08 मार्च 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आपदा प्रबंधन:
पर्यावरण:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था एवं शासन:
स्वास्थ्य/शासन:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
क्या भारत में ग्रीष्म लहर और बदतर होगी?
आपदा प्रबंधन:
विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन
मुख्य परीक्षा: भारत में बढ़ता तापमान, इससे जुड़ी चुनौतियाँ और संभावित उपाय
प्रसंग
- भारत में 2023 में फरवरी का महीना 1901 के बाद से अब तक का सबसे गर्म महीना माना गया है।
पृष्ठभूमि
- द लेंसेट में जुलाई 2021 में प्रकाशित एक अध्ययन, जिसमें दो दशकों के आंकड़ों (2000-2019) का अध्ययन किया गया है, में कहा गया है कि अत्यधिक तापमान के कारण दुनिया भर में हर साल (औसतन) लगभग 50 लाख लोगों की मौत होती है।
- इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6) [Intergovernmental Panel on Climate Change’s (IPCC) Sixth Assessment Report (AR6)] इस तथ्य पर प्रकाश डालती है कि ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के साथ ग्रीष्म लहर की चरम घटनाएँ बढ़ती रहेंगी तथा तापन में होने वाले प्रत्येक वृद्धि उल्लेखनीय है।
भारत में तापमान में वृद्धि
चित्र स्रोत: The Hindu
- सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (CSTEP) द्वारा भारत में ऐतिहासिक जलवायु पर एक अध्ययन के अनुसार, देश में गर्मी और सर्दियों के महीनों के दौरान तापमान लगातार बढ़ रहा है।
- अध्ययन ने आगे 30 वर्षों (1990-2019) में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में क्रमशः 0.9 डिग्री सेल्सियस और 0.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की।
- भारत में, पूर्वोत्तर राज्यों, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों के कई जिलों में गर्मी के महीनों के दौरान तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस से 0.9 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है।
- इसी तरह, देश के लगभग 54% जिलों में सर्दियों के महीनों में तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस से 0.9 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
- दक्षिणी राज्यों की तुलना में पूर्वोत्तर राज्यों में तापन का स्तर अधिक रहा है।
- तापमान में यह उल्लेखनीय वृद्धि चरम मामलों में कष्ट और मृत्यु का कारण बनी है और यह कृषि और अन्य जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है जो लोगों की आजीविका और कल्याण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज (IFRC) और रेड क्रॉस रेड क्रीसेंट क्लाइमेट सेंटर की एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु पर मानव के प्रभाव के बिना हर 50 साल में केवल एक बार घटित होने वाली अत्यधिक गर्मी की घटना के अब मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण पांच बार घटित होने की आशंका है।
- इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से कम है तो ऐसी चरम गर्मी की घटनाएं 14 बार घटित होंगी और अगर तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से कम रहेगा तो 40 बार घटित होंगी।
जलवायु अनुमान
चित्र स्रोत: The Hindu
- 2021-2050 के बीच 30 साल की अवधि के लिए CSTEP अध्ययन द्वारा जलवायु अनुमानों के अनुसार, गर्मी के महीनों के दौरान अधिकतम तापमान में वृद्धि “मध्यम उत्सर्जन” परिदृश्य के तहत भी होगी।
- वृद्धि “उच्च उत्सर्जन” परिदृश्यों के मामले में बहुत अधिक होगी और देश के लगभग 100 जिलों में तापमान वृद्धि 2°C से अधिक और 3.5°C तक तथा लगभग 455 जिलों में 1.5°C से 2°C तक होने की आशंका है।
- इसके अलावा, सर्दियों के महीनों में न्यूनतम तापमान भविष्य में 0.5 डिग्री सेल्सियस से 3.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की आशंका है।
- 2.5°C से 3°C के उच्चतम तापन का अनुमान केवल 1% से भी कम जिलों के लिए लगाया गया है, और देश के 485 से अधिक जिलों में 1°C से 1.5°C की वृद्धि का अनुमान है।
- इसके अलावा, दैनिक तापमान रेंज (DTR) में भी बदलाव आया है, जो एक ही दिन में उच्च तापमान और निम्न तापमान के बीच के अंतर को दर्शाता है।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित एक हालिया अध्ययन ने 1991 और 2016 के बीच, विशेष रूप से गंगा के मैदान के उत्तर-पश्चिम भागों और मध्य भारत के कृषि-जलवायु क्षेत्रों में DTR में गिरावट की खतरनाक दर पर प्रकाश डाला है।
हीट स्ट्रेस के निहितार्थ:
- आने वाले वर्षों में गर्मी के अधिकतम और सर्दियों के न्यूनतम तापमान में वृद्धि पौधों, पारिस्थितिकी और कार्बन अर्थव्यवस्था के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है क्योंकि तापमान में अत्यधिक भिन्नता मिट्टी की गुणवत्ता को प्रभावित करती है।
