोर, पारधी, असुर, नायक भिलाला,मीना, टाकणकार. भूमिज, उरांव, लोहरा,  आदि हैं।

भारत में आदिवासी मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, राजस्थान झारखंड और  पूर्वोत्तर के राज्यों में निवास करते हैं। साथ ही बिहार, पश्चिम बंगाल. गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश में आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं।

2011 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जनजाति भारत की जनसंख्या का 8.6% है। ग्रामीण क्षेत्रों में जनजातीय आबादी का 11.3% और शहरी क्षेत्रों में जनजातीय आबादी का केवल 2.8% हिस्सा है।

आईएएस परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार भारत में जनजातीय जनसंख्या की स्थिति के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ें। इस लेख में हम आपको भारत में जनजातीय जनसंख्या की स्थिति के बारे में विस्तार से बताएंगे। भारत में जनजातीय जनसंख्या की स्थिति के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Status of Tribal Population in India पर क्लिक करें।

जनजातीय जनसंख्या के रूप में किन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अधिकांश जनसंख्या है?

निम्नलिखित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में बहुसंख्यक जनजातीय आबादी है। 

  • मिजोरम (94.4%)
  • लक्षद्वीप (94.4%)
  • मेघालय (86.1%)
  • नागालैंड (86.5%)

जनजातीय जनसंख्या की साक्षरता स्थिति क्या हैं?

साक्षरता हमेशा विकास का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। साल 1961 में, जनजातीय आबादी के बीच साक्षरता का प्रतिशत केवल 8.5% था। वहीं, 2011 की जनगणना के अनुसार, आदिवासी आबादी के बीच साक्षरता दर बढ़कर 63.1% हो गई है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) आबादी के पुरुषों में साक्षरता दर 1961 में लगभग 13% थी जो साल 2011 में बढ़कर 71% हो गई। वहीं, महिला एसटी आबादी के बीच साल 1961 में साक्षरता दर लगभग 3% से थी जो साल  2011 में बढ़कर करीब 54% हो गई है।

भारत की आजादी के बाद कानून बनाए गए और सरकार द्वारा संचालित योजनाओं और आवंटित धन के परिणामस्वरूप लड़कों और लड़कियों की साक्षरता और सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि हुई है।

जनजातीय जनसंख्या की शिक्षा से जुड़ी मुख्य समस्याएं क्या हैं?

ऐसे कई मुद्दे हैं जो आदिवासी आबादी के बीच साक्षरता के स्तर की तेज प्रगति में बाधा के रूप में कार्य कर रहे हैं। इन सभी मुद्दों के बारे में नीचे चर्चा की गई है।

भाषा – विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम सबसे महत्वपूर्ण बाधाओं में से एक है।

आर्थिक स्थिति – आदिवासी समुदाय के माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं। इसके बजाय माता-पिता अपने बच्चों को उनके काम में मदद करना और उनकी आय को पूरक बनाना पसंद करते हैं।

शिक्षकों की कमी – सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकों की उपलब्धता में कमी भी आदिवासी समुदाय के बच्चों के शिक्षा से वंचित रहने का एक बड़ा कारण है।

स्कूलों की कमी –  गांवों में स्कूलों की कमी भी आदिवासी छात्रों की शिक्षा मे एक बड़ी बाधा है। यहां स्कुल दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थित होते हैं जहां परिवहन की पहुंच बहुत कम होती है या बिल्कुल नहीं होती है।

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भारत के अलग- अलग राज्यों में जनजातिय आबादी का विवरण

भारत में पाई जाने वाली प्रमुख जनजातियां

भारत की सबसे अधिक ज्ञात जनजातियों में गोंड, भील, संथाल, मुंडा, खासी, गारो, अंगामी, भूटिया, चेंचू, कोडाबा और ग्रेट अंडमानी जनजातियां शामिल हैं। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, इन सभी जनजातियों में, भील आदिवासी समूह,  भारत की सबसे बड़ी जनजाति है। यह देश की कुल अनुसूचित जनजातीय आबादी का करीब 38% है।

नीचे प्रमुख राज्य और उनमें निवास करने वाले जनजातियों के समूहों के बारे में जानकारी दी जा रही है –       