- DTR में गिरावट अधिकतम तापमान की तुलना में न्यूनतम तापमान में विषम वृद्धि का संकेत देती है, जो अंततः हीट स्ट्रेस के जोखिम को बढ़ा सकती है जिसके परिणामस्वरूप सूखा, फसलों का नष्ट होना, उच्च रुग्णता और मृत्यु दर में वृद्धि जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं।
- IFRC और अन्य की एक संयुक्त रिपोर्ट में यह भी भविष्यवाणी की गई है कि ग्रीष्म लहरें शारीरिक और सामाजिक रूप से उनका सामना करने की मानवीय सीमा के स्तर को पार कर जाएंगी।
- इसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर कष्ट, मृत्यु और प्रवासन हो सकता है।
- शहरी क्षेत्रों के संदर्भ में, शहरीकरण की तीव्र दर के साथ युग्मित तापन के संयुक्त प्रभाव से अत्यधिक गर्मी के प्रति जोख़िमग्रस्त लोगों की संख्या में वृद्धि होगी।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हीट स्ट्रेस के कारण 2030 में कामकाजी घंटों में लगभग 5.8% की कमी आ जाएगी और कृषि और निर्माण जैसे क्षेत्रों में लगभग 9.04% नुकसान होगा, जो 3.4 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियों के बराबर है।
भावी कदम:
- राज्यों के लिए यह महत्वपूर्ण हो गया है कि वे अन्य हितधारकों के साथ आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क (Sendai Framework for Disaster Risk Reduction) को पूरी तरह से लागू करने के लिए जिम्मेदारी साझा करें तथा प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और जन जागरूकता में सुधार करें, एवं हीट एक्शन प्लान का निर्माण करें।
- जिला-स्तरीय हीट हॉटस्पॉट मानचित्र तैयार किए जाने चाहिए जो अत्यधिक गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए दीर्घकालिक कार्रवाई तैयार करने में राज्य के विभिन्न विभागों की मदद कर सकते हैं।
- अत्यधिक गर्मी की चुनौतियों का समाधान करने के लिए नीति निर्माताओं और हितधारकों को भी नवीन रणनीतियों को अपनाना चाहिए। दुनिया भर में अपनाई गई कुछ नवीन रणनीतियों में शामिल हैं:
- टोरंटो और पेरिस के समान आपातकालीन शीतलन केंद्र स्थापित करना।
- उत्तरजीविता निर्देश (Survival Guides) के माध्यम से सार्वजनिक जागरूकता जो एथेंस में रणनीतिक रूप से प्रदर्शित की जाती है।
- लॉस एंजिल्स की तरह सफेद छतें संस्थापित करना
- रॉटरडैम की तरह हरित छतों का निर्माण
- अबू धाबी की तरह सेल्फ-शेडिंग टॉवर ब्लॉक का निर्माण
- मेडेलिन में बने हरित गलियारे।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
पर्यावरण:
हाई सी (खुले समुद्रों पर संधि) पर संधि किस प्रकार हुई?
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और अवनमन
प्रारंभिक परीक्षा: हाई सी ट्रीटी (खुले समुद्रों पर संधि) और हाई सी ट्रीटी (खुले समुद्रों पर संधि) से सम्बंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: हाई सी ट्रीटी (खुले समुद्रों पर संधि) के लिए खतरा, सुरक्षा की आवश्यकता और हाई सी ट्रीटी(संधि) का महत्व।
संदर्भ
- हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) के सदस्यों ने किसी भी देश के अधिकार क्षेत्र से बाहर के अंतरराष्ट्रीय जल में समुद्री जीवन की रक्षा हेतु एक संधि पर सहमति व्यक्त की है।
पृष्ठभूमि
- संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (U.N. Convention on the Law of the Sea (UNCLOS)) 1982 में अपनाया गया और 1994 में यह लागू हुई।
- UNCLOS में महासागरों और इसके संसाधनों के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं, लेकिन कोई व्यापक कानूनी ढांचा हाई सी (खुले समुद्र) को कवर करने वाला नहीं है।
- जैसा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग एक वैश्विक चिंताएं बन गई हैं, खुले समुद्र और समुद्री जीवन की सुरक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचा तैयार करने की आवश्यकता थी।
- वर्षों की अनौपचारिक बातचीत के बाद UNGA ने 2015 में UNCLOS के ढांचे के भीतर एक कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन विकसित करने का निर्णय लिया।
- एक अंतर सरकारी सम्मेलन (IGC) आयोजित किया गया, जिसमें राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (BBNJ) क्षेत्रों में समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग पर एक उपकरण का मसौदा तैयार किया गया था।
- हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य लगभग 15 वर्षों की बातचीत के बाद विश्व के महासागरों की रक्षा के लिए इस संधि पर एक समझौते पर पहुँचे। हालाँकि, संधि को अभी भी औपचारिक रूप से अपनाया नहीं गया है क्योंकि अभी विभिन्न सदस्यों द्वारा इसकी पुष्टि करनी है।
हाई सी (खुले समुद्र) क्या हैं?
चित्र स्त्रोत: The Guardian
- जिनेवा कन्वेंशन ऑन द हाई सीज (1958) के अनुसार समुद्र के वे भाग जो प्रादेशिक जल या किसी देश के आंतरिक जल में शामिल नहीं हैं, हाई सी (खुले समुद्र) कहलाते हैं।
- कोई भी देश हाई सी (खुले समुद्र) के संसाधनों के प्रबंधन, संरक्षण और सुरक्षा के लिए उत्तरदायी नहीं है क्योंकि वे उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं।
- दुनिया के लगभग दो-तिहाई महासागरों को अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र माना जाता है, जिसमें सभी देशों को मछली पकड़ने और अनुसंधान करने का अधिकार है।
- हालाँकि, इनमें से केवल 1% जल क्षेत्र को संरक्षित किया गया है जिससे इन हाई सी (खुले समुद्र) की समुद्री जैव विविधता का अति दोहन होने की संभावना है।
हाई सी (खुले समुद्रों) का महत्व:
- चूंकि हाई सी (खुले समुद्र) की हिस्सेदारी दुनिया के महासागरों में 60% से अधिक की है, इसलिए ये पृथ्वी की सतह का लगभग आधा हिस्सा कवर करते हैं।
- हाई सी (खुले समुद्र) समुद्री जीवन का केंद्र हैं और इसमें लगभग 2.7 लाख ज्ञात प्रजातियां रहती हैं तथा बहुत सारे समुद्री जीवों की खोज की जानी बाकी है।
- विशालता को देखते हुए हाई सी (खुले समुद्र) मानव अस्तित्व और कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गए हैं।
गहरे समुद्रों के लिए खतरा:
- चूंकि महासागर वायुमंडल से अधिकांश ऊष्मा को अवशोषित करते हैं, इसलिए वे अल नीनो और समुद्र के अम्लीकरण जैसी घटनाओं से प्रभावित होते हैं।
- अध्ययनों से पता चला है कि अगर समुद्र के गर्म होने और अम्लीकरण की मौजूदा प्रवृत्ति बनी रहती है तो 2100 तक हजारों समुद्री प्रजातियों के विलुप्त होने का संकट होगा।
- जलवायु परिवर्तन से समुद्री हीट वेव में भी 20 गुना वृद्धि हुई है जो चक्रवात और सामूहिक मृत्यु दर जैसी चरम घटनाओं का कारण बन सकता है।
- इसके अलावा, हाई सी (खुले समुद्र) विभिन्न मानवजनित गतिविधियों जैसे प्रदूषण, समुद्र तलकर्षण, अत्यधिक मत्स्यन, रासायनिक स्पिल्स, जियो इंजीनियरिंग, अनुपचारित कचरे के निपटान और आक्रामक प्रजातियों के कारण खतरे में है जो समुद्री वनस्पतियों और जीवों को खतरे में डालते हैं।
हाई सी (खुले समुद्र) पर संधि:
- संधि के मसौदा समझौता में जैव विविधता की हानि और समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण के मुद्दों से निपटने की आवश्यकता को स्वीकार किया गया है।
- हाई सी (खुले समुद्र) पर संधि एक कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है जिसका उद्देश्य समुद्री जैव विविधता के सतत उपयोग को संरक्षित और सुनिश्चित करना है।
- संधि वन्यजीवों के नुकसान से बचाने और हाई सी (खुले समुद्र) के आनुवंशिक संसाधनों को साझा करने के लिए समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPA) की स्थापना के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करती है।
- संधि दुनिया के 30% महासागरों को संरक्षित क्षेत्रों में रखती है और इसमें समुद्री संरक्षण में निवेश बढ़ाने के प्रावधान शामिल हैं।
- संधि समुद्री जीवन के संरक्षण के प्रबंधन और देखभाल के लिए दिशानिर्देश तैयार करने हेतु एक पहुंच- और लाभ-साझाकरण समिति के गठन की सुविधा प्रदान करेगी।
- संधि समुद्र में पौधों और जानवरों से जैविक सामग्री जैसे समुद्री आनुवंशिक संसाधनों को साझा करने की व्यवस्था प्रस्तुत करेगी।
- संधि यह भी अनिवार्य करती है कि मानवता के लाभ के लिए और विशेष रूप से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हाई सी (खुले समुद्र) में समुद्री आनुवंशिक संसाधनों से संबंधित गतिविधियों को सभी देशों के हित में किया जाना चाहिए।
- संधि आगे महासागरों में वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए पर्यावरणीय प्रभाव आकलन करने हेतु विभिन्न नियमों को लागू करती है।
संधि का महत्व:
- संधि प्रमुख समुद्री जीवन और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने में भी मदद करती है।