राज्य का नाम     निवास करने वाली प्रमुख जनजातियां
सिक्किम      लेपचा
बिहार  बैंगा, बंजारा, मुण्डा, भुइया, खोंड
मध्य प्रदेश   भील, मिहाल, बिरहोर, गडावां, कमार, नट
उड़ीसा बैगा, बंजारा, बड़होर, चेंचू, गड़ाबा, गोंड, होस, जटायु, जुआंग, खरिया, कोल, खोंड, कोया, उरांव, संथाल, सओरा, मुन्डुप्पतू।
पंजाब गद्दी, स्वागंला, भोट।
अरुणाचल प्रदेश अबोर, अक्का, अपटामिस, बर्मास, डफला, गालोंग, गोम्बा, काम्पती, खोभा मिसमी, सिगंपो, सिरडुकपेन।
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह औंगी आरबा, उत्तरी सेन्टीनली, अंडमानी, निकोबारी, शोपन।
तमिलनाडु    टोडा, कडार, इकला, कोटा, अडयान, अरनदान, कुट्टनायक, कोराग, कुरिचियान, मासेर, कुरुम्बा, कुरुमान, मुथुवान, पनियां, थुलया, मलयाली, इरावल्लन, कनिक्कर,मन्नान, उरासिल, विशावन, ईरुला।
कर्नाटक        गौडालू, हक्की, पिक्की, इरुगा, जेनु, कुरुव, मलाईकुड, भील, गोंड, टोडा, वर्ली, चेन्चू, कोया, अनार्दन, येरवा, होलेया, कोरमा
केरल  कडार, इरुला, मुथुवन, कनिक्कर, मलनकुरावन, मलरारायन, मलावेतन, मलायन, मन्नान, उल्लातन, यूराली, विशावन, अर्नादन, कहुर्नाकन, कोरागा, कोटा, कुरियियान,कुरुमान, पनियां, पुलायन, मल्लार, कुरुम्बा।
छत्तीसगढ़     कोरकू, भील, बैगा, गोंड, अगरिया, भारिया, कोरबा, कोल, उरांव, प्रधान, नगेशिया, हल्वा, भतरा, माडिया, सहरिया, कमार, कंवर।
त्रिपुरा  लुशाई, माग, हलम, खशिया, भूटिया, मुंडा, संथाल, भील, जमनिया, रियांग, उचाई।
जम्मू-कश्मीर गुर्जर, भरवर वाल।
गुजरात कथोड़ी, सिद्दीस, कोलघा, कोटवलिया, पाधर, टोडिय़ा, बदाली, पटेलिया। 
उत्तर प्रदेश    बुक्सा, थारू, माहगीर, शोर्का, खरवार, थारू, राजी, जॉनसारी।
उत्तरांचल       भोटिया, जौनसारी, राजी।
महाराष्ट्र       भील, गोंड, अगरिया, असुरा, भारिया, कोया, वर्ली, कोली, डुका बैगा, गडावास, कामर, खडिया, खोंडा, कोल, कोलम, कोर्कू, कोरबा, मुंडा, उरांव, प्रधान, बघरी।
पश्चिम बंगाल

 

होस, कोरा, मुंडा, उरांव, भूमिज, संथाल, गेरो, लेप्चा, असुर, बैगा, बंजारा, भील, गोंड, बिरहोर, खोंड, कोरबा, लोहरा।
हिमाचल प्रदेश गद्दी, गुर्जर, लाहौल, लांबा, पंगवाला, किन्नौरी, बकरायल।
मणिपुर        कुकी, अंगामी, मिजो, पुरुम, सीमा।
मेघालय        खासी, जयन्तिया, गारो।
असम व नगालैंड        बोडो, डिमसा गारो, खासी, कुकी, मिजो, मिकिर, नगा, अबोर, डाफला, मिशमिस, अपतनिस, सिंधो, अंगामी।
झारखण्ड      संथाल, असुर, बैगा, बन्जारा, बिरहोर, गोंड, हो, खरिया, खोंड, मुंडा, कोरवा, भूमिज, मल पहाडिय़ा, सोरिया पहाडिय़ा, बिझिया, चेरू लोहरा, उरांव, खरवार, कोल, भील।
आंध्र प्रदेश   चेन्चू, कोचा, गुड़ावा, जटापा, कोंडा डोरस, कोंडा कपूर, कोंडा रेड्डी, खोंड, सुगेलिस, लम्बाडिस, येलडिस, येरुकुलास, भील, गोंड, कोलम, प्रधान, बाल्मिक।
राजस्थान मीणा, भील, गरसिया, सहरिया, सांसी, दमोर, मेव, रावत, मेरात, कोली।

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भारत में जनजातियों से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भारत में कुल कितनी जनजातियां हैं?

देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली 700 से अधिक जनजातियां (एक से अधिक राज्यों में अतिव्यापी समुदायों के साथ) हैं जिन्हें भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अधिसूचित किया गया है।

भारत की सबसे बड़ी जनजाति कौन सी है?

गोंड में भारत का सबसे बड़ा आदिवासी समूह शामिल है, जिसमें 12 मिलियन से अधिक की आबादी है। गोंड भारतीय ऑस्ट्रोसियाटिक (यानी, मुंडा) समूहों के साथ पर्याप्त आनुवंशिक वंश साझा करते हैं, बजाय अन्य द्रविड़ समूहों के साथ। जिनके साथ वे भाषाई रूप से सबसे अधिक संबंधित हैं।

अनुच्छेद 342 क्या है?

अनुच्छेद 342 जनजातियों या जनजातीय समुदायों या जनजातियों या जनजातीय समुदायों के कुछ हिस्सों या समूहों को विनिर्देश प्रदान करता है जिन्हें संविधान के प्रयोजनों के लिए उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में अनुसूचित जनजाति माना जाता है।

भील जनजाति कहां पाई जाती है?

भीलों को गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान में मुल निवासी के रुप में सूचीबद्ध किया गया है। इसके साथ पश्चिमी द्क्कन क्षेत्रों और मध्य भारत के अलावा साथ सुदूर पूर्वी भारत में त्रिपुरा और बांग्लादेश की सीमा पर भी ये समुदाय निवास करता है।

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