- दिसंबर 2022 में संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन में सदस्य देशों द्वारा 2030 तक समुद्र (और भूमि) के एक तिहाई हिस्से की रक्षा के लिए किए गए 30×30 प्रतिज्ञा और ऐतिहासिक जैव विविधता समझौते (historic Biodiversity Deal) को लागू करने में संधि महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- इस तरह की संधि के बिना, लक्ष्य विफल हो जाएगा क्योंकि हाई सी (खुले समुद्र) पर MPA स्थापित करने के लिए कोई कानूनी तंत्र नहीं था।
- इसके अलावा, महासागर से संबंधित लक्ष्यों और सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 के लक्ष्यों और कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क ( Kunming-Montreal Global Biodiversity Framework (GBF)) को प्राप्त करने के लिए भी संधि महत्वपूर्ण है।
अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – the High Seas Treaty and its significance
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
घर और घर से दूर:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था एवं शासन:
विषय: समाज के कमजोर वर्ग से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: प्रवासी संकट एवं फर्जी समाचार।
पृष्ठभूमि विवरण:
- हाल ही में तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमले के बारे में अफवाहें और फर्जी खबरें सामने आई हैं।
- इस घटना का संज्ञान लेते हुए राज्य के अधिकारियों ने इसमें तुरंत हस्तक्षेप किया और श्रमिकों को उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया।
- दो प्रवासी समूहों के बीच हिंसा की एक वीडियो क्लिप की व्याख्या स्थानीय लोगों द्वारा प्रवासी श्रमिकों पर हमले के रूप में की गई थी।
- इस घटना के बाद बहुत से श्रमिक (आमतौर पर बिहार से थे) अपने गृह राज्य के लिए रवाना होते देखे गए।
प्रवासी श्रमिकों का विवरण:
- प्रवासी श्रमिक तमिलनाडु के विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खासकर के रियल स्टेट सेक्टर में उनकी उपस्थिति बहुत अधिक है।
- CREDAI तमिलनाडु के अनुसार,यहाँ की बड़ी परियोजनाओं में 85% काम और मध्यम स्तर की परियोजनाओं में 70% काम प्रवासी श्रमिकों द्वारा किया जाता हैं।
- ये प्रवासी श्रमिक कपड़ा, विनिर्माण, निर्माण और आतिथ्य (सेवा) क्षेत्रों में भी कार्यरत हैं।
- तमिलनाडु श्रम विभाग के सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2015 में लगभग 11.5 लाख प्रवासी श्रमिक तमिलनाडु में कार्यरत थे।
- भारत में श्रम क्षेत्र – वर्गीकरण, कानून, मुद्दों का अवलोकन से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Labour Sector in India – An Overview of Classification, Laws, Issues
अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई:
- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से संपर्क किया हैं।
- राज्य पुलिस ने अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code (IPC)) की विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए हैं, जिनमें एक लोकप्रिय समाचार दैनिक के संपादक भी शामिल थे।
- बिहार और झारखंड में भी फर्जी और भ्रामक समाचार रिपोर्टों और वीडियो के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की गई है।
- बिहार और झारखंड के अधिकारियों ने कोयम्बटूर और तिरुपुर में प्रवासी केंद्रों का दौरा किया। उद्योग के प्रतिनिधि भी श्रमिकों को आश्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
भावी कदम:
- यह ध्यान देने योग्य बात हैं कि राजनेताओं को प्रवासियों से संबंधित मुद्दों पर टिप्पणी करते समय और स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करते समय सावधानी और संयम बरतना चाहिए।
- राज्य के विकास में प्रवासी श्रमिकों की भूमिका को सभी राजनीतिक दलों द्वारा आत्मसात किया जाना चाहिए।
- सरकार को प्रवासी समुदायों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System) के तहत रियायती दर पर दाल और खाद्य तेल की आपूर्ति जैसे कल्याणकारी उपायों को भी लागू करना चाहिए, जिससे ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ योजना को पूरक बनाया जा सके।
- समुदाय की समस्याओं के समाधान के लिए एक विशेष विंग भी स्थापित किया जा सकता है।
- प्रवासियों के बारे में एक नया और व्यापक अध्ययन किया जाना चाहिए और उन्हें स्थानीय आबादी के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए।
- प्रवासन की चुनौतियों [जीएस I, यूपीएससी नोट्स] से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Challenges Of Migration [UPSC Notes for GS I]
सारांश:
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चुनौतीपूर्ण हठधर्मिता:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
स्वास्थ्य/शासन:
विषय: स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे; सरकार की नीतियां एवं उनमे हस्तक्षेप और इससे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: भारत में कुत्ते के काटने का खतरा।
विवरण:
- राजस्थान में एक बच्चे को आवारा कुत्ते उठा ले गए। वहीं तेलंगाना में चार साल के एक बच्चे पर कुत्तों ने हमला कर उसे मार डाला।
- वर्ष 2019 की पशुधन गणना के अनुसार, भारत में आवारा कुत्तों की आबादी लगभग 1.5 करोड़ है।
- इसके अलावा भारत को दुनिया की “डॉग-बाइट-एंड-रेबीज-कैपिटल” भी कहा जाता हैं/होने का भी गौरव प्राप्त है।
- अधिकारियों (नगर पालिकाओं, राज्य, केंद्र, न्यायपालिका और गैर सरकारी संगठनों) को इस संकट की जानकारी के बावजूद, यह समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई है।
संबद्ध चिंताएं:
- जानवरों के कल्याण की जिम्मेदारी निभाने और सार्वजनिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के बीच एक नैतिक दुविधा है।
- दुनिया के अधिकांश हिस्सों ने आवारा पशुओं के अधिकारों को मान्यता प्रदान की है।
- यदि जानवरों को पट्टा बांधा जाता हैं और पंजीकृत किया जाता है, तो इसका अर्थ हैं की मानव संरक्षकों को उनकी देखभाल करने के लिए बाध्य किया गया है। अन्यथा राज्य द्वारा जनहित में अंतिम उपाय के रूप में उन्हें इच्छामृत्यु तक दी जा सकती हैं।
- यह तर्क दिया जाता है कि मौजूदा कानूनों का उद्देश्य आवारा कुत्तों की आबादी को सीमित करना है, लेकिन व्यवस्था सार्वजनिक सुरक्षा पर काफी हद तक चुप हैं।
- जानवरों पर दो मौजूदा कानून इस प्रकार हैं: पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (PCA) अधिनियम और पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001।
- ये दोनों नियम स्वीकार करते हैं कि अनियंत्रित आवारा पशुओं को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
- पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) के मसौदे (प्रस्तावित) में केवल नसबंदी और टीकाकरण में प्रक्रियागत बदलाव किए गए हैं।
- इसके अलावा, यह केवल “लाइलाज रूप से बीमार और प्राणघातक रूप से घायल” कुत्तों को इच्छामृत्यु की अनुमति प्रदान करता है।
- साथ ही रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के नेताओं को अपनी जेब से या खुद के खर्च द्वारा आवारा पशुओं को खिलाने के लिए जिम्मेदार बनाया जाता है।
- यह भी पाया गया है कि कानून समस्या की भयावहता को प्रभावित नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, प्रत्येक 100 मनुष्यों पर एक आवारा कुत्ता पाया जाता है।
- भारत में गरीबों और उनके बच्चों जैसे कमजोर वर्गों के लिए सुलभ उपचार सुनिश्चित करने के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढांचा और तंत्र है।
निष्कर्ष:
- भारत वर्ष 2030 तक रेबीज को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के रूप में आवारा कुत्तों के खतरे पर विचार किए बिना, अभी इस लक्ष्य की प्राप्ति एक दूर का सपना लगता है और यह गरीब लोगों के सुरक्षित सार्वजनिक स्थानों के अधिकार को भी बाधित करता हैं।
- इस विषय से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए 24 सितंबर, 2022 का यूपीएससी परीक्षा विस्तृत समाचार विश्लेषण देखें।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. खजुराहो की पैरट लेडी:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
कला एवं संस्कृति:
विषय: कला रूपों, साहित्य और वास्तुकला के प्रमुख पहलू
प्रारंभिक परीक्षा: खजुराहो की मूर्ति और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की पैरट लेडी के बारे में।
प्रसंग
- पुरावशेषों की अवैध तस्करी की रोकथाम पर जागरूकता फैलाने के लिए लगभग 26 प्रत्यावर्तित भारतीय पुरावशेषों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शित किया जाएगा।
- प्रदर्शित पुरावशेषों में, “खजुराहो की पैरट लेडी” मूर्तिकला एक प्रमुख आकर्षण थी।
खजुराहो की पैरट लेडी
चित्र स्रोत : The Hindu
- “खजुराहो की पैरट लेडी” 900 साल पुरानी बलुआ पत्थर की मूर्ति है।
- यह तीन फीट लंबी मूर्ति है जिस पर उत्कृष्ट नक्काशी की गई है और इसमें एक महिला को उसके दाहिने कान के पास एक तोते के साथ दर्शाया गया है जो प्रेम का प्रतीक है।
- कुछ इतिहासकारों का मानना है कि “पैरट लेडी” राजसी ‘अभिसारिका’ या कामदेव से प्रभावित महिला के रूप में खजुराहो की रानी रही होगी, जो हमेशा अपने पालतू तोते के साथ बातचीत में लगी रहती थी।
- मूर्तिकला को दिल्ली से कनाडा (टोरंटो) में तस्करी कर ले जाया गया था और 1970 के यूनेस्को अभिसमय के अनुसार 2015 में इसे कनाडा से भारत वापस लाया गया था।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) पुरावशेषों के संबंध में नोडल एजेंसी है और लगभग 244 चोरी या लापता कलाकृतियों को आज तक भारत वापस लाया जा चुका है।
अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: The Parrot Lady
महत्वपूर्ण तथ्य:
- आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने से संबंधित चिंता:
- लगभग 60% भारतीय मतदाताओं ने वर्तमान में अपने आधार को मतदाता सूची में अपने नाम से जोड़ा है।
- लिंकिंग अभ्यास ने त्रिपुरा जैसे राज्यों में 90% से अधिक का कवरेज हासिल किया है, तथा गुजरात और दिल्ली जैसे राज्य इस मामले में पीछे हैं क्योंकि यहाँ केवल 30% मतदाताओं ने ही चुनाव अधिकारियों को अपना आधार कार्ड प्रदान किया है।
- मतदाता पहचान पत्र के साथ आधार को फॉर्म 6B (जो चुनाव अधिकारियों द्वारा प्रदान किया जाता है) भरकर लिंक किया जा रहा है, जो चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 का परिणाम है जिसने लिंकिंग की अनुमति दी है।
- जबकि भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) [ Election Commission of India (ECI) ] ने कहा है कि लिंकिंग वैकल्पिक है, लेकिन लिंकिंग से बचने के लिए मतदाताओं को फॉर्म 6B में यह घोषित करना पड़ता है कि उनके पास आधार नहीं है।
- चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम के पारित होने से पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने आधार के अनिवार्य उपयोग को कल्याणकारी योजनाओं और पैन लिंकिंग तक सीमित कर दिया था।
- इस लिंकिंग अभ्यास के परिणामस्वरूप कई कार्यकर्ताओं ने मताधिकार से बेदखली, जबरदस्ती और गोपनीयता के हनन के बारे में चिंता जताई है।
- गोपनीयता के मुद्दों पर चिंताएं रही हैं क्योंकि आधार लिंकिंग राजनीतिक दलों को मतदाताओं को सूक्ष्म स्तर पर लक्षित करने में सक्षम बना सकती है।
- गैर सरकारी संगठन ‘स्वेच्छा’ के कार्यकर्ताओं ने कहा है कि सूचना के अधिकार (RTI) अनुरोध के माध्यम से प्राप्त दस्तावेजों से पता चला है कि आधार-लिंकिंग अभ्यास के बाद तेलंगाना में 20 लाख से अधिक मतदाताओं को सूची से हटा दिया गया था।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए, निम्नलिखित लेख पर क्लिक कीजिए:
UPSC Exam Comprehensive News Analysis dated 29 Aug 2022: Aadhar-Voter ID Linkage
2. भारत चाबहार के रास्ते 20,000 टन गेहूं अफगानिस्तान भेज रहा है
- भारत ईरान में चाबहार बंदरगाह (Chabahar port) के माध्यम से सहायता के रूप में अफगानिस्तान को गेहूं की अपनी अगली खेप भेजना चाहता है।
- दिल्ली में अफगानिस्तान पर भारत-मध्य एशिया संयुक्त कार्य समूह (JWG) की पहली बैठक के दौरान इस निर्णय की घोषणा की गई, क्योंकि भूमि मार्ग से गेहूं भेजने के लिए पाकिस्तान के साथ समझौता समाप्त हो गया है और समय बढ़ाने के लिए बातचीत का कोई परिणाम नहीं निकला है।
- यह JWG बैठक जनवरी 2022 में भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के बाद आयोजित की गई थी।
- JWG में, भारत ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) [United Nations Office on Drugs and Crime (UNODC)] के अधिकारियों के लिए “अनुकूलित क्षमता निर्माण मार्ग” की पेशकश करने तथा मादक पदार्थों की तस्करी का मुकाबला करने और अफगान ड्रग के उपयोगकर्ताओं, विशेष रूप से महिलाओं के लिए पुनर्वास के प्रयास की पहल पर सहयोग करने पर भी सहमत हुआ।
- अफगानिस्तान में मानवीय संकट के मद्देनजर भारत ने अफगानिस्तान को 20,000 टन गेहूं की आपूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (UNWFP) [UN World Food Programme (UNWFP)] के साथ अपनी साझेदारी की घोषणा की थी।
- पाकिस्तान की पिछली सरकार के साथ एक समझौते के बाद भारत ने 50,000 टन के वादे में से लगभग 40,000 टन भेजा था।
- हालाँकि, पाकिस्तान में बाढ़ के बाद शिपमेंट रोक दिया गया था, और पाकिस्तान द्वारा अनुमत समय समाप्त हो गया था।
- अतीत में भारत ने चाबहार बंदरगाह मार्ग का उपयोग अफगानिस्तान में गेहूं भेजने के लिए किया था।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. प्रतिष्ठित ‘प्रित्ज़कर पुरस्कार’ किस के क्षेत्र में प्रदान किया जाता है? (स्तर – मध्यम)
(a) विषाणु विज्ञान
(b) वास्तुकला
(c) विश्व शांति की दिशा में प्रयास
(d) लैंगिक समानता की दिशा में प्रयास
उत्तर: b
व्याख्या:
- प्रित्ज़कर पुरस्कार प्रतिवर्ष “एक जीवित वास्तुकार या वास्तुकारों को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है, जिनका काम प्रतिभा, दृष्टि और प्रतिबद्धता के उन गुणों के संयोजन को प्रदर्शित करता है, जिन्होंने वास्तुकला के माध्यम से मानवता और निर्मित पर्यावरण के लिए निरंतर और महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- जे ए. प्रित्ज़कर (Jay A. Pritzker) और उनकी पत्नी सिंडी द्वारा 1979 में स्थापित, यह पुरस्कार प्रित्ज़कर परिवार द्वारा वित्त पोषित है और हयात फाउंडेशन द्वारा प्रायोजित है।
- इसे अक्सर वास्तुकला का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है।
- इस पुरस्कार को “राष्ट्रीयता, जाति, पंथ, या विचारधारा को ध्यान में न रखते हुए” प्रदान किया जाता है।
प्रश्न 2. भारत के कार्बन सिंक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- भारत 2030 तक अपने कार्बन सिंक को 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसने औपचारिक रूप से UNFCCC को यह स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि इसके लिए आधारभूत वर्ष 2005 होगा।
- भारत अतिरिक्त वन और वृक्षों के आवरण के निर्माण के माध्यम से 2030 तक अपने कार्बन सिंक को 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
- भारत के वन सर्वेक्षण के अनुसार, 2015 में भारत के वनों और वृक्षों के आवरण में 29.38 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर कार्बन सिंक था।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल एक कथन गलत है
(b) दो कथन गलत हैं
(c) सभी कथन गलत हैं
(d) कोई भी कथन गलत नहीं है
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: भारत 2030 तक अपने कार्बन सिंक को 2.5-3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसने औपचारिक रूप से UNFCCC को स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया है कि इसके लिए आधारभूत वर्ष 2005 होगा।
- कथन 2 सही है: भारत 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्षों के आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक निर्मित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
- कथन 3 सही है: भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) के भारतीय वनों के सर्वेक्षण के अनुसार, देश के वनों और वृक्षों के आवरण में 2015 में 29.38 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर कार्बन सिंक था।
- इसके अलावा, किसी भी नए प्रयास के हस्तक्षेप के बिना सामान्य क्रियाकलाप परिदृश्य में इसके 2030 में बढ़कर 31.87 बिलियन टन होने का अनुमान है।
प्रश्न 3. राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) मूल्यांकन प्रणाली के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- NAAC विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के तहत एक स्वायत्त निकाय है, जो मान्यता के भाग के रूप में ग्रेडिंग के साथ उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) का मूल्यांकन और प्रमाणन करता है।
- संस्थानों की रेटिंग A++ से लेकर C तक होती है। अगर किसी संस्थान को D ग्रेड दिया जाता है, तो इसका मतलब है कि वह मान्यता प्राप्त नहीं है।
- केवल वही उच्च शिक्षा संस्थान जो कम से कम दस वर्ष पुराने हैं, या जहां से छात्रों के कम से कम तीन बैच स्नातक हो चुके हैं, आवेदन कर सकते हैं।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल एक कथन गलत है
(b) केवल दो कथन गलत हैं
(c) सभी कथन गलत हैं
(d) कोई भी कथन गलत नहीं है
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) की स्थापना 1994 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की एक स्वायत्त संस्था के रूप में की गई थी जो उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) का मूल्यांकन और प्रत्यायन करती है।
- कथन 2 सही है: NAAC द्वारा जारी किए गए ग्रेड A++ से लेकर C तक होते हैं। यदि किसी संस्थान को D ग्रेड दिया जाता है, तो इसका मतलब है कि वह मान्यता प्राप्त नहीं है।
- कथन 3 गलत है: ऐसे उच्च शिक्षा संस्थान (HEI), जहां से छात्रों के कम से कम दो बैच स्नातक हो चुके हैं या जो कम से कम छः वर्षों से अस्तित्व में हैं (जो भी पहले हो), NAAC के मूल्यांकन और प्रत्यायन (A&A) की प्रक्रिया के लिए आवेदन करने के पात्र हैं।
प्रश्न 4. चाबहार बंदरगाह के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- चाबहार बंदरगाह दक्षिण-पूर्वी ईरान में ओमान की खाड़ी में स्थित है।
- यह एकमात्र ईरानी बंदरगाह है जिसकी समुद्र तक सीधी पहुंच है।
- यह भारत के लिए समुद्री-भूमि मार्ग का उपयोग करके अफगानिस्तान में माल परिवहन करने हेतु पाकिस्तान को दरकिनार (बायपास) करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: चाबहार बंदरगाह ओमान की खाड़ी पर ईरान के दक्षिणपूर्वी भाग में सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है।
- कथन 2 सही है: चाबहार बंदरगाह एकमात्र ईरानी बंदरगाह है जिसकी समुद्र तक सीधी पहुंच है।
- कथन 3 सही है: चाबहार बंदरगाह भारत को समुद्र-भूमि मार्ग का उपयोग करके पाकिस्तान को बायपास करते हुए अफगानिस्तान से बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
प्रश्न 5. बिस्फिनॉल A (BPA), जो चिंता का कारण है, निम्नलिखित में से किस प्रकार के प्लास्टिक के उत्पादन में एक संरचनात्मक/मुख्य घटक है?PYQ (2021) (स्तर – कठिन)
(a) निम्न घनत्व वाले पॉलिएथिलीन
(b) पॉलीकार्बोनेट
(c) पॉलिएथिलीन टेरेफ्थेलेट
(d) पॉलीविनाइल क्लोराइड
उत्तर: b
व्याख्या:
- बिस्फिनॉल A (BPA) मुख्य रूप से पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक के उत्पादन में उपयोग के लिए बड़ी मात्रा में उत्पादित एक रसायन है।
- बिस्फिनॉल A (BPA) विभिन्न उत्पादों जैसे शैटरप्रूफ विंडो, आईवियर, पानी की बोतलों और जल आपूर्ति पाइपों में पाया जाता है।
- भ्रूण, शिशुओं और बच्चों के मस्तिष्क और प्रोस्टेट ग्रंथि पर संभावित स्वास्थ्य प्रभावों के कारण BPA के संपर्क में आना एक चिंता का विषय है।
- अधिकांश लोगों के लिए BPA के संपर्क का प्राथमिक स्रोत आहार के माध्यम से होता है। जबकि हवा, धूल और पानी संपर्क के अन्य संभावित स्रोत हैं।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. केंद्र ने हीट वेव स्वास्थ्य एडवाइजरी जारी की है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने हीट वेव से खुद को बचाने के लिए क्या करें और क्या न करें की एक सूची भी जारी की है। आई.एम.डी. ने 2023 के लिए अपनी पहली हीट एडवाइजरी जारी की है। जिला प्रशासन के प्रमुख के रूप में आप अपने अधिकार क्षेत्र में अत्यधिक गर्मी के कारण होने वाली मौतों को कम करने के लिए क्या कदम उठाएंगे ? Link (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-1, भूगोल]
प्रश्न 2. हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भविष्य के लिए प्राथमिक प्रतियोगिता सरल है: यह विनाशकारी संघर्ष से बचते हुए चीनी आधिपत्य को रोकने के बारे में है। टिप्पणी कीजिए।Link (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय संबंध]